राज्यों की वित्तीय स्थिति: 2022-23

2022-23 में कुल मिलाकर राज्यों का खर्च केंद्र की तुलना में 1.5 गुना होने की उम्मीद है। सरकारी पूंजीगत व्यय में राज्यों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल के वर्षों में आर्थिक मंदी के बाद कोविड-19 महामारी ने राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति को खराब कर दिया। इस अवधि के दौरान राज्य अपने व्यय स्तर को बरकरार रखने के लिए उधारियों पर निर्भर रहे। इसका अर्थ यह था कि बकाया देनदारियों में जबरदस्त वृद्धि हुई और सामान्य से अधिक स्तर का घाटा हुआ। कई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उच्च स्तर के ऋण के मद्देनजर राजकोषीय समेकन को भारत के लिए एक प्रमुख दीर्घकालिक लक्ष्य के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके लिए व्यय योजनाओं को पुनर्गठित करना होगा। इसके अतिरिक्त आने वाले वर्षों में राजस्व बढ़ाने के लिए नए सिरे से प्रयास भी करने होंगे। 2017 में जीएसटी की शुरुआत के बाद से राज्य जीएसटी राज्यों के लिए स्वयं कर राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है (लगभग 42%)। 15वें वित्त आयोग के अनुसार, पहले की व्यवस्था की तुलना में जीएसटी से राजस्व वसूली कम रही है; जिसके संरचनात्मक और परिचालन, दोनों कारण हैं। जीएसटी क्षतिपूर्ति, जोकि एसजीएसटी संग्रह में 14% वृद्धि की गारंटी देती थी, जून 2022 में खत्म हो गई थी। इससे कुछ राज्यों में राजस्व स्तर बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। 

2022 में कुछ राज्य सरकारों ने लगभग दो दशक पहले किए गए पेंशन सुधारों को वापस लेने के निर्णय की घोषणा की। ये सुधार राज्य सरकारों के पेंशन व्यय में अनुमानित वृद्धि के मद्देनजर किए गए थे। इन निर्णयों का दीर्घावधि में प्रतिबद्ध व्यय पर प्रभाव पड़ सकता है। राज्यों की वित्तीय स्थिति पर एक और चुनौती लगातार बनी हुई है। वह है, राज्यों के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन। ये कंपनियां लगातार घाटे में हैं और उन्हें राज्य सरकारों की ओर से अनुदान और बाजार उधारियों की गारंटी देने की जरूरत है। कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं को पिछले दो वर्षों में रैशनलाइज किया गया है क्योंकि उनकी कार्यान्वयन की अवधि, वित्त आयोग की अवधि के साथ समाप्त होती है। जबकि ऐसी योजनाओं की संख्या में कमी आई है, उनके तहत हस्तांतरण की मात्रा पहले वाले स्तर के बराबर बनी हुई है। ऐसी योजनाओं को जारी रखना, राजकोषीय विकेंद्रीकरण और केंद्रीय हस्तांतरण में हिस्सेदारी के बारे में सवाल खड़े करता है। 

इसके मद्देनजर इस रिपोर्ट में सभी राज्यों, तथा जम्मू कश्मीर, दिल्ली एवं पुद्दूचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण किया गया है जोकि उनके बजट दस्तावेजों पर आधारित है। है। रिपोर्ट के रेखाचित्रों में जिन संक्षिप्त नामों का इस्तेमाल किया गया है, उसकी सूची नीचे दी गई है।

राज्य

संक्षिप्त नाम

राज्य

संक्षिप्त नाम

राज्य

संक्षिप्त नाम

आंध्र प्रदेश

AP

जम्मू एवं कश्मीर

JK

पुद्दूचेरी

PY

अरुणाचल प्रदेश

AR

कर्नाटक

KA

राजस्थान 

RJ

असम

AS

केरल

KL

सिक्किम 

SK

बिहार

BR

मेघालय

MG

तमिलनाडु

TN

छत्तीसगढ़

CG

महाराष्ट्र

MH

त्रिपुरा

TR

दिल्ली

DL

मध्य प्रदेश

MP

तेलंगाना

TS

गोवा

GA

मणिपुर

MN

उत्तराखंड

UK

गुजरात

GJ

मिजोरम 

MZ

उत्तर प्रदेश

UP

हिमाचल प्रदेश

HP

नागालैंड

NL

पश्चिम बंगाल

WB

हरियाणा

HR

ओड़िशा

OD

 

 

झारखंड

JH

पंजाब

PB

 

 

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