हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 6 मार्च, 2021 को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के असर की वजह से वर्ष 2020-21 अर्थव्यवस्था और सरकारी वित्त के लिहाज से स्टैंडर्ड वर्ष नहीं था। इस नोट में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2019-20 के वास्तविक आंकड़ों से की गई है (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर या सीएजीआर के संदर्भ में)। अनुलग्नक 3 में 2020-21 के संशोधित अनुमानों और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना की गई है।
बजट के मुख्य अंश
- 2021-22 के लिए हिमाचल प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) (मौजूदा मूल्यों पर) 1,72,174 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें 2019-20 की तुलना में 3% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, पिछले वर्ष के मुकाबले जीएसडीपी के 3.9% संकुचित होने का अनुमान है (बजटीय चरण में 10% की अनुमानित वृद्धि की तुलना में)।
- 2021-22 के लिए कुल व्यय 50,192 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 के वास्तविक व्यय की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में कुल व्यय बजटीय अनुमान की तुलना में 9% अधिक अनुमानित है (4,329 करोड़ रुपए की वृद्धि)।
- 2021-22 के लिए कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) 37,069 करोड़ रुपए अनुमानित हैं जिसमें 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 में कुल प्राप्तियां (उधारियों के बिना) बजट अनुमान से 2,846 करोड़ रुपए कम रहने का अनुमान है (7% की गिरावट)।
- 2021-22 के लिए राजस्व घाटा 1,463 करोड़ रुपए अनुमानित है जोकि जीएसडीपी का 0.85% है। 2020-21 में (संशोधित अनुमान) राज्य को 423 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 0.27%)।
- 2021-22 में राजकोषीय घाटा 7,789 करोड़ रुपए पर लक्षित है (जीएसडीपी का 4.52%)। 2020-21 में संशोधित अनुमानों के अनुसार, राजकोषीय घाटे के जीएसडीपी के 4.12% होने की उम्मीद है जो जीएसडीपी के 4% के बजट अनुमान से अधिक है।
नीतिगत विशिष्टताएं
- नई नीतियां: वन संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए नई नीति बनाई जाएगी ताकि नए पौधों को सूखने से बचाया जा सके और जवाबदेही सुनिश्चित हो। राज्य सरकार ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2021-22 में स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति तैयार करेगी।
- कृषि: एपीएमसी मंडियों में फूलों की मार्केटिंग और व्यापार को मंजूरी देने के लिए कानूनी संरचना में संशोधन किया जाएगा। राज्य में परंपरागत बीजों के संरक्षण और प्रचार के लिए स्वर्ण जयंती परंपरागत बीज सुरक्षा संवर्धन योजना को शुरू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्य में कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के लिए पांच करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से एक रिसर्च और डेवलमेंट फंड बनाया जाएगा।
- सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण: विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों के उचित चयन के लिए एक एकीकृत लाभार्थी डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाएगी। हिमाचल प्रदेश ऑनलाइन पोर्टल से 80 सरकारी सेवाओं को एकीकृत किया जाएगा और लोक मित्र केंद्रों के जरिए इन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।
- मानदेय में बढ़ोतरी: आशा वर्कर्स का मानदेय 750 रुपए मासिक बढ़ाया जाएगा। आंगनवाड़ी वर्कर्स, मिनी आंगनवाड़ी वर्कर्स और आंगनवाड़ी हेल्पर्स के मानदेय को भी हर महीने क्रमशः 5,00 रुपए, 300 रुपए और 300 रुपए बढ़ाया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था
|
रेखाचित्र 1: हिमाचल प्रदेश में स्थिर मूल्यों पर (2011-12) जीएसडीपी और विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि
नोट: आंकड़े स्थिर मूल्यों (2011-12) पर आधारित हैं जिसका यह अर्थ है कि वृद्धि दर को मुद्रास्फीति के हिसाब से समायोजित किया गया है। Sources: MoSPI; PRS. |
2021-22 के लिए बजट अनुमान
- 2021-22 में 50,192 करोड़ रुपए के कुल व्यय का लक्ष्य है। इसमें 2019-20 की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि है। इस व्यय को 37,069 करोड़ रुपए की प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) और 11,731 करोड़ रुपए की उधारियों के जरिए पूरा किया जाना प्रस्तावित है। 2019-20 की तुलना में 2021-22 में कुल प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) में 10% की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।
