हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 6 मार्च2021 को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के असर की वजह से वर्ष 2020-21 अर्थव्यवस्था और सरकारी वित्त के लिहाज से स्टैंडर्ड वर्ष नहीं था। इस नोट में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2019-20 के वास्तविक आंकड़ों से की गई है (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर या सीएजीआर के संदर्भ में)। अनुलग्नक 3 में 2020-21 के संशोधित अनुमानों और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना की गई है।

बजट के मुख्य अंश

  • 2021-22 के लिए हिमाचल प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) (मौजूदा मूल्यों पर) 1,72,174 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें 2019-20 की तुलना में 3% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, पिछले वर्ष के मुकाबले जीएसडीपी के 3.9संकुचित होने का अनुमान है (बजटीय चरण में 10की अनुमानित वृद्धि की तुलना में)।
     
  • 2021-22 के लिए कुल व्यय 50,192 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 के वास्तविक व्यय की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में कुल व्यय बजटीय अनुमान की तुलना में 9अधिक अनुमानित है (4,329 करोड़ रुपए की वृद्धि)।
     
  • 2021-22 के लिए कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) 37,069 करोड़ रुपए अनुमानित हैं जिसमें 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 में कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) बजट अनुमान से 2,846 करोड़ रुपए कम रहने का अनुमान है (7% की गिरावट)।
     
  • 2021-22 के लिए राजस्व घाटा 1,463 करोड़ रुपए अनुमानित है जोकि जीएसडीपी का 0.85% है। 2020-21 में (संशोधित अनुमान) राज्य को 423 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 0.27%)।  
     
  • 2021-22 में राजकोषीय घाटा 7,789 करोड़ रुपए पर लक्षित है (जीएसडीपी का 4.52%)। 2020-21 में संशोधित अनुमानों के अनुसार, राजकोषीय घाटे के जीएसडीपी के 4.12% होने की उम्मीद है जो जीएसडीपी के 4% के बजट अनुमान से अधिक है।

नीतिगत विशिष्टताएं

  • नई नीतियां: वन संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए नई नीति बनाई जाएगी ताकि नए पौधों को सूखने से बचाया जा सके और जवाबदेही सुनिश्चित हो। राज्य सरकार ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2021-22 में स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति तैयार करेगी। 
     
  • कृषिएपीएमसी मंडियों में फूलों की मार्केटिंग और व्यापार को मंजूरी देने के लिए कानूनी संरचना में संशोधन किया जाएगा। राज्य में परंपरागत बीजों के संरक्षण और प्रचार के लिए स्वर्ण जयंती परंपरागत बीज सुरक्षा संवर्धन योजना को शुरू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्य में कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के लिए पांच करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से एक रिसर्च और डेवलमेंट फंड बनाया जाएगा।
     
  • सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरणविभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों के उचित चयन के लिए एक एकीकृत लाभार्थी डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाएगी। हिमाचल प्रदेश ऑनलाइन पोर्टल से 80 सरकारी सेवाओं को एकीकृत किया जाएगा और लोक मित्र केंद्रों के जरिए इन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।
     
  • मानदेय में बढ़ोतरीआशा वर्कर्स का मानदेय 750 रुपए मासिक बढ़ाया जाएगा। आंगनवाड़ी वर्कर्स, मिनी आंगनवाड़ी वर्कर्स और आंगनवाड़ी हेल्पर्स के मानदेय को भी हर महीने क्रमशः 5,00 रुपए, 300 रुपए और 300 रुपए बढ़ाया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था

  • जीएसडीपी: 2019-20 में हिमाचल प्रदेश की जीएसडीपी (स्थिर मूल्यों पर) की वृद्धि दर 5.6% थी, जोकि 2018-19 की वृद्धि दर से कम है (7.1%)।
     
  • क्षेत्र: 2019-20 में अर्थव्यवस्था में कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों ने क्रमशः 13%47% और 41% का योगदान दिया। 
     
  • प्रति व्यक्ति जीएसडीपी: 2019-20 में हिमाचल प्रदेश की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी (स्थिर मूल्यों पर) 1,69,787 रुपए थी जिसमें 2018-19 के मुकाबले 4.9% की वृद्धि है।
     
  • बेरोजगारी: पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे (जुलाई 2018-जून 2019) के अनुसार राज्य की बेरोजगारी दर 5.2% थी जो देश की औसत बेरोजगारी दर (5.8%) से कम है।

रेखाचित्र 1: हिमाचल प्रदेश में स्थिर मूल्यों पर (2011-12) जीएसडीपी और विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि

 image

नोटआंकड़े स्थिर मूल्यों (2011-12) पर आधारित हैं जिसका यह अर्थ है कि वृद्धि दर को मुद्रास्फीति के हिसाब से समायोजित किया गया है। 

SourcesMoSPI; PRS.

