राज्यों की वित्तीय स्थिति: 2024-25
2023-24 में राज्यों का अपना राजस्व (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) 2018-19 में दर्ज स्तरों के बराबर था। हालांकि केंद्रीय हस्तांतरण में गिरावट के कारण कुल राजस्व प्राप्तियां 2018-19 की तुलना में कम बनी हुई हैं। केंद्र के दीर्घकालिक ऋणों के कारण राज्यों के पूंजी परिव्यय में मामूली वृद्धि हुई है। 2023-24 में एसजीएसटी से राज्यों का राजस्व महामारी-पूर्व स्तर से अधिक हो गया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद खनिज समृद्ध राज्य भी खनन से अतिरिक्त राजस्व जुटा सकते हैं। व्यय के लिहाज से देखा जाए तो कई राज्य महिलाओं के लिए नकद अंतरण योजनाएं चला रहे हैं। इसके अलावा एकीकृत पेंशन योजना को लागू करने पर उन्हें अतिरिक्त खर्च भी उठाना पड़ सकता है। राज्य के स्वामित्व वाली डिस्कॉम की खराब वित्तीय स्थिति राज्य के वित्त के लिए चुनौतियां पेश कर रही हैं। इसके मद्देनजर यह रिपोर्ट सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर और पुद्दूचेरी के बजट दस्तावेजों और कैग एकाउंट्स के आधार पर उनके वित्त का विश्लेषण करती है। इस रिपोर्ट के रेखाचित्रों में राज्यों के लिए निम्नलिखित संक्षिप्त नामों का इस्तेमाल किया गया है।
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विषय
खंड |
राज्यों की वित्तीय स्थिति के विभिन्न पहलू |
कोविड के बाद की अवधि में राज्य की वित्तीय स्थिति |
राजस्व और व्यय पर राज्यों की सीमित स्वायत्तता |
जीएसटी राजस्व की प्रवृत्तियां |
एकीकृत पेंशन योजना का क्रियान्वयन |
महिलाओं के लिए नकद अंतरण योजनाएं |
केंद्र प्रायोजित योजनाओं हेतु अनुदान |
स्थानीय निकायों के लिए वित्त आयोग के अनुदान |
खनिजों से राजस्व |
बिजली वितरण कंपनियों का प्रदर्शन |
राज्य की वित्तीय प्रवृत्तियां |
i. प्राप्ति |
ii. व्यय |
iii. ऋण और घाटा |
iv. बजट अनुमानों की विश्वसनीयता |
v. क्षेत्र-वार परिव्यय की प्रवृत्तियां |
अनुलग्नक |
पारिभाषिक शब्द |
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राज्यों की वित्तीय स्थिति के विभिन्न पहलू
राज्यों की राजस्व प्राप्तियों की स्थिति संभली, लेकिन घाटे का स्तर कोविड के बाद मामूली रूप से बढ़ा
2019-20 में आर्थिक मंदी और उसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण 2018-19 और 2020-21 के बीच राज्यों की राजस्व प्राप्तियों में गिरावट आई। इससे उधारियों में बढ़ोतरी हुई और 2020-21 में राज्यों की कुल देनदारियां बढ़कर जीडीपी का 31% हो गईं। तब से राज्यों की स्वयं राजस्व प्राप्तियां पूर्व-कोविड स्तर पर वापस आ गई हैं और ऋण स्तर में कमी आई है।
राजस्व बढ़ाने और व्यय की योजना बनाने के लिए राज्यों के पास सीमित स्वायत्तता
देश में कुल सरकारी व्यय का लगभग 60% हिस्सा राज्यों के बजट से खर्च होता है। हालांकि राज्यों को राजस्व बढ़ाने और व्यय की योजना बनाने की सीमित स्वायत्तता प्राप्त है। 2022-23 में उनकी 53% प्राप्तियां ऐसे स्रोतों से आई थीं, जिनके संबंध में फैसला लेने का उन्हें सीमित अधिकार है। व्यय के लिहाज से देखा जाए तो लगभग 55% व्यय की प्रकृति इनफ्लेक्सिबल है, यानी उसे अपनी मर्जी और जरूरत के हिसाब से खर्च नहीं किया जा सकता।
2023-24 में एसजीएसटी से राजस्व कोविड पूर्व स्तर से अधिक
2023-24 में राज्यों का कुल एसजीएसटी राजस्व 2018-19 में दर्ज स्तरों से आगे निकल गया। आरबीआई ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार और कर प्रशासन में सुधार से एसजीएसटी राजस्व को फायदा हुआ है। जीएसटी परिषद ने क्षतिपूर्ति सेस को बदलने पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया है। वर्तमान में कोविड के दौरान क्षतिपूर्ति की कमी की भरपाई करने के लिए जो ऋण लिए गए थे, उसका भुगतान करने के लिए उपकर का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार अगर क्षतिपूर्ति उपकर को जीएसटी स्लैब में शामिल किया जाता है, तो केंद्र और राज्य दोनों को राजस्व प्राप्त होगा।
एकीकृत पेंशन योजना में स्थानांतरण से राज्यों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है
अगस्त 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपने कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी दी। इस योजना के तहत सरकारी अंशदान में वृद्धि के साथ केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन प्रदान की जाएगी। जो राज्य अपने कर्मचारियों के लिए यूपीएस लागू करना चुनते हैं, उन्हें अतिरिक्त व्यय करना पड़ सकता है।
कई राज्य महिलाओं के लिए नकद अंतरण योजनाएं चला रहे हैं
2024-25 में महिलाओं के लिए नकद अंतरण योजनाएं चलाने के कारण नौ राज्यों द्वारा कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने का अनुमान है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। सभी राज्यों के बजट पर इसका प्रभाव अलग-अलग है। नकद अंतरण योजनाएं चलाने से लाभार्थियों की उपभोग क्षमता में सुधार हो सकता है।
कुछ गरीब राज्यों के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत प्रति व्यक्ति अनुदान कम है
2015-16 के बाद से सीएसएस के लिए केंद्रीय अनुदान कुल केंद्रीय हस्तांतरण का 20% से अधिक रहा है। ये योजनाएं केंद्र द्वारा तैयार की जाती हैं और राज्यों द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। इनका लक्ष्य राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं के न्यूनतम मानकों को सुनिश्चित करना है। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ गरीब राज्यों के लिए औसत प्रति व्यक्ति सीएसएस अनुदान कम रहा है। कम राजकोषीय और कार्यान्वयन क्षमता वाले राज्यों को इन योजनाओं को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य खनिजों से अतिरिक्त राजस्व जुटा सकते हैं
जुलाई 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा। अदालत ने राज्यों को इन उगाहियों से पूर्वव्यापी मांग को रिकवर करने की भी अनुमति दी। खनिजों पर शुल्क लगाने से राज्य अतिरिक्त राजस्व प्राप्त कर सकते हैं।
बिजली खरीद की उच्च लागत के कारण डिस्कॉम्स के घाटे बढ़े
राज्य के स्वामित्व वाली डिस्कॉम का घाटा पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 में दोगुना हो गया। यह आयातित कोयले पर बढ़ती निर्भरता और आयातित कोयले की कीमत में बढ़ोतरी की वजह से बिजली खरीद लागत में वृद्धि के कारण था। अगर घाटा लगातार बढ़ता है तो बिजली वितरण के इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने के लिए निवेश करना मुश्किल होता है।