बजट की मुख्य झलकियां 

  • व्यय2020-21 में सरकार ने 30,42,230 करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव रखा है, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7% अधिक है। 
     
  • प्राप्तियांविनिवेश से अधिक अनुमानित राजस्व के कारण प्राप्तियों (शुद्ध उधारियों के अतिरिक्त) के 16.3% बढ़कर 22,45,893 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। 
  • जीडीपी का विकास: 2020-21 में सरकार ने 10% की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर (यानी वास्तविक वृद्धि जमा मुद्रास्फीति) का अनुमान लगाया है। 2019-20 में यह अनुमान 12% था।
  • घाटेराजस्व घाटा जीडीपी के 2.7% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 2.4के संशोधित अनुमान से अधिक है। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5% पर लक्षित है जोकि 2019-20 के 3.8के संशोधित अनुमान से कम है। उल्लेखनीय है कि सरकार का 2019-20 में राजकोषीय घाटे (3.3%) और 2020-21 में मध्यम अवधि के 3% के लक्ष्य से आगे निकलने का अनुमान है। इसमें ऑफ बजट उधारियां शामिल नहीं हैं (2020-21 में जीडीपी का 0.9%)।  
  • मंत्रालयों का आबंटनजिन 13 मंत्रालयों को सबसे अधिक आबंटन किया गया है, उनमें संचार मंत्रालय (129%) और इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (30%) और गृह मंत्रालय (20%) के आबंटनों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

फाइनांस बिल में टैक्स प्रस्ताव

टैक्स कानूनों में परिवर्तन के अतिरिक्त फाइनांस बिल, 2020 में बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988 में कुछ गैर कर परिवर्तनों को भी प्रस्तावित किया गया है।  

  • इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन: इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन किया गया है। तालिका 1 में मौजूदों टैक्स दरों की तुलना प्रस्तावित टैक्स दरों से की गई है। उल्लेखनीय है कि नई व्यक्तिगत टैक्स दरें वैकल्पिक हैं और अगर व्यक्ति कुछ शर्तों को पूरा करता है तो वह उनका लाभ उठा सकता है, जैसे अगर वह कुछ छूटों या कटौतियों का लाभ नहीं उठाता। इनमें सामान्य कटौतियां, अवकाश यात्रा भत्ता, घर किराया भत्ता, होम लोन पर ब्याज भुगतान और अध्याय VI-ए के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (प्रॉविडेंट फंड में निवेश, बीमा प्रीमियम, धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा, इत्यादि) शामिल हैं। एक बार इस विकल्प का इस्तेमाल करने पर बाद के वर्षों में यही लागू होगा। 

आय

मौजूदा टैक्स दर

प्रस्तावित टैक्स दर

5 लाख रुपए तक

शून्य

शून्य

5 लाख रुपए और 7.5 लाख रुपए के बीच

20%

10%

7.5 लाख रुपए और 10 लाख रुपए के बीच 

15%

10 लाख रुपए और 12.5 लाख रुपए के बीच 

30%

20%

12.5 लाख रुपए और 15 लाख रुपए के बीच 

25%

15 लाख रुपए से अधिक

30%

  • निम्न टैक्स दरों का विकल्प:  हाल ही में इनकम टैक्स एक्ट ने घरेलू कंपनियों को यह विकल्प दिया है कि अगर वे कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 22की टैक्स दरों का लाभ उठा सकती हैं। कुछ और कटौतियों को शामिल करने के लिए इस सूची को बढ़ाया गया है, जैसे सेक्शन 80जी के अंतर्गत आने वाली कटौतियां (धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा)। इसके अतिरिक्त सहकारी संस्थाओं को भी यह सुविधा प्रदान की गई है।
     
  • कॉरपोरेट्स को लाभवर्तमान में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के पास यह विकल्प है कि अगर वे एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों का दावा न करें तो 15की दर पर इनकम टैक्स चुका सकती हैं। अब बिजली उत्पादन में लगी घरेलू कंपनियों को भी यह लाभ मिलेगा।
     
  • लाभांश वितरण टैक्सवर्तमान में कंपनियों को अपने शेयरहोल्डर्स को दिए जाने वाले लाभांश पर 15की दर पर टैक्स चुकाना होता है। इसे हटा दिया गया है और अब लाभांश आय पर प्राप्तकर्ताओं को टैक्स चुकाना होगा।
     
  • सामाजिक सुरक्षा अंशदान के लिए कटौतियों की सीमावर्तमान में मान्यता प्राप्त प्रॉविडेंट फंड, एक स्वीकृत सुपरनुएशन फंड और राष्ट्रीय पेंशन योजना में नियोक्ता द्वारा दिए गए अंशदान की राशि पर कटौतियों की कोई संयुक्त सीमा नहीं है। अब कटौतियों पर 7.5 लाख रुपए की संयुक्त सीमा तय की गई है जिसका इन अंशदानों के लिए दावा किया जा सकता है। 
     
  • भारत में निवासइनकम टैक्स, 1961 में भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति के निवास के स्थान को निर्धारित करने वाली विभिन्न शर्तों को निर्दिष्ट किया गया है। एक व्यक्ति को निवासी माना जाएगा, अगर भारत में उसकी ग्लोबल इनकम कर योग्य है और अगर वह भारत में 182 दिनों से अधिक समय से है। अब इस समय सीमा को घटाकर 120 दिन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त कोई भी भारतीय नागरिक जो अधिवास या निवास के कारण किसी अन्य देश या क्षेत्र में टैक्स के लिए दायी नहीं है तो उसे भारत का निवासी माना जाएगा।
     
