ग्रामीण विकास मंत्रालय का लक्ष्य ग्रामीण भारत में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है और यह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विकास और कल्याणकारी गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।[1] मंत्रालय में दो विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और भूमि संसाधन विभाग हैं। ग्रामीण विकास विभाग का उद्देश्य आजीविका के अवसरों को बढ़ाना, कमजोर वर्गों को सामाजिक सहायता प्रदान करना और ग्रामीण विकास के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करना है।1 भूमि संसाधन विभाग का उद्देश्य वर्षा सिंचित खेती योग्य और निम्नीकृत भूमि का सतत विकास सुनिश्चित करना और देश में भूमि संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करना है।[2] यह नोट ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए 2023-24 के प्रस्तावित व्यय, वित्तीय रुझानों और संबंधित मुद्दों पर नज़र डालता है।
केंद्रीय बजट 2023-24 की झलकियां
2023-24 में ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1,59,964 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।[3],[4] ग्रामीण विकास विभाग को 1,57,545 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 13% कम हैं। भूमि संसाधन विभाग को 2,419 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं जो 2022-2 के संशोधित अनुमानों से 92% अधिक है।
तालिका 1: ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजटीय आबंटन (करोड़ रुपए में)
विभाग |
21-22 वास्तविक |
22-23 संअ |
23-24 बअ |
परिवर्तन का % * |
ग्रामीण विकास |
1,60,433 |
1,81,122 |
1,57,545 |
-13% |
भूमि संसाधन |
1,210 |
1,260 |
2,419 |
92% |
कुल |
1,61,643 |
1,82,382 |
1,59,964 |
-12% |
नोट: बअ बजट अनुमान है और संअ संशोधित अनुमान है। *% परिवर्तन 2023-24 बअ में 2022-23 संअ की तुलना में होने वाला परिवर्तन है।
स्रोत: ग्रामीण विकास मंत्रालय की अनुदान मांगें 2023-24; पीआरएस।
बजट भाषण 2023-24 में नीतिगत घोषणाएं
|
ग्रामीण विकास विभाग
वित्तीय स्थिति
ग्रामीण विकास विभाग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) जैसे कार्यक्रमों को लागू करता है। 2013-14 और 2023-24 के बीच विभाग का बजटीय आबंटन 8% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है। 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रालय के आबंटन में काफी वृद्धि की गई। आबंटन में बढ़ोतरी काफी हद तक मनरेगा और कल्याणकारी योजनाओं के लिए थी, जैसे कि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत महिला खाताधारकों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण।[6]
रेखाचित्र 1: 2013-14 और 2023-24 में व्यय (करोड़ रु. में)
नोट: बअ बजट अनुमान है; 2022-23 के लिए वास्तविक आंकड़ा संशोधित अनुमान है।
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
वर्ष 2015-16 से इस विभाग का वास्तविक व्यय वर्ष 2018-19 को छोड़कर बजट अनुमानों से अधिक रहा है। 2020-21 से वास्तविक व्यय बजट अनुमानों की तुलना में 20% से अधिक रहा है। यह मुख्य रूप से मनरेगा पर खर्च के कारण है, जो एक मांग आधारित योजना है।
रेखाचित्र 2: बजट अनुमानों की तुलना में वास्तविक व्यय में वृद्धि
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
विभाग के तहत प्रमुख योजनाएं
2023-24 में मनरेगा (38%) और पीएमएवाई-जे (35%), इन दोनों का हिस्सा बजटीय आबंटन में लगभग 75% है। इसके बाद पीएमजीएसवाई (12%), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) (9%), और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) (6%) का स्थान आता है।
2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में मनरेगा के लिए आबंटन में 33% की गिरावट आई है। 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में पीएमएवाई-जी और एनआरएलएम को छोड़कर अधिकांश अन्य योजनाओं के लिए आबंटन स्थिर रहा। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (एसपीएमआरएम), जो मार्च 2022 में समाप्त होने वाला था, को इस वित्तीय वर्ष में कोई धनराशि आबंटित नहीं की गई है।[7]
रेखाचित्र 3: प्रमुख व्यय की मद (कुल आबंटन के % के रूप में)
नोट: अन्य (others) में केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं, स्थापना व्यय और केंद्रीय क्षेत्र के अन्य व्यय शामिल हैं। स्रोत: अनुदान की मांग, 2023-24; पीआरएस।
तालिका 2: प्रमुख योजनाओं के लिए आबंटन
योजना |
21-22 वास्तविक |
22-23 संअ |
23-24 बअ |
22-23 संअ से 23-24 बअ में परिवर्तन का % |
मनरेगा |
98,468 |
89,400 |
60,000 |
-33% |
पीएमएजे-वाई |
30,057 |
48,422 |
54,487 |
13% |
पीएमजेएसवाई |
13,992 |
19,000 |
19,000 |
0% |
एनआरएलएम |
9,383 |
13,336 |
14,129 |
6% |
एनएसएपी |
8,152 |
9,652 |
9,636 |
0% |
एसपीएमआरएम |
150 |
989 |
0 |
- |
सीएसएस |
205 |
126 |
113 |
-10% |
नोट: सीएसएस- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं।
स्रोतः ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांगें, 2023-24; पीआरएस।
मुख्य मुद्दे और विश्लेषण
