केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति
चर्चा पत्र
केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति
केंद्र सरकार देश में अर्जित कुल सरकारी राजस्व का लगभग 60% एकत्र करती है और व्यय में उसकी लगभग 40% हिस्सेदारी (शेष राज्यों द्वारा) है। केंद्र सरकार को निम्नलिखित से प्राप्तियां होती हैं: (i) आय कर, जीएसटी और कस्टम ड्यूटी जैसे कर, (ii) गैर-कर स्रोत जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयूज़) से लाभांश और ब्याज प्राप्तियां, और (iii) पूंजीगत प्राप्तियां, जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त विनिवेश आय। 2022-23 में केंद्र सरकार की कुल प्राप्तियों में कर राजस्व का हिस्सा लगभग 86% अनुमानित है। 11% प्राप्तियां गैर-कर राजस्व और 2% विनिवेश से होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार प्रमुख राष्ट्रीय आवश्यकताओं जैसे रक्षा और आंतरिक सुरक्षा, उद्योगों के संवर्धन, व्यापार और वाणिज्य, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा, और राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे सहित इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतों पर खर्च करती है।
व्यय की योजनाओं के मुकाबले केंद्र सरकार की प्राप्तियां लगातार कम रही हैं और इस कमी को उधारियों के जरिए वित्तपोषित किया जाता है (राजकोषीय घाटा)। इससे कर्ज का स्तर और ब्याज व्यय बढ़ गया है, और पूंजीगत व्यय के लिए गुंजाइश कम हो गई है। इस संदर्भ में, हम केंद्र सरकार के वित्त की स्थिति पर चर्चा करते हैं।
कर संग्रह का स्तर क्षमता से कम बना हुआ है
1991 के बाद लगभग 30 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारों के कुल कर संग्रह में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है (रेखाचित्र 1)। 1991 में कुल संग्रह जीडीपी का 15.2% था जोकि 2007-08 में जीडीपी का 17.9% हो गया। इसके बाद से यह जीडीपी के 15.5%-17.5% के बीच रहा है। 15वें वित्त आयोग ने गौर किया कि भारत का कर संग्रह अनुमानित कर क्षमता से कम रहा है। 1 इसकी तुलना में अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कर राजस्व बढ़ रहा है। [1] आर्थिक सर्वेक्षण (2015-16) में अनुमान लगाया गया था कि आर्थिक विकास के स्तर, और राजनैतिक प्रणाली के प्रकार के लिहाज से भारत का कुल कर जीडीपी अनुपात (केंद्र और राज्यों का मिलाकर) दूसरे तुलनीय देशों के मुकाबले जीडीपी का लगभग 5.5% कम है। [2] सरकारी व्यय लगभग 6% कम होने का अनुमान लगाया गया था। 2 2023-24 में केंद्र सरकार द्वारा जमा किया जाने वाला सकल कर राजस्व जीडीपी का 11.1% अनुमानित है। 2023-24 में शुद्ध कर राजस्व जीडीपी का 7.7% अनुमानित है। यह वह राशि है जोकि वित्त आयोग के सुझावों के आधार पर राज्यों को हस्तांतरित करने के बाद केंद्र के पास बचती है। |
रेखाचित्र 1: भारत में जीडीपी के % के रूप में कर संग्रह
नोट: 2021-22 और 2022-23 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान के अनुसार हैं। |
कॉरपोरेशन टैक्स से मिलने वाले राजस्व में पिछले वर्षों में गिरावट हुई है, आय कर संग्रह बढ़ा है