  • ई-कॉमर्स लेनदेन पर टीडीएसई-कॉमर्स लेनदेन पर 1टीडीएस वसूला जाएगा।
     
  • हाउसिंग इनसेंटिववर्तमान में अगर सस्ते मकानों वाले प्रॉजेक्ट्स को 31 मार्च, 2020 तक मंजूर कर लिया गया है तो उनके निर्माण से होने वाले लाभों पर छूट दी जाती है। इसके अतिरिक्त अगर 31 मार्च, 2020 तक लोन मंजूर कर लिया गया है तो अपने कब्जे वाले मकान के मालिकों को लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1,50,000 रुपए की अतिरिक्त टैक्स कटौती प्रदान की गई है। दोनों मामलों में यह समय सीमा 31 मार्च, 2021 कर दी गई है। 
     
  • स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स में बदलावअगर स्टार्ट-अप्स को 1 अप्रैल, 2016 और 31 मार्च, 2021 के बीच निगमित किया गया है और अगर उनका टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से अधिक का नहीं है तो वे सात वर्षों में से लगातार तीन वर्षों के लाभ पर पूर्ण कर छूट का लाभ ले सकते हैं। अब इस समयावधि को सात से दस वर्ष कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त टर्नओवर की सीमा भी 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई है।
     
  • इसके अतिरिक्त स्टार्ट-अप्स के कर्मचारियों को अपने ईएसओपीज़ (स्टॉक ऑप्शन) पर टैक्स चुकाना होता है। अब वे (iआकलन वर्ष के अंत से 4 वर्ष खत्म होने तक, (iiऑप्शन की बिक्री पर, या (iiiकर्मचारी के कंपनी छोड़ने तक, इनमें से जो भी पहले हो, टैक्स के भुगतान को स्थगित कर सकते हैं।  
     
  • एक्साइजकुछ तंबाकू उत्पादों, जैसे सिगरेट, च्युइंग टोबैको और टोबैको एक्सट्रैक्ट पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी को बढ़ा दिया गया है। उदाहरण के लिए च्युइंग टोबैको पर ड्यूटी की दर प्रति किलो पर 10से बढ़ाकर 25कर दी गई है। इसके अतिरिक्त कच्चे पेट्रोलियम को 50 रुपए प्रति टन की ड्यूटी के दर के साथ शामिल किया गया है। 
     
  • कस्टम्सकुछ वस्तुओं, जैसे टेबलवेयर और किचनवेयर, फुटवियर, पंखों और खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है।
     
  • कस्टम्स पर हेल्थ सेसकुछ मेडिकल उपकरणों पर हेल्थ सेस वसूला जाएगा (कस्टम ड्यूटी के अतिरिक्त), जैसे भारत में आयात होने वाली एक्स-रे मशीनें। इस सेस को स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के वित्त पोषण पर खर्च किया जाएगा। 
     
  • धर्मार्थ संस्थाओं को चंदों पर बाध्यताएं: धर्मार्थ संस्थाओं को सेक्शन 12एए के अंतर्गत कर से छूट मिलती है और उन्हें मिलने वाले चंदों को सेक्शन 10(23सी), 35 और 80जी के अंतर्गत छूट मिलती है। अब इन सेक्संश के अंतर्गत मंजूरियां अधिकतम पांच वर्षों के लिए वैध होंगी। मंजूरी प्राप्त संस्थाओं को इन्हें दोबारा से जारी करना होगा। 
     
  • कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्सवर्तमान में कमोडिटी डेरेवेटिव्स पर 0.01का कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लगता है। बिल तीन टैक्स दरों की रचना करता है(i) मूल्यों या मूल्य सूचकांक के आधार पर कमोडिटी डेरेवेटिव्स की बिक्री पर विक्रेता द्वारा 0.01देय, (ii) ऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.0001% देय, जिसका परिणाम माल की डिलिवरी में हो, और (iiiऑप्शन की बिक्री पर क्रेता द्वारा 0.125% देय, जिसका परिणाम नकद भुगतान हो।
     
  • भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1899स्टाक एक्सचेंज और विशेष आर्थिक जोन्स एक्ट, 2005 के अंतर्गत स्थापित अंतरराष्ट्रीय फाइनांशियल सेंटर्स में स्थापित स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी में लेनदेन के मामले में स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।
     
  • सोवरिन वेल्थ फंड्सअबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी द्वारा किए गए निवेश और कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रों में अन्य अधिसूचित सोवरिन वेल्थ फंड्स से होने वाली आय को टैक्स से छूट दी जाएगी। अगर निवेश 31 मार्च, 2024 से पहले किया गया था और तीन साल की न्यूनतम लॉक-इन अवधि है तो यह छूट उपलब्ध है।
  • बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988एक्ट बेनामी संपत्तियों से संबंधित मुद्दों पर एक एड्जूडिकेटिंग अथॉरिटी की स्थापना करता है। अथॉरिटी के चेयरपर्सन और सदस्यों की योग्यता यह है कि वे: (i) इनकम टैक्स कमीश्नर या उसके बराबर के पद वाले भारतीय राजस्व सेवा के सदस्य होने चाहिए, या (ii) ज्वाइंट सेक्रेटरी या उसके बराबर के पद वाले भारतीय विधि सेवा के सदस्य होने चाहिए। बिल कहता है कि जिला न्यायाधीश के पद के लिए योग्य व्यक्ति भी चेयरपर्सन या अथॉरिटी का सदस्य हो सकता है। 
     
  • कुछ भत्तों पर टैक्स छूट को हटानाकेंद्रीय लोक सेवा आयोग या निर्वाचन आयोग के मौजूदा या पूर्व सदस्यों को कुछ सुविधाओं, जैसे किराया मुक्त आवास, वाहन भत्ता और मेडिकल सुविधाओं पर टैक्स की छूट है। इस छूट को हटा दिया गया है। 