- 2021-22 के लिए राज्य ने 4.52% के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार ने 2021-22 में राज्यों के लिए राजकोषीय घाटे की जो 4% की सीमा तय की थी, यह उससे अधिक है। 2021-22 में राज्य को 1,463 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है। इसकी तुलना में 2019-20 में राज्य को राजस्व अधिशेष हुआ था (12 करोड़ रुपए)।
- 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, प्राप्तियां (उधारियों के अतिरिक्त) बजट अनुमान से 7% कम होने का अनुमान है, जबकि कुल व्यय 9% अधिक होना अनुमानित है। 2020-21 में हिमाचल प्रदेश को 423 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान है (जीडीपी का 0.27%)। 2020-21 में (संशोधित अनुमान) राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 4.12% अनुमानित है, जोकि केंद्र सरकार द्वारा 2020-21 के लिए निर्धारित राजकोषीय घाटे की 5% की अनुमत सीमा से कम है।
तालिका 1: बजट 2021-22 के मुख्य आंकड़े (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
2019-20 से बअ 2021-22 की तुलना में |
कुल व्यय |
43,063 |
49,131 |
53,460 |
9% |
50,192 |
8% |
क. प्राप्तियां (उधारियों के बिना) |
30,765 |
38,465 |
35,619 |
-7% |
37,069 |
10% |
ख. उधारियां |
10,847 |
7,554 |
15,556 |
106% |
11,731 |
4% |
कुल प्राप्तियां (ए+बी) |
41,613 |
46,019 |
51,175 |
11% |
48,800 |
8% |
राजस्व संतुलन |
12 |
-684 |
-423 |
-38% |
-1,463 |
- |
जीएसडीपी का % |
0.01% |
-0.38% |
-0.27% |
-0.85% |
||
राजकोषीय घाटा |
5,597 |
7,272 |
6,445 |
-11% |
7,789 |
18% |
जीएसडीपी का % |
3.44% |
4.00% |
4.12% |
4.52% |
||
प्राथमिक घाटा |
1,363 |
2,340 |
1,822 |
-22% |
2,772 |
43% |
जीएसडीपी का % |
0.84% |
1.29% |
1.16% |
1.61% |
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। नेगेटिव राजस्व संतुलन घाटे को दर्शाती है।
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में व्यय
- 2021-22 में पूंजीगत व्यय 11,701 करोड़ रुपए प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 3% की वार्षिक गिरावट है। पूंजीगत व्यय में ऐसे व्यय शामिल होते हैं, जोकि राज्य की परिसंपत्तियों और देनदारियों को प्रभावित करते हैं, जैसे (i) पूंजीगत परिव्यय यानी ऐसा व्यय जोकि परिसंपत्तियों का सृजन (जैसे पुल और अस्पताल) करता है और (ii) राज्य सरकार द्वारा ऋण का पुनर्भुगतान और ऋण देना। 2021-22 के लिए पूंजीगत परिव्यय (6,013 करोड़ रुपए) में 2019-20 की तुलना में 8% की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।
- 2021-22 के लिए 38,491 करोड़ रुपए का राजस्व व्यय प्रस्तावित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 12% की वार्षिक वृद्धि है। इसमें वेतन का भुगतान, ब्याज और सब्सिडी शामिल हैं।
- संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में राजस्व व्यय बजट अनुमान से 8% कम और पूंजीगत परिव्यय 9% कम अनुमानित है। 2021-22 में संशोधित चरण में ऋण पुनर्भुगतान 11,396 करोड़ रुपए अनुमानित है, जोकि बजट अनुमान से अधिक है (236%) (3,394 करोड़ रुपए)। इससे 2020-21 में बजट से संशोधित चरण में पूंजीगत व्यय में काफी बढ़ोतरी (74%) हुई है।
तालिका 2: बजट 2021-22 में व्यय (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
पूंजीगत व्यय |
12,333 |
10,008 |
17,449 |
74% |
11,701 |
-3% |
जिसमें पूंजीगत परिव्यय |
5,174 |
6,255 |
5,692 |
-9% |
6,013 |
8% |
राजस्व व्यय |
30,730 |
39,123 |
36,011 |
-8% |
38,491 |
12% |
कुल व्यय |
43,063 |
49,131 |
53,460 |
9% |
50,192 |
8% |
क. ऋण पुनर्भुगतान |
6,701 |
3,394 |
11,396 |
236% |
5,334 |
-11% |
ख. ब्याज भुगतान |
4,234 |
4,932 |
4,623 |
-6% |
5,018 |
9% |
ऋण चुकौती (क+ख) |
10,935 |
8,325 |
16,019 |
92.4% |
10,351 |
-3% |
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। पूंजीगत परिव्यय का अर्थ ऐसा व्यय है जिससे परिसंपत्तियों का सृजन होता है।
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में विभिन्न क्षेत्रों के लिए व्यय
2021-22 के दौरान हिमाचल प्रदेश के बजटीय व्यय का 60% हिस्सा निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों द्वारा कितना व्यय किया जाता है, इसकी तुलना अनुलग्नक 1 में प्रस्तुत है।
तालिका 3: हिमाचल प्रदेश बजट 2021-22 में क्षेत्रवार व्यय (करोड़ रुपए में)
क्षेत्र |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बअ |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
वार्षिक परिवर्तन |
बजटीय प्रावधान 2021-22 |
शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति |
6,423 |
8,304 |
7,523 |
8,272 |
13% |
|
सड़क एवं पुल |
3,751 |
3,986 |
4,313 |
4,046 |
4% |
|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
2,307 |
2,976 |
2,953 |
2,976 |
14% |
|
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां |
2,291 |
2,856 |
2,677 |
2,730 |
9% |
|
जलापूर्ति एवं सैनिटेशन |
1,541 |
2,357 |
2,080 |
2,243 |
21% |
|
सामाजिक कल्याण एवं पोषण |
2,022 |
1,965 |
2,055 |
2,128 |
3% |
|
पुलिस |
1,205 |
1,541 |
1,501 |
1,527 |
13% |
|
ग्रामीण विकास |
1,212 |
1,739 |
1,475 |
1,377 |
7% |
|
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण |
1,100 |
1,042 |
823 |
842 |
-13% |
|
शहरी विकास |
524 |
763 |
841 |
728 |
18% |
|
सभी क्षेत्रों में कुल व्यय का % |
62% |
61% |
63% |
60% |
-2% |
|
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
प्रतिबद्ध व्यय: राज्य के प्रतिबद्ध व्यय में आम तौर पर वेतन भुगतान, पेंशन और ब्याज से संबंधित व्यय शामिल होते हैं। अगर बजट में प्रतिबद्ध व्यय की मद के लिए बड़ा हिस्सा आबंटित किया जाता है तो इससे राज्य पूंजीगत निवेश जैसी प्राथमिकताओं पर कम खर्च कर पाता है। 2021-22 में हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रतिबद्ध व्यय पर 26,503 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का अनुमान है जोकि उसकी राजस्व प्राप्तियों का 72% है। राज्य प्रतिबद्ध व्यय पर अपनी राजस्व प्राप्तियों का औसत 50% खर्च करते हैं। 2021-22 में हिमाचल प्रदेश के प्रतिबद्ध व्यय में वेतन (राजस्व प्राप्तियों का 39%), पेंशन (19%) और ब्याज भुगतान (9%) पर व्यय शामिल हैं। 2019-20 के वास्तविक व्यय की तलना में प्रतिबद्ध व्यय पर 11% की वार्षिक वृद्धि अनुमानित है।
तालिका 4: प्रतिबद्ध व्यय (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
वेतन |
11,669 |
14,836 |
13,231 |
-11% |
14,403 |
11% |
पेंशन |
5,490 |
7,266 |
6,000 |
-17% |
7,082 |
14% |
ब्याज भुगतान |
4,234 |
4,932 |
4,623 |
-6% |
5,018 |
9% |
कुल प्रतिबद्ध व्यय |
21,393 |
27,034 |
23,854 |
-12% |
26,503 |
11% |
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में प्राप्तियां
- 2021-22 के लिए 37,028 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियां अनुमानित है, जिसमें 2019-20 की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। इनमें 12,036 करोड़ रुपए (33%) राज्य द्वारा अपने संसाधनों से जुटाए जाएंगे और 24,992 करोड़ रुपए (67%) केंद्रीय हस्तांतरण होंगे। यह राशि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी (राजस्व प्राप्तियों का 15%) और सहायतानुदान (राजस्व प्राप्तियों का 53%) से मिलेगी।
- हस्तांतरण: 2021-22 में केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 5,524 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 की तुलना में 9% की वार्षिक वृद्धि है। 2020-21 मे हस्तांतरण बजटीय अनुमान से 30% कम होने की उम्मीद है। केंद्रीय बजट में राज्यों के हस्तांतरण में 30% की कटौती इसका कारण हो सकती है, जोकि बजटीय चरण में 7,84,181 करोड़ रुपए से कम होकर संशोधित चरण में 5,49,959 करोड़ रुपए हो गया।
- राज्य का स्वयं कर राजस्व: 2021-22 में राज्य का कुल स्वयं कर राजस्व 9,282 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2019-20 में वास्तविक कर राजस्व की तुलना में 10% की वार्षिक वृद्धि है। स्वयं कर राजस्व की वृद्धि दर जीएसडीपी की वृद्धि दर से अधिक होने का अनुमान है (3%)। इसलिए स्वयं कर जीएसडीपी अनुपात 2019-20 में 4.7% से बढ़कर 2021-22 मे 5.4% होने का अनुमान है।
तालिका 5 : राज्य सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
राज्य के स्वयं कर |
7,624 |
9,090 |
7,917 |
-13% |
9,282 |
10% |
राज्य के स्वयं गैर कर |
2,502 |
2,410 |
2,268 |
-6% |
2,754 |
5% |
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी |
4,678 |
6,266 |
4,394 |
-30% |
5,524 |
9% |
केंद्र से सहायतानुदान |
15,940 |
20,673 |
21,009 |
2% |
19,468 |
11% |
कुल राजस्व प्राप्तियां |
30,742 |
38,439 |
35,588 |
-7% |
37,028 |
10% |
उधारियां |
10,847 |
7,554 |
15,556 |
106% |
11,731 |
4% |
अन्य प्राप्तियां |
23 |
26 |
31 |
18% |
41 |
33% |
कुल पूंजीगत प्राप्तियां |
10,870 |
7,580 |
15,587 |
106% |
11,772 |
4% |
कुल प्राप्तियां |
41,613 |
46,019 |
51,175 |
11% |
48,800 |
8% |
नोट्स: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
Sources: Himachal Pradesh Budget 2021-22; PRS.
