उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के दो विभाग हैं: (i) खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, और (ii) उपभोक्ता मामले। 2025-26 में मंत्रालय का आवंटन केंद्र सरकार के बजटीय व्यय का 4.3% है।[i]

उपभोक्ता मामलों का विभाग उपभोक्ताओं के बीच अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने, उनके हितों की रक्षा करने, मानकों को लागू करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए जिम्मेदार है।[ii] 2025-26 में विभाग को 4,361 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2024-25 के संशोधित अनुमान 7,345 करोड़ रुपए की तुलना में 41% कम है।[iii]  यह मूल्य स्थिरीकरण कोष के लिए आवंटन में कमी के कारण है। इस कोष का उपयोग दालों, प्याज और आलू का बफर स्टॉक बरकरार रखने के लिए किया जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें बाजार में उपलब्ध कराया जा सके।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण और वितरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और चीनी क्षेत्र को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है।[iv] 2025-26 में विभाग को 2,11,406 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2024-25 के संशोधित अनुमान से 3% अधिक है।[v]

तालिका 1: मंत्रालय का आवंटन (करोड़ रुपए में)

विभाग

2023-24 वास्तविक

2024-25 संशोधित

2025-26 बजटीय

2024-25 संअ से 2025-26 बज में परिवर्तन का %

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण

2,32,223

2,05,475

2,11,406

3%

उपभोक्ता मामले

273

7,345

4,361

-41%

कुल

2,32,496

2,12,820

2,15,767

1.4%

नोट: बअ बजट अनुमान और संअ संशोधित अनुमान है।
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2025-26; पीआरएस।

इस नोट में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के आवंटन की समीक्षा की गई है। इसमें इस क्षेत्र के व्यापक मुद्दों और इस संबंध में की गई प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों पर भी चर्चा की गई है।

वित्तीय स्थिति

खाद्य सबसिडी खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग का सबसे बड़ा व्यय है। 2025-26 में विभाग के आवंटन का 96% खाद्य सबसिडी के लिए है (अधिक विवरण के लिए अनुलग्नक में तालिका 6 देखें)। यह सबसिडी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्यों को किसानों से सरकारी अधिसूचित मूल्यों पर खाद्यान्न खरीदने और उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट (एनएफएसए), 2013 के तहत कम सबसिडी वाले मूल्यों पर बेचने के लिए प्रदान की जाती है। एक्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50% आबादी का कवरेज अनिवार्य है।[vi],[vii] एक्ट के तहत लाभार्थी परिवारों को अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई, यानी सबसे गरीब परिवार) और प्राथमिकता वाले परिवारों में विभाजित किया गया है। एएवाई परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं। प्राथमिकता वाले परिवार प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न, सबसिडी वाले मूल्यों पर प्राप्त करने के पात्र हैं।

सबसिडी में बफर स्टॉक बनाए रखने में एफसीआई की भंडारण लागत को भी शामिल किया गया है, ताकि देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 2019-20 तक एफसीआई को अनपेड सबसिडी की राशि में लगातार वृद्धि हुई थी। एक तरफ केंद्र सरकार ने दावा की गई सबसिडी से कम राशि जारी की, दूसरी तरफ उसने राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) के माध्यम से एफसीआई को ऋण प्रदान किया। 2020-21 में केंद्र सरकार ने एनएसएसएफ से लिए गए ऋणों को चुकाने और एफसीआई के पिछले बकाये को चुकाने के लिए प्रावधान किए। नतीजतन, 2020-21 में खाद्य सबसिडी पर खर्च तेजी से बढ़ा।

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