कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय दो विभागों में बंटा हुआ है: (i) कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण, जोकि किसान कल्याण से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करता है और कृषि इनपुट्स का प्रबंधन करता है, तथा (ii) कृषि अनुसंधान और शिक्षा जोकि कृषि अनुसंधान का समन्वय और संवर्धन करता है।[1] यह नोट मंत्रालय के बजट आबंटनों और व्यय की समीक्षा एवं एमएसपी तय करने, क्षेत्र में उत्पादन और रोजगार, व्यापार पर प्रतिबंध और कृषि बाजारों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करता है।
वित्तीय स्थिति
2024-25 में कृषि मंत्रालय को 1,32,470 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो केंद्र सरकार के कुल बजट व्यय का 2.7% है। 2024-25 में मंत्रालय का व्यय 2023-24 के 1,26,666 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान की तुलना में 5% अधिक होने का अनुमान है।
तालिका 1: 2024-25 में मंत्रालय का व्यय (करोड़ रु में)
विभाग |
2022-23 वास्तविक |
2023-24 संशोधित |
2024-25 बजटीय |
2023-24 संअ की तुलना में 2024-25 बअ में परिवर्तन का % |
कृषि एवं किसान कल्याण |
99,877 |
1,16,789 |
1,22,529 |
5% |
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा |
8,400 |
9,877 |
9,941 |
1% |
कुल |
1,08,277 |
1,26,666 |
1,32,470 |
5% |
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।
मंत्रालय के भीतर, 2024-25 के लिए किए गए आवंटन का 92% हिस्सा कृषि और किसान कल्याण विभाग पर खर्च किया जाना है, जबकि शेष 8% कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के तहत खर्च किया जाएगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न प्रमुख योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान), संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) और फसल बीमा योजना शामिल हैं। विभाग राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और कृषोन्नति योजना के लिए भी जिम्मेदार है जो केंद्र प्रायोजित योजनाएं हैं।
तालिका 2: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत प्रमुख योजनाओं पर व्यय (करोड़ रुपए में)
योजना |
2022-23 वास्तविक |
2023-24 संशोधित |
2024-25 बजटीय |
2023-24 संअ की तुलना में 2024-25 बअ में परिवर्तन का % |
पीएम किसान |
58,254 |
60,000 |
60,000 |
0% |
एमआईएसएस |
17,998 |
18,500 |
22,600 |
22% |
फसल बीमा योजना |
10,296 |
15,000 |
14,600 |
-3% |
आरकेवीवाई |
5,247 |
6,150 |
7,553 |
23% |
कृषोन्नति योजना |
4,716 |
6,378 |
7,447 |
17% |
स्रोत: व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।
2024-25 में विभाग के खर्च का लगभग आधा हिस्सा पीएम-किसान का है। पीएम-किसान के लिए आवंटन में वृद्धि का बजट नहीं है क्योंकि योजना के तहत नकद हस्तांतरण और लाभार्थियों की मात्रा काफी हद तक अपरिवर्तित है। 2024-25 में एमआईएसएस पर व्यय 2023-24 के संशोधित अनुमान से 22% बढ़ाने का प्रावधान है। एमआईएसएस के तहत, फसल पालन और पशुपालन एवं डेयरी जैसी अन्य संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों को रियायती अल्पकालिक ऋण प्रदान किए जाते हैं।
रेखाचित्र 1: मंत्रालय द्वारा धनराशि का उपयोग (करोड़ रुपए में)
नोट: 2023-24 के लिए वास्तविक आंकड़े अनंतिम खातों के अनुसार हैं।
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
धनराशि का उपयोग: 2018-19 और 2023-24 के बीच मंत्रालय द्वारा औसत धनराशि उपयोग बजट अनुमान की तुलना में लगभग 86% था। उल्लेखनीय है कि 2019-20 के बाद से पीएम-किसान योजना की शुरुआत के कारण मंत्रालय के खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2019-20 में मंत्रालय द्वारा धनराशि का उपयोग 73% था। यह पीएम-किसान योजना के तहत 75,000 करोड़ रुपए के बजटीय व्यय की तुलना में 48,714 करोड़ रुपए के वास्तविक व्यय के कारण था।
विचारणीय मुद्दे
भारत में कृषि क्षेत्र को कम विकास, जलवायु परिवर्तन, जल संकट, उत्पादन की उच्च लागत और कम कृषि आय जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। निम्नलिखित खंड में इनमें से कुछ समस्याओं पर चर्चा की गई है।
अर्थव्यवस्था एवं रोजगार का हिस्सा
कृषि क्षेत्र भारत के श्रमबल के सबसे बड़े हिस्से को रोजगार देता है लेकिन अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन में सबसे कम योगदान देता है। 2022-23 में कृषि क्षेत्र ने लगभग 46% श्रमबल को रोजगार दिया, और भारत के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में उसका हिस्सा 18% है। इसका तात्पर्य यह है कि इस क्षेत्र ने अपने 46% श्रमबल द्वारा देश की आय का 18% उत्पन्न किया। इसके विपरीत, उद्योग क्षेत्र ने 25% श्रमबल को रोजगार दिया और जीवीए में 28% का योगदान दिया, जबकि सेवा क्षेत्र ने 29% कार्यबल को रोजगार दिया और जीवीए में 54% का योगदान दिया।
रेखाचित्र 2: 2022-23 में सकल मूल्य वर्धित और रोजगार में क्षेत्रीय हिस्सेदारी (वर्तमान कीमतों में %)
नोट: जीवीए सकल मूल्य वर्धित को कहा जाता है, अर्थात, अर्थव्यवस्था में उत्पादित कुल उत्पादन में प्रत्येक क्षेत्र का हिस्सा।
स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2022-23; पीआरएस।
जबकि कृषि क्षेत्र भारत के अधिकांश श्रमबल को रोजगार देता है, कृषि में कार्यरत श्रमबल की संरचना में बदलाव आया है। कुल कृषि श्रमबल में किसानों की हिस्सेदारी 2001 में 54% से घटकर 2011 में 45% हो गई, जबकि कृषि मजदूरों की हिस्सेदारी 2001 में 46% से बढ़कर 2011 में 55% हो गई। 1951 और 2001 के बीच, कार्यबल में कृषकों की हिस्सेदारी कृषि मजदूरों की तुलना में अधिक थी।
रेखाचित्र 3: कुल कृषि श्रमबल में किसानों और कृषि मजदूरों का हिस्सा
स्रोत: कृषि सांख्यिकी एक नज़र 2022, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय; पीआरएस।
फसल क्षेत्र में कम विकास दर
2023-24 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.4% रही, जो 2015-16 के बाद सबसे कम है। इस क्षेत्र में विकास अस्थिर रहा है और पिछले 12 वर्षों में इसका औसत 3.6% रहा है। उल्लेखनीय है कि 2023-24 में जून से सितंबर के दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान वास्तविक वर्षा लंबी अवधि के औसत से कम थी।[2]
रेखाचित्र 4: कृषि क्षेत्र में 2015-16 के बाद से सबसे कम वृद्धि
स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