2021-22 के लिए बजट अनुमान

  • 2021-22 में 50,192 करोड़ रुपए के कुल व्यय का लक्ष्य है। इसमें 2019-20 की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। इस व्यय को 37,069 करोड़ रुपए की प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) और 11,731 करोड़ रुपए की उधारियों के जरिए पूरा किया जाना प्रस्तावित है। 2019-20 की तुलना में 2021-22 में कुल प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) में 10% की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।
     
  • 2021-22 के लिए राज्य ने 4.52% के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार ने 2021-22 में राज्यों के लिए राजकोषीय घाटे की जो 4की सीमा तय की थी, यह उससे अधिक है। 2021-22 में राज्य को 1,463 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है। इसकी तुलना में 2019-20 में राज्य को राजस्व अधिशेष हुआ था (12 करोड़ रुपए)।   
     
  • 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, प्राप्तियां (उधारियों के अतिरिक्त) बजट अनुमान से 7कम होने का अनुमान है, जबकि कुल व्यय 9अधिक होना अनुमानित है। 2020-21 में हिमाचल प्रदेश को 423 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है (जीडीपी का 0.27%)। 2020-21 में (संशोधित अनुमान) राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 4.12अनुमानित है, जोकि केंद्र सरकार द्वारा 2020-21 के लिए निर्धारित राजकोषीय घाटे की 5की अनुमत सीमा से कम है। 

तालिका 1: बजट 2021-22 के मुख्य आंकड़े (करोड़ रुपए में)

मद

2019-20

वास्तविक

2020-21 बजटीय

2020-21

संशोधित

बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का %

2021-22 बजटीय

2019-20 से बअ 2021-22 की तुलना में

कुल व्यय

 43,063 

 49,131 

 53,460 

9%

 50,192 

8%

क. प्राप्तियां (उधारियों के बिना)

 30,765 

 38,465 

 35,619 

-7%

 37,069 

10%

ख. उधारियां

 10,847 

 7,554 

 15,556 

106%

 11,731 

4%

कुल प्राप्तियां (ए+बी)

 41,613 

 46,019 

 51,175 

11%

 48,800 

8%

राजस्व संतुलन

 12 

 -684 

 -423 

-38%

 -1,463 

-

जीएसडीपी का %

0.01%

-0.38%

-0.27%

 

-0.85%

 

राजकोषीय घाटा

 5,597 

 7,272 

 6,445 

-11%

 7,789 

18%

जीएसडीपी का %

3.44%

4.00%

4.12%

 

4.52%

 

प्राथमिक घाटा

 1,363 

 2,340 

 1,822 

-22%

 2,772 

43%

जीएसडीपी का %

0.84%

1.29%

1.16%

 

1.61%

 

नोट्स: बअ- बजट अनुमानसंअ- संशोधित अनुमान। नेगेटिव राजस्व संतुलन घाटे को दर्शाती है।

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

2021-22 में व्यय

  • 2021-22 में पूंजीगत व्यय 11,701 करोड़ रुपए प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 3% की वार्षिक गिरावट है। पूंजीगत व्यय में ऐसे व्यय शामिल होते हैंजोकि राज्य की परिसंपत्तियों और देनदारियों को प्रभावित करते हैंजैसे (i) पूंजीगत परिव्यय यानी ऐसा व्यय जोकि परिसंपत्तियों का सृजन (जैसे पुल और अस्पताल) करता है और (ii) राज्य सरकार द्वारा ऋण का पुनर्भुगतान और ऋण देना। 2021-22 के लिए पूंजीगत परिव्यय (6,013 करोड़ रुपए) में 2019-20 की तुलना में 8की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।
     
  • 2021-22 के लिए 38,491 करोड़ रुपए का राजस्व व्यय प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 12की वार्षिक वृद्धि है। इसमें वेतन का भुगतानब्याज और सब्सिडी शामिल हैं। 
     
  • संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में राजस्व व्यय बजट अनुमान से 8कम और पूंजीगत परिव्यय 9कम अनुमानित है। 2021-22 में संशोधित चरण में ऋण पुनर्भुगतान 11,396 करोड़ रुपए अनुमानित है, जोकि बजट अनुमान से अधिक है (236%) (3,394 करोड़ रुपए)। इससे 2020-21 में बजट से संशोधित चरण में पूंजीगत व्यय में काफी बढ़ोतरी (74%) हुई है। 

तालिका 2बजट 2021-22 में व्यय (करोड़ रुपए में)

मद

2019-20 वास्तविक

2020-21 बजटीय

2020-21

संशोधित

बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का %

2021-22 बजटीय

वार्षिक परिवर्तन
 (2019-20 से बअ 2021-22) 

पूंजीगत व्यय

 12,333 

 10,008 

 17,449 

74%

 11,701 

-3%

जिसमें पूंजीगत परिव्यय

 5,174 

 6,255 

 5,692 

-9%

 6,013 

8%

राजस्व व्यय

 30,730 

 39,123 

 36,011 

-8%

 38,491 

12%

कुल व्यय

 43,063 

 49,131 

 53,460 

9%

 50,192 

8%

क. ऋण पुनर्भुगतान

 6,701 

 3,394 

 11,396 

236%

 5,334 

-11%

ब्याज भुगतान

 4,234 

 4,932 

 4,623 

-6%

 5,018 

9%

ऋण चुकौती (क+ख)

