बजट की मुख्य झलकियां
- व्यय: 2020-21 में सरकार ने 30,42,230 करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव रखा है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7% अधिक है।
- प्राप्तियां: विनिवेश से अधिक अनुमानित राजस्व के कारण प्राप्तियों (शुद्ध उधारियों के अतिरिक्त) के 16.3% बढ़कर 22,45,893 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- जीडीपी का विकास: 2020-21 में सरकार ने 10% की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर (यानी वास्तविक वृद्धि जमा मुद्रास्फीति) का अनुमान लगाया है। 2019-20 में यह अनुमान 12% था।
- घाटे: राजस्व घाटा जीडीपी के 2.7% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 2.4% के संशोधित अनुमान से अधिक है। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 3.8% के संशोधित अनुमान से कम है। उल्लेखनीय है कि सरकार का 2019-20 में राजकोषीय घाटे (3.3%) और 2020-21 में मध्यम अवधि के 3% के लक्ष्य से आगे निकलने का अनुमान है। इसमें ऑफ बजट उधारियां शामिल नहीं हैं (2020-21 में जीडीपी का 0.9%)।
- मंत्रालयों का आबंटन: जिन 13 मंत्रालयों को सबसे अधिक आबंटन किया गया है, उनमें संचार मंत्रालय (129%) और इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (30%) और गृह मंत्रालय (20%) के आबंटनों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
फाइनांस बिल में टैक्स प्रस्ताव
टैक्स कानूनों में परिवर्तन के अतिरिक्त फाइनांस बिल, 2020 में बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988 में कुछ गैर कर परिवर्तनों को भी प्रस्तावित किया गया है।
- इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन: इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन किया गया है। तालिका 1 में मौजूदों टैक्स दरों की तुलना प्रस्तावित टैक्स दरों से की गई है। उल्लेखनीय है कि नई व्यक्तिगत टैक्स दरें वैकल्पिक हैं और अगर व्यक्ति कुछ शर्तों को पूरा करता है तो वह उनका लाभ उठा सकता है, जैसे अगर वह कुछ छूटों या कटौतियों का लाभ नहीं उठाता। इनमें सामान्य कटौतियां, अवकाश यात्रा भत्ता, घर किराया भत्ता, होम लोन पर ब्याज भुगतान और अध्याय VI-ए के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (प्रॉविडेंट फंड में निवेश, बीमा प्रीमियम, धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा, इत्यादि) शामिल हैं। एक बार इस विकल्प का इस्तेमाल करने पर बाद के वर्षों में यही लागू होगा।
आय |
मौजूदा टैक्स दर |
प्रस्तावित टैक्स दर |
5 लाख रुपए तक |
शून्य |
शून्य |
5 लाख रुपए और 7.5 लाख रुपए के बीच |
20% |
10% |
7.5 लाख रुपए और 10 लाख रुपए के बीच |
15% |
|
10 लाख रुपए और 12.5 लाख रुपए के बीच |
30% |
20% |
12.5 लाख रुपए और 15 लाख रुपए के बीच |
25% |
|
15 लाख रुपए से अधिक |
30% |
- निम्न टैक्स दरों का विकल्प: हाल ही में इनकम टैक्स एक्ट ने घरेलू कंपनियों को यह विकल्प दिया है कि अगर वे कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 22% की टैक्स दरों का लाभ उठा सकती हैं। कुछ और कटौतियों को शामिल करने के लिए इस सूची को बढ़ाया गया है, जैसे सेक्शन 80जी के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा)। इसके अतिरिक्त सहकारी संस्थाओं को भी यह सुविधा प्रदान की गई है।
- कॉरपोरेट्स को लाभ: वर्तमान में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के पास यह विकल्प है कि अगर वे एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 15% की दर पर इनकम टैक्स चुका सकती हैं। अब बिजली उत्पादन में लगी घरेलू कंपनियों को भी यह लाभ मिलेगा।
- लाभांश वितरण टैक्स: वर्तमान में कंपनियों को अपने शेयरहोल्डर्स को दिए जाने वाले लाभांश पर 15% की दर पर टैक्स चुकाना होता है। इसे हटा दिया गया है और अब लाभांश आय पर प्राप्तकर्ताओं को टैक्स चुकाना होगा।
- सामाजिक सुरक्षा अंशदान के लिए कटौतियों की सीमा: वर्तमान में मान्यता प्राप्त प्रॉविडेंट फंड, एक स्वीकृत सुपरनुएशन फंड और राष्ट्रीय पेंशन योजना में नियोक्ता द्वारा दिए गए अंशदान की राशि पर कटौतियों की कोई संयुक्त सीमा नहीं है। अब कटौतियों पर 7.5 लाख रुपए की संयुक्त सीमा तय की गई है जिसका इन अंशदानों के लिए दावा किया जा सकता है।
- भारत में निवास: इनकम टैक्स, 1961 में भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति के निवास के स्थान को निर्धारित करने वाली विभिन्न शर्तों को निर्दिष्ट किया गया है। एक व्यक्ति को निवासी माना जाएगा, अगर भारत में उसकी ग्लोबल इनकम कर योग्य है और अगर वह भारत में 182 दिनों से अधिक समय से है। अब इस समय सीमा को घटाकर 120 दिन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त कोई भी भारतीय नागरिक जो अधिवास या निवास के कारण किसी अन्य देश या क्षेत्र में टैक्स के लिए दायी नहीं है तो उसे भारत का निवासी माना जाएगा।