कृषि के अंतर्गत, फसल उत्पादन कुल उत्पादन का 50% से अधिक है। सकल कृषि मूल्य वर्धित (मौजूदा कीमतों पर) में फसल उत्पादन का हिस्सा 2011-12 में 65% से घटकर 2022-23 में 55% हो गया है (रेखाचित्र 5 देखें)। 2022-23 में अनाज, फलों और सब्जियों का उत्पादन कुल फसल उत्पादन का लगभग 55% था।[3] धान, गेहूं, मक्का और बाजरा जैसे अनाजों का उत्पादन सर्वाधिक है।3
कृषि जीवीए में फिशिंग और एक्वाकल्चर की हिस्सेदारी (मौजूदा कीमतों पर) 2011-12 में 5% से बढ़कर 2022-23 में 7% हो गई, जबकि इसी अवधि में पशुधन की हिस्सेदारी 22% से बढ़कर 30% हो गई है। उल्लेखनीय है कि फिशिंग और एक्वाकल्चर में वृद्धि 2011-12 में निम्न आधार पर हुई है।
रेखाचित्र 5: कृषि उत्पादन में उप-क्षेत्रों का हिस्सा (मौजूदा कीमतों पर)
स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
कोस्टल एक्वाकल्चर संसद ने कोस्टल एक्वाकल्चर को रेगुलेट करने के लिए अगस्त 2023 में एक बिल पारित किया। बिल ने 2005 के एक्ट में संशोधन किया जिसने तटीय एक्वाकल्चर को रेगुलेट करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना की थी। बिल में निर्दिष्ट किया गया है कि कोस्टल एक्वाकल्चर या किसी संबद्ध गतिविधि से जुड़ी किसी भी सुविधा को कोस्टल एक्वाकल्चर इकाई के रूप में रेगुलेट किया जाएगा। एक संबद्ध गतिविधि में एक न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, या एक हैचरी शामिल हो सकती है। बिल संबद्ध गतिविधियों को समुद्र के गैर-विकास क्षेत्रों और खाड़ियों, नदियों या बैकवाटर के बफर जोन में स्थापित करने की अनुमति देता है। 2023 तक 45,560 कोस्टल एक्वाकल्चर फार्म्स ने कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी के साथ पंजीकरण कराया है।[4] 2021-22 में भारत ने 7.8 बिलियन USD मूल्य के झींगे और कटलफिश जैसे 13.7 लाख टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया।[5] मात्रा के संदर्भ में समुद्री उत्पाद निर्यात में फ्रोज़ेन झींगे का योगदान 53% और मूल्य के संदर्भ में 75% है। |
न्यूनतम समर्थन मूल्य
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केंद्र सरकार द्वारा घोषित सुनिश्चित मूल्य है जिस पर केंद्रीय खाद्यान्न पूल के लिए किसानों से खाद्यान्न खरीदा जाता है।[6] केंद्रीय पूल का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। सरकार 20 से अधिक फसलों के लिए एमएसपी अधिसूचित करती है। हालांकि खरीद मुख्यतया चावल, गेहूं, मोटे अनाज, दालों (सीमित सीमा तक) तक ही सीमित है। 2024 में बड़े पैमाने पर किसान आंदोलन हुआ था जिसमें किसानों ने मांग की थी कि एमएसपी के तहत सभी फसलों की खरीद सरकार द्वारा की जानी चाहिए और एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जानी चाहिए।[7] हम अन्य एमएसपी अधिसूचित फसलों की खरीद के नीतिगत निहितार्थों पर चर्चा कर रहे हैं। एक ओर, यह फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित कर सकता है, और दूसरी ओर इससे खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।[8]
किसानों की आय दोगुनी करने से संबंधित कमिटी (2017) ने कहा था कि खरीद से गेहूं और धान उत्पादकों को बड़े पैमाने पर फायदा हुआ है, जिनके लिए एक मजबूत सरकारी खरीद तंत्र है।[9],[10] उसने कहा कि अन्य एमएसपी अधिसूचित वस्तुओं की खरीद बहुत उत्साहजनक नहीं रही है।9 अगर बाजार मूल्य एमएसपी का अतिक्रमण करता है, तब एक मजबूत खरीद व्यवस्था के जरिए एमएसपी कारगर साबित होती है।9 कमिटी ने कहा कि समय के साथ कृषि बाजारों को इस तरह मजबूत किया जाना चाहिए कि एमएसपी पर सरकारी खरीद किसान के लिए दूसरी पसंद बन जाए।9
वर्तमान में सरकार बड़े पैमाने पर केवल गेहूं और चावल की खरीद का आश्वासन देती है, जो किसानों को इनकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे इन फसलों की अतिरिक्त आपूर्ति हो सकती है जिससे बाजार मूल्य कम हो सकता है, और पंजाब जैसे राज्यों में भूजल स्तर में गिरावट जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। अन्य एमएसपी फसलों के लिए सुनिश्चित खरीद किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। विविधीकरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट, 2013 के तहत आहार विकल्पों के विस्तार में भी सहायता कर सकता है।6 एनएफएसए एक निश्चित अवधि में पीडीएस के तहत वितरित वस्तुओं के विविधीकरण का प्रावधान करता है। हालांकि पीडीएस के तहत वितरित खाद्यान्न में मुख्य रूप से केवल अनाज (चावल, गेहूं और मोटे अनाज) शामिल हैं। लोगों के उपभोग पैटर्न में कुछ संरचनात्मक परिवर्तनों के बावजूद 2013 में एक्ट के लागू होने के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।[11] उल्लेखनीय है कि पोषण संबंधी आवश्यकताओं और आहार पैटर्न में बदलाव को देखते हुए, केंद्र सरकार दालों और तिलहनों के लिए उच्च एमएसपी तय कर रही है।[12]
दूसरी ओर सभी 22 फसलों के लिए एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। मुद्रास्फीति का अर्थ है, एक विशिष्ट उपभोक्ता द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं के एक निश्चित समूह की कीमतों में होने वाला बदलाव। इस समूह में भोजन का हिस्सा लगभग 46% है। अगर एमएसपी पर अधिक फसलें बेची जाती हैं, तो उपभोक्ताओं को इन फसलों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है, जिससे खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
एमएसपी को निर्धारित करना: 2006 में राष्ट्रीय किसान आयोग (चेयर: डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन) ने सुझाव दिया कि फसलों के लिए एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक होनी चाहिए।[13] 2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि फसलों के लिए एमएसपी उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तय की जाएगी।13 उत्पादन लागत पर 50% मार्जिन के साथ एमएसपी का सुझाव देते समय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) A2+FL लागत पर विचार करता है।[14] यह भुगतान की गई लागत और पारिवारिक श्रम का आरोपित मूल्य होता है। हालांकि यह 50% मार्जिन कम हो जाता है, अगर सुझाई गई एमएसपी की तुलना C2 द्वारा प्राप्त लागत से की जाती है। C2 का अर्थ स्वामित्व वाली भूमि के किराये का मूल्य और निश्चित पूंजी पर ब्याज के साथ A2+FL में शामिल लागत है।14 किसानों पर राष्ट्रीय आयोग ने कहा था कि लंबे समय में किसानों द्वारा उन फसलों की खेती करने की संभावना नहीं होती, जिनके लिए C2 लागत वसूल नहीं होती। हालांकि आयोग ने पाया कि कई राज्यों में C2 लागत धान के लिए एमएसपी से अधिक थी।[15] 2023-24 में धान की एमएसपी A2+FL लागत का 1.5 गुना और C2 लागत का 1.1 गुना थी।
तालिका 3: फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उस फसल की खेती की लागत के अनुपात के रूप में