10,935

8,325

16,019

92.4%

10,351

-3%

नोट्स: बअ- बजट अनुमानसंअ- संशोधित अनुमान। पूंजीगत परिव्यय का अर्थ ऐसा व्यय है जिससे परिसंपत्तियों का सृजन होता है।

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

2021-22 में विभिन्न क्षेत्रों के लिए व्यय

2021-22 के दौरान हिमाचल प्रदेश के बजटीय व्यय का 60% हिस्सा निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों द्वारा कितना व्यय किया जाता हैइसकी तुलना अनुलग्नक 1 में प्रस्तुत है।  

तालिका 3: हिमाचल प्रदेश बजट 2021-22 में क्षेत्रवार व्यय (करोड़ रुपए में)

क्षेत्र

2019-20 वास्तविक

2020-21 बअ

2020-21

संअ

2021-22 बअ

वार्षिक परिवर्तन
 (2019-20 से बअ 2021-22)

बजटीय प्रावधान 2021-22

शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति

 6,423 

 8,304 

 7,523 

 8,272 

13%

  • § सर्व शिक्षा अभियान के लिए 289 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 
  • § 81 करोड़ रुपए मिड डे मील योजना के लिए आबंटित किए गए हैं। 

सड़क एवं पुल

 3,751 

 3,986 

 4,313 

 4,046 

4%

  • § सड़क और पुलों के निर्माण के लिए 1,989 करोड़ रुपए का पूंजीगत परिव्यय प्रस्तावित है। 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

 2,307 

 2,976 

 2,953 

 2,976 

14%

  • § राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए 339 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां

 2,291 

 2,856 

 2,677 

 2,730 

9%

  • § खाद्य सबसिडी के लिए 154 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

जलापूर्ति एवं सैनिटेशन

 1,541 

 2,357 

 2,080 

 2,243 

21%

  • § ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्र0म के लिए 1,138 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 
  • § शहरी जलापूर्ति कार्यक्रम के लिए 457 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

सामाजिक कल्याण एवं पोषण

 2,022 

 1,965 

 2,055 

 2,128 

3%

  • § सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत पेंशन हेतु 674 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 
  • § एकीकृत बाल देखभाल सेवाओं के लिए 200 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

पुलिस

 1,205 

 1,541 

 1,501 

 1,527 

13%

  • § जिला पुलिस के लिए 784 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

ग्रामीण विकास

 1,212 

 1,739 

 1,475 

 1,377 

7%

  • § मनरेगा के लिए 260 करोड़ रुपए दिए गए हैं। 
  • § स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के लिए 105 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण

 1,100 

 1,042 

 823 

 842 

-13%

  • § सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के विभिन्न प्रॉजेक्ट्स के लिए 378 करोड़ रुपए का पूंजीगत परिव्यय प्रस्तावित है। 

शहरी विकास

 524 

 763 

 841 

 728 

18%

  • § म्यूनिसिपैलिटी और म्यूनिसिपल परिषद को सहायता हेतु 168 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।  
  • § स्मार्ट सिटी मिशन के लिए 74 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।

सभी क्षेत्रों में कुल व्यय का %

62%

61%

63%

60%

-2%

 

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

प्रतिबद्ध व्यय: राज्य के प्रतिबद्ध व्यय में आम तौर पर वेतन भुगतान, पेंशन और ब्याज से संबंधित व्यय शामिल होते हैं। अगर बजट में प्रतिबद्ध व्यय की मद के लिए बड़ा हिस्सा आबंटित किया जाता है तो इससे राज्य पूंजीगत निवेश जैसी प्राथमिकताओं पर कम खर्च कर पाता है। 2021-22 में हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रतिबद्ध व्यय पर 26,503 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का अनुमान है जोकि उसकी राजस्व प्राप्तियों का 72% है। राज्य प्रतिबद्ध व्यय पर अपनी राजस्व प्राप्तियों का औसत 50खर्च करते हैं। 2021-22 में हिमाचल प्रदेश के प्रतिबद्ध व्यय में वेतन (राजस्व प्राप्तियों का 39%), पेंशन (19%) और ब्याज भुगतान (9%) पर व्यय शामिल हैं। 2019-20 के वास्तविक व्यय की तलना में प्रतिबद्ध व्यय पर 11की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।

तालिका 4: प्रतिबद्ध व्यय (करोड़ रुपए में)

मद

2019-20 वास्तविक

2020-21 बजटीय

2020-21

संशोधित

बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का %

2021-22 बजटीय

वार्षिक परिवर्तन
 (2019-20 से बअ 2021-22) 

वेतन

 11,669 

 14,836 

 13,231 

-11%

 14,403 

11%

पेंशन

 5,490 

 7,266 

 6,000 

-17%

 7,082 

14%

ब्याज भुगतान

 4,234 

 4,932 

 4,623 

-6%

 5,018 

9%

कुल प्रतिबद्ध व्यय

 21,393 

 27,034 

 23,854 

-12%

 26,503 

11%

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

2021-22 में प्राप्तियां

  • 2021-22 के लिए 37,028 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियां अनुमानित हैजिसमें 2019-20 की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। इनमें 12,036 करोड़ रुपए (33%) राज्य द्वारा अपने संसाधनों से जुटाए जाएंगे और 24,992 करोड़ रुपए (67%) केंद्रीय हस्तांतरण होंगे। यह राशि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी (राजस्व प्राप्तियों का 15%) और सहायतानुदान (राजस्व प्राप्तियों का 53%) से मिलेगी।
     