- ई-कॉमर्स लेनदेन पर टीडीएस: ई-कॉमर्स लेनदेन पर 1% टीडीएस वसूला जाएगा।
- हाउसिंग इनसेंटिव: वर्तमान में अगर सस्ते मकानों वाले प्रॉजेक्ट्स को 31 मार्च, 2020 तक मंजूर कर लिया गया है तो उनके निर्माण से होने वाले लाभों पर छूट दी जाती है। इसके अतिरिक्त अगर 31 मार्च, 2020 तक लोन मंजूर कर लिया गया है तो अपने कब्जे वाले मकान के मालिकों को लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1,50,000 रुपए की अतिरिक्त टैक्स कटौती प्रदान की गई है। दोनों मामलों में यह समय सीमा 31 मार्च, 2021 कर दी गई है।
- स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स में बदलाव: अगर स्टार्ट-अप्स को 1 अप्रैल, 2016 और 31 मार्च, 2021 के बीच निगमित किया गया है और अगर उनका टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से अधिक का नहीं है तो वे सात वर्षों में से लगातार तीन वर्षों के लाभ पर पूर्ण कर छूट का लाभ ले सकते हैं। अब इस समयावधि को सात से दस वर्ष कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त टर्नओवर की सीमा भी 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई है।
- इसके अतिरिक्त स्टार्ट-अप्स के कर्मचारियों को अपने ईएसओपीज़ (स्टॉक ऑप्शन) पर टैक्स चुकाना होता है। अब वे (i) आकलन वर्ष के अंत से 4 वर्ष खत्म होने तक, (ii) ऑप्शन की बिक्री पर, या (iii) कर्मचारी के कंपनी छोड़ने तक, इनमें से जो भी पहले हो, टैक्स के भुगतान को स्थगित कर सकते हैं।
- एक्साइज: कुछ तंबाकू उत्पादों, जैसे सिगरेट, च्युइंग टोबैको और टोबैको एक्सट्रैक्ट पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी को बढ़ा दिया गया है। उदाहरण के लिए च्युइंग टोबैको पर ड्यूटी की दर प्रति किलो पर 10% से बढ़ाकर 25% कर दी गई है। इसके अतिरिक्त कच्चे पेट्रोलियम को 50 रुपए प्रति टन की ड्यूटी के दर के साथ शामिल किया गया है।
- कस्टम्स: कुछ वस्तुओं, जैसे टेबलवेयर और किचनवेयर, फुटवियर, पंखों और खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है।
- कस्टम्स पर हेल्थ सेस: कुछ मेडिकल उपकरणों पर हेल्थ सेस वसूला जाएगा (कस्टम ड्यूटी के अतिरिक्त), जैसे भारत में आयात होने वाली एक्स-रे मशीनें। इस सेस को स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के वित्त पोषण पर खर्च किया जाएगा।
- धर्मार्थ संस्थाओं को चंदों पर बाध्यताएं: धर्मार्थ संस्थाओं को सेक्शन 12एए के अंतर्गत कर से छूट मिलती है और उन्हें मिलने वाले चंदों को सेक्शन 10(23सी), 35 और 80जी के अंतर्गत छूट मिलती है। अब इन सेक्संश के अंतर्गत मंजूरियां अधिकतम पांच वर्षों के लिए वैध होंगी। मंजूरी प्राप्त संस्थाओं को इन्हें दोबारा से जारी करना होगा।
- कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स: वर्तमान में कमोडिटी डेरेवेटिव्स पर 0.01% का कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लगता है। बिल तीन टैक्स दरों की रचना करता है: (i) मूल्यों या मूल्य सूचकांक के आधार पर कमोडिटी डेरेवेटिव्स की बिक्री पर विक्रेता द्वारा 0.01% देय, (ii) ऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.0001% देय, जिसका परिणाम माल की डिलिवरी में हो, और (iii) ऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.125% देय, जिसका परिणाम नकद भुगतान हो।
- भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1899: स्टाक एक्सचेंज और विशेष आर्थिक जोन्स एक्ट, 2005 के अंतर्गत स्थापित अंतरराष्ट्रीय फाइनांशियल सेंटर्स में स्थापित स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी में लेनदेन के मामले में स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।
- सोवरिन वेल्थ फंड्स: अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी द्वारा किए गए निवेश और कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रों में अन्य अधिसूचित सोवरिन वेल्थ फंड्स से होने वाली आय को टैक्स से छूट दी जाएगी। अगर निवेश 31 मार्च, 2024 से पहले किया गया था और तीन साल की न्यूनतम लॉक-इन अवधि है तो यह छूट उपलब्ध है।
- बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988: एक्ट बेनामी संपत्तियों से संबंधित मुद्दों पर एक एड्जूडिकेटिंग अथॉरिटी की स्थापना करता है। अथॉरिटी के चेयरपर्सन और सदस्यों की योग्यता यह है कि वे: (i) इनकम टैक्स कमीश्नर या उसके बराबर के पद वाले भारतीय राजस्व सेवा के सदस्य होने चाहिए, या (ii) ज्वाइंट सेक्रेटरी या उसके बराबर के पद वाले भारतीय विधि सेवा के सदस्य होने चाहिए। बिल कहता है कि जिला न्यायाधीश के पद के लिए योग्य व्यक्ति भी चेयरपर्सन या अथॉरिटी का सदस्य हो सकता है।
- कुछ भत्तों पर टैक्स छूट को हटाना: केंद्रीय लोक सेवा आयोग या निर्वाचन आयोग के मौजूदा या पूर्व सदस्यों को कुछ सुविधाओं, जैसे किराया मुक्त आवास, वाहन भत्ता और मेडिकल सुविधाओं पर टैक्स की छूट है। इस छूट को हटा दिया गया है।