फसल |
2023-24 के लिए एमएसपी |
||
एमएसपी (रुपए/क्विंटल) |
A2+FL लागत के अनुपात के रूप में |
C2 लागत के अनुपात के रूप में |
|
धान |
2,183 |
1.5 |
1.1 |
गेहूं |
2,275 |
2.0 |
1.4 |
नोट: A2+FL का तात्पर्य भुगतान की गई लागत+पारिवारिक श्रम की लागत से है; C2 का तात्पर्य A2+FL+स्वामित्व वाली भूमि का किराया+निश्चित पूंजी पर ब्याज से है।
स्रोत: कृषि लागत और मूल्य आयोग; पीआरएस।
फसल उत्पादन के लक्ष्य
2023-24 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, चावल और पोषक/मोटे अनाज का उत्पादन लक्ष्य से अधिक हो गया है (तालिका 4 देखें)। हालांकि दालों, गन्ना और गेहूं का उत्पादन वर्ष के लक्ष्य से कम हो गया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 32 लाख टन कम हो गया है। खाद्यान्न में अनाज, बाजरा और दालें शामिल हैं। चावल और गेहूं अनाज के प्रकार हैं।
तालिका 4: 2023-24 में प्रमुख कृषि फसलों का उत्पादन (लाख टन में)
वस्तु |
उत्पादन |
लक्ष्य |
पूरे हुए लक्ष्य |
चावल |
1,367 |
1,340 |
102% |
गेहूं |
1,129 |
1,140 |
99% |
अनाज |
3,044 |
2,921 |
104% |
दालें |
245 |
293 |
84% |
पोषक/मोटे अनाज |
547 |
526 |
104% |
खाद्यान्न |
3,289 |
3,321 |
99% |
गन्ना |
4,425 |
4,700 |
94% |
नोट: अनाज में चावल और गेहूं शामिल हैं; खाद्यान्न में अनाज, बाजरा और दालें शामिल हैं।
स्रोत: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय; पीआरएस।
जलवायु परिवर्तन: कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2024) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में लगभग 51% खेती योग्य क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है, जो उसे जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाता है।[16] देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार होने वाली चरम मौसम की घटनाओं के परिणामस्वरूप किसानों को फसल की उपज और आय में महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है।16 मंत्रालय के अध्ययनों से पता चलता है कि मार्च 2022 के दौरान ग्रीष्म लहर ने गेहूं के उत्पादन को लगभग 3.5 मिलियन टन प्रभावित किया।16 इसी तरह 2014 और 2015 में बेमौसम बारिश ने सोयाबीन की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।16 जलवायु पूर्वानुमान मॉडल ने अनुमान लगाया है कि मानसून के दौरान औसत वर्षा होगी और सदी के अंत तक मानसून की परिवर्तनशीलता बढ़ जाएगी।16
फसल बीमा
सरकार किसानों को उनकी उपज को गैर-रोकथाम योग्य जोखिमों से बचाने के लिए बीमा प्रदान करती है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएम-एफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) लागू कर रही है। ये योजनाएं किसानों को बुआई से पहले से लेकर कटाई के बाद के चरण तक किसी भी समय होने वाले जोखिम के खिलाफ किफायती फसल बीमा प्रदान करती हैं।[17] पीएमएफबीवाई के तहत, किसान बीमा राशि का प्रीमियम खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और बागवानी फसलों के लिए 5% तक का भुगतान करते हैं।[18] पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर केंद्र सरकार प्रीमियम पर होने वाले खर्च को राज्य सरकारों के साथ समान रूप से साझा करती है।18 इस योजना को 2020 में किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया था।[19]
2024-25 में इस योजना के लिए 14,600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 3% कम है। कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2023) ने सवाल किया था कि चरम मौसम की स्थिति और कम बजटीय आवंटन के साथ मंत्रालय इस योजना को कैसे लागू करेगा।[20] मंत्रालय ने जवाब दिया कि यह योजना मांग आधारित है। कमिटी ने कहा था मौसम और अन्य प्राकृतिक मापदंडों पर जानकारी शामिल करने के लिए विभिन्न तकनीकी पहल की गई।20 योजना के कवरेज के आधार पर संशोधित अनुमान चरण में अतिरिक्त धनराशि की मांग की जा सकती है।20
पिछले चार वर्षों में बीमा राशि 1.8 लाख करोड़ रुपए से 2.8 लाख करोड़ रुपए के बीच रही है। इस राशि का 8% से 10% फसल बीमा दावों के निपटान के लिए भुगतान किया गया था।
तालिका 5: फसल बीमा योजनाओं के तहत निपटाए गए बीमा दावे (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
कुल बीमित राशि |
चुकाए गए कुल दावे |
बीमित राशि के प्रतिशत के रूप में चुकाए गए दावे |
2020 |
1,94,689 |
19,385 |
10% |
2021 |
1,82,952 |
18,264 |
10% |
2022 |
2,16,643 |
16,791 |
8% |
2023 |
2,78,420 |
7,128 |
3% |
नोट: बीमा योजनाओं में पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस शामिल हैं।
स्रोत: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना डैशबोर्ड; पीआरएस।
राज्य सरकारों द्वारा अपना हिस्सा जारी करने में देरी, योजना को लागू करने में एक बड़ी वित्तीय बाधा है।20 फसल बीमा योजना के तहत स्वीकार्य दावों का भुगतान आम तौर पर बीमा कंपनियों द्वारा फसल काटने के प्रयोगों/कटाई अवधि के पूरा होने के दो महीने के भीतर किया जाता है। हालांकि संबंधित सरकार को प्रीमियम सबसिडी का अपना हिस्सा समय पर हस्तांतरित करना होगा।20 कुछ राज्यों में उपज डेटा साझा करने में देरी, प्रीमियम सबसिडी का राज्य हिस्सा देर से जारी करने, राज्यों और बीमा कंपनियों के बीच उपज संबंधी विवाद और कुछ किसानों के बैंक खाते का विवरण न मिलने के कारण दावा निपटान में देरी हुई है।20
राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत) द्वारा किए गए एक अध्ययन में योजना के कार्यान्वयन में कुछ समस्याएं देखी गईं।[21] अध्ययन में सैंपल किसानों के एक सर्वेक्षण से पता चला कि योजना की पहुंच बहुत कम थी।21 ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों को योजना के लाभ के बारे में जानकारी नहीं थी। उल्लेखनीय है कि 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार, भारत में 68% कृषि भूमि जोत एक हेक्टेयर (सीमांत जोत) तक थी, जबकि 18% एक से दो हेक्टेयर (छोटी जोत) के बीच थी।[22] कई मामलों में फसल ऋण/वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए फसल बीमा खरीदना अनिवार्य है, जिसमें स्रोत पर बीमा प्रीमियम काटा जाता है।21 अक्सर किसानों को कटौती की जाने वाली प्रीमियम की दर या राशि के बारे में पता नहीं होता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि नष्ट फसलों का सर्वेक्षण ठीक से नहीं किया गया है या दावे की प्रक्रिया से बचने के लिए किया गया है।21
पीएम-किसान
