मंत्रालय: 
सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण
 
  • सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में 9 अगस्त, 2021 को संविधान (एक सौ सत्ताइसवां संशोधन) बिल, 2021 को पेश किया। बिल संविधान में संशोधन करता है और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को इस बात की अनुमति देता है कि वे सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी सूची खुद बना सकते हैं।
     
  • सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूचीराष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग एक्ट, 1993 के अंतर्गत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की स्थापना की गई थी। संविधान (एक सौ दूसरा संशोधन) एक्ट, 2018 ने एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा दिया है और राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया है कि वह सभी उद्देश्यों के लिए किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची को अधिसूचित करेंगे। 2021 का बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति सिर्फ केंद्र सरकार के उद्देश्य के लिए सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची को अधिसूचित कर सकते हैं। केंद्र सरकार इस केंद्रीय सूची को तैयार करेगी और उसका रखरखाव करेगी। इसके अतिरिक्त बिल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार देता है कि वे सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी अपनी सूची बनाएं। यह सूची कानून के द्वारा बनाई जाएगी और यह केंद्रीय सूची से अलग हो सकती है। 
     
  • एनसीबीसी से सलाहसंविधान का अनुच्छेद 338बी केंद्र और राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य करता है कि वे सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर एनसीबीसी से सलाह करेंगी। बिल सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करने से संबंधित मामलों में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस शर्त से छूट देता है।
     

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