नीतियों की झलक
- विधायी परिवर्तन: बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 को सहकारी बैंकों के बेहतर प्रशासन के लिए संशोधित किया जाएगा। सरफेसी एक्ट, 2002 के अंतर्गत ऋण रिकवरी के लिए पात्र एनबीएफसीज़ की सीमा को कम किया जाएगा। एसेट साइज को 500 करोड़ से घटाकर 100 करोड़ किया जाएगा और लोन साइज को एक करोड़ रुपए से 50 लाख रुपए कर दिया जाएगा। डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन को जमाकर्ता के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाने की अनुमति दी गई है जोकि अब प्रति डिपॉजिटर एक लाख रुपए की बजाय पांच लाख रुपए होगा। फैक्टर रेगुलेशन एक्ट, 2011 को संशोधित किया जाएगा ताकि एनबीएफसीज़ एमएसएमईज़ का वित्त पोषण कर सकें। पीएफआरडीएआई के लिए सरकार कर्मचारियों हेतु एनपीएस ट्रस्ट को अलग करने के लिए पीएफआरडीएआई एक्ट में संशोधन किया जाएगा। जिन मामलों में दीवानी कृत्यों को आपराधिक नतीजों का सामना करना पड़ता हैं, उनसे संबंधित कानूनों की जांच की जाएगी और उनमें संशोधन किए जाएंगे। कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1872 को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत किया जाएगा कि कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जाएं।
- जीएसटी मुआवजा: 2016-17 और 2017-18 के लिए जीएसटी मुआवजा दो किस्तों में चुकाया जाएगा। अब से जीएसटी मुआवजा फंड का ट्रांसफर केवल मुआवजा सेस के जरिए किया जाएगा।
- विनिवेश: सरकार इनीशियल पब्लिक ऑफर के जरिए एलआईसी में अपनी होल्डिंग्स का एक हिस्सा बेचेगी। सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी होल्डिंग के बैलेंस को बेचने की भी योजना बना रही है।
- निवेश: अनिवासी निवेशकों के लिए सरकारी सिक्योरिटीज़ की कुछ निर्दिष्ट श्रेणियां पूरी तरह से खोली जाएंगी। कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की सीमा को कॉरपोरेट बॉन्ड के बकाया स्टॉक के 9% से 15% तक बढ़ाया जाएगा। इसमें एक इनवेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है जोकि एंड टू एंड सुविधा और समर्थन प्रदान करेगा जैसे केंद्रीय और राज्य स्तर पर निवेश पूर्व सलाह देना।
- कॉमर्स और उद्योग: मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना प्रस्तावित की गई है। राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन को 2020-21 से 2023-24 तक 1,480 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। निर्यात उत्पादों पर ड्यूटीज़ और करों के रिफंड के लिए एक योजना शुरू की जाएगी जिन्हें किसी अन्य मौजूदा तंत्र के अंतर्गत छूट नहीं मिल रही।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास: सरकार राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के अंतर्गत 6,500 प्रॉजेक्ट्स तैयार करेगी। इन प्रॉजेक्ट्स में हाउसिंग, साफ पेज जल और स्वास्थ्य देखभाल इत्यादि शामिल हैX। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को जारी किया जाएगा जोकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और मुख्य रेगुलेटर्स की भूमिकाओं को स्पष्ट करेगा। इसके अतिरिक्त वह सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट तैयार करेगा। राज्यों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए पांच नए स्मार्ट शहरों को विकसित किया जाएगा।
- परिवहन और ऊर्जा: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए चार रेलवे स्टेशनों का पुर्नविकास प्रॉजेक्ट शुरू किया जाएगा और 150 यात्री गाड़ियों को परिचालित किया जाएगा। सरकार राज्यों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगी कि वे 2023 तक बिजली के परंपरागत मीटरों के जरिये प्रीपेड स्मार्ट मीटरों का इस्तेमाल करें। राष्ट्रीय गैस ग्रिड को 16,200 किमी से बढ़ाकर 27,000 किमी करने का प्रस्ताव है।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियां: सरकार 20 लाख किसानों को स्टैंड एलोन सोलर पंप लगाने में मदद करने हेतु प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना का विस्तार करेगी। ब्लॉक स्तर पर गोदामों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग की जाएगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के सभी पात्र लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। सरकार पानी की कमी वाले 100 जिलों के लिए व्यापक उपायों का प्रस्ताव रखेगी।
- तकनीक: डेटा सेंटर पार्क बनाने हेतु निजी क्षेत्र को सक्षम करने के लिए एक नीति पेश की जाएगी। भारतनेट के माध्यम से फाइबर टू द होम कनेक्शंस 2020 में एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ेंगे। आधिकारिक स्टैटिस्टिक्स पर एक नई राष्ट्रीय नीति प्रस्तावित की गई है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा। पांच वर्षों की अवधि में राष्ट्रीय मिशन के लिए क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन पर 8,000 करोड़ रुपए का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है।
