- सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्री थावरचंद गहलौत ने लोकसभा में 8 जनवरी, 2019 को संविधान (एक सौ चौबीसवां संशोधन) बिल, 2019 को पेश किया। बिल नागरिकों के ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों’ की उन्नति का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 15 नस्ल, धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर नागरिकों से भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि सरकार सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर पर पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है। बिल सरकार को इस बात की अनुमति देने के लिए अनुच्छेद 15 में संशोधन करता है कि वह ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों’ की उन्नति के लिए प्रावधान कर सके। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक संस्थानों में इन वर्गों के दाखिले के लिए 10% तक सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। यह आरक्षण अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा।
- संविधान का अनुच्छेद 16 सरकारी कार्यालयों में रोजगार में भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि सरकार ‘नागरिकों के पिछड़े वर्गों’ के लिए आरक्षण की अनुमति दे सकती है, अगर सरकारी सेवाओं में उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। बिल अनुच्छेद 16 में संशोधन का प्रयास करता है और सरकार को इस बात की अनुमति देता है कि वह नागरिकों के ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों’ के लिए सभी पदों में 10% तक आरक्षण दे सकती है।
- शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो’ के लिए 10% तक का आरक्षण, मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा।
- केंद्र सरकार परिवार की आय और आर्थिक पिछड़ेपन के सूचकांकों के आधार पर नागरिकों के ‘आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों’ को अधिसूचित करेगी।
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