परिचय
भारत में केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं।[i] केंद्र और राज्य सरकारें स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) का संचालन करती हैं।
शिक्षा मंत्रालय राष्ट्रीय नीतियां बनाता और उन्हें लागू करता है, शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए योजनाएं बनाता है और छात्रवृत्तियां देता है। 2021-22 में 53% स्कूली विद्यार्थी राज्य सरकार के स्कूलों में और 0.7% केंद्र सरकार के स्कूलों में नामांकित थे।[ii] कुल विश्वविद्यालय नामांकन में से 50% राज्य सरकार के संस्थानों में और 24% केंद्र सरकार के संस्थानों में था। [iii]
2013-14 और 2020-21 (नवीनतम वर्ष जिसके लिए आंकड़े उपलब्ध हैं) के बीच राज्यों और केंद्र द्वारा शिक्षा पर संयुक्त खर्च जीडीपी के 3.9% -4.6% के बीच रहा है।[iv] राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020), और इसके पहले की नीतियों ने शिक्षा पर सरकारी खर्च को जीडीपी का कम से कम 6% करने का सुझाव दिया है।[v]
शिक्षा मंत्रालय के दो विभाग हैं: (i) स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, और (ii) उच्च शिक्षा विभाग। स्कूल शिक्षा विभाग समग्र शिक्षा अभियान और पीएम-पोषण जैसी राज्यों द्वारा कार्यान्वित कुछ योजनाओं को वित्त पोषित करता है। यह केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों के लिए भी जिम्मेदार है। उच्च शिक्षा विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, आईआईएम और स्कूल्स ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को वित्त पोषित करता है। यह उच्च शिक्षा नियामकों, यूजीसी और एआईसीटीई को भी फंड देता है। यह अनुसंधान में सहयोग देता है और उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। इस नोट में 2024-25 में मंत्रालय के आवंटन और शिक्षा क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं की समीक्षा की गई है।
भाषण 2024-25 में घोषणाएं
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वित्तीय स्थिति
2024-25 में मंत्रालय को 1,20,628 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।[vi] यह 2023-24 के संशोधित अनुमान की तुलना में 7% की गिरावट है। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को 73,008 करोड़ रुपए (मंत्रालय के व्यय का 61%) आवंटित किए गए हैं। यह 2023-24 के संशोधित अनुमान (0.7%) से मामूली वृद्धि है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,620 करोड़ रुपए (मंत्रालय के बजट का 39%) आवंटित किए गए हैं। यह 2023-24 के संशोधित अनुमान से 17% कम है।
संशोधित अनुमान के अनुसार, 2023-24 में मंत्रालय का कुल व्यय बजट अनुमान से 15% अधिक होने की उम्मीद है। एक प्रमुख कारण माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा कोष (एमयूएसके) में 23,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त हस्तांतरण है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) स्कूली शिक्षा की मांग के तहत 11,000 करोड़ रुपए, और (ii) उच्च शिक्षा की मांग के तहत 12,500 करोड़ रुपए। यह राशि 2023-24 में शिक्षा की किसी भी योजना के लिए आवंटित नहीं की गई है। एमयूएसके एक नॉन-लैप्सेबल फंड है जिसमें माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर से प्राप्तियां जमा की जाती है।[vii] एमयूएसके का उपयोग माध्यमिक और उच्च शिक्षा संबंधी योजनाओं के लिए किया जाना है।7
तालिका 1: शिक्षा मंत्रालय का व्यय (करोड़ रुपए में)
मद |
2022-23 वास्तविक |
2023-24 बअ |
2023-24 संअ |
2024-25 बअ |
23-24 संअ से 24-25 बअ |
स्कूली शिक्षा |
58,640 |
68,805 |
72,474 |
73,008 |
0.7% |
उच्च शिक्षा |
38,557 |
44,095 |
57,244 |
47,620 |
-17% |
कुल |
97,196 |
1,12,899 |
1,29,718 |
1,20,628 |
-7% |
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
स्रोत: मांग संख्या 25 एवं 26, व्यय बजट 2024-25; पीआरएस।
2013-14 और 2022-23 के बीच मंत्रालय का व्यय 4% की वार्षिक दर से बढ़ा है। इस अवधि के दौरान समग्र केंद्रीय बजट के हिस्से के रूप में मंत्रालय का व्यय भी कम हो गया है।
रेखाचित्र 1: शिक्षा मंत्रालय का व्यय (करोड़ रुपए में)
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
तालिका 2: शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत व्यय की मुख्य मदें (करोड़ रुपए में)
मद |
2022-23 वास्तविक |
2023-24 संअ |
2024-25 बअ |
23-24 संअ से 24-25 बअ में परिवर्तन का % |
मंत्रालय के व्यय का हिस्सा |
विभाग के व्यय का हिस्सा |
स्कूल शिक्षा (क) |
58,640 |
72,474 |
73,008 |
0.7% |
61% |
- |
जिसमें |
|
|
|
|
|
|
समग्र शिक्षा |
32,515 |
33,000 |
37,010 |
14% |
31% |
51% |
स्वायत्त निकाय |
12,800 |
14,470 |
15,639 |
8% |
13% |
21% |
पीएम पोषण |
12,681 |
10,000 |
12,467 |
25% |
10% |
17% |
पीएम श्री |
- |
2,800 |
6,050 |
116% |
5% |
8% |
उच्च शिक्षा (ख) |
38,577 |
57,244 |
47,620 |
-17% |
39% |
- |
जिसमें |
|
|
|
|
|
|
केंद्रीय विश्वविद्यालय |
10,867 |
12,394 |
15,928 |
29% |
13% |
33% |
आईआईटी |
8,990 |
10,384 |
10,325 |
-0.6% |
9% |
22% |
एनआईटी और आईआईईएसटी* |
4,176 |
4,821 |
5,040 |
5% |
4% |
11% |
यूजीसी और एआईसीटीई |
5,512 |
6,809 |
2,900 |
-57% |
2% |
6% |
विद्यार्थी सहायता |
1,603 |
1,384 |
1,908 |
38% |
2% |
4% |
स्टार्स |
473 |
700 |
1,250 |
79% |
1% |
2% |
अन्य |
7,580 |
32,957 |
12,111 |
-63% |
16% |
- |
कुल (ए+बी) |
97,196 |
1,29,718 |
1,20,628 |
-7% |
100% |
- |
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। *आईआईईएसटी: भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, शिबपुर।
स्रोत: मांग संख्या 25 और 26, व्यय बजट 2024-25, केंद्रीय बजट; पीआरएस।
स्कूली शिक्षा: 2024-25 में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को 73,008 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 6 विभाग का अधिकांश आवंटन (51%) समग्र शिक्षा अभियान के लिए 37,010 करोड़ रुपए है। इसके बाद पीएम-पोषण पर व्यय (विभाग के व्यय का 17%) 12,467 करोड़ रुपए है।
2024-25 के लिए स्कूली शिक्षा के लिए आवंटन में 2023-24 (0.7%) के संशोधित अनुमान की तुलना में मामूली वृद्धि है। 6 2020-21 और 2021-22 में स्कूली शिक्षा पर व्यय पिछले वर्ष की तुलना में क्रमश: 1% और 10% कम था। 2021-22 के निम्न आधार पर 2022-23 में स्कूली शिक्षा पर व्यय 25% बढ़ गया।
उच्च शिक्षा: 2024-25 में उच्च शिक्षा विभाग को 47,620 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 6 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को हस्तांतरण विभाग के बजट का सबसे बड़ा हिस्सा (33%) है। इसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (22%), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) और भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (11%) के लिए आवंटन किया जाता है।
2024-25 में उच्च शिक्षा के लिए आवंटन 2023-24 के संशोधित अनुमान से 17% कम होने का अनुमान है। 6 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के लिए आवंटन 61% कम होने का अनुमान है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों और एनआईटी और आईआईईएसटी के लिए आवंटन में क्रमशः 29% और 5% की वृद्धि की गई है।
शिक्षा संबंधी मुख्य योजनाएं
समग्र शिक्षा अभियान