- शिक्षा: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। शिक्षा के लिए बाहरी वाणिज्यिक उधार और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के स्रोतों को सक्षम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। डिग्री स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम उन संस्थानों द्वारा शुरू किया जाएगा जो राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे में शीर्ष 100 में शामिल हैं।
- स्वास्थ्य: जनऔषधि केंद्र योजना का विस्तार सभी जिलों में किया जाएगा और 2024 तक 2,000 दवाओं और 300 सर्जिकल्स की पेशकश की जाएगी। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए अस्पतालों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग विंडो को प्रस्तावित किया गया है।
- सामाजिक न्याय: यह सुनिश्चित करने के लिए विधायी और संस्थागत परिवर्तन किए जाएंगे कि सीवेज सिस्टम्स या सैप्टिक टैंक्स की मैनुअल सफाई नहीं की जाएगी। महिला कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
- राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी: सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर गैजेटेड पदों पर भर्तियों के लिए राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई जाएगी।
2019-2020 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 के बजट अनुमान
|
तालिका 1: बजट 2020-21 एक नजर में (रुपए करोड़ में)
|
वास्तविक |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय |
परिवर्तन का % |
राजस्व व्यय |
20,07,399 |
24,47,780 |
23,49,645 |
26,30,145 |
11.9% |
पूंजीगत व्यय |
3,07,714 |
3,38,569 |
3,48,907 |
4,12,085 |
18.1% |
कुल व्यय |
23,15,113 |
27,86,349 |
26,98,552 |
30,42,230 |
12.7% |
राजस्व प्राप्तियां |
15,52,916 |
19,62,761 |
18,50,101 |
20,20,926 |
9.2% |
पूंजीगत प्राप्तियां |
1,12,779 |
1,19,828 |
81,605 |
2,24,967 |
175.7% |
इनमें से: |
|
|
|
|
|
लोन्स की रिकवरी |
18,052 |
14,828 |
16,605 |
14,967 |
-9.9% |
अन्य प्राप्तियां (विनिवेश सहित) |
94,727 |
1,05,000 |
65,000 |
2,10,000 |
223.1% |
कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) |
16,65,695 |
20,82,589 |
19,31,706 |
22,45,893 |
16.3% |
राजस्व घाटा |
4,54,483 |
4,85,019 |
4,99,544 |
6,09,219 |
22.0% |
जीडीपी का % |
2.4 |
2.3 |
2.4 |
2.7 |
|
राजकोषीय घाटा |
6,49,418 |
7,03,760 |
7,66,846 |
7,96,337 |
3.8% |
जीडीपी का % |
3.4 |
3.3 |
3.8 |
3.5 |
|
प्राथमिक घाटा |
66,770 |
43,289 |
1,41,741 |
88,134 |
-37.8% |
जीडीपी का % |
0.4 |
0.2 |
0.7 |
0.4 |
|
नोट: प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में घोषित किए गए बजटीय आबंटनों को बजटीय अनुमान कहा जाता है। वित्तीय वर्ष के अंत में प्राप्तियों और व्यय की अनुमानित राशि को संशोधित अनुमान कहा जाता है।
वास्तविक राशियां वर्ष में व्यय और प्राप्तियों के ऑडिट किए हुए एकाउंट्स होते हैं।
Sources: Budget at a Glance, Union Budget Documents 2020-21; PRS.
Note: Figures for 2019-20 are revised estimates.
Sources: Receipts Budget, Union Budget Documents 2020-21; PRS.
- सरकार के एसेट्स और देनदारियों (जैसे सड़क का निर्माण या लोन की रिकवरी) में बदलाव करने वाले व्यय को पूंजीगत व्यय कहते हैं और अन्य सभी व्यय राजस्व व्यय होते हैं (जैसे वेतन का भुगतान या ब्याज भुगतान)।
- 2020-21 में पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में पूंजीगत व्यय में 18.1% की वृदधि का अनुमान है जोकि 4,12,085 करोड़ रुपए है। दूसरी ओर राजस्व व्यय में भी 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 11.9% की बढ़ोतरी का अनुमान है, जोकि 26,30,145 करोड़ रुपए है।
- 2010-11 से 2020-21 के बीच पूंजीगत व्यय में 10.2% की वार्षिक औसत वृद्धि हुई, जबकि राजस्व व्यय में 9.7% की वार्षिक औसत वृद्धि हुई।
- सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयूज़) में अपनी हिस्सेदारी को बेचने को विनिवेश कहा जाता है। 2019-20 में सरकार द्वारा अपने विनिवेश के 62% लक्ष्य को हासिल करने का अनुमान है। 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
2020-21 में प्राप्तियों की झलक
|
तालिका 2: 2020-21 में केंद्र सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
|
वास्तविक |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय |
परिवर्तन का % |
सकल कर राजस्व |
20,80,465 |
24,61,195 |
21,63,423 |
24,23,020 |
12.0% |
जिसमें से: |
|
|
|
|
|
कॉरपोरेशन टैक्स |
6,63,572 |