  • हस्तांतरण: 2021-22 में केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 5,524 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 9की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 मे हस्तांतरण बजटीय अनुमान से 30कम होने की उम्मीद है। केंद्रीय बजट में राज्यों के हस्तांतरण में 30% की कटौती इसका कारण हो सकती हैजोकि बजटीय चरण में 7,84,181 करोड़ रुपए से कम होकर संशोधित चरण में 5,49,959 करोड़ रुपए हो गया।
     
  • राज्य का स्वयं कर राजस्व: 2021-22 में राज्य का कुल स्वयं कर राजस्व 9,282 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 में वास्तविक कर राजस्व की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। स्वयं कर राजस्व की वृद्धि दर जीएसडीपी की वृद्धि दर से अधिक होने का अनुमान है (3%)। इसलिए स्वयं कर जीएसडीपी अनुपात 2019-20 में 4.7से बढ़कर 2021-22 मे 5.4होने का अनुमान है।

तालिका 5 : राज्य सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)

मद

2019-20 वास्तविक

2020-21 बजटीय

2020-21

संशोधित

बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का %

2021-22 बजटीय

वार्षिक परिवर्तन
 (2019-20 से बअ 2021-22) 

राज्य के स्वयं कर 

 7,624 

 9,090 

 7,917 

-13%

 9,282 

10%

राज्य के स्वयं गैर कर 

 2,502 

 2,410 

 2,268 

-6%

 2,754 

5%

केंद्रीय करों में हिस्सेदारी

 4,678 

 6,266 

 4,394 

-30%

 5,524 

9%

केंद्र से सहायतानुदान 

 15,940 

 20,673 

 21,009 

2%

 19,468 

11%

कुल राजस्व प्राप्तियां

30,742

38,439

35,588

-7%

 37,028 

10%

उधारियां

 10,847 

 7,554 

 15,556 

106%

 11,731 

4%

अन्य प्राप्तियां

 23 

 26 

 31 

18%

 41 

33%

कुल पूंजीगत प्राप्तियां

 10,870 

 7,580 

 15,587 

106%

 11,772 

4%

कुल प्राप्तियां

 41,613 

 46,019 

 51,175 

11%

 48,800 

8%

नोट्स: बअ- बजट अनुमानसंअ- संशोधित अनुमान। 

SourcesHimachal Pradesh Budget 2021-22; PRS.

 

जीएसटी क्षतिपूर्ति

जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) एक्ट, 2017 सभी राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले नुकसान की पांच वर्षों तक (2022 तक) भरपाई करने की गारंटी देता है। एक्ट राज्यों को उनके जीएसटी राजस्व में 14% की वार्षिक वृद्धि की गारंटी देता है, और ऐसा न होने पर राज्यों को इस कमी को दूर करने के लिए मुआवजा अनुदान दिया जाता है। ये अनुदान केंद्र द्वारा वसूले जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस से दिए जाते हैं। चूंकि 2020-21 में राज्यों की क्षतिपूर्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए सेस कलेक्शन पर्याप्त नहीं था, उनकी जरूरत के एक हिस्से को केंद्र के लोन्स के जरिए पूरा किया जाएगा (जोकि भविष्य के सेस कलेक्शन से चुकाया जाएगा)।

2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान के रूप में 3,546 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण के अनुमान नहीं लगाए गए हैं। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हिमाचल प्रदेश ने 1,251 करोड़ रुपए का जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण लिया है।  

राज्य को 2021-22 में 3,834 करोड़ रुपए के जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की उम्मीद है जोकि 2019-20 में क्षतिपूर्ति की राशि (1,877 करोड़ रुपए) से दोगुना है। 2020-21 में जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान में 10राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है। जून 2022 के बाद जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान जारी नहीं रहेगा। इससे राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी आ सकती है।

  • 2021-22 में एसजीएसटी के 4,142 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें 2019-20 में जमा हुए वास्तविक एसजीएसटी की तुलना में 8की वृद्धि है। 2021-22 में एसजीएसटी के राज्य के स्वयं कर राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत होने का अनुमान है (45%)। 2020-21 में एसजीएसटी के बजट अनुमान से 10कम रहने का अनुमान है।
  • 2021-22 में हिमाचल प्रदेश को सेल्स टैक्स और वैट से 1,643 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है जिसमें 2019-20 की तुलना में 19की वार्षिक वृद्धि है। 2021-22 में बिजली पर टैक्स और ड्यूटी और भूराजस्व से 2019-20 की तुलना में दोगुनी प्राप्ति होने की उम्मीद है।
  • संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2019-20 में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस से अन्य स्वयं कर स्रोतों के मुकाबले कम प्राप्तियों (28%) की उम्मीद है।