जीएसटी क्षतिपूर्ति जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) एक्ट, 2017 सभी राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले नुकसान की पांच वर्षों तक (2022 तक) भरपाई करने की गारंटी देता है। एक्ट राज्यों को उनके जीएसटी राजस्व में 14% की वार्षिक वृद्धि की गारंटी देता है, और ऐसा न होने पर राज्यों को इस कमी को दूर करने के लिए मुआवजा अनुदान दिया जाता है। ये अनुदान केंद्र द्वारा वसूले जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस से दिए जाते हैं। चूंकि 2020-21 में राज्यों की क्षतिपूर्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए सेस कलेक्शन पर्याप्त नहीं था, उनकी जरूरत के एक हिस्से को केंद्र के लोन्स के जरिए पूरा किया जाएगा (जोकि भविष्य के सेस कलेक्शन से चुकाया जाएगा)। 2020-21 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान के रूप में 3,546 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण के अनुमान नहीं लगाए गए हैं। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हिमाचल प्रदेश ने 1,251 करोड़ रुपए का जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण लिया है। राज्य को 2021-22 में 3,834 करोड़ रुपए के जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की उम्मीद है जोकि 2019-20 में क्षतिपूर्ति की राशि (1,877 करोड़ रुपए) से दोगुना है। 2020-21 में जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान में 10% राजस्व प्राप्तियों का अनुमान है। जून 2022 के बाद जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान जारी नहीं रहेगा। इससे राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी आ सकती है। |
- 2021-22 में एसजीएसटी के 4,142 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें 2019-20 में जमा हुए वास्तविक एसजीएसटी की तुलना में 8% की वृद्धि है। 2021-22 में एसजीएसटी के राज्य के स्वयं कर राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत होने का अनुमान है (45%)। 2020-21 में एसजीएसटी के बजट अनुमान से 10% कम रहने का अनुमान है।
- 2021-22 में हिमाचल प्रदेश को सेल्स टैक्स और वैट से 1,643 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है जिसमें 2019-20 की तुलना में 19% की वार्षिक वृद्धि है। 2021-22 में बिजली पर टैक्स और ड्यूटी और भूराजस्व से 2019-20 की तुलना में दोगुनी प्राप्ति होने की उम्मीद है।
- संशोधित अनुमानों के अनुसार, 2019-20 में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस से अन्य स्वयं कर स्रोतों के मुकाबले कम प्राप्तियों (28%) की उम्मीद है।
तालिका 6: राज्य के स्वयं कर राजस्व के मुख्य स्रोत (करोड़ रुपए में)
मद |
2019-20 वास्तविक |
2020-21 बजटीय |
2020-21 संशोधित |
बअ 2020-21 से संअ 2020-21 में परिवर्तन का % |
2021-22 बजटीय |
वार्षिक परिवर्तन |
2021-22 में राजस्व प्राप्तियों का % |
राज्य जीएसटी |
3,550 |
3,855 |
3,451 |
-10% |
4,142 |
8% |
11% |
सेल्स टैक्स/वैट |
1,170 |
1,685 |
1,467 |
-13% |
1,643 |
19% |
4% |
राज्य एक्साइज |
1,660 |
1,788 |
1,624 |
-9% |
1,868 |
6% |
5% |
वाहन टैक्स |
466 |
457 |
372 |
-19% |
488 |
2% |
1% |
स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क |
260 |
328 |
235 |
-28% |
311 |
9% |
1% |
बिजली पर टैक्स और ड्यूटी |
101 |
403 |
403 |
0% |
431 |
107% |
1% |
भूराजस्व |
5 |
18 |
22 |
21% |
23 |
118% |
0% |
जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान |
1,877 |
3,338 |
3,546 |
6% |
3,834 |
43% |
10% |
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
2021-22 में घाटे, ऋण और एफआरबीएम के लक्ष्य
हिमाचल प्रदेश के राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम, 2005 में राज्य सरकार की बकाया देनदारियों, राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रगतिशील तरीके से कम करने के लक्ष्यों का प्रावधान है।