7,66,000 |
6,10,500 |
6,81,000 |
11.5% |
इनकम टैक्स |
4,73,003 |
5,69,000 |
5,59,500 |
6,38,000 |
14.0% |
वस्तु एवं सेवा कर |
5,81,560 |
6,63,343 |
6,12,327 |
6,90,500 |
12.8% |
कस्टम्स |
1,17,813 |
1,55,904 |
1,25,000 |
1,38,000 |
10.4% |
यूनियन एक्साइज ड्यूटीज़ |
2,31,982 |
3,00,000 |
2,48,012 |
2,67,000 |
7.7% |
सर्विस टैक्स |
6,904 |
- |
1,200 |
1,020 |
- |
क. केंद्र का शुद्ध कर राजस्व |
13,17,211 |
16,49,582 |
15,04,587 |
16,35,909 |
-0.8% |
राज्यों को हस्तांतरण |
7,61,454 |
8,09,133 |
6,56,046 |
7,84,181 |
19.5% |
ख. गैर कर राजस्व |
2,35,704 |
3,13,179 |
3,45,513 |
3,85,017 |
11.4% |
जिसमें से: |
|
|
|
|
|
ब्याज प्राप्तियां |
12,145 |
13,711 |
11,027 |
11,042 |
0.1% |
लाभांश और लाभ |
1,13,420 |
1,63,528 |
1,99,893 |
1,55,395 |
-22.3% |
अन्य गैर कर राजस्व |
1,10,139 |
1,35,940 |
1,34,593 |
2,18,580 |
62.4% |
ग. पूंजीगत प्राप्तियां (उधारियों के बिना) |
1,12,779 |
1,19,828 |
81,605 |
2,24,967 |
175.7% |
जिसमें से: |
|
|
|
|
|
विनिवेश |
94,727 |
1,05,000 |
65,000 |
2,10,000 |
223.1% |
प्राप्तियां (उधारियों के बिना) (ए+बी+सी) |
16,65,694 |
20,82,589 |
19,31,705 |
22,45,893 |
16.3% |
उधारियां |
6,49,418 |
7,03,760 |
7,66,846 |
7,96,337 |
3.8% |
कुल प्राप्तियां (उधारियों के साथ) |
23,15,113 |
27,86,349 |
26,98,552 |
30,42,230 |
12.7% |
Sources: Receipts Budget, Union Budget Documents 2020-21; PRS.
- अप्रत्यक्ष कर: 2020-21 में 10,96,520 करोड़ रुपए का कुल अप्रत्यक्ष कर जमा होने का अनुमान है। इसमें से सरकार को जीएसटी से 6,90,500 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। जीएसटी के अंतर्गत जमा किए गए कुल करों में से 84% (5,80,000 करोड़ रुपए) केंद्रीय जीएसटी और 16% (1,10,500 करोड़ रुपए) मुआवजा सेस से प्राप्त होने की उम्मीद है।
- कॉरपोरेशन टैक्स: कंपनियों पर टैक्सों के कलेक्शन के 2020-21 में 11.5% बढ़कर 6,81,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। 2019-20 के संशोधित अनुमान संकेत देते हैं कि 2019-20 के बजट अनुमानों से कॉरपोरेशन टैक्स में 20.3% की कमी हो सकती है। इस कमी का कारण यह हो सकता है कि वित्तीय वर्ष के दौरान कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई थी।
- इनकम टैक्स: इनकम टैक्स के कलेक्शन के 2020-21 में 14% बढ़कर 6,38,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। टैक्स दरों में कटौती के बावजूद 14% की वृद्धि हुई है। यानी टैक्स की दरों में कमी के कारण 40,000 करोड़ रुपए के राजस्व के न जुड़ने के बावजूद इनकम टैक्स के 21% की दर से बढ़ने का अनुमान है।
- गैर कर प्राप्तियां: गैर कर प्राप्तियों में केंद्र द्वारा दिए गए ऋणों पर ब्याज, लाभांश और लाभ, बाहरी अनुदान और सामान्य, आर्थिक, सामाजिक सेवाओं इत्यादि से मिलने वाली प्राप्तियां शामिल होती हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में गैर कर राजस्व में 11.4% की वृद्धि का अनुमान है (3,85,017 करोड़ रुपए)।
- विनिवेश के लक्ष्य: 2020-21 का विनिवेश लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए है। यह लक्ष्य 2019-20 के संशोधित अनुमान से 223.1% अधिक है (65,000 करोड़ रुपए)।
2020-21 में व्यय की झलक
|
तालिका 3: 2020-21 में केंद्र सरकार के व्यय का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
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वास्तविक 2018-19 |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय |
परिवर्तन का % |
केंद्रीय व्यय |
|
||||
केंद्र का इस्टैबलिशमेंट व्यय |
5,21,247 |
5,46,296 |
5,67,133 |
6,09,585 |
7.5% |
केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं |
6,38,495 |
8,70,794 |
7,73,196 |
8,31,825 |
7.6% |
अन्य व्यय |
6,77,403 |
7,72,129 |
7,41,553 |
8,87,574 |
19.7% |
केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं और अन्य हस्तांतरण |
|
|
|
|
|
केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं |
2,96,029 |
3,31,610 |
3,16,816 |
3,39,894 |
7.3% |
वित्त आयोग के अनुदान |
93,704 |
1,20,466 |
1,23,710 |
1,49,925 |
21.2% |
जिनमें से: |
|
|
|
|
|
ग्रामीण स्थानीय निकाय |
35,064 |
52,558 |
58,616 |
69,925 |
19.3% |
शहरी स्थानीय निकाय |
14,400 |
23,359 |
25,843 |
30,000 |
16.1% |
सहायतानुदान |
9,658 |
10,344 |
10,938 |
20,000 |
82.9% |
वितरण के बाद राजस्व घाटा अनुदान |
34,582 |
34,206 |
28,314 |
30,000 |
6.0% |
अन्य अनुदान |
88,235 |
1,45,054 |
1,76,144 |
2,23,427 |
26.8% |
कुल व्यय |
23,15,113 |
27,86,349 |
26,98,552 |
30,42,230 |
12.7% |
Sources: Budget at a Glance, Union Budget Documents 2020-21; PRS.