तालिका 6: राज्य के स्वयं कर राजस्व के मुख्य स्रोत (करोड़ रुपए में)

मद

2019-20 वास्तविक

2020-21 बजटीय

2020-21

संशोधित

बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का %

2021-22 बजटीय

वार्षिक परिवर्तन
 (2019-20 से बअ 2021-22) 

2021-22 में राजस्व प्राप्तियों का %

राज्य जीएसटी 

  3,550 

   3,855 

   3,451 

-10%

   4,142 

8%

11%

सेल्स टैक्स/वैट

   1,170 

   1,685 

   1,467 

-13%

   1,643 

19%

4%

राज्य एक्साइज

   1,660 

   1,788 

   1,624 

-9%

   1,868 

6%

5%

वाहन टैक्स

     466 

     457 

     372 

-19%

     488 

2%

1%

स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क

     260 

     328 

     235 

-28%

     311 

9%

1%

बिजली पर टैक्स और ड्यूटी

     101 

     403 

     403 

0%

     431 

107%

1%

भूराजस्व

       5 

      18 

      22 

21%

      23 

118%

0%

जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान

1,877

3,338

3,546

6%

3,834

43%

10%

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS. 

2021-22 में घाटे, ऋण और एफआरबीएम के लक्ष्य

हिमाचल प्रदेश के राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम2005 में राज्य सरकार की बकाया देनदारियोंराजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रगतिशील तरीके से कम करने के लक्ष्यों का प्रावधान है। 

राजस्व घाटा: राजस्व संतुलन राजस्व व्यय और राजस्व प्राप्तियों का अंतर होता है। राजस्व घाटे का अर्थ यह है कि सरकार को व्यय को पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत पड़ेगी जिससे न तो उसके एसेट्स बढ़ेंगे और न ही देनदारियां कम होंगी। राजस्व घाटे की गणना के बाद ही उधारियों से राजस्व प्राप्तियों को पूरा किया जाता है। राजस्व घाटे का यह अर्थ भी है कि राज्य की राजस्व प्राप्तियां, व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। 2021-22 के लिए राजस्व घाटा 1,463 करोड़ रुपए अनुमानित है जोकि जीएसडीपी का 0.85% है। यह हस्तांतरण बाद के 10,249 करोड़ रुपए के राजस्व घाटा अनुदान की गणना के बाद है जोकि राज्य को 15वें वित्त आयोग के सुझावों के बाद मिलेगा। इसकी तुलना में राज्य को 2019-20 में 12 करोड़ रुपए का राजस्व अधिशेष हुआ था (जीएसडीपी का 0.01%)। मध्यावधि की राजकोषीय योजना के अनुसार 2024-25 में राज्य का राजस्व घाटा जीएसडीपी का 1.42अनुमानित है।  

2021-26 के लिए राजकोषीय योजनाएं

15वें वित्त आयोग ने 2021-26 में राज्यों के लिए     निम्नलिखित राजकोषीय घाटा सीमा का सुझाव दिया है (i2021-22 में 4% (ii2022-23 में 3.5%और (iii2023-26 में 3%। आयोग ने अनुमान लगाया है कि इस तरीके से हिमाचल प्रदेश की कुल देनदारियां 2020-21 में जीएसडीपी के 39.8से गिरकर 2025-26 के अंत तक जीसएडीपी का 34.7हो जाएंगी।

अगर राज्य पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उधारी की निर्दिष्ट सीमा का उपयोग नहीं कर पाया तो वह बाद के वर्षों (2021-26 की अवधि में शेष) में उपयोग न हुई राशि हासिल कर सकता है। अगर राज्य बिजली क्षेत्र के सुधार करते हैं तो पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उन्हें जीएसडीपी के 0.5% मूल्य की अतिरिक्त वार्षिक उधारी लेने की अनुमति होगी। इन सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑपरेशनल नुकसान कम करना, (ii) राजस्व अंतराल में कमी, (iii) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को अपनाने से नकद सबसिडी के भुगतान में कमी, और (iv) राजस्व के प्रतिशत के रूप में टैरिफ सबसिडी में कमी।

राजकोषीय घाटा: कुल प्राप्तियों से कुल व्यय अधिक होने को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। सरकार उधारियों के जरिए इस अंतर को कम करने का प्रयास करती है जिससे सरकार पर कुल देनदारियों में वृद्धि होती है। 2021-22 में 7,789 करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 4.52%)। आर्थिक बहाली को सहयोग देने हेतु व्यय बढ़ाने के लिए राज्यों को एफआरबीएम एक्ट के अंतर्गत 3% की सीमा के विपरीत उच्च राजकोषीय घाटे की अनुमति दी गई है। मध्यावधि की राजकोषीय योजना के अनुसार 2022-25 के बीच तीनों वर्षों के दौरान राज्य का राजकोषीय घाटा 4.5से अधिक रहने का अनुमान है। 

