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सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023 को राज्यसभा में 20 जुलाई, 2023 को पेश किया गया। यह बिल सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 में संशोधन करता है। एक्ट फिल्म प्रमाणन बोर्ड (बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) का गठन करता है, जोकि प्रदर्शन के लिए फिल्मों को प्रामाणित करता है। ये प्रमाणपत्र संशोधन/डिलीशन के अधीन हो सकते हैं। बोर्ड किसी फिल्म के प्रदर्शन से इनकार भी कर सकता है।
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प्रमाणपत्रों की अतिरिक्त श्रेणियां: बिल आयु के आधार पर प्रमाणपत्रों की कुछ अतिरिक्त श्रेणियां जोड़ता है। एक्ट के तहत, फिल्म को प्रदर्शन के लिए प्रमाणित किया जा सकता है: (i) बिना किसी प्रतिबंध के ('यू'), (ii) बिना किसी प्रतिबंध के, लेकिन 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए माता-पिता या अभिभावकों के मार्गदर्शन के अधीन ('यूए'), (iii) केवल वयस्कों के लिए ('ए'), या (iv) केवल किसी पेशे के सदस्यों या व्यक्तियों के वर्ग ('एस') के लिए। बिल में यूए श्रेणी के स्थान पर तीन श्रेणियों को लाया गया है जोकि आयु उपयुक्तता का भी संकेत देती हैं: (i) यूए 7+, (ii) यूए 13+, या (iii) यूए 16+। बोर्ड ने यूए श्रेणी के भीतर जो आयु का अनुमोदन किया है, उससे माता-पिता या अभिभावकों को इस बात पर विचार करने में मदद मिलेगी कि यह फिल्म बच्चों को देखनी चाहिए अथवा नहीं, और माता-पिता या अभिभावकों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इसे लागू नहीं किया जाएगा।
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टेलीविजन/अन्य मीडिया के लिए अलग प्रमाणपत्र: 'ए' या 'एस' प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टेलीविजन, या केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य मीडिया पर प्रदर्शन के लिए एक अलग प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी। बोर्ड आवेदक को यह निर्देश दे सकता है कि वह अलग प्रमाणपत्र के लिए उचित डिलीशन या संशोधन करे।
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अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन पर सजा: बिल निम्नलिखित को अंजाम देने या बढ़ावा देने पर रोक लगाता है: (i) अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और (ii) फिल्मों का अनाधिकृत प्रदर्शन। अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का प्रयास करना भी अपराध होगा। अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का मतलब मालिक की अनुमति के बिना फिल्म प्रदर्शन के लिए लाइसेंस प्राप्त स्थान पर फिल्म की उल्लंघनकारी प्रतिलिपि बनाना या प्रसारित करना है। अनाधिकृत प्रदर्शन का अर्थ, है लाभ के लिए फिल्म की उल्लंघनकारी प्रति का सार्वजनिक प्रदर्शन: (i) ऐसे स्थान पर जहां फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए लाइसेंस नहीं है या (ii) इस तरीके से, जो कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करता है।
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कॉपीराइट एक्ट, 1957 के तहत कुछ छूट उपरोक्त अपराधों पर भी लागू होंगी। 1957 का एक्ट निर्दिष्ट मामलों में मालिक की अनुमति के बिना कॉपीराइट सामग्री के सीमित उपयोग की अनुमति देता है जैसे: (i) निजी या व्यक्तिगत उपयोग, (ii) करंट अफेयर्स की रिपोर्टिंग, या (iii) उस काम की समीक्षा या आलोचना।
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उपरोक्त अपराध निम्नलिखित प्रकार दंडनीय होंगे: (i) तीन महीने से तीन वर्ष के बीच कारावास, और (ii) तीन लाख रुपए से लेकर ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5% तक जुर्माना।
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प्रमाणपत्र हमेशा वैध रहेंगे: एक्ट के तहत बोर्ड की तरफ से जारी प्रमाणपत्र 10 वर्षों के लिए वैध होते हैं। बिल में प्रावधान है कि प्रमाणपत्र हमेशा वैध रहेंगे।
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केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियां: एक्ट केंद्र सरकार को उन फिल्मों के संबंध में जांच करने और आदेश देने का अधिकार देता है जो प्रामाणित हो चुकी हैं या प्रमाणन के लिए लंबित हैं। बोर्ड को आदेश के अनुरूप मामलों का निपटान करना होता है। बिल केंद्र सरकार की इस शक्ति को हटाता है।
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