सब्सिडी पर व्यय
2020-21 में सब्सिडी पर कुल खर्च घटकर 2,62,109 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 0.5% कम है। इसका कारण उर्वरक सब्सिडी पर होने वाले व्यय में गिरावट है। विवरण निम्नलिखित है:
- खाद्य सब्सिडी: 2020-21 में खाद्य सब्सिडी के लिए 1,15,570 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 6.3% अधिक है। 2019-20 के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 1,84,220 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे, हालांकि संशोधित अनुमान, बजट अनुमान से 1,08,688 करोड़ रुपए कम थे। इसका कारण 2019-20 के बजट चरण से संशोधित चरण में खाद्य सब्सिडी के आबंटन में 41% की कटौती है (75,532 करोड़ रुपए की राशि)।
- उर्वरक सब्सिडी: 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी पर 71,309 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 8,689 करोड़ रुपए की गिरावट है (10.9%)।
- पेट्रोलियम पर सब्सिडी: 2020-21 में पेट्रोलियम सब्सिडी पर होने वाले व्यय में 40,915 करोड़ रुपए की वृद्धि (6.1%) का अनुमान है। पेट्रोलियम सब्सिडी में एलपीजी (37,256 करोड़ रुपए) और केरोसिन (3,659 करोड़ रुपए), दोनों पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है। 2020-21 में पिछले वर्ष के मुकाबले एलपीजी सब्सिडी में 3,170 करोड़ रुपए की वृद्धि का अनुमान है, केरोसिन सब्सिडी में 824 करोड़ रुपए की गिरावट का अनुमान है।
- अन्य सब्सिडीज़: अन्य सब्सिडीज़ पर किए जाने व्यय में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए ब्याज सब्सिडी, कृषि पैदावार के लिए मूल्य समर्थन योजना और खरीद के लिए राज्य स्तरीय एजेंसियों को सहायता इत्यादि शामिल हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 में अन्य सब्सिडीज़ पर व्यय में 1,987 करोड़ रुपए की गिरावट (5.5%) हुई। तालिका 4 में 2020-21 की सब्सिडीज़ का विवरण दिया गया है।
तालिका 4: 2020-21 में सब्सिडी (करोड़ रुपए में)
|
वास्तविक |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय 2020-21 |
परिवर्तन का % |
खाद्य सब्सिडी |
1,01,327 |
1,84,220 |
1,08,688 |
1,15,570 |
6.3% |
उर्वरक सब्सिडी |
70,605 |
79,996 |
79,998 |
71,309 |
-10.9% |
पेट्रोलियम सब्सिडी |
24,837 |
37,478 |
38,569 |
40,915 |
6.1% |
अन्य सब्सिडी |
26,185 |
36,460 |
36,302 |
34,315 |
-5.5% |
कुल |
2,22,954 |
3,38,154 |
2,63,557 |
2,62,109 |
-0.5% |
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
मंत्रालयों के व्यय
2019-20 में जिन 13 मंत्रालयों को सबसे अधिक आबंटन किए गए, उसकी राशि कुल अनुमानित व्यय का 53% है। इनमें से रक्षा मंत्रालय को सबसे अधिक 4,71,378 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई। यह केंद्र सरकार के कुल बजटीय व्यय का 15% है। अन्य मंत्रालय, जिन्हें सबसे अधिक आबंटन किए गए, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गृह मामले, (ii) कृषि एवं किसान कल्याण, (iii) उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, और (iv) ग्रामीण विकास।तालिका 5 में 2020-21 में सर्वाधिक आबंटन वाले 13 मंत्रालयों का विवरण दिया गया है। साथ ही 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में आबंटनों में परिवर्तन को भी प्रदर्शित किया गया है।
तालिका 5: 2020-21 में मंत्रालय पर व्यय (करोड़ रुपए में)
|
वास्तविक |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय 2020-21 |
परिवर्तन का % |
रक्षा |
4,03,457 |
4,31,011 |
4,48,820 |
4,71,378 |
5.0% |
गृह मामले |
1,12,189 |
1,19,025 |
1,39,108 |
1,67,250 |
20.2% |
कृषि एवं किसान कल्याण |
53,620 |
1,38,564 |
1,09,750 |
1,42,762 |
30.1% |
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण |
1,08,848 |
1,94,513 |
1,17,290 |
1,24,535 |
6.2% |
ग्रामीण विकास |
1,13,706 |
1,19,874 |
1,24,549 |
1,22,398 |
-1.7% |
मानव संसाधन विकास |
80,345 |
94,854 |
94,854 |
99,312 |
4.7% |
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग |
77,301 |
83,016 |
83,016 |
91,823 |
10.6% |
संचार |
35,395 |
38,637 |
35,749 |
81,957 |
129.3% |
रेलवे |
54,913 |
68,019 |
69,967 |
72,216 |
3.2% |
रसायन एवं उर्वरक |
71,414 |
80,534 |
80,968 |
71,897 |
-11.2% |
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
54,682 |
64,559 |
64,609 |
67,112 |
3.9% |
आवास एवं शहरी मामले |
40,612 |
48,032 |
42,267 |
50,040 |
18.4% |
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस |
32,371 |
42,901 |
42,901 |
42,901 |
0.0% |
अन्य मंत्रालय |
10,76,261 |
12,62,809 |
12,44,703 |
14,36,648 |
13.8% |
कुल व्यय |
23,15,113 |
27,86,349 |
26,98,552 |
30,42,230 |
12.7% |
Note: Expenditure is net of recoveries such as fines, and ticket sales.