समग्र शिक्षा अभियान स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की एक प्रमुख योजना है। इसके उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एनईपी और शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009 को लागू करने के लिए राज्यों को सहयोग देना, (ii) शिक्षा में सामाजिक और लिंग आधारित अंतर को पाटना और (iii) शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करना। [8] 2018 में प्रारंभ इस योजना में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सर्व शिक्षा अभियान, (ii) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, और (iii) कई प्रकार की शिक्षक शिक्षा पहल। 8 स्कूली इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना योजना का एक प्रमुख घटक है। इसमें पीने का पानी, शौचालय, विज्ञान प्रयोगशाला और कंप्यूटर कक्षाएं उपलब्ध कराना शामिल है। 8 यह योजना शिक्षण मानक भी निर्धारित करती है, शिक्षण परिणामों को मापती है और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण पर केंद्रित है। 8 योजना के तहत 2026 तक सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने और सहायता प्रदान करने के लिए निपुण भारत मिशन शुरू किया गया था। [9] इसमें पढ़ने, लिखने और अंकगणित के बुनियादी कौशल शामिल हैं।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम-पोषण)
मंत्रालय के व्यय में पीएम पोषण (मध्याह्न भोजन योजना को शामिल करते हुए) का 10% हिस्सा है। मध्याह्न भोजन योजना ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं (I-VIII) के विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन की गारंटी दी थी। [10] 2021-22 में प्रारंभ पीएम पोषण योजना में प्री-स्कूल बच्चों को भी शामिल किया गया है। कार्यक्रम के दिशानिर्देश मध्याह्न भोजन के लिए कैलोरी और पोषण संबंधी मानदंड निर्धारित करते हैं। इस योजना में 11.2 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले 11.8 करोड़ विद्यार्थी शामिल हैं। 2024-25 में योजना के लिए 12,467 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 6
पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री)
इस योजना के तहत 14,500 स्कूलों की पहचान की जाएगी और उन्हें कई मापदंडों के साथ अपग्रेड किया जाएगा। वे: (i) एनईपी के सिद्धांतों को लागू करेंगे, (ii) स्थानीय उद्यमशीलता प्रणाली से जुड़ेंगे, और (iii) विद्यार्थियों को परामर्श और अत्याधुनिक तकनीक तक पहुंच प्रदान करेंगे। [11] यह योजना 18,128 करोड़ रुपए की केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ 2022-23 और 2027-28 के बीच लागू की जाएगी। दिसंबर 2023 तक सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को योजना के तहत 630 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। [12] 2024-25 में इस योजना के लिए 6,050 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह 2023-24 के संशोधित अनुमान से 116% की वृद्धि है।
स्कूली शिक्षा के मुख्य मुद्दे
प्राथमिक स्तर के बाद नामांकन में उल्लेखनीय गिरावट
एनईपी का लक्ष्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर 100% नामांकन हासिल करना है। 5 इसमें सभी विद्यार्थियों के लिए 14 साल की स्कूली शिक्षा की भी परिकल्पना की गई है। 5 जैसा कि रेखाचित्र 2 में दिखाया गया है, प्राथमिक शिक्षा में नामांकन 100% तक पहुंच गया है। 2 हालांकि शिक्षा के उच्च स्तर पर नामांकन में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में नामांकन दर 58% के करीब है, जो प्राथमिक शिक्षा में नामांकन का लगभग आधा है। 2 अनुसूचित जनजाति (एसटी) में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में समग्र औसत की तुलना में नामांकन दर कम है। 2
रेखाचित्र 2: स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर सकल नामांकन दर (2021-22 में)
नोट: 100% से अधिक जीईआर शिक्षा के प्रत्येक स्तर के लिए संबंधित आयु वर्ग से परे व्यक्तियों के नामांकन को दर्शाता है।
स्रोत: शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस 2021-22; पीआरएस।
नामांकन की प्रवृत्ति ड्रॉपआउट दरों में भी झलकती है। स्कूली शिक्षा के उच्च स्तर के साथ ड्रॉपआउट दर बढ़ती हैं (रेखाचित्र 3)। ड्रॉपआउट दर प्रत्येक स्तर पर पढ़ाई छोड़ने का विकल्प चुनने वाले विद्यार्थियों के अनुपात को मापती हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित विद्यार्थियों के शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। 2
रेखाचित्र 3: 2021-22 में सामाजिक समूहों में ड्रॉपआउट की दर (% में)
स्रोत: शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस 2021-22; पीआरएस।
संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, भारत में स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.6 वर्ष था। [13] यह निम्नलिखित देशों से कम है जैसे: (i) युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (13.6), (ii) युनाइटेड किंगडम (13.4), (iii) दक्षिण अफ्रीका (11.6), (iv) ब्राज़ील (8.3), (v) चीन (8.1) और (v) बांग्लादेश (7.4)। 13
निजी स्कूलों में नामांकन बढ़ रहा है, जो अधिक महंगे हैं
2021-22 तक सरकारी स्कूल देश के सभी स्कूलों का 69% थे और कुल नामांकनों की तुलना में वहां 54% नामांकन था (रेखाचित्र 4 देखें)। हालांकि 2012-13 के बाद से इन दोनों क्षेत्रों में उनकी हिस्सेदारी में गिरावट आई है। कुल स्कूलों की संख्या और कुल स्कूली नामांकन, दोनों में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है।
रेखाचित्र 4: स्कूल प्रबंधन में स्कूलों का वितरण और विद्यार्थियों का नामांकन
स्रोत: शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस 2012-13 और 2021-22; पीआरएस।
एक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल में दाखिला लेने की लागत अपेक्षाकृत अधिक है। 2021-22 तक स्कूल जाने वाले एक-तिहाई विद्यार्थी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित हैं। 2
रेखाचित्र 5: प्रबंधन में स्कूली शिक्षा की लागत (रुपए में)
स्रोत: भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग, एनएसएसओ 2017-18; पीआरएस।
एनएसएसओ (2017-18) के अनुसार, विद्यार्थियों द्वारा निजी सहायता प्राप्त या गैर सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों को प्राथमिकता देने के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी का उपयोग (17%), (ii) सरकारी संस्थानों में शिक्षा की खराब गुणवत्ता (34%), (iii) निजी संस्थान का निकट होना (27%), और (iv) शिक्षण सहायता, परिवहन, छात्रावास सुविधाएं और पाठ्येतर गतिविधियों जैसी बेहतर सुविधाएं। [14]
समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत उपरिलिखित कई समस्याओं के समाधान का प्रयास है। यह शिक्षा तक पहुंच, शिक्षण की गुणवत्ता और परिणामों और शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार पर केंद्रित है। कार्यक्रम के तहत विभिन्न पहल इस प्रकार हैं: (i) विद्यार्थियों को परिवहन सुविधा, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें और वर्दी प्रदान करना, (ii) शिक्षक प्रशिक्षण पहल, संस्थानों को मजबूत करना और (iii) इंफ्रास्ट्रक्चर (पीने की सुविधा और शौचालय) को अपग्रेड करना और उन्हें सबके लिए एक समान बनाना। [15]
योजना के तहत केंद्र अधिकांश राज्यों के साथ 60:40 के अनुपात में और पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में धनराशि साझा करता है। प्रस्तावित व्यय के संबंध में केंद्र द्वारा जारी वास्तविक धनराशि कम हो रही है (रेखाचित्र 6 देखें)। उल्लेखनीय है कि 2020-21 और 2021-22 में आवंटन कोविड-19 महामारी से प्रभावित थी।
रेखाचित्र 6: एसएसए के तहत केंद्र द्वारा प्रस्तावित और जारी धनराशि (करोड़ रुपए में)
नोट: *2023-24 के आंकड़े 31 दिसंबर 2023 तक हैं।
स्रोत: अतारांकित प्रश्न 268, शिक्षा मंत्रालय, लोकसभा, 2 फरवरी 2024; पीआरएस।
शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2023) ने कहा कि धनराशि जारी करने में देरी का एक कारण यह था कि राज्यों ने पहले से प्रदत्त धनराशि के उपयोग में विलंब किया। 26 कमिटी ने सुझाव दिया कि व्यवस्था की समीक्षा जाए ताकि योजना के तहत धन का तेजी से उपयोग किया जा सके।
विभिन्न राज्यों में शिक्षकों की उपलब्धता और गुणवत्ता में काफी भिन्नता है
एनईपी 2020 ने 30:1 (30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक) के विद्यार्थी शिक्षक अनुपात (पीटीआर) का सुझाव दिया था। 5 यूडीआईएसई+ (2021-22) के अनुसार, समग्र स्तर पर इसे स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर हासिल किया गया है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर औसत पीटीआर निम्न है: (i) 26:1 (प्राथमिक), (ii) 19:1 (उच्च प्राथमिक), (iii) 18:1 (माध्यमिक) और (iv) 27:1 (उच्च माध्यमिक)। हालांकि कुछ राज्य इस लक्ष्य से पीछे रह गए हैं (अनुलग्नक में तालिका 6 देखें)। 2
भारत में छोटे स्कूलों और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या अधिक है। 2021 में नीति आयोग ने कहा था कि भारत के 36% सरकारी स्कूलों में 50 से कम विद्यार्थी और केवल एक या दो शिक्षक थे। [16] एनईपी (2020) के अनुसार, इससे शिक्षकों को कई कक्षाओं और विषयों को पढ़ाना पड़ता है, जिसमें वे विषय भी शामिल हैं जिनमें वे पर्याप्त रूप से योग्य नहीं हो सकते हैं। 5 एनईपी में कहा गया है कि छोटे और अलग-थलग स्कूलों का प्रबंधन और शासन करना मुश्किल है। उनके पास प्रयोगशालाओं, उपकरणों, पुस्तकालयों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर का भी अभाव है।
2022-23 में ग्रेड 1-8 के लिए शिक्षकों की रिक्ति 16% थी। [17] यह 2021-22 (21%) और 2020-21 (17%) में दर्ज रिक्तियों से कम है। 17 हालांकि कुछ राज्यों में 2022-23 तक अधिक रिक्तियां हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) झारखंड (40%), (ii) बिहार (32%), (iii) मिजोरम (30%), और (iv) त्रिपुरा (26%)। 17 शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा एवं खेल से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (2023) ने राज्यों द्वारा शिक्षक भर्ती में तेजी लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। [18] उसने भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर एक स्वायत्त-शिक्षक भर्ती बोर्ड बनाने का भी सुझाव दिया।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर पढ़ाने के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यताएं निर्धारित करती है। इनमें उच्च माध्यमिक पास करने (पूर्व-प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए) से लेकर बी.ए.एड या बी.एससी.एड. (वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के लिए) के साथ पोस्ट-ग्रेजुएशन हासिल करना तक शामिल हैं। [19] यूडीआईएसई+ (2021-22) के अनुसार, सरकारी स्कूलों के सभी शिक्षकों में से 10% के पास व्यावसायिक योग्यता नहीं है। [20] यह आंकड़ा निम्नलिखित राज्यों में अधिक है: (i) त्रिपुरा (49%), (ii) नगालैंड (45%), (iii) झारखंड (44%), और (iv) असम (38%)। 20 2021-22 तक पूर्व-प्राथमिक स्तर पर केवल 68% प्रशिक्षित शिक्षक थे। 2
समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षक प्रशिक्षण महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। शिक्षक प्रशिक्षण पर एसएसए के तहत व्यय में 2018-19 से गिरावट देखी गई है (रेखाचित्र 7 देखें)।
रेखाचित्र 7: समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षक प्रशिक्षण पर व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोत: अतारांकित प्रश्न संख्या 1995, शिक्षा मंत्रालय, राज्य सभा, 20 दिसंबर, 2023; पीआरएस।
स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल (निष्ठा) को 2019 में एसएसए के तहत शुरू किया गया था। [21] यह शिक्षक प्रशिक्षण का मार्गदर्शन करता है और शिक्षकों, स्कूल प्रमुखों और शिक्षा क्षेत्र के अन्य रिसोर्स व्यक्तियों की क्षमता बढ़ाने का प्रयास करता है। यह इन संस्थाओं को डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल के माध्यम से प्रशिक्षित करता है। जून 2024 तक 49% लक्षित स्कूल प्रमुखों और 43% लक्षित शिक्षकों को कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया गया है। [22]
शिक्षण परिणाम अभी भी खराब
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) ग्रेड 3, 5, 8 और 10 में विद्यार्थियों की दक्षता को मापता है। [23] , [24] उनकी दक्षता भाषा, गणित और विज्ञान में मापी जाती है। विद्यार्थियों को प्रत्येक विषय में 500 में से अंक दिए जाते हैं। एनएएस के अनुसार, 2017 और 2021 के बीच अधिकांश विषयों और कक्षाओं में सीखने की दक्षता कम हो गई है (रेखाचित्र 8 देखें)।
रेखाचित्र 8: 2017 और 2021 के बीच एनएएस में अखिल भारतीय स्कोर में बदलाव (% में)
स्रोत: राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2017 और 2021; पीआरएस।
2017 और 2021 के बीच सभी कक्षाओं और विषयों में औसत दक्षता 58% से घटकर 54% हो गई। 23 , 24 सभी ग्रेड्स में गणित में दक्षता 46% से घटकर 43% हो गई। भाषाओं में दक्षता 64% से गिरकर 62% हो गई। शिक्षा के उच्च स्तर पर शिक्षण परिणाम कम हो गए हैं। 23 , 24 2021 में विषयों में दक्षता कक्षा 3 में 62% से गिरकर कक्षा 10 में 48% हो गई।
प्रदर्शन ग्रेड सूचकांक- राज्य (पीजीआई - राज्य) एनएएस परिणामों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को रैंक करता है। [25] राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 240 में से वर्गीकृत किया गया और उन्हें अलग-अलग ग्रेडिंग बैंड में स्थान दिया गया। इस सूचकांक के अनुसार, 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने शिक्षण परिणामों पर 30% से कम स्कोर किया और सूचकांक के भीतर दूसरे और तीसरे सबसे कम ग्रेडिंग बैंड में लुढ़क गए (अनुलग्नक में तालिका 9 देखें)। 25 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने शिक्षण परिणामों पर सबसे कम स्कोर किया (240 में से), वे इस प्रकार हैं: (i) तेलंगाना (37), (ii) छत्तीसगढ़ (39), (iii) मेघालय (32) और (iv) तमिलनाडु (41)। 25
2021 में ग्रेड 3 तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करने के लिए निपुण भारत मिशन शुरू किया गया था। कार्यक्रम 2021-22 से 2026-27 के बीच लागू किया जाएगा। यह योजना सीखने के लक्ष्य निर्धारित करती है, पाठ्यक्रम तैयार करती है और राज्यों को धन और मार्गदर्शन प्रदान करती है। मिशन के तहत, एनसीईआरटी द्वारा ग्रेड 1 और 2 के लिए शिक्षण सामग्री विकसित की गई थी। 18 प्री-स्कूल विद्यार्थियों के लिए शिक्षण परिणामों को दर्शाने वाले वाले दिशानिर्देश भी जारी किए गए।
स्ट्रैंथनिंग टीचिंग एंड लर्निंग रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स (स्टार्स) कार्यक्रम को 2020 में शुरू किया गया था। [26] इसका उद्देश्य हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केरल में शिक्षण परिणामों में सुधार करना है। कार्यक्रम को आंशिक रूप से विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जो निम्नलिखित में सुधार के आधार पर धन जारी करता है: (i) भाषा में दक्षता, (ii) मूल्यांकन प्रणाली, और (iii) माध्यमिक विद्यालय प्रतियोगिता दर। 26 2024-25 में स्टार्स को 1,250 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 6 यह 2023-24 के खर्च से 79% ज्यादा है।
स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है