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट, 2005 प्रत्येक वर्ष प्रत्येक परिवार को कम से कम 100 दिनों का गारंटीशुदा कार्य प्रदान करके ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि का प्रावधान करता है।[8] मनरेगा के माध्यम से एक्ट के प्रावधानों को लागू किया जाता है।[9] यह योजना 100% शहरी आबादी वाले जिलों को छोड़कर पूरे देश को कवर करती है। योजना के तहत अनुमत कार्य वाटरशेड विकास, जल संरक्षण, कृषि, ग्रामीण स्वच्छता, बाढ़ प्रबंधन आदि से संबंधित हैं।[10]
बजटीय आबंटन में कमी; काम की मांग घटने की उम्मीद
2023-24 में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।3 यह 2022-23 के संशोधित अनुमान से 33% कम है। हालांकि 2015 से इस योजना पर वास्तविक व्यय बजट की तुलना में अधिक रहा है (रेखाचित्र 4)। इसके बावजूद लगातार कई वर्षों में बजट अनुमान पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों से कम रहे हैं। 2023-24 में आबंटन में गिरावट इस उम्मीद का संकेत हो सकती है कि महामारी के कारण उत्पन्न हुई नौकरियों की मांग में गिरावट आ सकती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के तहत मजदूरी और मैटीरियल्स के भुगतान के लिए जब भी जरूरत होगी, अतिरिक्त धनराशि जारी की जाएगी।[11]
रेखाचित्र 4: मनरेगा के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)
नोट: बअ बजट अनुमान है।
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
तालिका 3: बजट अनुमानों और वास्तविक (करोड़ रुपए में) के बीच मनरेगा पर व्यय में परिवर्तन
वर्ष |
बअ |
वास्तविक |
बअ की तुलना में वास्तविक में परिवर्तन का % |
2015-16 |
33,713 |
37,341 |
11% |
2016-17 |
38,500 |
48,215 |
25% |
2017-18 |
48,000 |
55,166 |
15% |
2018-19 |
55,000 |
61,815 |
12% |
2019-20 |
60,000 |
71,687 |
19% |
2020-21 |
61,500 |
1,11,170 |
81% |
2021-22 |
73,000 |
98,468 |
35% |
2022-23 |
73,000 |
89,400 |
22% |
2023-24 |
60,000 |
|
|
नोट: बअ बजट अनुमान है; 2022-23 का वास्तविक आंकड़ा संशोधित अनुमान है।
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
मनरेगा एक मांग आधारित योजना है। मांग गर्मियों के दौरान अधिक होती है और कटाई के दौरान कम होती है (रेखाचित्र 5)। 2018-19 और 2019-20 के बीच काम की मांग काफी हद तक वही रही, और 2020-21 में चरम पर रही।15वें वित्त आयोग ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्राथमिक क्षेत्रों, व्यापार और कुल मांग में मंदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया।[12] यह महामारी के दौरान योजना के तहत काम की बढ़ती मांग में नजर आया। तब से काम की मांग कम हो गई है। जुलाई से दिसंबर 2022 के बीच मांग महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई। आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में कहा गया है कि 2021-22 और 2022-23 में मासिक आधार पर काम की मांग में कमी आई है।[13] यह भी कहा गया कि कृषि के पुनरुत्थान के परिणामस्वरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था सामान्य हुई जिसके चलते काम की मांग में आई।
2022-23 (20 फरवरी तक) में 6.66 करोड़ परिवारों ने योजना के तहत रोजगार की मांग की है।[14] इसमें से 6.65 करोड़ परिवारों को रोजगार की पेशकश की गई है (99.8% परिवार जिन्होंने रोजगार की मांग की है), और 5.87 करोड़ परिवारों को रोजगार मिला (88% परिवार जिन्होंने रोजगार की मांग की है)। योजना के तहत 8.25 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
रेखाचित्र 5: मासिक कार्य की मांग का पैटर्न (परिवारों की संख्या लाखों में)
स्रोत: कार्य की मांग का पैटर्न, मनरेगा डैशबोर्ड, 20 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
100 दिनों के वैतनिक रोजगार की वैधानिक गारंटी के बावजूद सभी परिवारों को 100 दिनों के लिए काम नहीं मिलता है। पिछले पांच वर्षों में प्रति परिवार रोज़गार के दिनों की संख्या औसतन लगभग 51 दिन रही है।[15] इसी दौरान 100 दिनों का वैतनिक रोजगार पूरा करने वाले परिवारों का अनुपात 10% को पार नहीं कर पाया है।
रेखाचित्र 6: प्रति परिवार को प्रदान किए गए रोज़गार के औसत दिन
स्रोत: मनरेगा डैशबोर्ड, 9 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
आधार आधारित भुगतान प्रणाली अब अनिवार्य
मनरेगा के तहत श्रमिकों का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जाता है।[16] यह बैंक/डाकघर खाते के विवरण के माध्यम से या लाभार्थी के आधार नंबर का उपयोग करके हो सकता है। आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को लाभार्थी के बैंक खाते और एनआरईजीएस जॉब कार्ड से जोड़ना होता है। लिंक करने के बाद कार्ड को प्रमाणित किया जाता है। केवल वे लाभार्थी जो सफलतापूर्वक प्रमाणित हैं, एबीपीएस के पात्र हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया कि 1 फरवरी, 2023 से नरेगा के लाभार्थियों को सभी भुगतान एबीपीएस के माध्यम से किए जाएंगे। हालांकि 20 फरवरी, 2023 तक कुल श्रमिकों में से केवल 44% ही एबीपीएस लिए पात्र हैं।[17] लगभग 5 करोड़ श्रमिकों को सफलतापूर्वक प्रमाणित नहीं किया गया है। यदि भविष्य के सभी भुगतान केवल एबीपीएस के माध्यम से किए जाते हैं, तो बड़ी संख्या में श्रमिकों को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण
2022 तक 'सभी के लिए आवास' प्रदान करने के उद्देश्य से 2016 में पीएमएवाई को शुरू किया गया था। इस योजना को 2024 तक बढ़ा दिया गया है।[18] 20 फरवरी, 2023 तक 2.94 करोड़ घरों के लक्ष्य के मुकाबले 2.15 करोड़ घरों का निर्माण किया जा चुका है। तालिका 4 में 2016-17 से प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए आवास पूरा करने का लक्ष्य और उपलब्धि को दर्शाया गया है। हालांकि योजना के एक कैग ऑडिट (2020) से पता चला है कि 31% (590 ऑडिट किए गए घरों में से 183 घर) को आवासीय उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा था।[19]
तालिका 4: पीएमएवाई-जी के तहत निर्मित मकान (लाखों में)
|
वर्ष |
लक्ष्य |
उपलब्धि |
% निर्मित |
चरण I |
2016-17 |
42.2 |
32.1 |
76% |
2017-18 |
31.5 |
44.5 |
142% |
|
2018-19 |
25.1 |
47.3 |
188% |
|
चरण II |
2019-20 |
57.9 |
21.9 |
38% |
2020-21 |
43.1 |
35.3 |
82% |
|
2021-22 |
71.4 |
43.8 |
61% |
|
|
2022-23 |
22.8 |
34.8 |
153% |
स्रोत: पीएमएवाई-जी डैशबोर्ड, 20 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
निर्माण की दर सभी राज्यों में अलग-अलग
एक घर के निर्माण में लगने वाला औसत समय 282 दिन है।[20] यह आंकड़ा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है, अरुणाचल प्रदेश में 163 दिनों से लेकर लक्षद्वीप में 771 दिनों तक। नौ राज्यों में घर पूरा करने में लगने वाला औसत समय एक वर्ष से अधिक है। ओडिशा में 269 दिनों का औसत समय है जो सभी राज्यों में सबसे कम है।20 राज्य सरकार उन लाभार्थियों को 20,000 रुपए का प्रोत्साहन प्रदान कर रही है, जो पहली किस्त जारी होने के चार महीने के भीतर निर्माण पूरा करते हैं, और सरकार 10,000 रुपए उन लाभार्थियों को देती है जो छह माह में निर्माण पूरा करते हैं।[21] स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने सुझाव दिया था कि राज्यों को काम जल्द पूरा करवाने के लिए ऐसे ही उपाय करने चाहिए और इस तरह हर साल के लिए निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करना चाहिए।21
ऋण योजना की खराब स्थिति
पीएमएवाई-जी के तहत लाभार्थी 3% की ब्याज सबसिडी के साथ वित्तीय संस्थानों से 70,000 रुपए तक का होम लोन हासिल कर सकते हैं। हालांकि ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2021) के अनुसार, ऋण कम लिया जा रहा है।[22] पीएमएवाई-जी के लाभार्थी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करना मुश्किल है, क्योंकि वहां बैंक शाखाएं कम हो सकती हैं। बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से औपचारिक ऋण प्राप्त करने के लिए कुछ कोलेक्ट्रल सिक्योरिटी की जरूरत होगी। हालांकि योजना के तहत लक्षित लाभार्थी वे हैं जिनके पास पक्का घर नहीं है। इसी से यह संभावना नहीं है कि उनके पास महत्वपूर्ण संपत्ति होगी जिसे कोलेट्रल के रूप में गिरवी रखा जा सकता है। गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां और हाउसिंग फाइनांस कंपनियां भी ऋण पर उच्च ब्याज दर वसूलती हैं। कमिटी (2023) ने मंत्रालय से न्यूनतम कोलेट्रल और कम ब्याज दरों के साथ एक आकर्षक ऋण उत्पाद लॉन्च करने का आग्रह किया।21
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
ग्रामीण सड़क नेटवर्क ग्रामीण बाजार केंद्रों और ग्रामीण केंद्रों के विकास की सुविधा प्रदान करते हैं।12 दिसंबर 2000 में शुरू की गई पीएमजीएसवाई का उद्देश्य पात्र ग्रामीण आवासों को बारामासी कनेक्टिविटी प्रदान करना है।[23] जिलों में मौजूदा ग्रामीण सड़कों के अपग्रेडेशन, जहां सभी पात्र सड़कों में बारहमासी कनेक्टिविटी है, को भी इस योजना के तहत शामिल किया गया है। इस योजना को 2023-24 में 19,000 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं जो 2022-23 के लिए बजट आबंटन और संशोधित अनुमान के समान है। जबकि बजट आबंटन 2017-18 से लगभग 19,000 करोड़ रुपए रहा है, वास्तविक व्यय कम रहा है (तालिका 5)।
तालिका 5: पीएमजीएसवाई के लिए धनराशि का उपयोग (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
बजट अनुमान |
वास्तविक |
% उपयोग |
2016-17 |
19,000 |
17,923 |
94% |
2017-18 |
19,000 |
16,862 |
89% |
2018-19 |
19,000 |
15,414 |
81% |
2019-20 |
19,000 |
14,017 |
74% |
2020-21 |
19,500 |
13,688 |
70% |
2021-22 |
15,000 |
13,992 |
93% |
2022-23 |
19,000 |
19,000 |
100% |
2023-24 |
19,000 |
|
|
नोट: 2022-23 का मौजूदा आंकड़ा संशोधित अनुमान है।
स्रोतः ग्रामीण विकास विभाग की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
पीएमजीएसवाई के तहत चार वर्टिकल हैं।[24] पहले चरण में 250 से अधिक लोगों की आबादी वाले आवासों को लक्षित किया गया है। इसका कार्यकाल सितंबर 2022 तक बढ़ाया गया था। चरण II को 2013 में लॉन्च किया गया और इसमें 50,000 किमी सड़कों के अपग्रेडेशन का लक्ष्य है जिसमें रूट्स और ग्रामीण लिंक दोनों शामिल हैं। चरण III को 2019 में लॉन्च किया गया, जिसका लक्ष्य ग्रामीण लिंक के माध्यम से 1.2 लाख किमी सड़क मार्ग को मजबूत करना है। यह चरण मार्च 2025 में समाप्त होगा। वामपंथ अतिवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) को 2016 में एक अलग वर्टिकल के रूप में लॉन्च किया गया था और इसे मार्च 2023 तक लागू किया जाएगा।