Sources: Expenditure Budget, Union Budget 2020-21; PRS.
- गृह मामलों का मंत्रालय: 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 में गृह मामलों के मंत्रालय का आबंटन 28,142 करोड़ रुपए बढ़ गया है (20.2%)। यह मुख्य रूप से मंत्रालय द्वारा नए गठित जम्मू एवं कश्मीर (30,757 करोड़ रुपए) तथा लद्दाख (5,958 करोड़ रुपए) केंद्र शासित प्रदेशों को दिए गए अनुदानों के कारण है।
- संचार मंत्रालय: संचार मंत्रालय का आबंटन भी 2020-21 में 46,208 करोड़ रुपए बढ़ गया (129.3%) है। यह पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान से अधिक है। इसका मुख्य कारण 4 जी स्पेक्ट्रम के लिए बीएसएनएल और एमटीएनएल में 20,410 करोड़ रुपए डालना और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए 13,184 करोड़ रुपए की राशि देना है।
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का आबंटन पिछले वर्ष की तुलना में 30.1% बढ़कर 1,42,762 करोड़ रुपए हो गया। यह पीएम किसान योजना के आबंटन में 20,630 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी के कारण हुआ। 2019-20 में मंत्रालय को 1,38,564 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जिसे 21% कम करके 1,09,750 करोड़ रुपए कर दिया गया (पीएम-किसान में अनुमानित 20,630 करोड़ रुपए कम खर्च के कारण)।
- उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण: मंत्रालय का आबंटन पिछले वर्ष के मुकाबले 7,245 करोड़ रुपए (6.2%) बढ़ गया। 2019-20 में मंत्रालय द्वारा 1,94,513 रुपए खर्च करने का अनुमान था जोकि 40% कम करके 1,17,290 करोड़ रुपए कर दिया गया (खाद्य सब्सिडी में 75,532 करोड़ रुपए की कटौती के कारण)।
मुख्य योजनाओं पर व्यय
तालिका 6: 2020-21 में योजनाओं के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)
|
वास्तविक |
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय 2020-21 |
परिवर्तन का % |
पीएम-किसान |
1,241 |
75,000 |
54,370 |
75,000 |
37.9% |
मनरेगा |
61,815 |
60,000 |
71,002 |
61,500 |
-13.4% |
राष्ट्रीय शिक्षा मिशन |
30,830 |
38,547 |
37,672 |
39,161 |
4.0% |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन |
31,502 |
33,651 |
34,290 |
34,115 |
-0.5% |
एकीकृत बाल विकास सेवाएं |
21,642 |
27,584 |
24,955 |
28,557 |
14.4% |
प्रधानमंत्री आवास योजना |
25,443 |
25,853 |
25,328 |
27,500 |
8.6% |
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना |
15,414 |
19,000 |
14,070 |
19,500 |
38.6% |
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना |
11,937 |
14,000 |
13,641 |
15,695 |
15.1% |
अमृत और स्मार्ट सिटीज मिशन |
12,085 |
13,750 |
9,842 |
13,750 |
39.7% |
हरित क्रांति |
11,758 |
12,561 |
9,965 |
13,320 |
33.7% |
स्वच्छ भारत मिशन |
15,374 |
12,644 |
9,638 |
12,294 |
27.6% |
राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल मिशन |
5,484 |
10,001 |
10,001 |
11,500 |
15.0% |
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना |
8,143 |
9,682 |
7,896 |
11,127 |
40.9% |
मिड-डे मील कार्यक्रम |
9,514 |
11,000 |
9,912 |
11,000 |
11.0% |
राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन |
6,282 |
9,774 |
9,774 |
10,005 |
2.4% |
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
- 2020-21 में पीएम-किसान योजना (किसानों को आय समर्थन) को सर्वाधिक आबंटन किया गया जोकि 75,000 करोड़ रुपए है। इस योजना का आबंटन 2019-20 के संशोधित अनुमान से 37.9% है। हालांकि 2019-20 में बजट चरण से संशोधित चरण में योजना के आबंटन में 20,630 करोड़ रुपए की कटौती की गई (28%)। 2018-19 में योजना के व्यय में 94% की कटौती की गई। योजना के संशोधित चरण में 20,000 करोड़ रुपए का अनुमान था, जबकि वास्तविक व्यय 1,241 करोड़ रुपए था।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को 2020-21 में दूसरा सबसे अधिक आबंटन किया गया जोकि 61,500 करोड़ रुपए है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमान से 9,502 करोड़ रुपए कम (13.4%) है। 2019-20 में योजना के आबंटन में बजटीय चरण से संशोधित चरण में 18% की बढ़ोतरी हुई। यह 60,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 71,002 करोड़ रुपए हो गया।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का आबंटन 2019-20 के संशोधित अनुमान से बढ़कर 19,500 करोड़ रुपए हो गया, यह 38.6% की बढ़ोतरी है। 2019-20 में योजना के आबंटन में बजटीय चरण से संशोधित चरण में कटौती हुई थी, यह कटौती 4,930 करोड़ रुपए (26%) थी।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उप योजनाओं और महिलाओं, बच्चों और पूर्वोत्तर क्षेत्र की योजनाओं पर व्यय
तालिका 7: महिलाओं, बच्चों, एससीज़, एसटीज़ और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)
बजटीय |
संशोधित |
बजटीय 2020-21 |
परिवर्तन का % |
|
महिला कल्याण |
1,36,934 |
1,42,813 |
1,43,462 |
0.5% |
बाल कल्याण |
91,644 |
87,642 |
96,042 |
9.6% |
अनुसूचित जाति |
81,341 |
72,936 |
83,257 |
14.1% |
अनुसूचित जनजाति |
52,884 |
49,268 |
53,653 |
8.9% |
पूर्वोत्तर क्षेत्र |
59,370 |
53,374 |
60,112 |
12.6% |
Sources: Expenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.