केंद्र सरकार के कर राजस्व को प्रत्यक्ष करों (आय, लाभ और परिसंपत्तियां पर) और अप्रत्यक्ष करों (वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन पर) में वर्गीकृत किया जाता है। प्रमुख प्रत्यक्ष करों में कॉरपोरेशन टैक्स और आय कर आते हैं। प्रत्यक्ष करों के लिए केंद्र सरकार की नीति यह है कि कर आधार को व्यापक और गहन बनाया जाए, जबकि छूटों को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। [3] हाल के वर्षों में सकल कर राजस्व में कॉरपोरेशन टैक्स के हिस्से में गिरावट हो रही है, चूंकि निवेश को आकर्षित करने और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए कर दरों को पुनर्गठित किया गया है। 3 आय कर से प्राप्त राजस्व में इस अवधि के दौरान बढ़ोतरी देखी गई है। जबकि फाइल होने वाले टैक्स रिटर्न की संख्या में वृद्धि हुई है, कर आधार अपने आप में बहुत संकुचित है। आकलन वर्ष 2018-19 के लिए 5.87 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए (कुल जनसंख्या का 4.4%)। 3 इनमें से 40% रिटर्न शून्य टैक्स ब्रैकेट में थे जबकि 53% रिटर्न टैक्स ब्रैकेट में 1.5 लाख रुपए से कम थे। 3 |
रेखाचित्र 2: जीडीपी के % के रूप में प्रमुख प्रत्यक्ष कर नोट: 2021-22 और 2022-23 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान के अनुसार हैं। |
जीएसटी के तहत कर संग्रह पिछली कर प्रणाली के मुकाबले कम है
सकल कर राजस्व का लगभग 45% अप्रत्यक्ष करों से प्राप्त होता है। जीएसटी की शुरुआत के साथ, कई अप्रत्यक्ष करों को नई व्यवस्था में शामिल किया गया था। 2016-17 में जीएसटी के तहत करों से प्राप्त राजस्व जीडीपी का लगभग 6.7% था। जीएसटी के तहत अब तक एकत्र राजस्व इस स्तर से कम रहा है। जीएसटी से राजस्व कम मिलने की कई वजहें हैं, जैसे: (i) जीएसटी की राजस्व तटस्थता दर की तुलना में प्रभावी कर दर में गिरावट (2017 में 14.4% से 2019 में 11.6% तक), जबकि 15% -15.5% की राजस्व-तटस्थ दर का सुझाव दिया गया था, (ii) 2018-19 और 2020-21 के बीच आर्थिक मंदी, और (iii) इनवर्टेड शुल्क संरचना (तैयार उत्पादों की तुलना में इनपुट पर उच्च कर), जिसके कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए बड़े रिफंड किए गए और सरकार का शुद्ध कर संग्रह उम्मीद से कम हुआ। 3 , [4] , [5] 15वें वित्त आयोग ने मध्यम अवधि में 7% जीएसटी-से-जीडीपी अनुपात (क्षतिपूर्ति सेस से शुद्ध राजस्व) प्राप्त करने का सुझाव दिया है। 3 |
रेखाचित्र 3: जीएसटी व्यवस्था में कर जीडीपी अनुपात |
जीएसटी के अतिरिक्त अप्रत्यक्ष करों से राजस्व में वृद्धि का कारण उत्पाद शुल्क तथा पेट्रोलियम उत्पादों के सेस और सरचार्ज में वृद्धि था। 3 एक तरफ सेस और सरचार्ज की वसूली से केंद्र सरकार के राजस्व स्तर को बरकरार रखने में मदद मिली है, दूसरी तरफ इसके कारण राज्य सरकार का हस्तांतरण कम हुआ है। |
विनिवेश प्राप्तियों में अनिश्चितताएं
विनिवेश केंद्र सरकार की पूंजीगत प्राप्तियों का प्रमुख स्रोत है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की शेयरहोल्डिंग को बेचकर राजस्व एकट्ठा किया जाता है। 2023-24 के बजट अनुमानों के अनुसार, पूंजी प्राप्तियों का 61% विनिवेश के माध्यम से अर्जित किए जाने की उम्मीद है। विनिवेश के लक्ष्य को हासिल करने में केंद्र सरकार लगातार पिछड़ रही है। 2011-12 से विनिवेश लक्ष्य केवल दो वर्षों में प्राप्त किया गया था- 2017-18 और 2018-19 में। फरवरी 2021 में केंद्र सरकार ने नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति जारी की। [6] इस नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की न्यूनतम उपस्थिति तथा गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में पूर्ण निजीकरण और उद्यमों को बंद करने की परिकल्पना की गई है। 6 इससे गैर कर राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है जिसका लगभग 30-40% लाभांश सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से प्राप्त होता है। |