पीएमजीएसवाई का लक्ष्य 1.64 लाख पात्र बस्तियों को जोड़ना है।[25] 17 फरवरी, 2023 तक 99% ग्रामीण बस्तियों को पीएमजीएसवाई के तहत कवर किया गया है। स्वीकृत सड़कों का 92% काम भी पूरा हो चुका है।[26] हालांकि कैग (2016) ने कहा था कि कई राज्यों में बस्तियों को पूरी तरह से कनेक्टिविटी प्रदान किए बिना कार्यों को पूर्ण दिखाया गया था।[27]
तालिका 6: पीएमजीएसवाई के तहत स्वीकृत और पूरी की गई सड़कों की लंबाई (किमी में)
वर्टिकल |
मंजूर |
निर्मित |
% निर्मित |
पीएमजीएसवाई-I |
6,45,390 |
6,36,602 |
99% |
पीएमजीएसवाई -II |
49,873 |
48,896 |
98% |
पीएमजीएसवाई -III |
99,319 |
50,727 |
51% |
आरसीपीएलडब्ल्यूईए |
12,100 |
6,944 |
57% |
कुल |
8,06,681 |
7,43,168 |
92% |
स्रोत: पीएमजीएसवाई डैशबोर्ड, 17 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
टेंडरिंग/अनुबंध की प्रक्रिया से संबंधित समस्याएं
कैग (2016) और ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित सड़कों की टेंडरिंग और अनुबंध प्रक्रिया में कई समस्याओं का उल्लेख किया।27,[28] स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने पीएमजीएसवाई में डाउन-टेंडरिंग के मुद्दे का उल्लेख किया। टेंडर जीतने के लिए बोली लगाने वाले न्यूनतम बोली राशि से 25-30% कम की बोली लगाते हैं। अधिक से अधिक लाभ के लिए ठेकेदार उन सड़कों का निर्माण कर सकते हैं जो तकनीकी विशिष्टताओं को पूरा नहीं करती हैं या खराब गुणवत्ता की हैं। कैग (2016) ने यह भी कहा कि अगर सड़कों की तकनीकी विशिष्टता कम होगी तो उनका लंबे समय तक अच्छा बना रहा मुश्किल होगा।27 विभाग ने जवाब दिया कि डाउन-टेंडरिंग को रोकने के लिए उपाय किए गए हैं। अगर सफल बोलीदाता की बोली में कोई विसंगति पाई जाती है, तो उसे विस्तृत मूल्य विश्लेषण प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है। चूंकि राज्य सरकारें टेंडरिंग प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए उन्हें प्रदर्शन गारंटी मांगने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है, अगर बोली एक निश्चित सीमा से कम है।[29]
पीएमजीएसवाई के लिए मानक बोली दस्तावेज के अनुसार, ठेकेदार निर्माण कार्य का कुछ हिस्सा (अनुबंध मूल्य का 25% तक), और सड़क पर आंशिक या पूर्ण रखरखाव के काम को उपठेके पर दे सकता है।[30] हालांकि परियोजना पर किए गए सभी कार्यों के लिए ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। स्टैंडिंग कमिटी ने कहा कि चूंकि उप-ठेकेदारों को उनके काम के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है, इसलिए वे निर्माण के स्थायित्व और गुणवत्ता की परवाह नहीं करेंगे।28
सड़कों की गुणवत्ता को बरकरार रखना
पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित सड़कें पांच साल के रखरखाव अनुबंध के अंतर्गत आती हैं। इस दौरान सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदारों की होती है। इसके बाद उनके रखरखाव के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं।12 पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित सड़कों और पुलों की गुणवत्ता की जांच उनके निर्माण के दौरान, उनकी समाप्ति पर, और रखरखाव के दौरान की जाती है। अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 के बीच 10% पूर्ण सड़क परियोजनाओं की गुणवत्ता असंतोषजनक पाई गई है।[31] 7% चालू परियोजनाओं और रखरखाव के तहत 18% परियोजनाओं को असंतोषजनक पाया गया। गईं।
स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि पहले पांच वर्षों में सड़कों के रखरखाव पर नजर रखने के लिए जो निगरानी तंत्र बनाए गए, उनमें कई कमियां थीं।29 उसने कहा कि ठेकेदार राज्य सरकारों को संपत्ति सौंपने से पहले कॉस्मेटिक पैचवर्क का सहारा लेते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि विशिष्ट टीमों का गठन किया जाए, जो सड़कों का समय-समय पर भौतिक निरीक्षण करें।29
15वें वित्त आयोग ने कहा कि एक बार जब राज्य सरकारें पीएमजीएसवाई सड़कों का अधिग्रहण कर लेती हैं, तो सभी राज्यों में रखरखाव का स्तर अलग-अलग होता है।12 15वें वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि इस अंतर को कम किया जाना चाहिए। इसके लिए रखरखाव की अवधि को पांच वर्ष से बढ़ाया जा सकता है। विभिन्न राज्यों ने सड़कों के रखरखाव में सुधार के लिए अनोखे उपाय भी किए हैं (तालिका 7: विभिन्न राज्यों द्वारा सड़क के रखरखाव में सुधार के लिए अपनाए गए मॉडल)।
तालिका 7: सड़क रखरखाव में सुधार के लिए विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाए गए मॉडल
राज्य |
अपनाए गए मॉडल |
छत्तीसगढ़, राजस्थान |
क्षेत्रीय रखरखाव अनुबंध ठेकेदारों के साथ हस्ताक्षर किए जाते हैं |
उत्तर प्रदेश,, मध्य प्रदेश,, उत्तराखंड |
सड़क के रखरखाव की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को दी गई |
मध्य प्रदेश,, पंजाब, राजस्थान |
मंडी सेस सड़क के रखरखाव के लिए उपयोग किया जाता है |