राजस्व घाटा: राजस्व संतुलन राजस्व व्यय और राजस्व प्राप्तियों का अंतर होता है। राजस्व घाटे का अर्थ यह है कि सरकार को व्यय को पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत पड़ेगी जिससे न तो उसके एसेट्स बढ़ेंगे और न ही देनदारियां कम होंगी। राजस्व घाटे की गणना के बाद ही उधारियों से राजस्व प्राप्तियों को पूरा किया जाता है। राजस्व घाटे का यह अर्थ भी है कि राज्य की राजस्व प्राप्तियां, व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। 2021-22 के लिए राजस्व घाटा 1,463 करोड़ रुपए अनुमानित है जोकि जीएसडीपी का 0.85% है। यह हस्तांतरण बाद के 10,249 करोड़ रुपए के राजस्व घाटा अनुदान की गणना के बाद है जोकि राज्य को 15वें वित्त आयोग के सुझावों के बाद मिलेगा। इसकी तुलना में राज्य को 2019-20 में 12 करोड़ रुपए का राजस्व अधिशेष हुआ था (जीएसडीपी का 0.01%)। मध्यावधि की राजकोषीय योजना के अनुसार 2024-25 में राज्य का राजस्व घाटा जीएसडीपी का 1.42% अनुमानित है।
2021-26 के लिए राजकोषीय योजनाएं 15वें वित्त आयोग ने 2021-26 में राज्यों के लिए निम्नलिखित राजकोषीय घाटा सीमा का सुझाव दिया है (i) 2021-22 में 4% (ii) 2022-23 में 3.5%, और (iii) 2023-26 में 3%। आयोग ने अनुमान लगाया है कि इस तरीके से हिमाचल प्रदेश की कुल देनदारियां 2020-21 में जीएसडीपी के 39.8% से गिरकर 2025-26 के अंत तक जीसएडीपी का 34.7% हो जाएंगी। अगर राज्य पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उधारी की निर्दिष्ट सीमा का उपयोग नहीं कर पाया तो वह बाद के वर्षों (2021-26 की अवधि में शेष) में उपयोग न हुई राशि हासिल कर सकता है। अगर राज्य बिजली क्षेत्र के सुधार करते हैं तो पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उन्हें जीएसडीपी के 0.5% मूल्य की अतिरिक्त वार्षिक उधारी लेने की अनुमति होगी। इन सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑपरेशनल नुकसान कम करना, (ii) राजस्व अंतराल में कमी, (iii) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को अपनाने से नकद सबसिडी के भुगतान में कमी, और (iv) राजस्व के प्रतिशत के रूप में टैरिफ सबसिडी में कमी। |
राजकोषीय घाटा: कुल प्राप्तियों से कुल व्यय अधिक होने को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। सरकार उधारियों के जरिए इस अंतर को कम करने का प्रयास करती है जिससे सरकार पर कुल देनदारियों में वृद्धि होती है। 2021-22 में 7,789 करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का अनुमान है (जीएसडीपी का 4.52%)। आर्थिक बहाली को सहयोग देने हेतु व्यय बढ़ाने के लिए राज्यों को एफआरबीएम एक्ट के अंतर्गत 3% की सीमा के विपरीत उच्च राजकोषीय घाटे की अनुमति दी गई है। मध्यावधि की राजकोषीय योजना के अनुसार 2022-25 के बीच तीनों वर्षों के दौरान राज्य का राजकोषीय घाटा 4.5% से अधिक रहने का अनुमान है।
2020-21 में उधारियों पर निर्भरता बढ़ी: कोविड-19 के कारण केंद्र सरकार ने 2020-21 में सभी राज्यों को अपने राजकोषीय घाटे को अधिकतम 5% बढ़ाने की अनुमति दी है। सभी राज्य अपने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी का 4% कर सकते हैं। शेष 1% के लिए शर्त यह है कि राज्य कुछ सुधारों को लागू करेंगे (प्रत्येक सुधार के लिए 0.25%)। ये सुधार हैं (i) एक देश एक राशन कार्ड, (ii) ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (iii) शहरी स्थानीय निकाय/यूटिलिटी और (iv) बिजली वितरण। 19 फरवरी, 2021 तक हिमाचल प्रदेश ने सिर्फ ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार को पूरा किया है। परिणामस्वरूप वह 438 करोड़ रुपए का उधार ले सकता है।
बकाया देनदारियां: वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य की कुल उधारियां जमा होकर बकाया देनदारियां बन जाती हैं (इसमें पब्लिक एकाउंट्स की देनदारियां भी शामिल हैं)। बकाया देनदारियां 2018-19 में जीएसडीपी के 33.98% से बढ़कर 2021-22 में 40.26% होने की उम्मीद है।
रेखाचित्र 2: राजस्व एवं राजकोषीय संतुलन (जीएसडीपी का %)
नोट: RE संशोधित अनुमान हैं, और BE बजट अनुमान। नेगेटिव वैल्यू घाटे और पॉजिटिव अधिशेष को दर्शाते हैं। 2018-19 औऱ 2019-20 के आंकड़े वास्तविक हैं। 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के आंकड़े अनुमानित हैं। Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
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रेखाचित्र 3: बकाया देनदारियों के लक्ष्य (जीएसडीपी का %)
नोट: RE संशोधित अनुमान हैं, और BE बजट अनुमान। 2018-19 औऱ 2019-20 के आंकड़े वास्तविक हैं। 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के आंकड़े अनुमानित हैं। Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS. |
अनुलग्नक 1: मुख्य क्षेत्रों में राज्य के व्यय की तुलना