फरवरी 2019 से केंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) लागू कर रही है।[23] यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसके तहत खेती योग्य भूमि वाले किसान परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से हर साल 6,000 रुपए दिए जाते हैं।23 उच्च आर्थिक स्थिति वाले लाभार्थी जैसे संवैधानिक पदों के धारक, केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी, आयकर दाता और प्रैक्टिस करने वाले प्रोफेशनल्स (जैसे डॉक्टर और वकील) को योजना से बाहर रखा गया है।[24] यह योजना 2024-25 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कुल खर्च का लगभग आधा हिस्सा है।
2018-19 और 2019-20 में क्रमशः लगभग तीन करोड़ और नौ करोड़ लाभार्थियों को योजना के तहत वितरित आय सहायता प्राप्त हुई। 2020-21 से 2022-23 के बीच 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को इस योजना के तहत कवर किया गया है। यह 2019 में योजना के विस्तार के कारण था। जब फरवरी 2019 में योजना की शुरुआत में घोषणा की गई थी, तो इसे दो हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले किसान परिवारों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।[25] मई 2019 में सभी भूमि धारक पात्र किसान परिवारों को शामिल करने के लिए योजना का विस्तार किया गया।[26] यह अनुमान लगाया गया था कि विस्तार के साथ, 2019-20 में 87,218 करोड़ रुपए के अनुमानित व्यय के साथ कवर किए गए लाभार्थियों की संख्या 14 करोड़ से अधिक हो जाएगी।26 हालांकि इसके विस्तार के बाद से योजना के तहत कवरेज और व्यय दोनों प्रारंभिक अनुमान से कम रहे हैं। 2022-23 में केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत 58,254 करोड़ रुपए खर्च किए जो 2021-22 की तुलना में 13% कम था। मंत्रालय ने कहा कि किसानों के लिए भूमि की सीडिंग की अनिवार्यता और सक्रिय बैंक खातों के साथ आधार को जोड़ने के कारण 2022-23 में व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।[27]
कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने कहा कि पीएम किसान के कार्यान्वयन से संबंधित कुछ समस्याएं हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कुछ राज्यों में भूमि रिकॉर्ड की अनुपलब्धता, (ii) मृत भूमिधारकों के उत्तराधिकारियों को भूमि का हस्तांतरण न होना, (iii) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में समुदाय के स्वामित्व वाली भूमि, (iv) गलत बैंक विवरण, और (v) डेटा का धीमा आधार प्रमाणीकरण।[28] कमिटी ने यह भी गौर किया कि योजना के तहत लाभ किरायेदार किसानों को उपलब्ध नहीं थे, जो कई राज्यों में भूमिहीन किसानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।28 उसने मंत्रालय को राज्य सरकारों के साथ समन्वय में योजना के तहत भूमिहीन और किरायेदार किसानों को कवर करने की संभावना की जांच करने का सुझाव दिया। उदाहरण के लिए, ओड़िशा आजीविका और आय संवर्धन योजना के लिए कृषक सहायता लागू कर रहा है, जिसके तहत कमजोर कृषक/भूमिहीन खेतिहर मजदूर प्रति वर्ष प्रति परिवार 10,000 रुपए पाने के पात्र हैं।[29]
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
कृषि उपज पर व्यापार प्रतिबंध इस क्षेत्र में निरंतर समस्या रही है। एक ओर सरकार कुछ कृषि वस्तुओं की उपलब्धता और घरेलू कीमतों को प्रबंधित करने के लिए उनके निर्यात को प्रतिबंधित करती है। दूसरी ओर, ऐसे निर्यात किसानों के हितों को प्रभावित करते हैं क्योंकि वे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेचने में असमर्थ होते हैं। तालिका 6 में पिछले वर्ष में कुछ व्यापार प्रतिबंधों को दर्शाया गया है। 2023 में प्याज, उबले चावल और चीनी पर निर्यात प्रतिबंध लगाए गए थे। बाद के महीनों में इनमें से कुछ प्रतिबंधों में ढील दी गई।
तालिका 6: 2023 में कृषि उपज के व्यापार पर कुछ प्रतिबंध
तिथि |
कार्रवाई |
जून 2023 |
रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क 31 मार्च 2024 तक 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया।[30] |
जुलाई 2023 |
गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात प्रतिबंधित। पहले 20% शुल्क के साथ निर्यात करना मुफ़्त था। यह भारत के कुल चावल निर्यात का लगभग 25% है।[31] बाद में नेपाल, कैमरून, मलयेशिया, फिलीपींस, सेशेल्स, कोर डी आइवर, गिनी गणराज्य, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, सिंगापुर और मॉरीशस जैसे देशों को निर्यात की अनुमति दी गई।[32] |
अगस्त 2023 |
31 मार्च 2024 तक उबले चावल के निर्यात पर 20% का निर्यात शुल्क लगाया गया।32 |
अक्टूबर 2023 |
चीनी निर्यात प्रतिबंध अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया।32 |
अक्टूबर 2023 |
प्याज के निर्यात पर (31 दिसंबर, 2023 तक) न्यूनतम निर्यात मूल्य 800 USD प्रति मीट्रिक टन लगाया गया।[33] |
दिसंबर 2023 |
31 मार्च 2024 तक प्याज के निर्यात पर रोक।[34] |
स्रोत: खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।
कृषि के लिए इनपुट
फसलों की खेती के लिए बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई के लिए भरोसेमंद जलापूर्ति जैसे कई इनपुट्स की आवश्यकता होती है। हम नीचे इनमें से कुछ इनपुट्स पर चर्चा कर रहे हैं।
उर्वरक सबसिडी और आयात पर निर्भरता: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग उर्वरकों की मांग का अनुमान लगाने और पोषक तत्व-आधारित लक्ष्य तय करने के लिए जिम्मेदार है।[35] उर्वरक विभाग उर्वरकों के उत्पादन और आयात की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार है।35 उर्वरक सबसिडी का भुगतान उन निर्माताओं और आयातकों को किया जाता है जो किसानों को बाजार मूल्य से कम पर उर्वरक बेचते हैं।[36]
रेखाचित्र 6: केंद्रीय बजट के कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में उर्वरक सबसिडी पर व्यय
स्रोत: विभिन्न वर्षों के लिए केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
2024-25 में आयातित उर्वरकों पर सबसिडी पर लगभग 41,000 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। यह कुल उर्वरक सबसिडी व्यय का एक चौथाई है। उर्वरकों के उत्पादन में भारत कच्चे माल की खरीद के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।36 15वें वित्त आयोग ने कहा था कि इस तरह की निर्भरता भारत को अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता के प्रति संवेदनशील बनाती है और उर्वरक सबसिडी को अस्थिर बनाती है।36 अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उतार-चढ़ाव के प्रभावों को कम करने के लिए उर्वरकों और कच्चे माल के मूल्य पर केंद्रित कमिटी (2022) ने सुझाव दिया कि उर्वरक विभाग: (i) सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर करके आयात स्रोतों में विविधता लाए, और (ii) अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की निगरानी करें और अचानक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉक बनाए रखें।[37]