स्रोत: 15वीं वित्त आयोग की रिपोर्ट, खंड III; पीआरएस।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी रोजगार प्राप्त करने और सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करके गरीबी को कम करना है।[32] इस योजना में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीज़) के माध्यम से सामाजिक जुड़ाव, एसएचजी संघों को बढ़ावा देना, सामुदायिक फंड्स का निर्माण, और ऋण और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच शामिल है।29 एनआरएलएम के लिए बजटीय आबंटन 2013-14 और 2023-24 के बीच 33% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है।
रेखाचित्र 7: एनआरएलएम का बजटीय आबंटन और वास्तविक व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोतः ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांगें, 2023-24; पीआरएस।
तालिका 8: एसएचजी-बैंक लिंकेज और एसएचजी को ऋण देने से संबंधित प्रगति
लक्ष्य |
उपलब्धि |
% उपलब्धि |
||||
वर्ष |
एसएचजी |
डीए |
एसएचजी |
डीए |
एसएचजी |
डीए |
2017-18 |
20.7 |
31.0 |
27.5 |
62.2 |
133% |
201% |
2018-19 |
31.0 |
50.7 |
31.4 |
61.5 |
101% |
121% |
2019-20 |
30.9 |
67.1 |
34.2 |
70.9 |
111% |
106% |
2020-21 |
32.3 |
73.8 |
47.8 |
84.6 |
148% |
115% |
2021-22 |
37.3 |
97.2 |
42.9 |
120.3 |
115% |
124% |
2022-23 |
42.7 |
139.6 |
42.6 |
120.3 |
100% |
86% |
नोट: डीए वितरित राशि हजार करोड़ रुपए में है।
स्रोत: डीएवाई-एनआरएलएम बैंक लिंकेज डैशबोर्ड, 20 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम की शुरुआत 1995 में निराश्रित, वृद्ध, बीमार या विकलांग नागरिकों की सहायता करने के उद्देश्य से की गई थी।[33] इसमें पांच उप-योजनाएं शामिल हैं, (i) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (आईजीएनओएपीएस), (ii) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (आईजीएनडब्ल्यूपीएस), (iii) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (आईजीएनडीपीएस), (iv) राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, और (v) अन्नपूर्णा योजना। यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फैली हुई है और राज्यों द्वारा कार्यान्वित की जाती है।33 15वें वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि राज्यों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के साथ सहयोग करना चाहिए और देश में सामाजिक सुरक्षा हेतु एक न्यूनतम मानकीकृत वार्षिक प्रति व्यक्ति राशि प्रदान करने पर काम करना चाहिए।12
2023-24 में एनएसएपी को 9,636 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। इसमें वृद्धावस्था पेंशन योजना के लिए 6,634 करोड़ रुपए, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना के लिए 659 करोड़ रुपए, विधवा पेंशन योजना के लिए 2,027 रुपए, विकलांग पेंशन योजना के लिए 290 करोड़ रुपए और अन्नपूर्णा योजना के लिए 10 करोड़ रुपए शामिल हैं।3
तालिका 9: एनएसएपी के तहत धनराशि का उपयोग (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
बजट अनुमान |
वास्तविक |
% उपयोग |
2014-15 |
10,618 |
7,084 |
67% |
2015-16 |
9,074 |
8,616 |
95% |
2016-17 |
9,500 |
8,854 |
93% |
2017-18 |
9,500 |
8,694 |
92% |
2018-19 |
9,975 |
8,418 |
84% |
2019-20 |
9,200 |
8,692 |
94% |
2020-21 |
9,197 |
42,443 |
461% |
2021-22 |
9,200 |
8,152 |
89% |
2022-23 |
9,652 |
9,652 |
100% |
2023-24 |
9,636 |
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
आईजीएनओएपीएस के तहत गरीबी रेखा से नीचे के वरिष्ठ नागरिक 79 वर्ष की आयु तक 200 रुपए की मासिक पेंशन और उसके बाद 500 रुपए की मासिक पेंशन के हकदार हैं।33 एनएसएपी के 100% केंद्र प्रायोजित योजना होने के बावजूद राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने स्वयं के संसाधनों से केंद्रीय पेंशन की मात्रा में इजाफा किया है।29 यह 50 रुपए से लेकर 2,300 रुपए तक है। ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने सुझाव दिया था कि इस राशि को बढ़ाया जाए।28 2022 में ग्रामीण विकास विभाग ने कहा कि केंद्रीय सहायता बढ़ाने पर अंतिम निर्णय राज्यों के परामर्श पर निर्भर है।29
वित्तीय स्थिति पर एक नजर: भूमि संसाधन विभाग
भूमि संसाधन विभाग का उद्देश्य वर्षा सिंचित खेती योग्य और निम्नीकृत भूमि का सतत विकास सुनिश्चित करना और एक आधुनिक भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली को लागू करना है।[34]
तालिका 10: भूमि संसाधन विभाग को बजटीय आबंटन (करोड़ रुपए में)
प्रमुख मद |
21-22 वास्तविक |
22-23 संअ |
23-24 बअ |
% परिवर्तन |
पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी |
941 |
1,000 |
2,200 |
120% |
डीआईएलआरएमपी |
250 |
239 |
196 |
-18% |
सचिवालय |
19 |
21 |
23 |
13% |
कुल |
1,210 |
1,260 |
2,419 |
92% |
नोट: बअ बजट अनुमान है, संअ संशोधित अनुमान है; % परिवर्तन 2022-23 संअ की तुलना में 2023-24 बअ में वृद्धि के प्रतिशत को दर्शाता है।
स्रोत: भूमि संसाधन विभाग की अनुदान मांग, 2023-24; पीआरएस।
2023-24 में भूमि संसाधन विभाग को 2,419 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।4 यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 92% की वृद्धि है, जो ज्यादातर वाटरशेड विकास के आबंटन में 120% की वृद्धि के कारण है। 2013-14 और 2023-24 के बीच विभाग के लिए बजटीय आबंटन में 8% की औसत वार्षिक दर से कमी आई है। 2013-14 से भूमि संसाधन विभाग द्वारा वास्तविक व्यय उस वर्ष के बजट अनुमान से कम रहा है। 2013-14 में वास्तविक व्यय बजट अनुमान से 57% कम था। 2020-21 से वास्तविक व्यय बजट अनुमान से कम से कम 40% कम रहा है।