रेखाचित्र 4: बजटीय बनाम वास्तविक विनिवेश प्राप्तियां (करोड़ रुपए में) |
प्रतिबद्ध व्यय का उच्च स्तर
व्यय को पूंजीगत व्यय (परिसंपत्तियों के निर्माण पर खर्च या देनदारियों में कमी) और राजस्व व्यय (पूंजीगत व्यय के अतिरिक्त) में वर्गीकृत किया जा सकता है। केंद्र सरकार के राजस्व व्यय का बड़ा हिस्सा प्रकृति से प्रतिबद्ध व्यय है, यानी जिसे अल्पावधि में पुनर्गठित करना मुश्किल है। 2023-24 में राजस्व प्राप्तियों का लगभग 69% हिस्सा तीन मदों- ब्याज, वेतन और पेंशन (इन तीनों को मिलाकर प्रतिबद्ध व्यय कहा जाता है) पर खर्च किए जाने का अनुमान है। 2012-13 और 2023-24 के बीच प्रतिबद्ध व्यय 2020-21 (कोविड वर्ष) को छोड़कर राजस्व प्राप्तियों के 65%-70% के बीच रहा है।
केंद्र सरकार के तहत रक्षा और रेलवे दो सबसे बड़े नियोक्ता हैं। 2023-24 में रक्षा मंत्रालय के तहत कुल राजस्व व्यय का 72% वेतन और पेंशन पर खर्च होने का अनुमान है। रेलवे के लिए यह आंकड़ा 53% अनुमानित है। मार्च 2013 तक केंद्र सरकार ने लगभग 33.1 लाख लोगों (रक्षा बलों को छोड़कर) को रोजगार दिया था। [7] लगभग 40 लाख स्वीकृत पदों के मुकाबले मार्च 2024 तक यह संख्या बढ़कर 35.5 लाख होने की उम्मीद है। [8] , [9] फरवरी 2021 तक रक्षा बलों में कार्यरत व्यक्तियों की संख्या लगभग 13.6 लाख थी। [10]
मार्च 2021 तक पेंशनभोगियों की कुल संख्या लगभग 68.6 लाख है: (i) रक्षा- 34.1 लाख, (ii) रेलवे- 15.5 लाख, (iii) सिविल- 11.1 लाख, (iv) दूरसंचार- 4.7 लाख और (v) पद- 3.2 लाख। [11] 2003 के आसपास अंशदायी पेंशन प्रणाली में बदलाव और रक्षा में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की शुरुआत जैसे उपायों से लंबे समय में सरकार के पेंशन व्यय के पुनर्गठन की उम्मीद है।
रेखाचित्र 5: राजस्व प्राप्तियों के % के रूप में प्रतिबद्ध व्यय
नोट: 2022-23 और 2023-24 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान हैं। |
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आवर्ती व्यय को वित्त पोषित करने के लिए उधारियों पर निर्भरता जारी |
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पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार का राजस्व घाटा बना हुआ है। राजस्व घाटे का अर्थ है कि व्यय को वित्त पोषित करने के लिए उधारियों की जरूरत है जिसके परिणामस्वरूप परिसंपत्ति निर्माण नहीं होगा, और देनदारियों में कमी नहीं आएगी। 2008-09 से राजस्व घाटा जीडीपी के 2% से अधिक रहा है। 2016-17 में राजस्व घाटा कम होकर, जीडीपी का 2.1% हो गया था। 2023-24 में इसके कुछ अधिक रहने की उम्मीद है, यानी जीडीपी का 2.9%। 2016-17 की तुलना में 2023-24 में राजस्व घाटा अधिक रहने की निम्नलिखित वजहें हैं: (i) कम राजस्व प्राप्तियां (जीडीपी का लगभग 0.2%), (ii) ब्याज भुगतान देनदारियों में वृद्धि (जीडीपी का लगभग 0.5%), और (iii) केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं और पीएम-किसान और जल जीवन मिशन के तहत व्यय में वृद्धि (जीडीपी के लगभग 0.5% तक)। 2023-24 में |
रेखाचित्र 6 : जीडीपी के % के रूप में राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा नोट: 2022-23 और 2023-24 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान हैं। |
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सबसिडी जीडीपी का 1.3% होने का अनुमान है, जो 2016-17 (जीडीपी का 1.5%) से कम है। निरंतर राजस्व घाटे के कारण केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में रुकावट आई है। 2008-09 और 2019-20 में पूंजीगत व्यय जीडीपी के 1.5%-2% के बीच रहा। 2020-21 में पूंजीगत व्यय जीडीपी के 2.2% तक बढ़ सकता है और 2023-24 में जीडीपी के 3.3% तक, जिसका कारण राजकोषीय घाटे का बहुत अधिक बढ़ना है। |