स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते उर्वरक सबसिडी बिल पर भी गौर किया।[38] इसमें कहा गया है कि जहां सबसिडी प्रदान करना आवश्यक है, वहीं उर्वरक की कीमतें बढ़ाए बिना इस खर्च को नियंत्रित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।38 कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को सबसिडी पर अपने खर्च को कम करने के लिए सभी संभव कदम उठाने चाहिए, जैसे: (i) उर्वरक मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्रों का आधुनिकीकरण करना, (ii) सर्वोत्तम मैन्यूफैक्चरिंग पद्धतियों और कठोर ऊर्जा मानदंडों को अपनाना, और (iii) मैन्यूफैक्चरिंग तकनीक को लगातार उन्नत करने के लिए एक मजबूत अनुसंधान और विकास आधार बनाना, ताकि मैन्यूफैक्चरिंग की लागत को कम किया जा सके।38 उसने कहा कि कई मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र पुरानी तकनीक से काम कर रहे थे जिससे अक्षमताएं पैदा हुईं। ऐसी अक्षमताओं की लागत सरकार द्वारा वहन की जा रही है। कमिटी ने सुझाव दिया कि किसानों को स्वयं के सिस्टम के अनुसार उर्वरक बेचने के लिए निर्माताओं के साथ सीधे अपने बैंक खातों में सबसिडी प्राप्त करनी चाहिए।38 अक्टूबर 2016 में उर्वरक विभाग ने उर्वरक कंपनियों को विभिन्न उर्वरक ग्रेड पर सबसिडी जारी करने के लिए डीबीटी प्रणाली शुरू की।[39] खुदरा विक्रेताओं द्वारा किसानों को की गई वास्तविक बिक्री के आधार पर कंपनियों को सबसिडी जारी की जाती है।39 केंद्र सरकार के अनुसार, इससे पॉइंट ऑफ सेल मशीनों द्वारा उत्पन्न रसीदों के माध्यम से खुदरा विक्रेताओं द्वारा ओवरचार्जिंग को कम करने में मदद मिली है।[40]
नैनो यूरिया और मृदा स्वास्थ्य: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग और असंतुलित उपयोग के परिणामस्वरूप मिट्टी के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।[41] 2019-20 में, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) लगाने का अनुपात आम तौर पर स्वीकृत आदर्श अनुपात 4:2:1 की तुलना में 7:3:1 था।[42],[43] भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) ने पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अत्यधिक उपयोग को कम करने के लिए नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित नैनो यूरिया उर्वरक विकसित किया है।42 सरकार ने विभाग द्वारा जारी मासिक आपूर्ति योजना में नैनो-यूरिया को शामिल किया है, और इसे पीएम किसान समृद्धि केंद्रों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।[44]
रेखाचित्र 7: स्वदेसी और आयातित उर्वरकों पर सबसिडी व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के लिए केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
सिंचाई: 2019-20 तक कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 53% हिस्सा सिंचाई पर निर्भर था।[45] पृथ्वी पर उपलब्ध अधिकांश ताज़ा पानी भूजल के रूप में उपलब्ध है।[46] कृषि भूजल संसाधनों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और कुल वार्षिक भूजल निकासी में उसका हिस्सा 87% है।[47]
जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल गहन फसलें धान और गन्ने जैसी कई जल गहन फसलें उन जिलों में उगाई जाती हैं जहां पानी की कमी होती है। देश में धान और गन्ने को सबसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है।[48] लेकिन इससे अन्य फसलों के लिए पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गन्ने की खेती के कारण जल दबाव गंभीर चिंता का विषय बन गया है।48 कुछ क्षेत्रों में भूजल का उपयोग गंभीर और अत्यधिक दोहन की स्थिति में पहुंच गया है। यह सुझाव लगातार दिया जाता रहा है कि गन्ने जैसी जल गहन फसलों की खेती के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ क्षेत्रों में कम जल गहन फसलें लगाई जाएं।48 कृषि और किसान कल्याण विभाग राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एक फसल विविधीकरण कार्यक्रम लागू कर रहा है जिसके तहत धान जैसी जल गहन फसल वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक फसलें उगाई जा सकें, जैसे दलहन, तिलहन, मोटा अनाज, पोषक-अनाज और कपास।[49] वैकल्पिक फसलों, कृषि मशीनीकरण और साइट-विशिष्ट गतिविधियों के लिए प्रदर्शनों के रूप में सहायता प्रदान की जा रही है।[50] |
सिंचाई के तहत क्षेत्र का कवरेज बढ़ाने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई थी।[51],[52] योजना के प्रति बूंद अधिक फसल घटक (अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लागू) के तहत, सरकार सीमांत किसानों को सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली स्थापित करने की लागत का 55% वित्तीय सहायता प्रदान करती है।[53] अन्य किसानों को 45% का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।53 2015-16 और 2021-22 के बीच 67.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।[54]
सिंचाई के लिए ऊर्जा सबसिडी: खेतों की सिंचाई हेतु भूजल निकासी के लिए बिजली के पंपों का उपयोग किया जाता है। देश के कई हिस्सों में ऐसे उपयोग के लिए बिजली पर सबसिडी दी जाती है ताकि कृषि की लागत कम की जा सके। कुछ राज्यों में कृषि के लिए बिजली की आपूर्ति उपभोग सीमा के बिना मुफ़्त है। जल संसाधन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि सबसिडी वाली बिजली ने किसानों को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी की अधिक खपत वाली फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया।[55] कमिटी ने 2023 में सुझाव दिया था कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग कम पानी की खपत वाली फसलों और खेती के पैटर्न को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ जुड़ें।[56]
ऐसी सबसिडी सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी असर डालती है। बिजली सबसिडी विभिन्न तरीकों से प्रदान की जाती है, जैसे: (i) सरकार से सीधे वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को धन हस्तांतरित करना और (ii) कुछ उपभोक्ताओं से आपूर्ति की लागत से अधिक शुल्क वसूलना (क्रॉस सब्सिडी)। पिछले कुछ वर्षों में डिस्कॉम्स ने लगातार घाटा दर्ज किया है और राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा उन्हें राहत दी गई है।[57],[58] 2022-23 में राज्य के स्वामित्व वाले डिस्कॉम ने 68,833 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया।57 इससे पहले वित्तीय घाटे को कम करने और राज्य के स्वामित्व वाले डिस्कॉम के प्रदर्शन में सुधार के लिए कई बेलआउट पैकेज दिए गए थे।58