नीतियों की झलक 

  • विधायी परिवर्तनबैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 को सहकारी बैंकों के बेहतर प्रशासन के लिए संशोधित किया जाएगा। सरफेसी एक्ट, 2002 के अंतर्गत ऋण रिकवरी के लिए पात्र एनबीएफसीज़ की सीमा को कम किया जाएगा। एसेट साइज को 500 करोड़ से घटाकर 100 करोड़ किया जाएगा और लोन साइज को एक करोड़ रुपए से 50 लाख रुपए कर दिया जाएगा। डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन को जमाकर्ता के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाने की अनुमति दी गई है जोकि अब प्रति डिपॉजिटर एक लाख रुपए की बजाय पांच लाख रुपए होगा। फैक्टर रेगुलेशन एक्ट, 2011 को संशोधित किया जाएगा ताकि एनबीएफसीज़ एमएसएमईज़ का वित्त पोषण कर सकें। पीएफआरडीएआई के लिए सरकार कर्मचारियों हेतु एनपीएस ट्रस्ट को अलग करने के लिए पीएफआरडीएआई एक्ट में संशोधन किया जाएगा। जिन मामलों में दीवानी कृत्यों को आपराधिक नतीजों का सामना करना पड़ता हैं, उनसे संबंधित कानूनों की जांच की जाएगी और उनमें संशोधन किए जाएंगे। कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1872 को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत किया जाएगा कि कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जाएं। 
     
  • जीएसटी मुआवजा2016-17 और 2017-18 के लिए जीएसटी मुआवजा दो किस्तों में चुकाया जाएगा। अब से जीएसटी मुआवजा फंड का ट्रांसफर केवल मुआवजा सेस के जरिए किया जाएगा। 
     
  • विनिवेशसरकार इनीशियल पब्लिक ऑफर के जरिए एलआईसी में अपनी होल्डिंग्स का एक हिस्सा बेचेगी। सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी होल्डिंग के बैलेंस को बेचने की भी योजना बना रही है।
     
  • निवेशअनिवासी निवेशकों के लिए सरकारी सिक्योरिटीज़ की कुछ निर्दिष्ट श्रेणियां पूरी तरह से खोली जाएंगी। कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की सीमा को कॉरपोरेट बॉन्ड के बकाया स्टॉक के 9% से 15% तक बढ़ाया जाएगा। इसमें एक इनवेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है जोकि एंड टू एंड सुविधा और समर्थन प्रदान करेगा जैसे केंद्रीय और राज्य स्तर पर निवेश पूर्व सलाह देना।
     
  • कॉमर्स और उद्योगमोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना प्रस्तावित की गई है। राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन को 2020-21 से 2023-24 तक 1,480 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। निर्यात उत्पादों पर ड्यूटीज़ और करों के रिफंड के लिए एक योजना शुरू की जाएगी जिन्हें किसी अन्य मौजूदा तंत्र के अंतर्गत छूट नहीं मिल रही।
     
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकाससरकार राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के अंतर्गत 6,500 प्रॉजेक्ट्स तैयार करेगी। इन प्रॉजेक्ट्स में हाउसिंग, साफ पेज जल और स्वास्थ्य देखभाल इत्यादि शामिल हैX। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को जारी किया जाएगा जोकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और मुख्य रेगुलेटर्स की भूमिकाओं को स्पष्ट करेगा। इसके अतिरिक्त वह सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट तैयार करेगा। राज्यों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए पांच नए स्मार्ट शहरों को विकसित किया जाएगा।
     
  • परिवहन और ऊर्जासार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए चार रेलवे स्टेशनों का पुर्नविकास प्रॉजेक्ट शुरू किया जाएगा और 150 यात्री गाड़ियों को परिचालित किया जाएगा। सरकार राज्यों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगी कि वे 2023 तक बिजली के परंपरागत मीटरों के जरिये प्रीपेड स्मार्ट मीटरों का इस्तेमाल करें। राष्ट्रीय गैस ग्रिड को 16,200 किमी से बढ़ाकर 27,000 किमी करने का प्रस्ताव है।
     
  • कृषि और संबद्ध गतिविधियांसरकार 20 लाख किसानों को स्टैंड एलोन सोलर पंप लगाने में मदद करने हेतु प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना का विस्तार करेगी। ब्लॉक स्तर पर गोदामों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग की जाएगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के सभी पात्र लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। सरकार पानी की कमी वाले 100 जिलों के लिए व्यापक उपायों का प्रस्ताव रखेगी।
     
  • तकनीकडेटा सेंटर पार्क बनाने हेतु निजी क्षेत्र को सक्षम करने के लिए एक नीति पेश की जाएगी। भारतनेट के माध्यम से फाइबर टू द होम कनेक्शंस 2020 में एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ेंगे। आधिकारिक स्टैटिस्टिक्स पर एक नई राष्ट्रीय नीति प्रस्तावित की गई है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा। पांच वर्षों की अवधि में राष्ट्रीय मिशन के लिए क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन पर 8,000 करोड़ रुपए का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है।
     
  • शिक्षानई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। शिक्षा के लिए बाहरी वाणिज्यिक उधार और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के स्रोतों को सक्षम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। डिग्री स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम उन संस्थानों द्वारा शुरू किया जाएगा जो राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे में शीर्ष 100 में शामिल हैं।
     
  • स्वास्थ्यजनऔषधि केंद्र योजना का विस्तार सभी जिलों में किया जाएगा और 2024 तक 2,000 दवाओं और 300 सर्जिकल्स की पेशकश की जाएगी। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए अस्पतालों की स्थापना के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग विंडो को प्रस्तावित किया गया है।
     
  • सामाजिक न्याययह सुनिश्चित करने के लिए विधायी और संस्थागत परिवर्तन किए जाएंगे कि सीवेज सिस्टम्स या सैप्टिक टैंक्स की मैनुअल सफाई नहीं की जाएगी। महिला कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
     
  • राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसीसरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर गैजेटेड पदों पर भर्तियों के लिए राष्ट्रीय रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई जाएगी।