रेखाचित्र 8: भूमि संसाधन विभाग का बजटीय आबंटन और वास्तविक व्यय
स्रोत: भूमि संसाधन विभाग की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांग, 2023-24; पीआरएस।
ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कहा कि विभाग को संशोधित अनुमान स्तर पर कम बजटीय आबंटन बताता है कि बजटीय योजना दोषपूर्ण है।[35] इसका व्यापक (कैसकेडिंग) पड़ा है जिससे विभाग द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के तहत व्यय का स्तर कम हो गया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश जब प्रस्ताव जमा करते हैं तो केंद्र उन्हें धनराशि हस्तांतरित करता है। अगर प्रस्ताव अधूरे या लंबित होते हैं तो केंद्र से पूरी धनराशि जारी नहीं होती। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन मुद्दों को हल करने के लिए केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग में सुधार के उपाय किए जाएं।[36]
विभाग के तहत प्रमुख योजनाएं
विभाग दो प्रमुख योजनाओं को लागू करता है, (i) डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी), और (ii) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - वाटरशेड विकास घटक पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी)।2
एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम का उद्देश्य वर्षा सिंचित खेती योग्य और निम्नीकृत भूमि की उत्पादक क्षमता में सुधार करना और वाटरशेड परियोजनाओं की दक्षता में सुधार करना है।[37] इसे 2015-16 में कृषि सिंचाई योजना (वाटरशेड डेवलपमेंट कंपोनेंट) में मिला दिया गया था। इस योजना के तहत शुरू की गई परियोजनाओं में रिज एरिया ट्रीटमेंट, ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट, मिट्टी और नमी संरक्षण, वर्षा-जल संचयन और चरागाह विकास शामिल हैं।
मुख्य मुद्दे और विश्लेषण
उपयोग न की गई राशि
ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा है कि पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी योजना (रेखाचित्र 9) के तहत बहुत सी राशि का उपयोग ही नहीं किया गया है।35 इसके कई कारण हैं, जैसे कोविड-19 महामारी, भारी बारिश और राज्य स्तर की नोडल एजेंसियों को केंद्र की तरफ से धनराशि जारी करने में विलंब।35,36 कमिटी ने यह भी कहा कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश धीमी रफ्तार से परियोजनाओं को लागू करते हैं। इसके कारण व्यय न होने वाली शेष राशि जमा हो गई है, और उपयोग किए बिना धनराशि को सौंप दिया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि योजना के कार्यान्वयन की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। ऐसी राशि डीआईएलआरएमपी में भी है, जिसका उपयोग नहीं किया गया है।
तालिका 11: भूमि संसाधन विभाग की योजनाओं में खर्च न हुई राशि
वर्ष |
पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी |
डीआईएलआरएमपी |
2019-20 |
2255 |
399 |
2020-21 |
1833 |
493 |
2021-22 |
1325* |
537** |
*31 दिसंबर, 2021 तक; **5 जनवरी तक
स्रोत: रिपोर्ट 23, ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - वाटरशेड विकास घटक
2023-24 में पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी पर व्यय 2,200 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 120% अधिक है। 2015-16 से योजना के लिए आबंटन 4% की औसत दर से बढ़ा है। हालांकि इस दौरान धनराशि के उपयोग में कमी आई है। 2015-16 और 2016-17 में वास्तविक व्यय बजट अनुमान के 97%-99% के बीच था। हालांकि 2021-22 में यह घटकर 47% रह गया। 2022-23 में यह बजट अनुमान का 50% रहने की उम्मीद है।
रेखाचित्र 9: पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी का आबंटन, व्यय और धनराशि का उपयोग
नोट: % उपयोगिता को दाएं एक्सिस पर मैप किया गया है; 2022-23 के लिए 'वास्तविक' आंकड़ा संशोधित अनुमान है।
स्रोत: भूमि संसाधन विभाग की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांग, 2023-24; पीआरएस।
पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 1.0 के तहत अपूर्ण परियोजनाएं
पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी को दो चरणों में लागू किया गया है।35 पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 1.0 ने 2009-10 से 2014-15 तक कार्य किया, और पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 2.0 के 2021-22 से 2025-26 तक कार्य करने की उम्मीद है। जुलाई 2022 तक पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 1.0 (89%) के तहत स्वीकृत 6,382 परियोजनाओं में से 5,693 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।[38] ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 1.0 के तहत परियोजनाएं योजना के दूसरे चरण के शुरू होने के बाद भी अधूरी रहीं।35
डिजिटल भारत भूमि रिकॉर्ड्स आधुनिकीकरण कार्यक्रम
डीआईएलआरएमपी को 2023-24 में 196 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं जो 2022-23 के आबंटन से 18% कम है। 2017-18 से 2019-20 के बीच तीन वर्षों के अलावा, फंड का उपयोग 90% से अधिक रहा है। 2021-22 में वास्तविक व्यय बजट अनुमान से 100 करोड़ रुपए अधिक था।