2021-22 तक देश के कुल स्कूलों में से 97% में अलग शौचालय की सुविधा है, 96% में पीने के पानी की सुविधा है और 87% में चालू बिजली है। 6 हालांकि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच अपेक्षाकृत सीमित है। एनईपी सीखने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर देती है। 5 यह डिजिटल विभाजन को पाटने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है। इसके तहत शैक्षणिक संस्थानों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए एक समर्पित इकाई स्थापित करने का सुझाव दिया गया है।
2021-22 तक सभी स्कूलों में से केवल 26% के पास डेस्कटॉप सुविधाएं और 34% के पास इंटरनेट सुविधा थी (रेखाचित्र 9)। 6 डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता भी स्कूल प्रबंधन के साथ भिन्न होती है। सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में सभी प्रकार के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की अधिक कवरेज है। यह विभाजन सीखने के लिए प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच को प्रभावित करता है।
रेखाचित्र 9: विभिन्न प्रबंधनों के स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता (% में)
स्रोत: शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस 2021-22; पीआरएस।
पीजीआई- जिला पर्याप्त कंप्यूटर तक पहुंच, डिजिटल शिक्षण विधियों और उपकरणों को अपनाने और कंप्यूटर का उपयोग करने में शिक्षक की दक्षता के आधार पर डिजिटल शिक्षा को मापता है। [27] 2021-22 में सर्वेक्षण में शामिल 66% जिलों ने इन मापदंडों पर 30% या उससे कम अंक प्राप्त किए। यह 2018-19 से कम था, जब 70% जिलों ने 30% या उससे कम स्कोर किया था। 27
उच्च शिक्षा के मुख्य मुद्दे
उच्च शिक्षा में नामांकन में सामाजिक-आर्थिक असमानता
उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) समय के साथ बढ़ा है (रेखाचित्र 10)। एनईपी (2020) में 2035 तक उच्च शिक्षा में जीईआर को 50% तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। 5 भले ही समय के साथ एससी और एसटी समुदायों के विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ गया है, लेकिन यह अपेक्षाकृत कम है। 2021-22 में भारत का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 28.5% दर्ज किया गया (राज्यवार विवरण के लिए अनुलग्नक में तालिका 8 देखें)। उच्च शिक्षा में अपेक्षाकृत कम जीईआर वाले राज्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिहार (17%), (ii) असम (17%), (iii) झारखंड (19%), (iv) छत्तीसगढ़ (20%), और (v) त्रिपुरा (21%)। 3
रेखाचित्र 10: सामाजिक समूहों में उच्च शिक्षा में जीईआर (% में)
स्रोत: अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22; पीआरएस।
विभिन्न विषयों में महिलाओं की भागीदारी कम है। एआईएसएचई (2021-22) के अनुसार, इंजीनियरिंग में महिलाएं यूजी विद्यार्थियों में केवल 29%, पीजी विद्यार्थियों में 32% और पीएचडी विद्यार्थियों में 34% हैं। 3 हालांकि कुल स्टेम फील्ड्स में महिलाओं की उपस्थिति: (i) यूजी में 51%, (ii) पीजी में 61% और (ii) पीएचडी में 50% है। 5
विद्यार्थियों की सहायता: उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभाग विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसमें स्टूडेंट लोन, छात्रवृत्ति और अनुसंधान फेलोशिप पर ब्याज सबसिडी शामिल है। छात्रवृत्ति में निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध है: (i) जम्मू एवं कश्मीर के विद्यार्थियों के लिए 30,000 रुपए से दो लाख रुपए, और (ii) भारत के अन्य हिस्सों के विद्यार्थियों के लिए 12,000 से 20,000 रुपए। [28] , [29]
2024-25 में विद्यार्थी वित्तीय सहायता के लिए 1,908 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 2017-18 में इस पर 2,218 करोड़ रुपए खर्च हुए। 2017-18 और 2022-23 के बीच विद्यार्थी वित्तीय सहायता पर खर्च कम हो गया है। यह मुख्य रूप से ब्याज सबसिडी पर कम व्यय के कारण है (अनुलग्नक में तालिका 10 देखें)। ब्याज सबसिडी पर खर्च 2017-18 में 1,950 करोड़ रुपए से घटकर 2022-23 में 873 करोड़ रुपए हो गया है।
2023-24 से ब्याज सबसिडी और छात्रवृत्ति पर व्यय को पीएम- उच्चतर शिक्षा प्रोत्साहन योजना (पीएम-यूएसपी) में शामिल कर दिया गया है। 2024-25 के लिए पीएम-यूएसपी को 1,558 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। संशोधित अनुमान के मुताबिक 2023-24 में योजना पर खर्च बजट अनुमान से 32% कम रहने का अनुमान है। 6
शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि मौजूदा छात्रवृत्तियां उच्च शिक्षा की पूरी लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। [30] उसने मंत्रालय को योजनाओं की राशि और कवरेज को संशोधित करने और छात्रवृत्ति बढ़ाने का सुझाव दिया था।
निजी संस्थानों में अधिक नामांकन, जो अधिक महंगे
2021-22 तक उच्च शिक्षा में कुल नामांकन का 70% कॉलेजों में है। 3 2021-22 में सभी कॉलेजों में से 78% निजी तौर पर संचालित किए जाते हैं और 66% कॉलेज नामांकन निजी तौर पर संचालित कॉलेजों में हैं। 3 एनएसएस (2017-18) के अनुसार, निजी गैर-सहायता प्राप्त एचईआई में अध्ययन की लागत सभी की तुलना में सबसे अधिक है (रेखाचित्र 12)। 14
रेखाचित्र 11: 2021-22 में विभिन्न प्रबंधनों में कॉलेजों का वितरण और कॉलेजों में विद्यार्थियों का नामांकन
स्रोत: अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22; पीआरएस।
एनईपी (2020) ने शिक्षण संस्थानों को गैर-लाभकारी संगठन के मानकों के अनुरूप स्वीकृत करने का सुझाव दिया है। 5 इसमें एचईआई द्वारा फीस या किसी भी शुल्क का सार्वजनिक खुलासा, उसमें मनमानी वृद्धि पर रोक, फीस निर्धारित करने का पारदर्शी तरीका और अधिकतम सीमा तय करना आदि शामिल है। 5
रेखाचित्र 12: शिक्षा और प्रबंधन के स्तर पर उच्च शिक्षा की लागत
स्रोत: भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग, एनएसएस 75वां दौर (2017-18); पीआरएस।
उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है। इसकी ग्रेडिंग पाठ्यक्रम, शिक्षण गुणवत्ता, इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान एवं नवाचार जैसे मानदंडों पर आधारित है। [31] उच्चतम ग्रेड मान्यता प्राप्त संस्थान ए++ प्राप्त कर सकते हैं जबकि सबसे कम ग्रेड सी है। नवंबर 2023 तक 430 विश्वविद्यालय (कुल का 37%) और 9,257 कॉलेज (20%) एनएएसी द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। [32] मान्यता प्राप्त संस्थानों में से 239 विश्वविद्यालयों (56%) और 1,916 कॉलेजों (21%) को ए ग्रेड प्राप्त हुआ है।
तालिका 3: 2023 तक मान्यता प्राप्त कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एनएएसी ग्रेड का वितरण (% में)
श्रेणी |
क |
ख |
ग |
विश्वविद्यालय |
56% |
40% |
4% |
कालेज |
21% |
67% |
12% |
स्रोत: एनएएसी; पीआरएस।
एचईआई में बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए, 2017-18 में उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (हेफा) की स्थापना की गई थी। [33] यह एचईआई में परिसरों, प्रयोगशालाओं और अन्य सुविधाओं की स्थापना का वित्तपोषण करती है। मार्च 2024 तक 103 संस्थानों के लिए 39,720 करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृत किए गए। [34] इसमें से 64% ऋण 22 आईआईटी और 12 एम्स और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित अन्य संस्थानों के लिए स्वीकृत किए गए थे। 34 यह बताता है कि 34 संस्थानों को 64% ऋण मंजूर किए गए। अब तक 19,968 करोड़ रुपए (स्वीकृत ऋण का 49%) वितरित किए जा चुके हैं।