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ऋण के स्तर में वृद्धि, राजस्व प्राप्तियों का 40% से अधिक ब्याज भुगतान के लिए |
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ऋण और घाटे की सीमा तय करने के लिए संसद ने 2003 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन एक्ट पारित किया। [12] 2018 में इस एक्ट को संशोधित किया गया औऱ भारत के लिए ऋण की सीमा को जीडीपी के 60% पर निर्धारित किया गया (जिसे 2024-25 तक हासिल करना है)। 12 इनमें से केंद्र सरकार की सीमा जीडीपी के 40% पर निर्धारित की गई थी। 12 दूसरी तरफ सरकारी व्यय को वित्त पोषित करने के लिए उधारियों पर निर्भरता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। 3 इसका कारण कोविड-19 महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी है। सरकार (केंद्र और राज्य) के ऋण में तेजी से वृद्धि हुई है, जोकि 2018-19 के अंत में जीडीपी के लगभग 70% से बढ़कर 2022-23 के अंत में जीडीपी का लगभग 85% हो गया। 3 केंद्र सरकार का ऋण 2017-18 के अंत में जीडीपी के 49% से बढ़कर 2022-23 के अंत में जीडीपी का 58% होने का अनुमान है। वर्षों से उच्च ऋण स्तर के कारण केंद्र सरकार को अपनी राजस्व प्राप्तियों के एक महत्वपूर्ण हिस्से को ब्याज भुगतान के लिए अलग रखना पड़ा है। |
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एफआरबीएम एक्ट को लागू करना 2003 में एफआरबीएम एक्ट को पारित किया गया था। इसके निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) राजस्व घाटे को समाप्त करना, (ii) राजकोषीय घाटे के स्तर को 3% पर बरकरार रखना, और (iii) देनदारियों को धीरे-धीरे कम करना। 12 इस एक्ट को कई बार संशोधित किया गया। 2012 में इस एक्ट में संशोधन किया गया और राजस्व घाटे को समाप्त करने वाला प्रावधान हटाया गया, इसके बजाय प्रभावी राजस्व घाटे (पूंजीगत परिसंपत्ति निर्माण के लिए अनुदानों को समायोजित करने के बाद राजस्व घाटा) को समाप्त करने का प्रावधान किया गया। 2018 में फिर एक्ट में संशोधन किया गया और प्रभावी राजस्व घाटे के लक्ष्य वाला प्रावधान हटाया गया। तब इसमें यह प्रावधान जोड़ा गया कि केंद्र सरकार अपने ऋण को जीडीपी के 40% से कम रखने का 'प्रयास' करेगी। समय-समय पर संशोधनों के जरिए विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय सीमा आगे बढ़ाई गई। कई बार एक्ट के कार्यान्वयन को पूरी तरह से रोका गया। पहला उदाहरण 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर था। [13] दूसरी बार 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान ऐसा किया गया। 15वें वित्त आयोग ने गौर किया कि ऋण और राजकोषीय घाटे की चुनौतियों को देखते हुए इस एक्ट में बड़े पैमाने पर पुनर्गठन की जरूरत है। उसने उच्चाधिकार प्राप्त अंतरसरकारी समूह के गठन का सुझाव दिया जोकि: (i) एक्ट की समीक्षा करे, और (ii) केंद्र एवं राज्यों के लिए नए एफआरबीएम नेटवर्क का सुझाव दे और उनके कार्यान्वयन पर नजर रखे। 3 |
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2023-24 में राजस्व प्राप्तियों में ब्याज भुगतान का हिस्सा 41% है। जबकि 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9% अनुमानित है, अकेले ब्याज भुगतान जीडीपी का 3.6% होने का अनुमान है। अगले दो-तीन वर्षों में उधारी का स्तर उच्च रहने की उम्मीद है। लेकिन राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य है। 2022-23 में यह जीडीपी का 6.4% था, और इसे 2025-26 में जीडीपी के 4.5% तक करने का लक्ष्य है। [14] |