2019-2020 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 के बजट अनुमान 

  • कुल व्यय: सरकार द्वारा 2020-21 में 30,42,230 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 12.7% अधिक है। कुल व्यय में से राजस्व व्यय के 26,30,145 करोड़ रुपए (11.9% की वृद्धिऔर पूंजीगत व्यय के 4,12,085 करोड़ रुपए (18.1% की वृद्धिहोने का अनुमान है।
     
  • कुल प्राप्तियां: सरकार की प्राप्तियां 22,45,893 करोड़ रुपए अनुमानित हैं (उधारियों के अतिरिक्त), जिसमें 2019-20 के संशोधित अनुमान से 16.3% की वृद्धि है। प्राप्तियों और व्यय में इस अंतराल को उधारियों के जरिए कम किया जाएगा जोकि 7,96,337 करोड़ रुपए अनुमानित हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में इसमें 3.8% की वृद्धि है।
     
  • राज्यों को हस्तांतरण: केंद्र सरकार द्वारा 2020-21 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 13,90,666 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए जाएंगे। यह 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 17.1% अधिक है और इसमें (i) राज्यों को केंद्रीय करों से 7,84,181 करोड़ रुपए का हस्तांतरण किया जाएगा, और (ii6,06,485 करोड़ रुपए अनुदानों और ऋणों के रूप में दिए जाएंगे।
  • घाटे: 2020-21 में राजस्व घाटा जीडीपी के 2.7% पर और राजकोषीय घाटा 3.5% पर लक्षित है। प्राथमिक घाटा (जोकि ब्याज भुगतानों के अतिरिक्त राजकोषीय घाटा होता है) जीडीपी के 0.4% पर लक्षित है। 
  • जीडीपी की वृद्धि का अनुमान: 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी के 10% की दर से बढ़ने का अनुमान है। 2019-20 में नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि दर 12% थी।

तालिका 1: बजट 2020-21 एक नजर में (रुपए करोड़ में)

 

वास्तविक
 2018 -19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय
 2020 -21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21) 

राजस्व व्यय

20,07,399 

 24,47,780 

 23,49,645 

 26,30,145 

11.9%

पूंजीगत व्यय

 3,07,714 

 3,38,569 

 3,48,907 

 4,12,085 

18.1%

कुल व्यय

23,15,113 

 27,86,349 

 26,98,552 

 30,42,230 

12.7%

राजस्व प्राप्तियां

15,52,916 

 19,62,761 

 18,50,101 

 20,20,926 

9.2%

पूंजीगत प्राप्तियां

 1,12,779 

 1,19,828 

 81,605 

 2,24,967 

175.7%

इनमें से:

 

 

 

 

 

लोन्स की रिकवरी

 18,052 

 14,828 

 16,605 

 14,967 

-9.9%

अन्य प्राप्तियां (विनिवेश सहित) 

 94,727 

 1,05,000 

 65,000 

 2,10,000 

223.1%

कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) 

16,65,695 

 20,82,589 

 19,31,706 

 22,45,893 

16.3%

राजस्व घाटा

 4,54,483 

 4,85,019 

 4,99,544 

 6,09,219 

22.0%

जीडीपी का % 

 2.

 2.

 2.

 2.

 

राजकोषीय घाटा

 6,49,418 

 7,03,760 

 7,66,846 

 7,96,337 

3.8%

जीडीपी का %

 3.

 3.

 3.

 3.

 

प्राथमिक घाटा

 66,770 

 43,289 

 1,41,741 

 88,134 

-37.8%

जीडीपी का %

0.4

0.2

0.7

0.4

 

नोट: प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में घोषित किए गए बजटीय आबंटनों को बजटीय अनुमान कहा जाता है। वित्तीय वर्ष के अंत में प्राप्तियों और व्यय की अनुमानित राशि को संशोधित अनुमान कहा जाता है।

वास्तविक राशियां वर्ष में व्यय और प्राप्तियों के ऑडिट किए हुए एकाउंट्स होते हैं। 

Sources Budget at a Glance, Union Budget Documents 2020-21; PRS.

 

Note:  Figures for 2019-20 are revised estimates.

Sources Receipts Budget, Union Budget Documents 2020-21; PRS.

  • सरकार के एसेट्स और देनदारियों (जैसे सड़क का निर्माण या लोन की रिकवरी) में बदलाव करने वाले व्यय को पूंजीगत व्यय कहते हैं और अन्य सभी व्यय राजस्व व्यय होते हैं (जैसे वेतन का भुगतान या ब्याज भुगतान)।
     
  • 2020-21 में पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में पूंजीगत व्यय में 18.1% की वृदधि का अनुमान है जोकि 4,12,085 करोड़ रुपए है। दूसरी ओर राजस्व व्यय में भी 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 11.9% की बढ़ोतरी का अनुमान है, जोकि 26,30,145 करोड़ रुपए है।
     
  • 2010-11 से 2020-21 के बीच पूंजीगत व्यय में 10.2% की वार्षिक औसत वृद्धि हुई, जबकि राजस्व व्यय में 9.7% की वार्षिक औसत वृद्धि हुई।
     
  • सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयूज़) में अपनी हिस्सेदारी को बेचने को विनिवेश कहा जाता है। 2019-20 में सरकार द्वारा अपने विनिवेश के 62लक्ष्य को हासिल करने का अनुमान है। 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।

2020-21 में प्राप्तियों की झलक

  • 2020-21 में कुल प्राप्तियां (उधारियों सहित) 30,42,230 करोड़ रुपए पर और शुद्ध प्राप्तियां (उधारियों को छोड़कर) 22,45,893 करोड़ रुपए पर अनुमानित हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में प्राप्तियों (उधारियों के बिना) में 16.3% की वृद्धि का अनुमान है।
     
  • 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में सकल कर राजस्व में 12% की वृद्धि का अनुमान है जोकि 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी की 10% की अनुमानित वृद्धि से अधिक है। 2020-21 में सरकार का शुद्ध कर राजस्व (टैक्सों में राज्यों की हिस्सेदारी को हटाकर) 16,35,909 करोड़ रुपए अनुमानित है।
     