निम्नलिखित रेखाचित्रों में छह मुख्य क्षेत्रों में अन्य राज्यों के औसत व्यय के अनुपात में हिमाचल प्रदेश के कुल व्यय की तुलना की गई है। क्षेत्र के लिए औसत, उस क्षेत्र में 30 राज्यों (हिमाचल प्रदेश सहित) द्वारा किए जाने वाले औसत व्यय (2020-21 के बजटीय अनुमानों के आधार पर) को इंगित करता है।[1]
- शिक्षा: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के लिए बजट का 18.6% हिस्सा आबंटित किया है। अन्य राज्यों द्वारा शिक्षा पर जितनी औसत राशि का आबंटन किया गया (15.8%) उसकी तुलना में हिमाचल प्रदेश का आबंटन अधिक है (2020-21 बजट अनुमान)।
- स्वास्थ्य: हिमाचल प्रदेश ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल 6.7% का आबंटन किया है। अन्य राज्यों के औसत आबंटन (5.5%) से यह ज्यादा है।
- कृषि: राज्य ने 2021-22 में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए अपने बजट का 6.1% हिस्सा आबंटित किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटनों (6.3%) से कम है।
- ग्रामीण विकास: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने ग्रामीण विकास के लिए 3.1% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत (6.1%) से कम है।
- पुलिस: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने पुलिस के लिए 3.4% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों के औसत आबंटन (4.3%) से कम है।
- सड़क और पुल: 2021-22 में हिमाचल प्रदेश ने सड़कों और पुलों के लिए 9.1% का आबंटन किया है। यह अन्य राज्यों द्वारा सड़कों और पुलों के लिए औसत आबंटन (4.3%) से काफी ज्यादा है।
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नोट: 2019-20, 2020-21 (बअ), 2020-21 (संअ), and 2021-22 (बअ) के आंकड़े हिमाचल प्रदेश के हैं।
Sources: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; various state budgets; PRS.
अनुलग्नक 2: 2021-26 में 15वें वित्त आयोग के सुझाव
15वें वित्त आयोग ने 1 फरवरी, 2021 को 2021-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की। 2021-26 की अवधि के लिए आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का 41% हिस्सा सुझाया गया है जोकि 2020-21 (जिसे 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में सुझाया था) के लगभग समान ही है। 14वें वित्त आयोग (2015-20 की अवधि) ने 42% का सुझाव दिया था और इसमें से 1% की कटौती इसलिए की गई है ताकि नए गठित जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों को अलग से धनराशि दी जा सके। 15वें वित्त आयोग ने प्रत्येक राज्य के हिस्से को निर्धारित करने के लिए अलग मानदंड प्रस्तावित किए हैं (जोकि 14वें वित्त आयोग से अलग हैं)। 2021-26 की अवधि के लिए 15वें वित्त आयोग के सुझावों के आधार पर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय करों के डिवाइजिबल पूल से 0.34% हिस्सा मिलेगा। इसका अर्थ यह है कि 2021-22 में केंद्र के कर राजस्व में प्रति 100 रुपए पर हिमाचल प्रदेश को 0.34 रुपए मिलेंगे। 14वें वित्त आयोग ने राज्य के लिए 0.30 रुपए का सुझाव दिया था और यह उससे ज्यादा है।
तालिका 7: 14वें और 15वें वित्त आयोग की अवधियों के अंतर्गत केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी
राज्य |
14वां विआ |
15वां विआ |
15वां विआ |
% परिवर्तन |
|
2015-20 |
2020-21 |
2021-26 |
2015-20 से |
2015-20 से |
|
आंध्र प्रदेश |
1.81 |
1.69 |
1.66 |
-8.2% |
-1.6% |
अरुणाचल प्रदेश |
0.58 |
0.72 |
0.72 |
25.2% |
-0.2% |
असम |
1.39 |
1.28 |
1.28 |
-7.8% |
-0.1% |
बिहार |
4.06 |
4.13 |
4.12 |
1.6% |
0.0% |
छत्तीसगढ़ |
1.29 |
1.40 |
1.40 |
8.0% |
-0.3% |
गोवा |
0.16 |
0.16 |
0.16 |
-0.3% |
0.0% |
गुजरात |
1.30 |
1.39 |
1.43 |
10.1% |
2.4% |
हरियाणा |
0.46 |
0.44 |
0.45 |
-1.6% |
1.0% |
हिमाचल प्रदेश |
0.30 |
0.33 |
0.34 |
13.6% |
3.9% |
जम्मू एवं कश्मीर |
0.78 |
- |
- |
- |
- |
झारखंड |
1.32 |
1.36 |
1.36 |
2.8% |
-0.2% |
कर्नाटक |
1.98 |
1.50 |
1.50 |
-24.5% |
0.0% |
केरल |
1.05 |
0.80 |
0.79 |
-24.8% |
-0.9% |
मध्य प्रदेश |
3.17 |
3.23 |
3.22 |
1.5% |
-0.5% |
महाराष्ट्र |
2.32 |
2.52 |
2.59 |
11.7% |
3.0% |
मणिपुर |
0.26 |
0.29 |
0.29 |
13.3% |
-0.3% |
मेघालय |
0.27 |
0.31 |
0.31 |
16.6% |
0.3% |
मिजोरम |
0.19 |
0.21 |
0.21 |
6.1% |