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रेखाचित्र 7 : जीडीपी के % के रूप में बकाया देनदारियां
नोट: बाहरी देनदारियों को मौजूदा विनिमय दर पर लिया गया है। 2022-23 और 2023-24 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान हैं। |
रेखाचित्र 8: राजस्व प्राप्तियों के % के रूप में ब्याज भुगतान नोट: 2022-23 और 2023-24 के आंकड़े क्रमशः संशोधित और बजट अनुमान हैं। |
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[1] The Report of the 15th Finance Commission for FY 2020-21, February 2020, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC_202021%20Report_English_Web.pdf.
[2] Chapter 7: Fiscal Capacity for the 21st Century, Volume I, Economic Survey 2015-16, https://www.indiabudget.gov.in/budget2016-2017/es2015-16/echapter-vol1.pdf.
[3] Volume-I, Report of the 15th Finance Commission for 2021-26, February 2021, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC%20VOL%20I%20Main%20Report.pdf.
[4] Report on the Revenue Neutral Rate and Structure of Rates for the Goods and Services Tax (GST), December 2015, https://gstcouncil.gov.in/sites/default/files/CEA-rpt-rnr.pdf.
[5] State Finances, A Study of Budgets of 2019-20, Reserve Bank of India, September 2019, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/STATEFINANCE201920E15C4A9A916D4F4B8BF01608933FF0BB.PDF.
[6] No. 3/3/2020-DIPAM-II-B (E), Department of Investment and Public Asset Management, Ministry of Finance, February 4, 2021, https://dipam.gov.in/strategic-disinvestment.
[7] Annex 7, Expenditure Budget Volume I, Union Budget 2014-15, https://www.indiabudget.gov.in/budget2014-2015/ub2014-15/eb/esti.pdf.
[8] Statement 22: Estimated Strength of Establishment and Provisions therefor, Expenditure Profile, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/stat22.pdf.
[9] Annual Report on Pay and Allowances for the year 2020-21, Department of Expenditure, https://doe.gov.in/sites/default/files/Annual%20Report%202020-21.pdf.
[10] “Gender Ratio in the Armed Forces”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, February 8, 2021, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1696144.
[11] Pensioner Portal, Ministry of Personnel, Public Grievances, & Pensions, as accessed on January 25, 2023, https://pensionersportal.gov.in/dashboard/CGP/RPT_CGP.aspx.
[12] Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2064/1/A2003-39.pdf.
[13] Report No. 27 of 2016, Compliance of Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003, Comptroller and Auditor General of India, https://cag.gov.in/webroot/uploads/download_audit_report/2016/Union_Civil_Compliance_Report_27_2016_Full.pdf.
[14] “Statements of Fiscal Policy as required under the Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003”,
Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/frbm1.pdf.
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