उपभोक्ताओं के लिए सस्ती बिजली और कॉस्ट-रिफ्लेक्टिव मूल्य निर्धारण तंत्र की समस्या को हल करने के लिए ड्राफ्ट बिजली (संशोधन) बिल, 2020 के तहत सबसिडी का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रस्तावित किया गया था।[59] ड्राफ्ट बिल में प्रस्ताव दिया गया था कि बिजली की खुदरा बिक्री के लिए टैरिफ का निर्धारण सरकारी सबसिडी को ध्यान में रखे बिना किया जाना चाहिए। इसमें उपभोक्ताओं को सीधे बिजली सबसिडी का भुगतान करने का प्रावधान किया गया था।59
कृषि मार्केटिंग
भारत में कृषि बाज़ार रेगुलेटेड हैं। राज्य सरकारों ने खरीदारों और विक्रेताओं के बीच निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने और प्रभावी मूल्य खोज के लिए कृषि उपज मार्केटिंग समितियों (एपीएमसी) की स्थापना की है। एपीएमसी निम्नलिखित के जरिए व्यापार को रेगुलेट करती हैं: (i) व्यापारियों/कमीशन एजेंटों को लाइसेंस प्रदान करना, (ii) एपीएमसी बाजार में कृषि उपज की बिक्री पर बाजार शुल्क/सेस लगाना, और (iii) व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए बाजारों के भीतर आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना।[60] हालांकि इन बाज़ारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए ज्यादातर एपीएमसी में व्यापारियों की संख्या सीमित है, जिससे गुटबंदी होती है और प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है।60 व्यापारी कमीशन शुल्क और बाजार शुल्क के रूप में अनुचित कटौती भी करते हैं।60 कृषि से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (2019) ने कहा था कि किसानों के लिए लाभकारी मूल्य निर्धारण तब तक सुनिश्चित नहीं किया जा सकता, जब तक कि कृषि उपज के लिए मार्केटिंग प्लेटफॉर्म नहीं बढ़ाए जाते और एपीएमसी की कार्यप्रणाली को पारदर्शी नहीं बनाया जाता।60 आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) में पाया गया कि औसत क्षेत्र मंडियों द्वारा सेवा प्रदान की जाने वाली भूमि लगभग 434 वर्ग कि.मी. है।[61] यह राष्ट्रीय किसान आयोग के सुझाव से बहुत अधिक है जिसने पांच किमी के दायरे (लगभग 80 वर्ग किमी के बाज़ार क्षेत्र के साथ) के भीतर एक बाज़ार का सुझाव दिया था।
इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केट: 2016 में केंद्र सरकार ने एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) लॉन्च किया।[62] यह कृषि वस्तुओं के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए मौजूदा एपीएमसी मंडियों को जोड़ने का प्रयास करता है।62 ई-नाम के लिए मंडियों का प्रस्ताव रखने हेतु एक राज्य के पास निम्नलिखित होना चाहिए: (i) मूल्य खोज के एक तरीके के रूप में उनके संबंधित एपीएमसी एक्ट में ई-नीलामी/इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए विशिष्ट प्रावधान, (ii) राज्य भर में मान्य एकल व्यापार लाइसेंस, और (iii) राज्य भर में बाजार शुल्क की वसूली के लिए सिंगल प्वाइंट।[63]
30 जून, 2024 तक 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 1,389 मंडियों को प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत किया गया है और 1.72 लाख एकीकृत लाइसेंस जारी किए गए हैं।[64] 31 दिसंबर, 2023 तक प्लेटफॉर्म पर 3.2 लाख करोड़ रुपए का व्यापार दर्ज किया गया है।[65] प्लेटफॉर्म पर 1.8 करोड़ किसान और 2.5 लाख व्यापारी भी पंजीकृत हैं। कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कई बार सुझाव दिए हैं कि सभी राज्यों की सभी मंडियों को जल्द से जल्द ई-एनएएम के साथ एकीकृत किया जाए।20,[66]
सितंबर 2020 में संसद ने तीन कानून पारित किए थे: (i) विभिन्न राज्य एपीएमसी कानूनों के तहत अधिसूचित बाजारों के बाहर किसानों की उपज के बाधा मुक्त व्यापार की सुविधा प्रदान करना, (ii) कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए एक रूपरेखा को परिभाषित करना, और (iii) खुदरा कीमतों में तेज वृद्धि होने पर कृषि उपज पर स्टॉक सीमा लगाना।[67],[68],[69] किसानों के विरोध और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लागू रोक के बाद 2021 में कानूनों को निरस्त कर दिया गया।[70]
कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2019) ने कहा था कि किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी, आसानी से सुलभ और कुशल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म की उपलब्धता एक पूर्व-शर्त है।60 छोटे और सीमांत किसानों (जो बहुसंख्यक कृषक समुदाय का गठन करते हैं) को एमएसपी से कम कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों या दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है।60 यह निकटतम एपीएमसी बाजार से दूरी और परिवहन सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं के कारण है।60
केंद्र सरकार ने अप्रैल 2017 में मॉडल कृषि उपज और पशुधन मार्केटिंग (संवर्धन और सुविधा) एक्ट, 2017 जारी किया है।[71],[72] मॉडल एक्ट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) किसान की पसंद के स्थान पर कृषि उपज की बिक्री को सक्षम बनाना, (ii) बाजार शुल्क और कमीशन शुल्क को रैशनलाइज करना, और (iii) कृषि उपज और पशुधन बाजार समिति द्वारा नियमों के प्रवर्तन के संबंध में अधिसूचित बाजार क्षेत्र की अवधारणा को हटाना। नवंबर 2019 तक अरुणाचल प्रदेश ने मॉडल एक्ट को मंजूर किया था, जबकि उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने कानून के प्रमुख प्रावधानों को अपनाया है।[73]
कृषि वस्तुओं के लिए वायदा बाजार मूल्य खोज और जोखिम प्रबंधन में मदद कर सकता है।[74] भविष्य की तारीख पर पूर्व-निर्धारित कीमत पर किसी विशेष वस्तु की मानकीकृत मात्रा को खरीदने/बेचने के लिए वायदा मानकीकृत, एक्सचेंज ट्रेडेड अनुबंध होते हैं। किसान वायदा बाजार से मूल्य संकेतों से लाभ उठा सकते हैं, भले ही वे खुद सीधे बाजार में भाग नहीं लेते हों।74 नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) एक एक्सचेंज है जो कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव प्रदान करता है।[75] अनाज, दालें, तेल और तिलहन और फाइबर से जुड़े कमोडिटी डेरिवेटिव का एक्सचेंज पर कारोबार किया जाता है।
[1] Brief Organisational History of the Department, https://agriwelfare.gov.in/Documents/org_history_2017.pdf.