-1.2% |
नागालैंड |
0.21 |
0.24 |
0.23 |
11.5% |
-0.7% |
ओड़िशा |
1.95 |
1.90 |
1.86 |
-4.8% |
-2.2% |
पंजाब |
0.66 |
0.73 |
0.74 |
11.9% |
1.1% |
राजस्थान |
2.31 |
2.45 |
2.47 |
7.1% |
0.8% |
सिक्किम |
0.15 |
0.16 |
0.16 |
3.2% |
0.0% |
तमिलनाडु |
1.69 |
1.72 |
1.67 |
-1.0% |
-2.6% |
तेलंगाना |
1.02 |
0.88 |
0.86 |
-15.8% |
-1.5% |
त्रिपुरा |
0.27 |
0.29 |
0.29 |
7.7% |
-0.1% |
उत्तर प्रदेश |
7.54 |
7.35 |
7.36 |
-2.5% |
0.0% |
उत्तराखंड |
0.44 |
0.45 |
0.46 |
3.7% |
1.3% |
पश्चिम बंगाल |
3.08 |
3.08 |
3.08 |
0.3% |
0.1% |
कुल |
42.00 |
41.00 |
41.00 |
नोट: हालांकि 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 और 2021-26 की अवधियों के लिए एक जैसे मानदंडों का सुझाव दिया है, कुछ संकेतकों की गणना की संदर्भ अवधि अलग है। इसलिए 2020-21 और 2021-26 में राज्यों को डिवाइजिबल पूल से अलग-अलग हिस्सा मिलेगा। राज्यों के हिस्सो को दो दशलम बिंदु के साथ पूर्णांक बना दिया है।
Sources: Reports of 14th and 15th Finance Commissions; PRS.
15वें वित्त आयोग ने पांच वर्षों (2021-26) में राज्यों के लिए 10.3 लाख करोड़ रुपए के अनुदानों का सुझाव दिया है (देखें तालिका 8)। इन अनुदानों का एक हिस्सा सशर्त होगा। 17 राज्यों को इस अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान दिया जाएगा। क्षेत्र विशिष्ट अनुदानों में स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए अनुदान दिए जाएंगे। स्थानीय सरकारों के अनुदानों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) शहरी स्थानीय निकायों को 1.2 लाख करोड़ रुपए, (ii) ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2.4 लाख करोड़ रुपए और (iii) स्थानीय सरकारों के जरिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70,000 करोड़ रुपए। हिमाचल प्रदेश के लिए निम्न अनुदानों का सुझाव दिया गया है: (i) राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 37,199 करोड़ रुपए, (ii) स्थानीय निकायों के लिए 3,049 करोड़ रुपए, और (iii) कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए 1,420 करोड़ रुपए के राज्य विशिष्ट अनुदान |
तालिका 8: 2021-26 के लिए अनुदान (करोड़ रुपए में)
नोट: इसमें प्रतिस्पर्धा आधारित अनुदान शमिल नहीं, जिनमें *नए शहरों के इनक्यूबेशन के लिए अनुदान (स्थानीय निकायों के अनुदानों का भाग) और #स्कूली शिक्षा और आकांक्षी जिलों और ब्लॉक्स के अनुदान शामिल हैं। |
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जैसे कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार और उन्नयन, मंडी हवाई अड्डे (नागचला) का निर्माण और ज्वालामुखी का उन्नयन और विकास। |
तालिका 9: केंद्रीय बजट 2021-22 में राज्यों को कर हस्तांतरण
राज्य |
2019-20 |
2020-21 |
2021-22 |
आंध्र प्रदेश |
29,421 |
22,611 |
26,935 |
अरुणाचल प्रदेश |
9,363 |
9,681 |
11,694 |
असम |
22,627 |
17,220 |
20,819 |
बिहार |
66,049 |
55,334 |
66,942 |
छत्तीसगढ़ |
21,049 |
18,799 |
22,676 |
गोवा |
2,583 |
2,123 |
2,569 |
गुजरात |
21,077 |
18,689 |
23,148 |
हरियाणा |
7,408 |
5,951 |
7,275 |
हिमाचल प्रदेश |
4,873 |
4,394 |
5,524 |
जम्मू एवं कश्मीर |
12,623 |
-38 |
- |
झारखंड |
21,452 |
18,221 |
22,010 |
कर्नाटक |
32,209 |
20,053 |
24,273 |
केरल |
17,084 |
10,686 |
12,812 |
मध्य प्रदेश |
51,584 |
43,373 |
52,247 |
महाराष्ट्र |
37,732 |
33,743 |
42,044 |
मणिपुर |
4,216 |
3,949 |
4,765 |
मेघालय |
4,387 |
4,207 |
5,105 |
मिजोरम |
3,144 |
2,783 |
3,328 |
नागालैंड |
3,403 |
3,151 |
3,787 |
ओड़िशा |
31,724 |
25,460 |
30,137 |
पंजाब |
10,777 |
9,834 |
12,027 |
राजस्थान |
37,554 |
32,885 |
40,107 |
सिक्किम |
2,508 |
2,134 |
2,582 |
तमिलनाडु |
27,493 |
23,039 |
27,148 |
तेलंगाना |
16,655 |
11,732 |
13,990 |
त्रिपुरा |
4,387 |
3,899 |
4,712 |
उत्तर प्रदेश |
1,22,729 |
98,618 |
1,19,395 |
उत्तराखंड |
7,189 |
6,072 |
7,441 |
पश्चिम बंगाल |
50,051 |
41,353 |
50,070 |
कुल |
6,83,353 |
5,49,959 |
6,65,563 |
नोट: 2019-20 के वास्तविक आंकड़े और 2020-21 के संशोधित अनुमान पिछले वर्षों में अधिक या कम विचलन के लिए समायोजित करने के बाद केंद्रीय बजट में प्रदर्शित किए गए हैं।
Source: Union Budget Documents 2021-22; PRS.
