मंत्रालय: 
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने 23 जुलाई, 2018 को लोकसभा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (संशोधन) बिल, 2018 पेश किया। यह बिल लघु और मध्यम उद्यम विकास एक्ट, 2006 में संशोधन करता है। यह एक्ट उद्यमों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम की श्रेणी में रखकर उन्हें रेगुलेट करता है।
     
  • एक्ट सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को निवेश के आधार पर वर्गीकृत करता है: (i) मैन्यूफैक्चरिंग या वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्यमों को संयंत्र और मशीनरी में निवेश के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, और (ii) सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यमों को उपकरणों में निवेश के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। बिल सभी एमएसएमईज़ के वर्गीकरण का एक आधार प्रस्तावित करता है। बिल के अंतर्गत सभी एमएसएमईज़ को, चाहे वे मैन्यूफैक्चरिंग करते हों या सेवाएं प्रदान करते हों, वार्षिक टर्नओवर के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा।
     
  • तालिका 1 में एमएसएमईज़ के वर्गीकरण में प्रस्तावित परिवर्तन को प्रदर्शित किया गया है।

तालिका 1: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के रूप में उद्यमों का वर्गीकरण (रुपए में)

उद्यम का प्रकार

2006 का एक्ट

2018 का बिल

मैन्यूफैक्चरिंग

सेवाएं

सभी उद्यम

संयंत्र और मशीनरी में निवेश

उपकरण में निवेश

वार्षिक टर्नओवर

सूक्ष्म

25 लाख

10 लाख

5 करोड़

लघु

25 लाख से

5 करोड़

10 लाख से

2 करोड़

5 से

75 करोड़

मध्यम

5 से 10 करोड़

2 से 5 करोड़

75 से

250 करोड़

  • केंद्र सरकार एक अधिसूचना के जरिए वार्षिक टर्नओवर की इस सीमा में परिवर्तन कर सकती है। अधिकतम टर्नओवर बिल में निर्दिष्ट सीमाओं से तीन गुना अधिक हो सकता है।
     
  • एक्ट के तहत केंद्र सरकार सूक्ष्म, छोटे या ग्रामीण उद्योगों को लघु उद्यम के रूप में वर्गीकृत कर सकती है। बिल सूक्ष्म, छोटे या ग्रामीण उद्योगों को लघु के साथ-साथ मध्यम उद्यमों में वर्गीकृत करने के लिए इस दायरे को बढ़ाए जाने का प्रावधान करता है।

 

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