[2] 2023 Southwest Monsoon End of Season Report, Ministry of Earth Sciences, https://internal.imd.gov.in/press_release/20231001_pr_2555.pdf.
[3] Statistical Report on Value of Output from Agriculture and Allied Sectors, Ministry of Statistics and Programme Implementation, 2024, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Brochure_2024.pdf.
[4] Annual Report 2022-23, Coastal Aquaculture Authority, https://caa.gov.in/uploaded/doc/annualreport/AR.pdf.
[5] Annual Report 2021-22, The Marine Products Export Development Authority, https://mpeda.gov.in/wp-content/uploads/2023/01/Annual%20Report%20PDF-21-22.pdf.
[6] The National Food Security Act. 2013, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2113/1/201320.pdf.
[7] “Why farmers are protesting: Behind reluctant diversification in Punjab — and MSP law demand — a litany of loss”, The Indian Express, February 25, 2024, https://indianexpress.com/article/cities/chandigarh/farmers-protesting-diversification-punjab-msp-law-demand-litany-loss-9179474/.
[8] Volume II, Status of Farmers’ Income: Strategies for Accelerated Growth, Report of the Committee on Doubling Farmers’ Income, August 2017, https://agriwelfare.gov.in/Documents/DFI%20Volume%202.pdf.
[9] Volume IV, Post-production interventions: Agricultural Marketing, Report of the Committee on Doubling Farmers’ Income, August 2017, https://agriwelfare.gov.in/Documents/DFI%20Volume%204.pdf.
[10] Volume I, March of Agriculture Since Independence and Growth Trends, Report of the Committee on Doubling Farmers’ Income, August 2017, https://agriwelfare.gov.in/Documents/DFI%20Volume%201.pdf.
[11] Fact Sheet, Household Consumption Expenditure Survey August 2022 – July 2023, Ministry of Statistics and Programme Implementation, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Factsheet_HCES_2022-23.pdf.
[12] Chapter 8: Agriculture and Food Management, Economic Survey 2022-23, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/eschapter/echap08.pdf.
[13] Legal Guarantee for Procurement of Crops at MSP, Unstarred Question No – 2268, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Rajya Sabha, December 17, 2021, https://sansad.in/getFile/annex/255/AU2268.pdf?source=pqars.
[14] Price Policy for Kharif Crops, The Marketing Season 2023-24, Commission for Agricultural Costs and Prices, March 2023, https://cacp.da.gov.in/ViewReports.aspx?Input=2&PageId=39&KeyId=818.
[15] Serving Farmers ad Saving Farming, Fifth Report, National Commission on Farmers, October 4, 2006, https://agriwelfare.gov.in/sites/default/files/NCF5%20Vol.-1%20%281%29.pdf.
[16] Report No. 68, ‘Promotion of Climate Resilient Farming’, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing, Lok Sabha, February 7, 2024, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/17_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_68.pdf?source=loksabhadocs.
[17] “Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY), Ministry of Agriculture, https://pmfby.gov.in/pdf/Revamped%20Operational%20Guideli nes_17th%20August%202020.pdf.
[18] Revamped Operational Guidelines, Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, https://pmfby.gov.in/pdf/Revamped%20Operational%20Guidelines_17th%20August%202020.pdf.
[19] Unstarred Question No. 1266, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, Lok Sabha, February 9, 2021, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/175/AU1266.pdf?source=pqals#:~:text=(a)%20to%20(d)%3A,decision%20regarding%20implementing%20the%20scheme.
[20] Report No. 51, “Demands for Grants 2023-24”, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing, Lok Sabha, March 13, 2024, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/17_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_51.pdf?source=loksabhadocs.
[21] A Study on Evaluation of Mega Awareness Campaign of Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY), National Institute of Agricultural Extension Management, 2023, https://pmfby.gov.in/compendium/General/Report_on_Evaluation_of_PMFBY.pdf.
[22] Agricultural Statistics at a Glance 2022, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, https://agriwelfare.gov.in/Documents/CWWGDATA/Agricultural_Statistics_at_a_Glance_2022_0.pdf.
[23] “Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi Scheme”, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Press Information Bureau, August 8, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1946816.
[24] Operational Guidelines, Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, revised as on March 29, 2020, https://pmkisan.gov.in/Documents/RevisedPM-KISANOperationalGuidelines(English).pdf.
[25] “Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi announced to provide assured income support to small and marginal farmers”, Press Information Bureau, Ministry of Finance, February 1, 2019, https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1562184.
[26] “PM-KISAN Scheme extension to include all eligible farmer families irrespective of the size of land holdings”, Press Information Bureau, Cabinet, May 31, 2019, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1573023.
[27] Unstarred Question No. 429, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Lok Sabha, December 5, 2023, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1714/AU429.pdf?source=pqals.
[28] Report no. 9, ‘Demand for Grants (2020-21), Standing Committee on Agriculture and Farmers’ Welfare’, Lok Sabha, March 3, 2020, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/17_Agriculture_9.pdf.
[29] Krushak Assistance for Livelihood and Income Augmentation, Department of Agriculture and Farmers’ Empowerment, as accessed on June 11, 2024, https://kalia.odisha.gov.in/index1.html.
[30] “Consumers to pay less for edible oils with reduction in Basic Import Duty on Refined Soyabean oil and Refined Sunflower Oil by 5%”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce Affairs, Food and Public Distribution, June 15, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1932542.
[31] “Centre amends Export Policy of Non Basmati White Rice to ensure adequate domestic availability at reasonable prices”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce Affairs, Food and Public Distribution, July 20, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1941139.
[32] “Prices of Essential Food Commodities to remain stable in festival season, as the government takes a series of steps for price stabilisation: Secretary, Department of Food and Public Distribution”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce Affairs, Food and Public Distribution, October 19, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1969128.
[33] “Government notifies Minimum Export Price (MEP) of USD 800 per Metric Ton on onion export to maintain domestic availability”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce Affairs, Food and Public Distribution, October 28, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1972618.
[34] “Centre puts Onion under prohibition from 8th December, 2023 till 31st March, 2024 to ensure availability of onion to consumers”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce Affairs, Food and Public Distribution, December 11, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1985229.
[35] The Government of India (Allocation of Business) Rules, 1961, amended as of April 3, 2024, Cabinet Secretariat, https://cabsec.gov.in/writereaddata/allocationbusinessrule/completeaobrules/english/1_Upload_3861.pdf.
[36] Report of the 15th Finance Commission, Volume-III, The Union, October 2020, https://fincomindia.nic.in/asset/doc/commission-reports/XVFC-Vol%20III-Union.pdf.
