राज्यों की वित्तीय स्थिति: 2025-26

2023-24 में राज्यों ने राजस्व घाटा दर्ज किया, जिसमें 53% राजस्व प्राप्तियां वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर और 9% सबसिडी पर खर्च की गईं। जीएसटी राजस्व 2017 से पहले के राजस्व के स्तर से कम बना हुआ है। 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान केंद्र से राज्यों को अनटाइड हस्तांतरण में भी गिरावट आई है, जिससे राज्यों की खर्च करने की स्वायत्तता कम हो गई है। पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना (एसएएससीआई) राज्यों में पूंजीगत परिव्यय के वित्तपोषण का एक प्रमुख स्रोत बन गई है। हालांकि पिछले दो वर्षों में एसएएससीआई के शर्त रहित घटक में गिरावट आई है। बहुत से राज्य शर्त रहित नकद हस्तांतरण योजनाओं को लागू कर रहे हैं जिससे अन्य विकास मदों पर खर्च करने की उनकी व्यय क्षमता प्रभावित हो रही है। राज्यों का कुल बकाया ऋण अनुशंसित स्तर से लगातार अधिक बना हुआ है, जिसका अर्थ है कि राज्यों पर ऋण चुकौती का भारी बोझ है। प्रति व्यक्ति आय में असमानता बढ़ रही है क्योंकि उच्च आय वाले राज्यों को अधिक प्रति व्यक्ति राजस्व हासिल होता है और इसलिए ऐसे राज्य विकास में अधिक निवेश कर सकते हैं। कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों के पास विकास को बढ़ावा देने वाले व्यय के लिए सीमित राजकोषीय गुंजाइश होती है।

इसके मद्देनजर इस रिपोर्ट में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुद्दूचेरी के बजट दस्तावेजों और कैग के खातों के आधार पर उनकी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट के रेखाचित्रों में राज्यों के लिए निम्नलिखित संक्षिप्त नामों का इस्तेमाल किया गया है।

राज्य

संक्षिप्त नाम

राज्य

संक्षिप्त नाम

राज्य

संक्षिप्त नाम

आंध्र प्रदेश

AP

जम्मू एवं कश्मीर

JK

पुद्दूचेरी

PY

अरुणाचल प्रदेश

AR

कर्नाटक

KA

राजस्थान

RJ

असम

AS

केरल

KL

सिक्किम

SK

बिहार

BR

मेघालय

MG

तेलंगाना

TG

छत्तीसगढ़

CG

महाराष्ट्र

MH

तमिलनाडु

TN

दिल्ली

DL

मणिपुर

MN

त्रिपुरा

TR

गोवा

GA

मध्य प्रदेश

MP

उत्तराखंड

UK

गुजरात

GJ

मिजोरम

MZ

उत्तर प्रदेश

UP

हिमाचल प्रदेश

HP

नगालैंड

NL

पश्चिम बंगाल

WB

हरियाणा

HR

ओड़िशा

OD

 

 

झारखंड

JH

पंजाब

PB

 

 

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