2013-14 में एचईआई के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और समग्र गुणवत्ता के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) शुरू किया गया था। इसे 2012-2017 (रूसा 1.0) से 2017-2022 (रूसा 2.0) के बीच दो चरणों के तहत लागू किया जाना था। [35] योजना के प्रत्येक चरण पर निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं: (i) विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का निर्माण और उन्नयन, (ii) अनुसंधान और नवाचार में सुधार और (iii) इंफ्रास्ट्रक्चर अनुदान का प्रावधान। [36] 2024-25 में इस योजना के लिए 1,815 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
रूसा के तहत धनराशि का उपयोग 2017-18 से लगातार कम रहा है (रेखाचित्र 13)। शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2023) ने कहा है कि रूसा 2.0 के तहत लक्ष्य रूसा 1.0 के तहत निर्धारित लक्ष्यों से कम हैं। 36 उदाहरण के लिए, रूसा 1.0 ने स्वायत्त कॉलेजों को अपग्रेड करके 45 विश्वविद्यालय बनाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, रूसा 2.0 का लक्ष्य इस प्रकार केवल तीन विश्वविद्यालय बनाना है। कमिटी ने योजना के सभी घटकों में लक्ष्य बढ़ाने का सुझाव दिया। 36
रेखाचित्र 13: रूसा के तहत धन का कम आवंटन (करोड़ रुपए में)
नोट: शुद्ध वसूली के कारण 2021-22 में आंकड़े नेगेटिव हैं। BE- बजट अनुमान और RE- संशोधित अनुमान।
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
उच्च शिक्षा संस्थानों में अधिक रिक्तियां
शिक्षा, महिला बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2023) के अनुसार, उच्च शिक्षा में आदर्श पीटीआर 15:1 (15 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक) है। 36 एआईएसएचई 2021-22 के अनुसार, उच्च शिक्षा में नियमित मोड में प्रचलित पीटीआर 23:1 है। 3 नियमित मोड में शिक्षक सीधे संपर्क से सिखाते और पढ़ाते हैं। 3 2017-18 से पीटीआर में सुधार हुआ, जब पीटीआर 25:1.3 था। 3 हालांकि इस मोर्चे पर राज्यों में महत्वपूर्ण भिन्नताएं हैं (अनुलग्नक में तालिका 8 देखें)। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में क्रमशः 14:1, 15:1 और 15:1 का पीटीआर है। 3 वे उच्च शिक्षा में सुझाए गए पीटीआर पर खरे उतरते हैं या उसके काफी करीब हैं। हालांकि बिहार (64:1), झारखंड (54:1), और उत्तर प्रदेश (35:1) जैसे राज्य लक्ष्य से काफी पीछे हैं। 3 केंद्रीय वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में लगभग एक तिहाई पद खाली हैं। 36 फैकेल्टी पदों में से क्रमश: 9% और 3% एससी और एसटी समुदायों से हैं। 36
तालिका 4: केंद्रीय वित्त पोषित संस्थानों में फैकेल्टी के पदों पर रिक्तियां (मार्च 2023 तक)
संस्थान |
स्वीकृत |
पूरित |
रिक्त |
रिक्ति (% में) |
केंद्रीय विश्वविद्यालय |
18,956 |
12,776 |
6,180 |
33% |
आईआईटी |
11,292 |
6,712 |
4,415 |
39% |
आईआईआईटी |
1,315 |
599 |
705 |
54% |
एनआईटी |
7,483 |
5,277 |
2,206 |
29% |
आईआईएम |
1,570 |
1,086 |
484 |
31% |
आईआईएसईआर |
735 |
683 |
52 |
7% |
कुल |
41,351 |
27,133 |
14,042 |
34% |
स्रोत: 348वीं रिपोर्ट, शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।
दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा
भारत में कई पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता होती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सभी मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय-पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट), (ii) अधिकांश यूजी इंजीनियरिंग कार्यक्रमों के लिए संयुक्त-प्रवेश परीक्षा (जेईई) और (iii) किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय और कई निजी या डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी)। [37] , [38] , [39] , [40] 2024 में पीएचडी प्रवेश के लिए नेशनल एंट्रेंस टेस्ट (नेट) भी लागू कर दिया गया। [41]
एनईपी 2020 ने विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा का सुझाव दिया था, यानी उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की आवश्यकता नहीं है। 5 इसका उद्देश्य विद्यार्थियों और विश्वविद्यालयों पर बोझ कम करना है। एनईपी के सुझावों के अनुरूप, नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की स्थापना की गई थी। [42]
एनईपी ने यह भी सुझाव दिया कि सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में वैचारिक समझ और ज्ञान के अनुप्रयोग का परीक्षण किया जाना चाहिए, और इसका लक्ष्य कोचिंग की आवश्यकता को खत्म करना होना चाहिए। 5 उसने विश्वविद्यालयों को सामान्य प्रवेश परीक्षाओं को स्वीकार करने का विवेकाधिकार देने का भी सुझाव दिया है। 5 वर्तमान में नीट सभी मेडिकल और डेंटल प्रवेश के लिए अनिवार्य है।
जून 2021 में तमिलनाडु सरकार ने राज्य में मेडिकल प्रवेश पर नीट के प्रभाव की जांच करने के लिए एक समिति (अध्यक्ष: सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए.के. राजन) का गठन किया था। [43] कमिटी ने पाया कि तमिलनाडु में 2019-20 में नीट पास करने वाले 99% उम्मीदवारों ने कोचिंग ली थी। 43
2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि एक समान प्रवेश परीक्षा यह सुनिश्चित नहीं करेगी कि शिक्षा तक असमान पहुंच वाले सामाजिक समूहों को एक समान अवसर मिल रहा है। [44]
स्नातकों में बेरोजगारी अधिक
कार्यशील जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) किसी जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत को दर्शाता है। भारत में 25-64 आयु वर्ग के स्नातकों और स्नातकोत्तरों में डब्ल्यूपीआर 64% है। [45] यह युनाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देशों के ड़ब्ल्यूपीआर से कम है। 45
रेखाचित्र 14: 2022 में कुछ देशों में स्नातकों और स्नातकोत्तरों का डब्ल्यूपीआर (% में)
नोट: जी20 एक देश समूह है।
स्रोत: "एजुकेशन एट अ ग्लांस- 2023", ओईसीडी, पीआरएस।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में शिक्षा के सभी स्तरों पर युवाओं में बेरोजगारी 2005 और 2022 के बीच बढ़ी है (रेखाचित्र 15)। [46] सामाजिक समूहों में स्नातक या उससे उच्च डिग्री वाले एससी विद्यार्थियों में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 35% थी, इसके बाद एसटी समुदायों में 33% थी। 46
रेखाचित्र 15: भारत में बेरोजगारी दर और शिक्षा के विभिन्न स्तर (% में)
स्रोत: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन; पीआरएस।
आईएलओ के अनुसार, शिक्षा पूरी करने के स्तर के साथ बेरोजगारी दर बढ़ती है (रेखाचित्र 15)। आईएलओ की रिपोर्ट तकनीकी शिक्षा के विभिन्न स्तरों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति को उजागर करती है। 46 तकनीकी डिग्री वाले लोगों में बेरोजगारी दर 2005 से 2022 के बीच 18% से बढ़कर 29% हो गई है। 46 बिना तकनीकी डिग्री वाले लोगों में बेरोजगारी दर 5% से बढ़कर 11% हो गई है।
आईएलओ (2024) ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत में सभी नियोजित स्नातकों में से आधे से अधिक कम-कुशल नौकरियों में लगे हुए थे, जबकि उनमें से एक-तिहाई से भी कम उच्च-कुशल नौकरियों में लगे हुए थे। 46 2005 से 2022 के बीच उच्च-कुशल व्यवसायों में लगे स्नातक डिग्री धारकों का अनुपात 11% से बढ़कर 28% हो गया। हालांकि कम-कुशल नौकरियों में हिस्सेदारी 45% से बढ़कर 53% हो गई। 46
आर्थिक मामलों के विभाग (2024) ने एक निजी अध्ययन का हवाला दिया जिसके अनुसार प्री-फाइनल और फाइनल वर्ष के विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता 2014 में 34% से बढ़कर 2024 में 51% हो गई। [47] सर्वेक्षण के अनुसार, 2023 तक सबसे अधिक रोजगारपरक प्रतिभा वाली डिग्री में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बी.कॉम (61%), (ii) एमबीए (60%), और (iii) बी.ई./बी.टेक (58%)। 47