  • 2020-21 में केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हस्तांतरण 7,84,181 करोड़ रुपए अनुमानित है। 2019-20 में बजटीय चरण में 8,09,133 करोड़ रुपए के हस्तांतरण का अनुमान था जिसमें 19की कमी हुई और यह संशोधित चरण में 6,56,046 करोड़ रुपए हो गया।  
        
  • 2020-21 में गैर कर राजस्व के 3,85,017 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 11.4% अधिक है।
     
  • 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में पूंजीगत प्राप्तियों (उधारियों के बिना) में 175.7% की वृद्धि का अनुमान है। इसका कारण विनिवेश है जिसके 2020-21 में 2,10,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। 2019-20 में विनिवेश का संशोधित अनुमान 65,000 करोड़ रुपए था।

तालिका 2: 2020-21 में केंद्र सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)

 

वास्तविक
 2018 -19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय
 2020 -21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21) 

सकल कर राजस्व

 20,80,465 

 24,61,195 

 21,63,423 

 24,23,020 

12.0%

जिसमें से:

 

 

 

 

 

कॉरपोरेशन टैक्स

 6,63,572 

 7,66,000 

 6,10,500 

 6,81,000 

11.5%

इनकम टैक्स

 4,73,003 

 5,69,000 

 5,59,500 

 6,38,000 

14.0%

वस्तु एवं सेवा कर

 5,81,560 

 6,63,343 

 6,12,327 

 6,90,500 

12.8%

कस्टम्स

 1,17,813 

 1,55,904 

 1,25,000 

 1,38,000 

10.4%

यूनियन एक्साइज ड्यूटीज़

 2,31,982 

 3,00,000 

 2,48,012 

 2,67,000 

7.7%

सर्विस टैक्स

 6,904 

 -      

 1,200 

 1,020 

-

क. केंद्र का शुद्ध कर राजस्व

 13,17,211 

 16,49,582 

 15,04,587 

 16,35,909 

-0.8%

राज्यों को हस्तांतरण

7,61,454

8,09,133

6,56,046

7,84,181

19.5%

ख. गैर कर राजस्व

 2,35,704 

 3,13,179 

 3,45,513 

 3,85,017 

11.4%

जिसमें से:

 

 

 

 

 

ब्याज प्राप्तियां

 12,145 

 13,711 

 11,027 

 11,042 

0.1%

लाभांश और लाभ

 1,13,420 

 1,63,528 

 1,99,893 

 1,55,395 

-22.3%

अन्य गैर कर राजस्व

 1,10,139 

 1,35,940 

 1,34,593 

 2,18,580 

62.4%

ग. पूंजीगत प्राप्तियां (उधारियों के बिना) 

 1,12,779 

 1,19,828 

 81,605 

 2,24,967 

175.7%

जिसमें से:

 

 

 

 

 

विनिवेश

 94,727 

 1,05,000 

 65,000 

 2,10,000 

223.1%

प्राप्तियां (उधारियों के बिना) (ए+बी+सी)

16,65,694

20,82,589

19,31,705

22,45,893

16.3%

उधारियां

 6,49,418 

 7,03,760 

 7,66,846 

 7,96,337 

3.8%

कुल प्राप्तियां (उधारियों के साथ) 

23,15,113

                27,86,349 

          26,98,552 

                30,42,230 

12.7%

Sources:  Receipts Budget, Union Budget Documents 2020-21; PRS.

  • अप्रत्यक्ष कर2020-21 में 10,96,520 करोड़ रुपए का कुल अप्रत्यक्ष कर जमा होने का अनुमान है। इसमें से सरकार को जीएसटी से 6,90,500 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। जीएसटी के अंतर्गत जमा किए गए कुल करों में से 84% (5,80,000 करोड़ रुपए) केंद्रीय जीएसटी और 16% (1,10,500 करोड़ रुपए) मुआवजा सेस से प्राप्त होने की उम्मीद है।
     
  • कॉरपोरेशन टैक्स: कंपनियों पर टैक्सों के कलेक्शन के 2020-21 में 11.5बढ़कर 6,81,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। 2019-20 के संशोधित अनुमान संकेत देते हैं कि 2019-20 के बजट अनुमानों से कॉरपोरेशन टैक्स में 20.3की कमी हो सकती है। इस कमी का कारण यह हो सकता है कि वित्तीय वर्ष के दौरान कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई थी। 
     
  • इनकम टैक्स: इनकम टैक्स के कलेक्शन के 2020-21 में 14बढ़कर 6,38,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। टैक्स दरों में कटौती के बावजूद 14की वृद्धि हुई है। यानी टैक्स की दरों में कमी के कारण 40,000 करोड़ रुपए के राजस्व के न जुड़ने के बावजूद इनकम टैक्स के 21की दर से बढ़ने का अनुमान है।
     
  • गैर कर प्राप्तियांगैर कर प्राप्तियों में केंद्र द्वारा दिए गए ऋणों पर ब्याज, लाभांश और लाभ, बाहरी अनुदान और सामान्य, आर्थिक, सामाजिक सेवाओं इत्यादि से मिलने वाली प्राप्तियां शामिल होती हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में गैर कर राजस्व में 11.4% की वृद्धि का अनुमान है (3,85,017 करोड़ रुपए)
     
  • विनिवेश के लक्ष्य2020-21 का विनिवेश लक्ष्य 2,10,000 करोड़ रुपए है। यह लक्ष्य 2019-20 के संशोधित अनुमान से 223.1% अधिक है (65,000 करोड़ रुपए)।