[37] Report No. 32, ‘Demand for Grants 2022-23’, Standing Committee on Chemicals and Fertilizers, Lok Sabha, March 21, 2022, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/17_Chemicals_And_Fertilizers_32.pdf?source=loksabhadocs.
[38] Report No. 5, ‘Study of System of Fertiliser Subsidy’, Standing Committee on Chemicals and Fertilizers, Lok Sabha, March 2020, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/17_Chemicals_And_Fertilizers_5.pdf.
[39] Direct Benefit Transfer, Ministry of Chemicals and Fertilisers, as accessed on February 11, 2023, https://www.fert.nic.in/dbt.
[40] “DBT on Fertilizer Subsidy”, Press Information Bureau, Ministry of Chemical and Fertilizers, April 1, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1812313.
[41] Report No. 43, “Planning for Fertilizers Production and Import Policy on Fertilizers Including GST and Import Duty Thereon”, Standing Committee on Chemicals and Fertilizers, Lok Sabha, August 9, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/17_Chemicals_And_Fertilizers_43.pdf?source=loksabhadocs.
[42] Report No. 39, ‘Nano-Fertilizers for Sustainable Crop Production and Maintaining Soil Health’, Standing Committee on Chemicals and Fertilisers, Lok Sabha, March 21, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/17_Chemicals_And_Fertilizers_39.pdf.
[43] Crop Response and Nutrient Ratio, Policy Paper No. 42, National Academy of Agricultural Sciences, https://naas.org.in/Policy%20Papers/policy%2042.pdf.
[44] Unstarred Question No. 191, ‘Promoting Nano Fertilisers’, Ministry of Chemicals and Fertilisers, Rajya Sabha, December 5, 2023, https://sansad.in/getFile/annex/262/AU191.pdf?source=pqars#:~:text=The%20Standing%20Committee%20on%20Chemicals,.
[45] Agricultural Statistics at a Glance 2022, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, April 2023, https://agriwelfare.gov.in/Documents/CWWGDATA/Agricultural_Statistics_at_a_Glance_2022_0.pdf.
[46] Earth Observatory Water Cycle Overview, National Aeronautics and Space Observation (NASA), https://gpm.nasa.gov/education/articles/earth-observatory-water-cycle-overview.
[47] National Compilation on Dynamic Groundwater Resources of India 2023, Central Ground Water Board, Ministry of Jal Shakti, September 2023, https://cgwb.gov.in/cgwbpnm/public/uploads/documents/17056512151889452705file.pdf.
[48] Report of the Task Force on Sugarcane and Sugar Industry, NITI Aayog, March 2020, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-08/10_Report_of_the_Task_Force_on_Sugarcan_%20and_Sugar_Industry_0.pdf.
[49] Unstarred Question No. 2574, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Rajya Sabha, August 11, 2023, https://sansad.in/getFile/annex/260/AU2574.pdf?source=pqars.
[50] “Crop Diversification”, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, Press Information Bureau, March 3, 2020, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1605057.
[51] About PMKSY, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, https://pmksy.gov.in/AboutPMKSY.aspx.
[52] “Targets Achieved under Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana”, Press Information Bureau, Ministry of Jal Shakti, March 23, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1910076.
[53] “Per Drop More Crop”, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, Press Information Bureau, December 12, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1985487#:~:text=PDMC%20scheme%20focuses%20on%20enhancing,Micro%20Irrigation%20under%20the%20Scheme..
[54] Annual Report 2022-23, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare,https://agriwelfare.gov.in/Documents/annual_report_english_2022_23.pdf.
[55] Report No. 18, ‘Action Taken by the Government on the Observations/Recommendations contained in the Fifteenth Report of the Standing Committee on Water Resources’, Standing Committee on Water Resources, December 20, 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Water%20Resources/17_Water_Resources_18.pdf.
[56] Report No. 22, ‘Groundwater: A Valuable but Diminishing Resource’, Standing Committee on Water Resources, Lok Sabha, March 20, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Water%20Resources/17_Water_Resources_22.pdf.
[57] Report on Performance of Power Utilities 2022-23, Power Finance Corporation, April 2024, https://pfcindia.com/ensite/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20Database%202022-23%20-%20updated%20up%20to%20April%202024EntityApr.pdf.
[58] Diagnostic Study of the Power Distribution Sector, NITI Aayog, April 2019, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2019-08/Final%20Report%20of%20the%20Research%20Study%20on%20Diagnostic%20Study%20for%20power%20Distribution_CRISIL_Mumbai.pdf.
[59] The Draft Electricity (Amendment) Bill, 2020, Ministry of Power, April 17, 2020, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/1970/Draft_Electricity_Amendment_Bill_2020_for_comments.pdf.
[60] Report No. 62, Standing Committee on Agriculture (2018-19): ‘Agriculture Marketing and Role of Weekly Gramin Haats’, Lok Sabha, January 3, 2019, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/16_Agriculture_62.pdf.
[61] Chapter 9, Agriculture and Food Management, Economic Survey 2023-24, July 2024, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/echapter.pdf.
[62] “eNAM: Transforming Agricultural Trade into a Seamless Experience”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, February 20, 2024, https://pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=149061#:~:text=The%20initiative%20was%20launched%20by,system%20and%20online%20payment%20facility.
[63] “National Agriculture Market (e-NAM)”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, April 14, 2023, https://pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=151386&ModuleId=3.
[64] No. of Unified Licenses, eNAM Dashboard, as accesses July 31, 2024, https://enam.gov.in/web/state-unified-license/no-of-unified-licenses.
[65] Starred Question No. 55, Lok Sabha, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, February 6, 2024, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1715/AS55.pdf?source=pqals.
[66] Report No. 37, ‘Demands for Grants 2022-23’, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing, Lok Sabha, March 24, 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/17_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_37.pdf.
[67] The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2020/Farmers%20(Empowerment%20and%20protection)%20bill,%202020.pdf.
[68] The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2020/Farmers'%20Produce%20Trade%20and%20Commerce%20bill,%202020.pdf.
[69] The Essential Commodities (Amendment) Act, 2020, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2020/Essential%20Commodities%20(Amendment)%20Act,%202020.pdf.
[70] The Farm Laws Repeal Bill, 2021, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/Farm%20Laws%20Repeal%20Bill,2021.pdf.
[71] “Agriculture Produce Market Committee”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, August 1, 2017, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1497995.
[72] The -------State /UT Agricultural Produce and Livestock Marketing (Promotion & Facilitation) Act, 2017, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, April 24, 2017, https://dmi.gov.in/Documents/APLM_Act.pdf.
[73] Unstarred Question No. 291, Lok Sabha, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, November 19, 2019, https://loksabha.nic.in/Questions/QResult15.aspx?qref=6495&lsno=17.
[74] “Linking Farmers with Markets”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare, February 4, 2020, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1601897.
[75] NCDEX Overview, National Commodity & Derivatives Exchange Limited, https://ncdex.com/about/ncdex-overview.
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