मंत्रालय राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना लागू करता है। यह एक वर्षीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य तकनीकी रूप से योग्य युवाओं को काम के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना है। इस तरह का प्रशिक्षण कार्यस्थल पर संगठनों द्वारा प्रदान किया जाता है। 26 इस योजना को 2024-25 में 600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें 2023-24 के संशोधित अनुमान से 30% की वृद्धि है। 2023 में यूजीसी ने एचईआई में इंटर्नशिप और विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज सिस्टम पर दिशानिर्देश जारी किए। इनका उद्देश्य विद्यार्थियों की अनुसंधान क्षमताओं में सुधार करना है। [48] , [49]
2024-25 के बजट भाषण में 500 शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने की योजना की घोषणा की गई है। [50] इसके तहत लाभार्थियों को 5,000 रुपए का मासिक भत्ता और 6,000 रुपए की एकमुश्त सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना पर सात वर्षों में 63,000 करोड़ रुपए का परिव्यय होगा। 50
उच्च शिक्षण संस्थान अनुसंधान में सीमित भूमिका निभाते हैं
2020-21 में भारत ने अपनी जीडीपी का 0.64% अनुसंधान और विकास (आएंडडी) पर खर्च किया। [51] यह निम्नलिखित देश के व्यय से कम था: (i) दक्षिण कोरिया (जीडीपी का 4.8%), (ii) यूएसए (3.5%), (iii) जापान (3.3%), (iv) जर्मनी (3.1%), (v) फ्रांस (2.3%), (vi) चीन (2.4%), और (vii) इटली (1.5%)। 2009-10 से अनुसंधान एवं विकास पर व्यय लगातार कम हुआ है (0.82%)। [52]
भारत के अनुसंधान व्यय का सबसे बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है। 2020-21 में केंद्र सरकार ने भारत के अनुसंधान एवं विकास व्यय का लगभग 44% वहन किया, जबकि राज्यों और केंद्र ने संचयी रूप से इसका लगभग 50% वहन किया। 51 इस अनुसंधान व्यय में विश्वविद्यालयों का हिस्सा केवल 9% था। 51 कुछ देशों में कुल अनुसंधान व्यय में विश्वविद्यालयों का हिस्सा अधिक होता है। जैसे: (i) कनाडा (39%), (ii) ऑस्ट्रेलिया (36%), (iii) इटली (23%), फ्रांस (20%), और (iv) जर्मनी (19%)। 51
भारत के आर्थिक सर्वेक्षण (2017-18) में पाया गया कि भारत में अनुसंधान व्यय विशेष सरकारी विभागों में केंद्रित है। [53] कई देशों में, विश्वविद्यालय उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान परिणाम उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण हैं, जबकि भारत में वे मुख्य रूप से शिक्षण तक ही सीमित हैं। 53 सर्वेक्षण में शिक्षण और अनुसंधान के बीच अंतर को पाटने के लिए विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं से जोड़ने का सुझाव दिया गया है। 53
एनईपी ने स्कूली शिक्षा में वैज्ञानिक और आलोचनात्मक सोच पर जोर देने के साथ सीखने की एक खोज-आधारित शैली विकसित करने का सुझाव दिया। उसने उच्च शिक्षा में बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एचईआई और उद्योग के साथ अधिक संबंध बनाने का भी सुझाव दिया।
एनईपी के सुझावों के अनुसार, देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए 2023 में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। [54] इसे 50,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से स्थापित किया गया है। इसमें से 36,000 करोड़ रुपए निजी स्रोतों से जुटाए जाने की उम्मीद है। [55] इसकी जिम्मेदारियों में से एक एचईआई में अनुसंधान को बढ़ावा देना और सुविधा प्रदान करना है जहां अनुसंधान प्रारंभिक चरण में है।
उच्च शिक्षा विभाग तकनीकी शिक्षा में बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान सुधार (एमईआरआईटीई) भी लागू करता है। 36 2024-25 में कार्यक्रम को 200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान कौशल के मानकों में सुधार करना और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों के लिए तकनीकी शिक्षा को अधिक सुलभ बनाना है। 36
अनुलग्नक
तालिका 5: विभिन्न राज्यों में स्कूली शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (2021-22) (% में)
राज्य/यूटी |
प्राथमिक (1 से 5) |
उच्च प्राथमिक (6 से 8) |
माध्यमिक (9 से 10) |
उच्च माध्यमिक (11 से 12) |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
68 |
72 |
69 |
66 |
आंध्र प्रदेश |
102 |
98 |
85 |
57 |
अरुणाचल प्रदेश |
129 |
85 |
67 |
54 |
असम |
120 |
95 |
75 |
40 |
बिहार |
103 |
86 |
65 |
36 |
चंडीगढ़ |
85 |
94 |
90 |
82 |
छत्तीसगढ़ |
97 |
95 |
78 |
68 |
दादरा एवं नगर हवेली दमन एवं दीव |
89 |
91 |
75 |
55 |
दिल्ली |
116 |
130 |
111 |
95 |
गोवा |
93 |
88 |
83 |
74 |
गुजरात |
93 |
91 |
75 |
48 |
हरियाणा |
104 |
102 |
95 |
76 |
हिमाचल प्रदेश |
108 |
103 |
94 |
94 |
जम्मू और कश्मीर |
112 |
66 |
61 |
53 |
झारखंड |
102 |
89 |
68 |
46 |
कर्नाटक |
108 |
106 |
95 |
57 |
केरल |
102 |
99 |
98 |
85 |
लद्दाख |
80 |
66 |
59 |
49 |
लक्षद्वीप |
80 |
64 |
63 |
62 |
मध्य प्रदेश |
87 |
92 |
70 |
51 |
महाराष्ट्र |
107 |
100 |
94 |
72 |
मणिपुर |
143 |
86 |
76 |
70 |
मेघालय |
188 |
114 |
85 |
46 |
मिजोरम |
159 |
110 |
93 |
61 |
नगालैंड |
102 |
69 |
62 |
36 |
ओड़िशा |
98 |
91 |
80 |
44 |
पुद्दूचेरी |
77 |
78 |
76 |
69 |
पंजाब |
111 |
107 |
95 |
82 |
राजस्थान |
105 |
96 |
79 |
70 |
सिक्किम |
106 |
78 |
89 |
64 |
तमिलनाडु |
99 |
98 |
96 |
82 |
तेलंगाना |
113 |
107 |
94 |
65 |
त्रिपुरा |
126 |
88 |
81 |
56 |
उत्तर प्रदेश |
102 |
91 |
69 |
51 |
उत्तराखंड |
121 |
102 |
90 |
79 |
पश्चिम बंगाल |
115 |
98 |
88 |
62 |
भारत |
103 |
95 |
80 |
58 |
स्रोत: शिक्षा प्लस के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली, 2021-22; पीआरएस।
तालिका 6: राज्यों में स्कूली शिक्षा में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात (2021-22)
राज्य/यूटी |
प्राथमिक (1 से 5) |
उच्च प्राथमिक (6 से 8) |
माध्यमिक (9 से 10) |
उच्च माध्यमिक (11 से 12) |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
12 |
10 |
7 |
13 |
आंध्र प्रदेश |
25 |
16 |
11 |
32 |
अरुणाचल प्रदेश |
12 |
9 |
11 |
20 |
असम |
21 |
14 |
11 |
21 |
बिहार |
54 |
23 |
55 |
63 |
चंडीगढ़ |
28 |
16 |
12 |
27 |
छत्तीसगढ़ |
21 |
18 |
15 |
17 |
दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव |
30 |
28 |
20 |
26 |
दिल्ली |
34 |
33 |
28 |
22 |
गोवा |
26 |
16 |
9 |
19 |
गुजरात |
30 |
25 |
29 |
28 |
हरियाणा |
26 |
19 |
12 |
15 |
हिमाचल प्रदेश |
16 |
9 |
6 |
10 |
जम्मू और कश्मीर |
15 |
10 |
13 |
28 |
झारखंड |
29 |
26 |
35 |
57 |
कर्नाटक |
23 |
18 |
18 |
28 |
केरल |
27 |
21 |
15 |
22 |
लद्दाख |
8 |
4 |
6 |
13 |
लक्षद्वीप |
16 |
14 |
7 |
12 |
मध्य प्रदेश |
25 |
18 |
23 |
30 |
महाराष्ट्र |
25 |
27 |
21 |
38 |
मणिपुर |
13 |
11 |
9 |
16 |
मेघालय |
20 |
14 |
12 |
20 |
मिजोरम |
16 |
8 |
9 |
15 |
नगालैंड |
11 |
8 |
10 |
17 |
ओड़िशा |
17 |
15 |
18 |
36 |
पुद्दूचेरी |
18 |
14 |
10 |
16 |
पंजाब |
26 |
19 |
11 |
18 |
राजस्थान |
26 |
13 |
11 |
18 |
सिक्किम |
7 |
8 |
9 |
11 |
तमिलनाडु |
20 |
15 |
13 |
21 |
तेलंगाना |
21 |
13 |
10 |
29 |
त्रिपुरा |
18 |
20 |
14 |
15 |
उत्तर प्रदेश |
28 |
25 |
27 |
39 |
उत्तराखंड |
19 |
16 |
11 |
17 |
पश्चिम बंगाल |
27 |
28 |
17 |
28 |
भारत |
26 |
19 |
18 |
27 |
स्रोत: शिक्षा प्लस के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली; पीआरएस.