2020-21 में व्यय की झलक 

  • 2020-21 में कुल व्यय के 30,42,230 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7अधिक है। इसमें से, (i8,31,825 करोड़ रुपए केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में (2019-20 के संशोधित अनुमान से 7.6की वृद्धि), और (ii3,39,894 करोड़ रुपए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं में (2019-20 के संशोधित अनुमान से 7.3की वृद्धिखर्च किया जाना प्रस्तावित है
  • 2020-21 में सरकार द्वारा पेंशन पर 2,10,682 करोड़ रुपए खर्च करने की उम्मीद है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 14.4% अधिक है। इसके अतिरिक्त 2020-21 में ब्याज भुगतान पर 7,08,203 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है जोकि सरकार के व्यय का 23% है।

तालिका 3: 2020-21 में केंद्र सरकार के व्यय का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)

 

वास्तविक 2018-19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय
 2020 -21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21)

केंद्रीय व्यय

     

 

 

केंद्र का इस्टैबलिशमेंट व्यय

 5,21,247 

 5,46,296 

 5,67,133 

 6,09,585 

7.5%

केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं

 6,38,495 

 8,70,794 

 7,73,196 

 8,31,825 

7.6%

अन्य व्यय

 6,77,403 

 7,72,129 

 7,41,553 

 8,87,574 

19.7%

केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं और अन्य हस्तांतरण

 

 

 

 

 

केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं

 2,96,029 

 3,31,610 

 3,16,816 

 3,39,894 

7.3%

वित्त आयोग के अनुदान 

 93,704 

 1,20,466 

 1,23,710 

 1,49,925 

21.2%

जिनमें से:

 

 

 

 

 

ग्रामीण स्थानीय निकाय

 35,064 

 52,558 

 58,616 

 69,925 

19.3%

शहरी स्थानीय निकाय

 14,400 

 23,359 

 25,843 

 30,000 

16.1%

सहायतानुदान

 9,658 

 10,344 

 10,938 

 20,000 

82.9%

वितरण के बाद राजस्व घाटा अनुदान

 34,582 

 34,206 

 28,314 

 30,000 

6.0%

अन्य अनुदान 

 88,235 

 1,45,054 

 1,76,144 

 2,23,427 

26.8%

कुल व्यय

23,15,113 

 27,86,349 

 26,98,552 

 30,42,230 

12.7%

Sources:  Budget at a Glance, Union Budget Documents 2020-21; PRS.

सब्सिडी पर व्यय

2020-21 में सब्सिडी पर कुल खर्च घटकर 2,62,109 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 0.5कम है। इसका कारण उर्वरक सब्सिडी पर होने वाले व्यय में गिरावट है। विवरण निम्नलिखित है:

  • खाद्य सब्सिडी: 2020-21 में खाद्य सब्सिडी के लिए 1,15,570 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 6.3% अधिक है। 2019-20 के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 1,84,220 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे, हालांकि संशोधित अनुमान, बजट अनुमान से 1,08,688 करोड़ रुपए कम थे। इसका कारण 2019-20 के बजट चरण से संशोधित चरण में खाद्य सब्सिडी के आबंटन में 41की कटौती है (75,532 करोड़ रुपए की राशि)।
     
  • उर्वरक सब्सिडी2020-21 में उर्वरक सब्सिडी पर 71,309 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 8,689 करोड़ रुपए की गिरावट है (10.9%)
     
  • पेट्रोलियम पर सब्सिडी: 2020-21 में पेट्रोलियम सब्सिडी पर होने वाले व्यय में 40,915 करोड़ रुपए की वृद्धि (6.1%) का अनुमान है। पेट्रोलियम सब्सिडी में एलपीजी (37,256 करोड़ रुपएऔर केरोसिन (3,659 करोड़ रुपए), दोनों पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है। 2020-21 में पिछले वर्ष के मुकाबले एलपीजी सब्सिडी में 3,170 करोड़ रुपए की वृद्धि का अनुमान है, केरोसिन सब्सिडी में 824 करोड़ रुपए की गिरावट का अनुमान है।
     
  • अन्य सब्सिडीज़: अन्य सब्सिडीज़ पर किए जाने व्यय में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए ब्याज सब्सिडी, कृषि पैदावार के लिए मूल्य समर्थन योजना और खरीद के लिए राज्य स्तरीय एजेंसियों को सहायता इत्यादि शामिल हैं। 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 में अन्य सब्सिडीज़ पर व्यय में 1,987 करोड़ रुपए की गिरावट (5.5%) हुई। तालिका 4 में 2020-21 की सब्सिडीज़ का विवरण दिया गया है।

तालिका 4: 2020-21 में सब्सिडी (करोड़ रुपए में)

 

वास्तविक
 2018 -19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय

2020-21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21)

खाद्य सब्सिडी

1,01,327

1,84,220

1,08,688

1,15,570

6.3%

उर्वरक सब्सिडी

70,605

79,996

79,998

71,309

-10.9%

पेट्रोलियम सब्सिडी

24,837

37,478

38,569

40,915

6.1%

अन्य सब्सिडी

26,185

36,460

36,302

34,315

-5.5%

कुल

2,22,954

3,38,154

2,63,557

2,62,109

-0.5%

SourcesExpenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.

मंत्रालयों के व्यय 

2019-20 में जिन 13 मंत्रालयों को सबसे अधिक आबंटन किए गए, उसकी राशि कुल अनुमानित व्यय का 53% है। इनमें से रक्षा मंत्रालय को सबसे अधिक 4,71,378 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई। यह केंद्र सरकार के कुल बजटीय व्यय का 15% है। अन्य मंत्रालय, जिन्हें सबसे अधिक आबंटन किए गए, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गृह मामले, (ii) कृषि एवं किसान कल्याण, (iiiउपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, और (ivग्रामीण विकास।तालिका 5 में 2020-21 में सर्वाधिक आबंटन वाले 13 मंत्रालयों का विवरण दिया गया है। साथ ही 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में आबंटनों में परिवर्तन को भी प्रदर्शित किया गया है। 

तालिका 5: 2020-21 में मंत्रालय पर व्यय (करोड़ रुपए में)

 

वास्तविक
 2018 -19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय

2020-21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21)