- 2020-21 में महिला एवं बाल कल्याण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 2,39,504 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 3.8% अधिक है। इस आबंटन में सभी मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रम शामिल हैं।
- 2019-20 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उप योजना के लिए कुल 1,36,909 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। इसमें पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 12% की वृद्धि हुई है।
राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन के लक्ष्य
राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 के अंतर्गत यह अपेक्षा की जाती है कि केंद्र सरकार बकाया ऋण, राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम करेगी। हर वर्ष केंद्र सरकार अपना बजट प्रस्तुत करते हुए इनके लिए तीन वर्ष के आवर्ती लक्ष्य देती है। तालिका 8 में मध्यावधि राजकोषीय घाटा नीति वक्तव्य में दिए गए राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रदर्शित किया गया है।
राजकोषीय घाटा उन उधारियों का संकेत देता है जिनसे सरकार अपने व्यय को वित्त पोषित करती है। 2020-21 के लिए अनुमानित राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5% है। राजस्व घाटा सरकार की राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर होता है। इसका यह अर्थ होता है कि सरकार को अपना व्यय पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत है जिनसे भविष्य में प्राप्तियां नहीं हो सकतीं। 2020-21 के लिए अनुमानित राजस्व घाटा जीडीपी का 2.7% है।
|
तालिका 8: घाटों के लिए एफआरबीएम के लक्ष्य (जीडीपी का %)
Sources: Medium Term Fiscal Policy Statement, Union Budget 2020-21; PRS. |
प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटे और ब्याज भुगतान के बीच का अंतर होता है। 2020-21 के लिए अनुमानित प्राथमिक घाटा जीडीपी का 0.4% है।
अतिरिक्त बजटीय संसाधन: बजट में प्रदर्शित व्यय के अतिरिक्त सरकार अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के जरिए भी खर्च करती है। इन संसाधनों को बॉन्ड जारी करके या नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (एनएसएसएफ) से लोन के जरिए जुटाया जाता है। 2020-21 में सरकार द्वारा ऐसे अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के जरिए 1,86,100 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। इसमें भारतीय खाद्य निगम द्वारा 1,36,600 करोड़ रुपए का व्यय शामिल है जिसे एनएसएसएफ से लोन के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा।
चूंकि ऐसे व्यय के लिए उधार ली गई राशि बजट से बाहर होती है, उन्हें घाटे और ऋण के आंकड़ों में शामिल नहीं किया जाता। अगर अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के रूप में ली गई उधारियों को भी लेखे में शामिल किया जाता है तो वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान जीडीपी के 3.5% से बढ़कर 4.4% हो जाएगा। इसी प्रकार 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8% से बढ़कर 4.6% हो गया जिसका कारण 1,72,699 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बजटीय उधारियां थीं।
Sources: Medium Term Fiscal Policy Statement, Union Budget (multiple years); PRS.
- पिछले 15 वर्षों के दौरान सरकार व्यापक रूप से घाटे के स्तर को बजट स्तर से नीचे रखने में सफल रही है। 2018-19 में सरकार के 3.3% के बजटीय लक्ष्य से आगे निकलने की उम्मीद है, चूंकि राजकोषीय घाटा 3.4% होने का अनुमान है।
- 2019-20 में सरकार ने राजकोषीय घाटे के लिए 3.3% और राजस्व घाटे के लिए 2.3% के बजट अनुमान को निर्धारित किया था। संशोधित अनुमानों के अनुसार, दोनों घाटे 2019-20 के बजट लक्ष्य से आगे निकल गए।
- पिछले कई वर्षों की बकाया उधारियां मिलकर बकाया ऋण बन जाते हैं। उच्च ऋण का अर्थ यह है कि आने वाले वर्षों में सरकार पर ऋण चुकाने की अधिक बाध्यता होगी।
- सरकार की कुल बकाया देनदारियां 2000-01 में जीडीपी के 55.5% से गिरकर 2020-21 में 50.1% हो गईं (बजट अनुमान)। एफआरबीएम एक्ट ऋण-जीडीपी अनुपात के लक्ष्य को 40% पर निर्धारित करने का प्रयास करता है जिसे 2024-25 तक हासिल करना है।
Note: Figures for 2019-20 are revised estimates and for 2020-21 are budget estimates.
Sources: Economic Surveys 2003-04 to 2018-19; Union Budget 2020-21; PRS.
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।