तालिका 7: राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (2021-22) (% में)
राज्य/यूटी |
सभी श्रेणियां |
अनुसूचित जाति |
अनुसूचित जनजाति |
||
पुरुष |
महिला |
कुल |
|||
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
20 |
26 |
22 |
- |
13 |
आंध्र प्रदेश |
38 |
35 |
37 |
35 |
34 |
अरुणाचल प्रदेश |
38 |
35 |
37 |
- |
40 |
असम |
16 |
18 |
17 |
19 |
26 |
बिहार |
18 |
16 |
17 |
16 |
35 |
चंडीगढ़ |
57 |
75 |
65 |
53 |
- |
छत्तीसगढ़ |
18 |
22 |
20 |
20 |
13 |
दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव |
9 |
17 |
11 |
28 |
8 |
दिल्ली |
48 |
50 |
49 |
36 |
- |
गोवा |
36 |
36 |
36 |
40 |
28 |
गुजरात |
25 |
23 |
24 |
32 |
20 |
हरियाणा |
30 |
37 |
33 |
27 |
- |
हिमाचल प्रदेश |
37 |
50 |
43 |
34 |
45 |
जम्मू और कश्मीर |
23 |
27 |
25 |
20 |
19 |
झारखंड |
19 |
19 |
19 |
15 |
14 |
कर्नाटक |
36 |
36 |
36 |
28 |
26 |
केरल |
34 |
49 |
41 |
28 |
29 |
लद्दाख |
8 |
16 |
12 |
42 |
14 |
लक्षद्वीप |
0 |
2 |
1 |
- |
1 |
मध्य प्रदेश |
30 |
28 |
29 |
27 |
18 |
महाराष्ट्र |
37 |
33 |
35 |
36 |
17 |
मणिपुर |
35 |
36 |
35 |
61 |
23 |
मेघालय |
23 |
28 |
25 |
110 |
23 |
मिजोरम |
31 |
33 |
32 |
241 |
33 |
नगालैंड |
17 |
21 |
19 |
- |
19 |
ओड़िशा |
24 |
21 |
22 |
23 |
16 |
पुद्दूचेरी |
61 |
62 |
62 |
43 |
- |
पंजाब |
25 |
30 |
27 |
19 |
- |
राजस्थान |
29 |
28 |
29 |
27 |
28 |
सिक्किम |
35 |
43 |
39 |
43 |
36 |
तमिलनाडु |
47 |
47 |
47 |
39 |
44 |
तेलंगाना |
39 |
42 |
40 |
39 |
38 |
त्रिपुरा |
22 |
20 |
21 |
20 |
16 |
उत्तर प्रदेश |
24 |
24 |
24 |
22 |
39 |
उत्तराखंड |
40 |
44 |
42 |
32 |
42 |
पश्चिम बंगाल |
26 |
27 |
26 |
23 |
15 |
भारत |
28 |
29 |
28 |
26 |
21 |
स्रोत: अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22; पीआरएस।
तालिका 8: राज्यों में उच्च शिक्षा में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात (2021-22)
राज्य/यूटी |
सभी संस्थान |
|
नियमित और दूरस्थ मोड |
नियमित मोड |
|
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
25 |
16 |
आंध्र प्रदेश |
18 |
16 |
अरुणाचल प्रदेश |
28 |
23 |
असम |
28 |
25 |
बिहार |
69 |
64 |
चंडीगढ़ |
30 |
20 |
छत्तीसगढ़ |
27 |
26 |
दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव |
20 |
20 |
दिल्ली |
49 |
21 |
गोवा |
17 |
15 |
गुजरात |
28 |
27 |
हरियाणा |
26 |
22 |
हिमाचल प्रदेश |
29 |
24 |
जम्मू और कश्मीर |
35 |
24 |
झारखंड |
58 |
54 |
कर्नाटक |
16 |
15 |
केरल |
19 |
15 |
लद्दाख |
16 |
16 |
लक्षद्वीप |
9 |
9 |
मध्य प्रदेश |
31 |
30 |
महाराष्ट्र |
27 |
23 |
मणिपुर |
20 |
19 |
मेघालय |
24 |
22 |
मिजोरम |
21 |
17 |
नगालैंड |
20 |
18 |
ओड़िशा |
25 |
23 |
पुद्दूचेरी |
13 |
11 |
पंजाब |
17 |
15 |
राजस्थान |
29 |
26 |
सिक्किम |
22 |
17 |
तमिलनाडु |
16 |
14 |
तेलंगाना |
16 |
14 |
त्रिपुरा |
40 |
36 |
उत्तर प्रदेश |
36 |
35 |
उत्तराखंड |
27 |
22 |
पश्चिम बंगाल |
37 |
29 |
भारत |
26 |
23 |
स्रोत: अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22; पीआरएस।
तालिका 9: शिक्षण परिणामों पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का स्कोर (240 में से) |
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
स्रोत: प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक - राज्य 2020-21; पीआरएस। |
तालिका 10: विद्यार्थी वित्तीय सहायता पर व्यय (करोड़ रुपए में)
ब्याज सबसिडी |
छात्रवृत्ति |
पीएम रिसर्च फेलोशिप |
पीएम-यूएसपी |
कुल |
|
2017-18 |
1,950 |
268 |
- |
- |
2,218 |
2018-19 |
1,575 |
306 |
16 |
- |
1,897 |
2019-20 |
1,675 |
369 |
26 |
- |
2,070 |
2020-21 |
1,477 |
294 |
63 |
- |
1,834 |
2021-22 |
1,385 |
376 |
111 |
- |
1,872 |
2022-23 |
873 |
429 |
300 |
- |
1,603 |
2023-24 (संअ) |
- |
- |
330 |
1,054 |
1,354 |
2024-25 (बअ) |
- |
- |
350 |
1,558 |
1,908 |
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
[1] Entry No. 25, Seventh Schedule, the Constitution of India, https://www.mea.gov.in/Images/pdf1/S7.pdf.
[2] Unified District Information System for School Education 2021-22, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/statistics-new/udise_21_22.pdf.
[3] All India Survey of Higher Education 2021-22, Ministry of Education, https://aishe.gov.in/aishe/viewDocument.action;jsessionid=E4C7F4ECBC1FAFD795DC097403DF746F.n9?documentId=353.
[4] Analysis of Budgeted Expenditure on Education 2018-19 and 2020-21, Ministry of Education, 2022, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/statistics-new/budget_exp.pdf.
[5] “National Education Policy 2020”, Ministry of Education, as accessed on May 27, 2024, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf
[6] Demand No. 25 and 26, Expenditure Budget 2024-25, Ministry of Education, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/allsbe.pdf.
[7] Report No. 31 of 2022, Comptroller Auditor General of India, December 21, 2022, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2022/DSC-Report-No.-31-of-2022_UGFA-English-PDF-A-063a2f3ee1c14a7.01369268.pdf.
[8] “Samagra Shiksha: An integrated scheme for school education”, Ministry of Education, October 12, 2022, https://samagra.education.gov.in/docs/ss_implementation.pdf.
[9] “National Initiative for Proficiency in Reading with and Understanding Numeracy: A National Mission on Foundational Literacy and Numeracy”, Ministry of Education, accessed on May 27, 2024 https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/nipun_bharat_eng1.pdf.
[10] Pradhan Mantri Poshan Shakti Nirman (PM POSHAN) Guidelines, Department of School Education and Literacy, December 21, 2022, https://pmposhan.education.gov.in/Files/Guidelines/2023/Guidelines%20on%20PM%20POSHAN%20SCHEME.pdf.
[11] “PM SHRI schools: Framework on School Transformation – Part 1”, Ministry of Education, accessed on May 27, 2024, https://pmshri.education.gov.in/assets/pdf/part1_pmshri.pdf.
[12] Unstarred Question No 1135, Ministry of Education, Rajya Sabha, December 13, 2023, https://sansad.in/6bdca1d3-9f1a-4d8e-b622-0daa9ab8aff6.