रक्षा

4,03,457

4,31,011

4,48,820

4,71,378

5.0%

गृह मामले

1,12,189

1,19,025

1,39,108

1,67,250

20.2%

कृषि एवं किसान कल्याण

53,620

1,38,564

1,09,750

1,42,762

30.1%

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण

1,08,848

1,94,513

1,17,290

1,24,535

6.2%

ग्रामीण विकास

1,13,706

1,19,874

1,24,549

1,22,398

-1.7%

मानव संसाधन विकास

80,345

94,854

94,854

99,312

4.7%

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग

77,301

83,016

83,016

91,823

10.6%

संचार

    35,395 

    38,637 

     35,749 

     81,957 

129.3%

रेलवे

54,913

68,019

69,967

72,216

3.2%

रसायन एवं उर्वरक

    71,414 

     80,534 

    80,968 

     71,897 

-11.2%

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

     54,682 

    64,559 

     64,609 

     67,112 

3.9%

आवास एवं शहरी मामले

    40,612 

     48,032 

     42,267 

     50,040 

18.4%

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस

     32,371 

     42,901 

     42,901 

     42,901 

0.0%

अन्य मंत्रालय

  10,76,261 

  12,62,809 

 12,44,703 

  14,36,648 

13.8%

कुल व्यय

23,15,113

27,86,349

26,98,552

30,42,230

12.7%

Note:  Expenditure is net of recoveries such as fines, and ticket sales.

Sources:  Expenditure Budget, Union Budget 2020-21; PRS.

  • गृह मामलों का मंत्रालय: 2019-20 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2020-21 में गृह मामलों के मंत्रालय का आबंटन 28,142 करोड़ रुपए बढ़ गया है (20.2%)। यह मुख्य रूप से मंत्रालय द्वारा नए गठित जम्मू एवं कश्मीर (30,757 करोड़ रुपए) तथा लद्दाख (5,958 करोड़ रुपए) केंद्र शासित प्रदेशों को दिए गए अनुदानों के कारण है।  
     
  • संचार मंत्रालयसंचार मंत्रालय का आबंटन भी 2020-21 में 46,208 करोड़ रुपए बढ़ गया (129.3%) है। यह पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान से अधिक है। इसका मुख्य कारण जी स्पेक्ट्रम के लिए बीएसएनएल और एमटीएनएल में 20,410 करोड़ रुपए डालना और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए 13,184 करोड़ रुपए की राशि देना है।
     
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालयकृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का आबंटन पिछले वर्ष की तुलना में 30.1बढ़कर 1,42,762 करोड़ रुपए हो गया। यह पीएम किसान योजना के आबंटन में 20,630 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी के कारण हुआ। 2019-20 में मंत्रालय को 1,38,564 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जिसे 21कम करके 1,09,750 करोड़ रुपए कर दिया गया (पीएम-किसान में अनुमानित 20,630 करोड़ रुपए कम खर्च के कारण)।
     
  • उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरणमंत्रालय का आबंटन पिछले वर्ष के मुकाबले 7,245 करोड़ रुपए (6.2%) बढ़ गया। 2019-20 में मंत्रालय द्वारा 1,94,513 रुपए खर्च करने का अनुमान था जोकि 40कम करके 1,17,290 करोड़ रुपए कर दिया गया (खाद्य सब्सिडी में 75,532 करोड़ रुपए की कटौती के कारण)।

मुख्य योजनाओं पर व्यय 

 तालिका 6: 2020-21 में योजनाओं के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)

 

वास्तविक
 2018 -19

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय

2020-21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21)

पीएम-किसान

1,241

75,000

54,370

75,000

37.9%

मनरेगा

61,815

60,000

71,002

61,500

-13.4%

राष्ट्रीय शिक्षा मिशन

30,830

38,547

37,672

39,161

4.0%

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

31,502

33,651

34,290

34,115

-0.5%

एकीकृत बाल विकास सेवाएं

21,642

27,584

24,955

28,557

14.4%

प्रधानमंत्री आवास योजना

25,443

25,853

25,328

27,500

8.6%

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

15,414

19,000

14,070

19,500

38.6%

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

11,937

14,000

13,641

15,695

15.1%

अमृत और स्मार्ट सिटीज मिशन

12,085

13,750

9,842

13,750

39.7%

हरित क्रांति

11,758

12,561

9,965

13,320

33.7%

स्वच्छ भारत मिशन

15,374

12,644

9,638

12,294

27.6%

राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल मिशन

5,484

10,001

10,001

11,500

15.0%

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

8,143

9,682

7,896

11,127

40.9%

मिड-डे मील कार्यक्रम

9,514

11,000

9,912

11,000

11.0%

राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन

6,282

9,774

9,774

10,005

2.4%

SourcesExpenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.  

  • 2020-21 में पीएम-किसान योजना (किसानों को आय समर्थन) को सर्वाधिक आबंटन किया गया जोकि 75,000 करोड़ रुपए है। इस योजना का आबंटन 2019-20 के संशोधित अनुमान से 37.9% है। हालांकि 2019-20 में बजट चरण से संशोधित चरण में योजना के आबंटन में 20,630 करोड़ रुपए की कटौती की गई (28%)। 2018-19 में योजना के व्यय में 94की कटौती की गई। योजना के संशोधित चरण में 20,000 करोड़ रुपए का अनुमान था, जबकि वास्तविक व्यय 1,241 करोड़ रुपए था।
     
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को 2020-21 में दूसरा सबसे अधिक आबंटन किया गया जोकि 61,500 करोड़ रुपए है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमान से 9,502 करोड़ रुपए कम (13.4%) है। 2019-20 में योजना के आबंटन में बजटीय चरण से संशोधित चरण में 18की बढ़ोतरी हुई। यह 60,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 71,002 करोड़ रुपए हो गया। 
     