2020-21 में उधारियों पर निर्भरता बढ़ी: कोविड-19 के कारण केंद्र सरकार ने 2020-21 में सभी राज्यों को अपने राजकोषीय घाटे को अधिकतम 5% बढ़ाने की अनुमति दी है। सभी राज्य अपने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी का 4% कर सकते हैं। शेष 1% के लिए शर्त यह है कि राज्य कुछ सुधारों को लागू करेंगे (प्रत्येक सुधार के लिए 0.25%)। ये सुधार हैं (i) एक देश एक राशन कार्ड, (ii) ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (iiiशहरी स्थानीय निकाय/यूटिलिटी और (iv) बिजली वितरण। 19 फरवरी, 2021 तक हिमाचल प्रदेश ने सिर्फ ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार को पूरा किया है। परिणामस्वरूप वह 438 करोड़ रुपए का उधार ले सकता है।

बकाया देनदारियां: वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य की कुल उधारियां जमा होकर बकाया देनदारियां बन जाती हैं (इसमें पब्लिक एकाउंट्स की देनदारियां भी शामिल हैं)। बकाया देनदारियां 2018-19 में जीएसडीपी के 33.98% से बढ़कर 2021-22 में 40.26होने की उम्मीद है।

रेखाचित्र 2: राजस्व एवं राजकोषीय संतुलन (जीएसडीपी का %)

image

नोटRE संशोधित अनुमान हैं, और BE बजट अनुमान।  नेगेटिव वैल्यू घाटे और पॉजिटिव अधिशेष को दर्शाते हैं। 2018-19 औऱ 2019-20 के आंकड़े वास्तविक हैं। 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के आंकड़े अनुमानित हैं। SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.  

 

रेखाचित्र 3: बकाया देनदारियों के लक्ष्य (जीएसडीपी का %)

image

नोटRE संशोधित अनुमान हैं, और BE बजट अनुमान। 2018-19 औऱ 2019-20 के आंकड़े वास्तविक हैं। 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के आंकड़े अनुमानित हैं।

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.  

 

अनुलग्नक 1: मुख्य क्षेत्रों में राज्य के व्यय की तुलना

निम्नलिखित रेखाचित्रों में छह मुख्य क्षेत्रों में अन्य राज्यों के औसत व्यय के अनुपात में हिमाचल प्रदेश के कुल व्यय की तुलना की गई है। क्षेत्र के लिए औसतउस क्षेत्र में 30 राज्यों (हिमाचल प्रदेश सहित) द्वारा किए जाने वाले औसत व्यय (2020-21 के बजटीय अनुमानों के आधार पर) को इंगित करता है।[1]

  • शिक्षा: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के लिए बजट का 18.6% हिस्सा आबंटित किया है। अन्य राज्यों द्वारा शिक्षा पर जितनी औसत राशि का आबंटन किया गया (15.8%) उसकी तुलना में हिमाचल प्रदेश का आबंटन अधिक है (2020-21 बजट अनुमान)।
  • स्वास्थ्य: हिमाचल प्रदेश ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल 6.7% का आबंटन किया है। अन्य राज्यों के औसत आबंटन (5.5%) से यह ज्यादा है।
  • कृषि: राज्य ने 2021-22 में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए अपने बजट का 6.1% हिस्सा आबंटित किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटनों (6.3%) से कम है।
  • ग्रामीण विकास: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने ग्रामीण विकास के लिए 3.1% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत (6.1%) से कम है।
  • पुलिस: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने पुलिस के लिए 3.4% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटन (4.3%) से कम है।
  • सड़क और पुल: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने सड़कों और पुलों के लिए 9.1% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों द्वारा सड़कों और पुलों के लिए औसत आबंटन (4.3%) से काफी ज्यादा है।

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नोट2019-20, 2020-21 (बअ), 2020-21 (संअ), and 2021-22 (बअ) के आंकड़े हिमाचल प्रदेश के हैं। 

SourcesHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; various state budgets; PRS.

 

अनुलग्नक 2: 2021-26 में 15वें वित्त आयोग के सुझाव

15वें वित्त आयोग ने 1 फरवरी, 2021 को 2021-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की। 2021-26 की अवधि के लिए आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का 41हिस्सा सुझाया गया है जोकि 2020-21 (जिसे 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में सुझाया था) के लगभग समान ही है। 14वें वित्त आयोग (2015-20 की अवधि) ने 42का सुझाव दिया था और इसमें से 1की कटौती इसलिए की गई है ताकि नए गठित जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों को अलग से धनराशि दी जा सके। 15वें वित्त आयोग ने प्रत्येक राज्य के हिस्से को निर्धारित करने के लिए अलग मानदंड प्रस्तावित किए हैं (जोकि 14वें वित्त आयोग से अलग हैं)। 2021-26 की अवधि के लिए 15वें वित्त आयोग के सुझावों के आधार पर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय करों के डिवाइजिबल पूल से 0.34हिस्सा मिलेगा। इसका अर्थ यह है कि 2021-22 में केंद्र के कर राजस्व में प्रति 100 रुपए पर हिमाचल प्रदेश को 0.34 रुपए मिलेंगे। 14वें वित्त आयोग ने राज्य के लिए 0.30 रुपए का सुझाव दिया था और यह उससे ज्यादा है।

तालिका 7: 14वें और 15वें वित्त आयोग की अवधियों के अंतर्गत केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी 