[13] “Human Development Report 2023-24”, United Nations Development Programme, accessed on June 18, 2024, https://hdr.undp.org/system/files/documents/global-report-document/hdr2023-24reporten.pdf.
[14] “Household Social Consumption on Education in India, NSS 75th Round (2017-18)”, Ministry of Statistics and Programme implementation, https://mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Report_585_75th_round_Education_final_1507_0.pdf.
[15] “Cabinet Approves Continuation of Samagra Shiksha Scheme for School Education from 1st April 2021 to 31st March, 2026, Press Information Bureau, August 4, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1742287.
[16] Systematic Transformation of School Education: The SATH-E Experience, NITI Aayog, February 20, 2023, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2023-02/BCG_SATHE_DIGITAL_13112021_0.pdf.
[17] Unstarred Question 1460, Ministry of Education, Rajya Sabha, August 2, 2023, https://sansad.in/getFile/annex/260/AU1460.pdf?source=pqars.
[18] Unstarred Question No. 17, Ministry of Education, Rajya Sabha, December 7, 2022, https://sansad.in/getFile/annex/258/AU17.pdf?source=pqars.
[19] NCTE (Determination of minimum qualifications for recruitment of teachers in schools) Regulations, 2001,
[20] Unstarred No. 471, Ministry of Education, Lok Sabha, July 24, 2024, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1712/AU471.pdf?source=pqals.
[21] Unstarred Question No. 523, Ministry of Education, Rajya Sabha, February 7, 2024, https://sansad.in/cc108102-7f42-44e0-9dcf-ff4520e4154b.
[22] NISHTA Report, National Council for Education Research and Training, accessed on June 18, 2024, https://itpd.ncert.gov.in/mss/nishthadashboard/dashboardprint.php.
[23] “Learning Achievement of Students, Class X (Cycle 2), NAS 2018”, Ministry of Human Resources Development, https://nas.gov.in/assets/front/National-Report-Card-2017.zip.
[24] “National Achievement Survey National Report Card NAS 2021, Class III, V, VIII, &X”, Ministry of Education, https://nas.gov.in/download-national-report.
[25] “Performance Grading Index (PGI) 2.0 – 2021-22: States and Union Territories”, Ministry of Education, accessed on May 28, 2024, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/statistics-new/pgi-s.pdf.
[26] Report No. 349, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, March 23, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/167/349_2023_3_16.pdf?source=rajyasabha.
[27] “Performance Grading Index for Districts of India – Combined report for 2020-21 and 2021-22”, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/statistics-new/pgi-d.pdf.
[28] “Pradhan Mantri Ucchatar Shiksha Protsahan (Pm-USP) Yojana “, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/upload_document/pmusp_stu.pdf.
[29] “Prime Minister’s Special Scholarship Scheme”, Ministry of Education, https://www.indiascienceandtechnology.gov.in/nurturing-minds/scholarships/graduation/prime-ministers-special-scholarship-scheme-pmsss-jk#:~:text=Eligibility%3A%20Students%20having%20domicile%20of,5000%20fellowships%20are%20given%20yearwise.
[30] Report no. 337, Standing Committee on Education, Women, Children and Youth and Sports, Ministry of Education, Rajya Sabha, March 16, 2022, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/337_2022_3_15.pdf?source=rajyasabha.
[31] “Criteria and Weightages”, National Assessment and Accreditation Council, as accessed on May 31, 2024, NAAC - Assessment & Accreditation.
[32] “Statistics”, National Assessment and Accredition Council, accessed on June 3, 2024, http://naac.gov.in/index.php/en/menu/graphs.
[33] “What we Finance”, Higher Education Financing Agency (HEFA), accessed on May 31, 2024, https://hefa.co.in/apply-for-loan/#Whom-we-finance.
[34] “About us”, Higher Education Financing Agency (HEFA), accessed on May 31, 2024, https://hefa.co.in/about-us/#Our-Objectives.
[35] Report No. 1 (Compliance Audit Report for the year Ended March 2021), Comptroller Auditor General, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2022/CHAPTER%20II-0623db7f11f7050.77577112.pdf.
[36] Report No. 348, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, March 28, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/167/348_2023_3_16.pdf?source=rajyasabha.
[37] Graduate Medical Education Regulations, 1997, https://www.nmc.org.in/wp-content/uploads/2017/10/GME_REGULATIONS-1.pdf.
[38] Post Graduate Medical Education Regulations, 2000, https://www.nmc.org.in/wp-content/uploads/2019/12/Postgraduate-Medical-Education-Regulations-2000.pdf.
[39] BDS Course Regulations, 2007, https://dciindia.gov.in/Rule_Regulation/Revised_BDS_Course_Regulation_2007.pdf.
[40] Unstarred Question No.1467, Rajya Sabha, Ministry of Education, August 2, 2023, https://sansad.in/23fe7e29-f5c1-430e-97d8-55bfb004db3d.
[41] “National Eligibility 'Test (NIIT) as an Entrance Test for Admission to Ph.D.”, University Grants Commission, March 28, 2024, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/6669193_Letter-NET-for-Admission-to-PhD.pdf.
[42] “About NTA”, National Testing Agency, accessed on July 28, 2024, https://www.nta.ac.in/about.
[43] “Report of the High Level Committee to study the impact of NEET on Medical Admissions in Tamil Nadu”, Ministry of Health and Family Welfare, Government of Tamil Nadu 2021, accessed on July 29, 2024, https://tnhealth.tn.gov.in/online_notification/notification/N21092966.pdf.
[44] Transferred Case (civil) 98. of 2012, Christian Medical College Vellore and ors vs. Union of India and ors, Supreme Court, July 18, 2013, https://www.sci.gov.in/free-text-judgements/.
[45] “Employment by Education Level”, Organisation of Economic Cooperation and Development, as accessed on May 31, 2024, https://www.oecd-ilibrary.org/docserver/e13bef63-en.pdf?expires=1722345311&id=id&accname=guest&checksum=BD42D41FBD35325DB25E88DFC2358832.
[46] “India Employment Report 2024: Youth employment, education and skills”, International Labour Organisation, https://www.ilo.org/sites/default/files/wcmsp5/groups/public/@asia/@ro-bangkok/@sro-new_delhi/documents/publication/wcms_921154.pdf.
[47] “Indian Economy: A Review”, Department of Economic Affairs, January 29, 2024, https://dea.gov.in/sites/default/files/The%20Indian%20Economy%20-%20A%20Review_Jan%202024.pdf.
[48] “ Guidelines on Sustainable and Vibrant University-Industry Linkage System”, University Grants Commission, January 10, 2024, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4915310_Sustainable-and-Vibrant-University-Industry-Linkage-System.pdf.
[49] “Guidelines for Internship/Research Internship for Under Graduate Students”, University Grants Commission, February 2, 2024, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/2051511_Internship-Research-Internship-Guidelines.pdf.
[50] Budget Speech 2024-25, Ministry of Finance, July 23, 2024, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf.
[51] Research and Development Statistic at a glance 2022-23, Ministry of Science and Technology, https://dst.gov.in/sites/default/files/R%26D%20Statistics%20at%20a%20Glance%2C%202022-23.pdf.
[52] “Main Science and Technology Indicators Database”, Organisation of Economic Co-operation and Development, accessed on July 31, 2024, https://data-explorer.oecd.org/vis?df[ds]=dsDisseminateFinalDMZ&df[id]=DSD_MSTI%40DF_MSTI&df[ag]=OECD.STI.STP&vw=tb&dq=.A.G%2BT_RS...&lom=LASTNPERIODS&lo=5&to[TIME_PERIOD]=false.
[53] Chapter 8: Transforming Science and Technology in India, Economic Survey of India 2017-18, Ministry of Finance, https://www.indiabudget.gov.in/budget2018-2019/economicsurvey2017-2018/pdf/119-130_Chapter_08_ENGLISH_Vol_01_2017-18.pdf.
[54] The Anusandhan National Research Foundation Act, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Anusandhan%20National%20Research%20Foundation%20Act,%202023.pdf.
[55] Parliament passes the Anusandhan National Research Foundation (NRF) Bill, 2023 with the Rajya Sabha adopting the Bill by a voice vote, Department of Science and Technology, Ministry of Science and Technology, as last accessed on July 26, 2024, https://dst.gov.in/parliament-passes-anusandhan-national-research-foundation-nrf-bill-2023-rajya-sabha-adopting-bill.
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