अनुलग्नक 3: 2020-21 के संशोधित और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना
यहां तालिकाओं में 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना 2020-21 के संशोधित अनुमानों से की गई है।
तालिका 10: 2020-21 के संशोधित और 2021-22 के बजट अनुमानों के बीच तुलना (करोड़ रुपए में)
मद |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
प्राप्तियां (1+2) |
51,175 |
48,800 |
-5% |
प्राप्तियां, उधारियों के बिना |
35,619 |
37,069 |
4% |
1. राजस्व प्राप्तियां (क+ख+ग+घ) |
35,588 |
37,028 |
4% |
क. स्वयं कर राजस्व |
7,917 |
9,282 |
17% |
ख. स्वयं गैर कर राजस्व |
2,268 |
2,754 |
21% |
ग. केंद्रीय करों में हिस्सा |
4,394 |
5,524 |
26% |
घ. केंद्र से सहायतानुदान |
21,009 |
19,468 |
-7% |
इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति |
3,546 |
3,834 |
8% |
2. पूंजीगत प्राप्तियां |
15,587 |
11,772 |
-24% |
क. उधारियां |
15,556 |
11,731 |
-25% |
व्यय (3+4) |
53,460 |
50,192 |
-6% |
3. राजस्व व्यय |
36,011 |
38,491 |
7% |
4. पूंजीगत व्यय |
17,449 |
11,701 |
-33% |
i. पूंजीगत परिव्यय |
5,692 |
6,013 |
6% |
ii. ऋण पुनर्भुगतान |
11,396 |
5,334 |
-53% |
राजस्व संतुलन |
-423 |
-1,463 |
246% |
राजस्व संतुलन (जीएसडीपी के % के रूप में) |
-0.27% |
-0.85% |
0% |
राजकोषीय घाटा |
6,445 |
7,789 |
21% |
राजकोषीय संतुलन (जीएसडीपी के % के रूप में) |
4.12% |
4.52% |
0% |
नोट: नेगेटिव वैल्यू घाटे को दर्शाती है।
Source: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
तालिका 11: राज्य के स्वयं कर राजस्व के घटक (करोड़ रुपए में)
टैक्स |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
एसजीएसटी |
3,451 |
4,142 |
20% |
सेल्स टैक्स/वैट |
1,467 |
1,643 |
12% |
राज्य की एक्साइज ड्यूटी |
1,624 |
1,868 |
15% |
वाहन टैक्स |
372 |
488 |
31% |
स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क |
235 |
311 |
32% |
बिजली पर टैक्स और ड्यूटी |
403 |
431 |
7% |
भूराजस्व |
22 |
23 |
5% |
Source: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
तालिका 12: मुख्य क्षेत्रों के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)
क्षेत्र |
2020-21 संअ |
2021-22 बअ |
2020-21 संअ से 2021-22 बअ के बीच परिवर्तन की दर |
शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति |
7,523 |
8,272 |
10% |
सड़क एवं पुल |
4,313 |
4,046 |
-6% |
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
2,953 |
2,976 |
1% |
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां |
2,677 |
2,730 |
2% |
जलापूर्ति एवं सैनिटेशन |
2,080 |
2,243 |
8% |
सामाजिक कल्याण एवं पोषण |
2,055 |
2,128 |
4% |
पुलिस |
1,501 |
1,527 |
2% |
ग्रामीण विकास |
1,475 |
1,377 |
-7% |
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण |
823 |
842 |
2% |
शहरी विकास |
841 |
728 |
-13% |
Source: Himachal Pradesh Budget Documents 2021-22; PRS.
[1] 30 राज्यों में दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
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