राज्य

14वां विआ

15वां विआ

15वां विआ

% परिवर्तन

2015-20

2020-21

2021-26

2015-20 से
 2021-26

2015-20 से
 2021-26

आंध्र प्रदेश

1.81

1.69

1.66

-8.2%

-1.6%

अरुणाचल प्रदेश

0.58

0.72

0.72

25.2%

-0.2%

असम

1.39

1.28

1.28

-7.8%

-0.1%

बिहार

4.06

4.13

4.12

1.6%

0.0%

छत्तीसगढ़

1.29

1.40

1.40

8.0%

-0.3%

गोवा

0.16

0.16

0.16

-0.3%

0.0%

गुजरात

1.30

1.39

1.43

10.1%

2.4%

हरियाणा

0.46

0.44

0.45

-1.6%

1.0%

हिमाचल प्रदेश

0.30

0.33

0.34

13.6%

3.9%

जम्मू एवं कश्मीर

0.78

-

-

-

-

झारखंड

1.32

1.36

1.36

2.8%

-0.2%

कर्नाटक

1.98

1.50

1.50

-24.5%

0.0%

केरल

1.05

0.80

0.79

-24.8%

-0.9%

मध्य प्रदेश

3.17

3.23

3.22

1.5%

-0.5%

महाराष्ट्र

2.32

2.52

2.59

11.7%

3.0%

मणिपुर

0.26

0.29

0.29

13.3%

-0.3%

मेघालय

0.27

0.31

0.31

16.6%

0.3%

मिजोरम

0.19

0.21

0.21

6.1%

-1.2%

नागालैंड

0.21

0.24

0.23

11.5%

-0.7%

ओड़िशा

1.95

1.90

1.86

-4.8%

-2.2%

पंजाब

0.66

0.73

0.74

11.9%

1.1%

राजस्थान

2.31

2.45

2.47

7.1%

0.8%

सिक्किम

0.15

0.16

0.16

3.2%

0.0%

तमिलनाडु

1.69

1.72

1.67

-1.0%

-2.6%

तेलंगाना

1.02

0.88

0.86

-15.8%

-1.5%

त्रिपुरा

0.27

0.29

0.29

7.7%

-0.1%

उत्तर प्रदेश

7.54

7.35

7.36

-2.5%

0.0%

उत्तराखंड

0.44

0.45

0.46

3.7%

1.3%

पश्चिम बंगाल

3.08

3.08

3.08

0.3%

0.1%

कुल

42.00

41.00

41.00

   

नोटहालांकि 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 और 2021-26 की अवधियों के लिए एक जैसे मानदंडों का सुझाव दिया है, कुछ संकेतकों की गणना की संदर्भ अवधि अलग है। इसलिए 2020-21 और 2021-26 में राज्यों को डिवाइजिबल पूल से अलग-अलग हिस्सा मिलेगा। राज्यों के हिस्सो को दो दशलम बिंदु के साथ पूर्णांक बना दिया है।
 SourcesReports of 14th and 15th Finance Commissions; PRS.

15वें वित्त आयोग ने पांच वर्षों (2021-26) में राज्यों के लिए 10.3 लाख करोड़ रुपए के अनुदानों का सुझाव दिया है (देखें तालिका 8)। इन अनुदानों का एक हिस्सा सशर्त होगा। 17 राज्यों को इस अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान दिया जाएगा। क्षेत्र विशिष्ट अनुदानों में स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए अनुदान दिए जाएंगे। स्थानीय सरकारों के अनुदानों में निम्नलिखित शामिल होंगे(i) शहरी स्थानीय निकायों को 1.लाख करोड़ रुपए, (ii) ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2.लाख करोड़ रुपए और (iii) स्थानीय सरकारों के जरिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70,000 करोड़ रुपए।

हिमाचल प्रदेश के लिए निम्न अनुदानों का सुझाव दिया गया है: (i) राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 37,199 करोड़ रुपए, (ii) स्थानीय निकायों के लिए 3,049 करोड़ रुपए, और (iiiकुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए 1,420 करोड़ रुपए के राज्य विशिष्ट अनुदान 

तालिका 82021-26 के लिए अनुदान (करोड़ रुपए में)

अनुदान

कुल

हिमाचल प्रदेश

राजस्व घाटा अनुदान

 2,94,514

37,199

स्थानीय सरकारों को अनुदान

 4,36,361

3,049*

क्षेत्र विशिष्ट अनुदान

 1,29,987

2,987#

आपदा प्रबंधन अनुदान

 1,22,601

2,258

राज्य विशिष्ट अनुदान

49,599

1,420

कुल

10,33,062

46,913

नोटइसमें प्रतिस्पर्धा आधारित अनुदान शमिल नहीं, जिनमें *नए शहरों के इनक्यूबेशन के लिए अनुदान (स्थानीय निकायों के अनुदानों का भाग) और #स्कूली शिक्षा और आकांक्षी जिलों और ब्लॉक्स के अनुदान शामिल हैं।
 SourceReport of 15th FC; PRS.