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का आबंटन 2019-20 के संशोधित अनुमान से बढ़कर 19,500 करोड़ रुपए हो गया, यह 38.6की बढ़ोतरी है। 2019-20 में योजना के आबंटन में बजटीय चरण से संशोधित चरण में कटौती हुई थी, यह कटौती 4,930 करोड़ रुपए (26%) थी।
     

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उप योजनाओं और महिलाओं, बच्चों और पूर्वोत्तर क्षेत्र की योजनाओं पर व्यय 

तालिका 7: महिलाओं, बच्चों, एससीज़, एसटीज़ और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)

 

बजटीय
 2019 -20

संशोधित
 2019 -20

बजटीय 2020-21

परिवर्तन का % 
  (संअ 2019-20 से बअ 2020-21)

महिला कल्याण

1,36,934 

1,42,813 

1,43,462 

0.5%

बाल कल्याण

  91,644 

 87,642 

  96,042 

9.6%

अनुसूचित जाति

  81,341 

72,936 

  83,257 

14.1%

अनुसूचित जनजाति

  52,884 

 49,268 

  53,653 

8.9%

पूर्वोत्तर क्षेत्र

  59,370 

53,374 

  60,112 

12.6%

SourcesExpenditure Profile, Union Budget 2020-21; PRS.

  • 2020-21 में महिला एवं बाल कल्याण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 2,39,504 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया, जोकि 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 3.8% अधिक है। इस आबंटन में सभी मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रम शामिल हैं।
     
  • 2019-20 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उप योजना के लिए कुल 1,36,909 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। इसमें पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 12% की वृद्धि हुई है।

राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन के लक्ष्य 

राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 के अंतर्गत यह अपेक्षा की जाती है कि केंद्र सरकार बकाया ऋण, राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम करेगी। हर वर्ष केंद्र सरकार अपना बजट प्रस्तुत करते हुए इनके लिए तीन वर्ष के आवर्ती लक्ष्य देती है। तालिका 8 में मध्यावधि राजकोषीय घाटा नीति वक्तव्य में दिए गए राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रदर्शित किया गया है।

राजकोषीय घाटा उन उधारियों का संकेत देता है जिनसे सरकार अपने व्यय को वित्त पोषित करती है। 2020-21 के लिए अनुमानित राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5है।

राजस्व घाटा सरकार की राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर होता है।  इसका यह अर्थ होता है कि सरकार को अपना व्यय पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत है जिनसे भविष्य में प्राप्तियां नहीं हो सकतीं। 2020-21 के लिए अनुमानित राजस्व घाटा जीडीपी का 2.7है।

 

तालिका 8: घाटों के लिए एफआरबीएम के लक्ष्य (जीडीपी का %)

 

वास्तविक
 2018 -19

संशोधित
 2019 -20

बजटीय
 2020 -21

लक्ष्य
 2020 -21

लक्ष्य
 2021 -22

राजकोषीय घाटा

3.4%

3.8%

3.5%

3.3%

3.1%

राजस्व घाटा

2.4%

2.4%

2.7%

2.3%

1.9%

SourcesMedium Term Fiscal Policy Statement, Union Budget 2020-21; PRS.

प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटे और ब्याज भुगतान के बीच का अंतर होता है। 2020-21 के लिए अनुमानित प्राथमिक घाटा जीडीपी का 0.4है।

अतिरिक्त बजटीय संसाधनबजट में प्रदर्शित व्यय के अतिरिक्त सरकार अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के जरिए भी खर्च करती है। इन संसाधनों को बॉन्ड जारी करके या नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (एनएसएसएफ) से लोन के जरिए जुटाया जाता है। 2020-21 में सरकार द्वारा ऐसे अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के जरिए 1,86,100 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। इसमें भारतीय खाद्य निगम द्वारा 1,36,600 करोड़ रुपए का व्यय शामिल है जिसे एनएसएसएफ से लोन के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा।

चूंकि ऐसे व्यय के लिए उधार ली गई राशि बजट से बाहर होती है, उन्हें घाटे और ऋण के आंकड़ों में शामिल नहीं किया जाता। अगर अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के रूप में ली गई उधारियों को भी लेखे में शामिल किया जाता है तो वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान जीडीपी के 3.5से बढ़कर 4.4हो जाएगा। इसी प्रकार 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8से बढ़कर 4.6% हो गया जिसका कारण 1,72,699 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बजटीय उधारियां थीं। 

 SourcesMedium Term Fiscal Policy Statement, Union Budget (multiple years); PRS.  

 

  • पिछले 15 वर्षों के दौरान सरकार व्यापक रूप से घाटे के स्तर को बजट स्तर से नीचे रखने में सफल रही है। 2018-19 में सरकार के 3.3के बजटीय लक्ष्य से आगे निकलने की उम्मीद है, चूंकि राजकोषीय घाटा 3.4% होने का अनुमान है।
     
  • 2019-20 में सरकार ने राजकोषीय घाटे के लिए 3.3और राजस्व घाटे के लिए 2.3% के बजट अनुमान को निर्धारित किया था। संशोधित अनुमानों के अनुसार, दोनों घाटे 2019-20 के बजट लक्ष्य से आगे निकल गए।
  • पिछले कई वर्षों की बकाया उधारियां मिलकर बकाया ऋण बन जाते हैं। उच्च ऋण का अर्थ यह है कि आने वाले वर्षों में सरकार पर ऋण चुकाने की अधिक बाध्यता होगी।
     
  • सरकार की कुल बकाया देनदारियां 2000-01 में जीडीपी के 55.5% से गिरकर 2020-21 में 50.1% हो गईं (बजट अनुमान)। एफआरबीएम एक्ट ऋण-जीडीपी अनुपात के लक्ष्य को 40% पर निर्धारित करने का प्रयास करता है जिसे 2024-25 तक हासिल करना है।

 

 NoteFigures for 2019-20 are revised estimates and for 2020-21 are budget estimates.  

SourcesEconomic Surveys 2003-04 to 2018-19; Union Budget 2020-21; PRS.

 

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