- आयुष राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाईक ने 23 जुलाई, 2018 को लोकसभा में होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) बिल, 2018 पेश किया। यह बिल होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1973 में संशोधन करता है और होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश, 2018 का स्थान लेता है। 1973 के एक्ट के तहत सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी की स्थापना की गई थी। यह सेंट्रल काउंसिल होम्योपैथिक शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट करती है।
- सेंट्रल काउंसिल का सुपरसेशन: बिल 1973 के एक्ट में संशोधन करता है और सेंट्रल काउंसिल के सुपरसेशन को प्रभावी करता है। सुपरसेशन की तारीख से लेकर एक वर्ष के भीतर सेंट्रल काउंसिल को दोबारा गठित किया जाएगा। इस अंतरिम अवधि के दौरान केंद्र सरकार बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन करेगी जो सेंट्रल काउंसिल की शक्तियों का इस्तेमाल करेगा।
- बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में सात सदस्य होंगे जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) होम्योपैथी शिक्षा क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति, और (ii) केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिष्ठित अधिकारी। केंद्र सरकार इनमें से एक सदस्य को बोर्ड का चेयरपर्सन चुनेगी। नीतिगत फैसलों के संबंध में केंद्र सरकार के निर्देश अंतिम होंगे।
- मौजूदा होम्योपैथी कॉलेजों के लिए अनुमति जरूरी: बिल का कहना है कि बिल जारी होने से पहले: (i) अगर किसी व्यक्ति ने होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है, या (ii) अगर एक स्थापित होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज ने नए कोर्स शुरू किए हैं या अपनी दाखिला क्षमता में वृद्धि की है तो उसे एक वर्ष के भीतर केंद्र सरकार से अनुमति हासिल करनी होगी। अगर वह व्यक्ति या होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार से अनुमति नहीं लेता तो किसी स्टूडेंट द्वारा उस मेडिकल कॉलेज से हासिल की गई मेडिकल क्वालिफिकेशन को एक्ट के अंतर्गत मान्यता प्राप्त नहीं होगी।
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