जैसे कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार और उन्नयन, मंडी हवाई अड्डे (नागचला) का निर्माण और ज्वालामुखी  का उन्नयन और विकास। 

 

तालिका 9केंद्रीय बजट 2021-22 में राज्यों को कर हस्तांतरण

राज्य

2019-20

2020-21
 
संशोधित

2021-22
 
बजटीय

आंध्र प्रदेश

29,421

22,611

26,935

अरुणाचल प्रदेश

9,363

9,681

11,694

असम

22,627

17,220

20,819

बिहार

66,049

55,334

66,942

छत्तीसगढ़

21,049

18,799

22,676

गोवा

2,583

2,123

2,569

गुजरात

21,077

18,689

23,148

हरियाणा

7,408

5,951

7,275

हिमाचल प्रदेश

4,873

4,394

5,524

जम्मू एवं कश्मीर

12,623

-38

-

झारखंड

21,452

18,221

22,010

कर्नाटक

32,209

20,053

24,273

केरल

17,084

10,686

12,812

मध्य प्रदेश

51,584

43,373

52,247

महाराष्ट्र

37,732

33,743

42,044

मणिपुर

4,216

3,949

4,765

मेघालय

4,387

4,207

5,105

मिजोरम

3,144

2,783

3,328

नागालैंड

3,403

3,151

3,787

ओड़िशा

31,724

25,460

30,137

पंजाब

10,777

9,834

12,027

राजस्थान

37,554

32,885

40,107

सिक्किम

2,508

2,134

2,582

तमिलनाडु

27,493

23,039

27,148

तेलंगाना

16,655

11,732

13,990

त्रिपुरा

4,387

3,899

4,712

उत्तर प्रदेश

1,22,729

98,618

1,19,395

उत्तराखंड

7,189

6,072

7,441

पश्चिम बंगाल

50,051

41,353

50,070

कुल

6,83,353

5,49,959

6,65,563

नोट: 2019-20 के वास्तविक आंकड़े और 2020-21 के संशोधित अनुमान पिछले वर्षों में अधिक या कम विचलन के लिए समायोजित करने के बाद केंद्रीय बजट में प्रदर्शित किए गए हैं।
 SourceUnion Budget Documents 2021-22; PRS.

अनुलग्नक 3: 2020-21 के संशोधित और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना

यहां तालिकाओं में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2020-21 के संशोधित अनुमानों से की गई है।

तालिका 10: 2020-21 के संशोधित और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना (करोड़ रुपए में)

मद

2020-21 संअ

2021-22 बअ

2020-21 संअ से  2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर

प्राप्तियां (1+2)

51,175

48,800

-5%

प्राप्तियां, उधारियों के बिना

35,619

37,069

4%

1.  राजस्व प्राप्तियां (क+ख+ग+घ)

35,588

37,028

4%

क. स्वयं कर राजस्व

7,917

9,282

17%

ख. स्वयं गैर कर राजस्व

2,268

2,754

21%

ग. केंद्रीय करों में हिस्सा

4,394

5,524

26%

घ. केंद्र से सहायतानुदान

21,009

19,468

-7%

इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति

3,546

3,834

8%

2.  पूंजीगत प्राप्तियां

15,587

11,772

-24%

क. उधारियां

15,556

11,731

-25%

व्यय (3+4)

53,460

50,192

-6%

3.  राजस्व व्यय

36,011

38,491

7%

4.  पूंजीगत व्यय

17,449

11,701

-33%

i.  पूंजीगत परिव्यय

5,692

6,013

6%

ii. ऋण पुनर्भुगतान

11,396

5,334

-53%

राजस्व संतुलन

-423

-1,463

246%

राजस्व संतुलन (जीएसडीपी के % के रूप में)

-0.27%

-0.85%

0%

राजकोषीय घाटा

6,445

7,789

21%

राजकोषीय संतुलन (जीएसडीपी के % के रूप में)

4.12%

4.52%

0%

नोट: नेगेटिव वैल्यू घाटे को दर्शाती है। 
SourceHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

तालिका 11राज्य के स्वयं कर राजस्व के घटक (करोड़ रुपए में)

टैक्स

2020-21 संअ

2021-22 बअ

2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर

एसजीएसटी

3,451

4,142

20%

सेल्स टैक्स/वैट

1,467

1,643

12%

राज्य की एक्साइज ड्यूटी

1,624

1,868

15%

वाहन टैक्स

372

488

31%

स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क

235

311

32%

बिजली पर टैक्स और ड्यूटी

403

431

7%

भूराजस्व

22

23

5%

SourceHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

तालिका 12मुख्य क्षेत्रों के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)

क्षेत्र

2020-21 संअ

2021-22 बअ

2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर

शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति

7,523

8,272

10%

सड़क एवं पुल

4,313

4,046

-6%

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

2,953

2,976

1%

कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां

2,677

2,730

2%

जलापूर्ति एवं सैनिटेशन

2,080

2,243

8%

सामाजिक कल्याण एवं पोषण

2,055

2,128

4%

पुलिस

1,501

1,527

2%

ग्रामीण विकास

1,475

1,377

-7%

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण

823

842

2%

शहरी विकास

841

728

-13%

SourceHimachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.

[1] 30 राज्यों में दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।

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