तालिका 12: डीआईएलआरएमपी के तहत बजटीय आबंटन और धनराशि का उपयोग (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
बजट अनुमान |
वास्तविक |
% उपयोग |
2016-17 |
150 |
139 |
92% |
2017-18 |
150 |
93 |
62% |
2018-19 |
250 |
68 |
27% |
2019-20 |
150 |
44 |
29% |
2020-21 |
239 |
225 |
94% |
2021-22 |
150 |
250 |
167% |
2022-23 |
239 |
239 |
100% |
2023-24 |
196 |
|
|
नोट: 2022-23 का मौजूदा आंकड़ा संशोधित अनुमान है।
स्रोत: भूमि संसाधन विभाग की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांग, 2023-24; पीआरएस।
डीआईएलआरएमपी और स्वामित्व योजना
स्वामित्व पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसका उद्देश्य गांवों के मकानमालिकों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) प्रदान करना है। ड्रोन तकनीक का उपयोग कर भूमि पार्सल की मैपिंग के बाद कानूनी स्वामित्व अधिकार जारी किए जाएंगे।[39] पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया था कि मंत्रालय दो योजनाओं को लागू करने के लिए भूमि संसाधन विभाग के साथ मिलकर काम करे।[40] चूंकि कंप्यूटरीकृत भूमि रिकॉर्ड तैयार करना डीआईएलआरएमपी के दायरे में आता है, इसलिए उस योजना के तहत अधिकारों के रिकॉर्ड तैयार करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि स्वामित्व के तहत सर्वेक्षण किए गए सभी गांवों को डीआईएलआरएमपी के तहत प्राथमिकता दी जाए।
घटकों की धीमी प्रगति
डीआईएलआरएमपी के आठ प्रमुख घटक हैं, जिनमें भूमि रिकॉर्ड्स का कंप्यूटरीकरण; सर्वेक्षण/पुनः सर्वेक्षण; और सर्वेक्षण और निपटान रिकॉर्ड्स को अपडेट करना और पंजीकरण का कंप्यूटरीकरण करना शामिल है।[41] ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि योजना के तहत विभिन्न घटकों की समाप्ति के स्तर अलग-अलग प्रदर्शित होते हैं।35 इसके कारणों में कुशल श्रमशक्ति की जरूरत, राज्य सरकारों की तरफ से देरी, और कुछ घटकों की दरों में समय पर संशोधन न करना शामिल है। उसने सुझाव दिया कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समस्याओं को सुलझाने के बाद इनके कार्यान्वयन में तेजी लाई जाए।35
तालिका 13: डीआईएलआरएमपी के तहत गतिविधियों की प्रगति
गतिविधि (इकाई) |
लक्ष्य |
उपलब्धि |
% उपलब्धि |
भूमि रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण (लाख राजस्व ग्राम) |
6.57 |
6.22 |
95% |
उप पंजीयक कार्यालयों का स्वचालन (उप पंजीयक कार्यालयों की संख्या) |
5,268 |
4,910 |
93% |
भूमि रिकॉर्ड का एकीकरण (उप पंजीयक कार्यालयों की संख्या) |
5,268 |
3,993 |
76% |
वे राज्य जिनके अधिकारों का रिकॉर्ड वेब पर है |
36 |
29 |
81% |
सर्वेक्षण/पुनः सर्वेक्षण (लाख राजस्व ग्राम) |
6.57 |
0.90 |
14% |
कैडेस्ट्रल मैप्स का डिजिटलीकरण (करोड़ मानचित्र) |
1.69 |
1.27 |
75% |
तहसीलों में आधुनिक रिकॉर्ड कक्ष (तहसीलों की संख्या) |
6,865 |
3,186 |
46% |
स्थापित राज्य डेटा केंद्रों की संख्या |
36 |
24 |
67% |
शाब्दिक और स्थानिक डेटा एकीकरण (लाख राजस्व गांव) |
6.57 |
4.13 |
63% |
स्रोत: डीआईएलआरएमपी डैशबोर्ड, 20 फरवरी, 2023 को एक्सेस किया गया; पीआरएस।
[1] “About the Ministry”, Ministry of Rural Development, as accessed on January 30, 2023, https://rural.nic.in/en/about-us/about-ministry.
[2] “About the Department”, Department of Land Resources, as accessed on February 17, 2023, https://dolr.gov.in/en/about-us/about-department.
[3] Demand No. 87, Department of Rural Development, Ministry of Rural Development, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe87.pdf.
[4] Demand No. 88, Department of Land Resources, Ministry of Rural Development, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe88.pdf.
[5] Budget 2023-24, Speech of Nirmala Sitharaman, Minister of Finance, February 1, 2023, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf.
[6] Demand No. 87, Department of Rural Development, Ministry of Rural Development, Union Budget 2022-23, https://www.indiabudget.gov.in/budget2022-23/doc/eb/sbe87.pdf.
[7] Unstarred Question No. 2236, Lok Sabha, Ministry of Rural Development, answered on December 20, 2022, https://pqals.nic.in/annex/1710/AU2236.pdf.
[8] The National Rural Employment Guarantee Act, 2005, https://rural.nic.in/sites/default/files/nrega/Library/Books/1_MGNREGA_Act.pdf.
[9] Operational Guidelines, Mahatma Gandhi NREGA, 2013, https://nrega.nic.in/Circular_Archive/archive/Operational_guidelines_4thEdition_eng_2013.pdf.
[10] Guideline for new/additional works permitted under MGNREGA, https://nrega.nic.in/Circular_Archive/archive/guidelines_for_New_works.pdf.
[11] “Clarification of the Union Rural Development Ministry on Budget Cut to MGNREGA”, Press Information Bureau, Ministry of Rural Development, February 3, 2023, https://rural.nic.in/en/press-release/clarifications-union-rural-development-ministry-budget-cut-mgnrega.
[12] Finance Commission in Covid Times, Report for 2021-26, Vol III, 15th Finance Commission, October 2020, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC-Vol%20III-Union.pdf.
[13] Social Infrastructure and Employment: Big Tent, Economic Survey 2022-23, Government of India, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/eschapter/echap06.pdf.
[14] Employment Generated during the year 2021-2022, MGNREGA dashboard, last accessed on February 20, 2023, https://mnregaweb4.nic.in/netnrega/citizen_html/demregister.aspx?lflag=eng&fin_year=2022-2023&source=national&labels=labels&Digest=kODLAkQv8M9FT6WbXb7zhA.
[15] Employment Generation Progress Reports of various years, MGNREGA Dashboard, accessed on February 2, 2023, https://mnregaweb4.nic.in/netnrega/MISreport4.aspx.
[16] Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005, Master Circular, Ministry of Rural Development, https://rural.nic.in/sites/default/files/nrega/Library/Books/Master_Circular_2018_19.pdf.
[17] Aadhaar Authentication Status Report, MGNREGS Dashboard, accessed on February 17, 2023, https://mnregaweb4.nic.in/netnrega/MISreport4.aspx.
[18] “Cabinet approves continuation of Pradhan Mantri Awas Yojana – Gramin beyond March 2021 till March 2024”, Press Information Bureau, Cabinet, December 8, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1779325.
[19] Report No. 1 of 2020, General and Social Sector for the year ended 31 March 2019, Comptroller and Auditor General of India, https://cag.gov.in/webroot/uploads/download_audit_report/2020/Report_No_1_of_2020_General_and_Social_Sector_Government_of_Rajasthan.pdf.
[20] PMAY-G Dashboard, Completion Rate for Houses sanctioned across the Month, accessed on February 20, 2023, https://rhreporting.nic.in/netiay/dataanalytics/CompletionRateForHsSancRpt.aspx.
[21] Report No. 21, Action Taken on Recommendations in 16th Report, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, March 16, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_and_Panchayati_Raj_21.pdf.
[22] Report No. 16, Pradhan Mantri Awas Yojana – Gramin, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, August 5, 2021, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_16.pdf.
[23] Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana Dashboard Home, accessed on February 10, 2023, http://omms.nic.in/.
[24] Unstarred Question No. 2123, Lok Sabha, Ministry of Rural Development, answered on March 15, 2022, https://pqals.nic.in/annex/178/AU2123.pdf.
[25] Habitations Covered, PMGSY Dashboard, accessed on February 17, 2023, http://omms.nic.in/dbweb/Home/HabitationCoverage.
[26] Road Length Completion, PMGSY Dashboard, accessed on February 17, 2023, https://app.powerbi.com/view?r=eyJrIjoiMmNlNzVkMDYtYjJmMC00MWYyLTk0M2UtNzA5MmI3ZTQwZjdjIiwidCI6IjliZjc5NjA5LWU0ZTgtNDdhZC1hYTUzLTI0NjQ2MTg1NTM4YyJ9&pageName=ReportSection6b29be769c4ff01a033b.
[27] Report No. 23 of 2016, Performance Audit of Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana, Comptroller and Auditor General of India, https://cag.gov.in/ag2/gujarat/en/audit-report/details/23927.
[28] Report No. 13, Demands for Grants (2021-22), Department of Rural Development, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, March 9, 2021, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_13.pdf.
[29] Report No. 22, Demands for Grants (2022-23), Department of Rural Development, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, March 16, 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_and_Panchayati_Raj_22.pdf.
[30] Standard Bidding Document for PMGSY for Construction and Maintenance, National Rural Roads Development Agency, Ministry of Rural Development, December 2015, https://urrda.uk.gov.in/upload/downloads/Download-17.pdf.
[31] PMGSY National Quality Monitor Statewise Grading Abstract Report, accessed on February 17, 2023, http://omms.nic.in/#.
[32] Introduction, Deendayal Antyodaya Yojana-National Rural Livelihood Mission, Ministry of Rural Development, accessed on February 10, 2023, https://aajeevika.gov.in/about/introduction.
[33] About Us, National Social Assistance Programme, Ministry of Rural Development, accessed on February 10, 2023, https://nsap.nic.in/circular.do?method=aboutus.
[34] “About the Department”, Department of Land Resources, accessed on February 3, 2023, https://dolr.gov.in/en/about-us/about-department.
[35] Report 23, Demands for Grants (2022-23), Department of Land Resources, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, March 16, 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_and_Panchayati_Raj_23.pdf.
[36] Report No. 27, Action Taken on Recommendations in 23rd Report, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, August 3, 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/17_Rural_Development_and_Panchayati_Raj_27.pdf.
[37] Programme Details, Department of Land Resources, accessed on February 8, 2023, https://dolr.gov.in/en/programme-schemes/pmksy/watershed-development-component-pradhan-mantri-krishi-sinchai-yojana-wdc-pmksy.
[38] “Shri Giriraj Singh inaugurates National Watershed Conference”, Press Information Bureau, Ministry of Rural Development, July 14, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1841555.
[39] ‘SVAMITVA Scheme’, Press Information Bureau, Ministry of Panchayati Raj, December 21, 2015, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1783885.
[40] Report of Expert Committee on SVAMITVA Scheme, Ministry of Panchayati Raj, 2022, https://svamitva.nic.in/DownloadPDF/ExpertCommitteeReportFinalReport_1668146784685.pdf.
[41] Operational Guidelines of Digital India Land Records Modernisation Programme (DILRMP), Ministry of Rural Development, 2019, https://dolr.gov.in/sites/default/files/Final%20%20Guideline%20of%20DILRMP%2002-01-2019.pdf.
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