स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री बृजलाल) ने 21 सितंबर, 2023 को ‘कारावास- स्थितियां, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुधार’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- ओवरक्राउडिंग: कमिटी ने कहा कि जब जेलों में बहुत ज्यादा कैदी होते हैं तो उसका कैदियों के साथ-साथ आपराधिक न्याय प्रणाली पर भी गंभीर परिणाम होता है। भारत भर की जेलों में राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्यूपेंसी की औसत दर 130% है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में कैदियों की कुल आबादी का आधे से अधिक हिस्सा है। इन छह राज्यों में से चार में ऑक्यूपेंसी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि समझौता ज्ञापन पर दस्तखत करके, कैदियों को ओवरक्राउडेड जेलों से उसी राज्य की या किसी दूसरे राज्य की जेलों में स्थानांतरित किया जाए।
- कमिटी ने कहा कि जमानत से आम तौर पर इनकार किया जाता है क्योंकि विचाराधीन कैदी: (i) गवाहों को प्रभावित कर सकता है या उन्हें डरा-धमका सकता है, (ii) देश छोड़कर भागने की कोशिश कर सकता है या दूसरा अपराध कर सकता है। उसने कहा कि ब्रेसलेट/एंकलेट ट्रैकर टेक्नोलॉजी, जमानतयाफ्ता कैदियों की निगरानी के लिए लागत प्रभावी तरीका हो सकता है, जिसे ओड़िशा में लागू किया गया है। चूंकि यह मानवाधिकार मुद्दा है, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि कैदियों की सहमति हासिल करने के बाद यह तरीका इस्तेमाल किया जाए।
- किशोर अपराधी: कमिटी ने कहा कि सभी राज्यों में किशोर अपराधी कौन हैं, इस पर स्पष्टता का अभाव है। उसने सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक सामान्य दिशानिर्देश के साथ किशोर अपराधियों की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा बोर्स्टल स्कूलों (किशोर हिरासत केंद्र) की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए कमिटी ने कहा कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे स्कूल नहीं हैं। तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और झारखंड सहित केवल आठ राज्यों में बोर्स्टल स्कूल हैं। कमिटी ने राज्यों में ऐसे कम से कम एक-दो स्कूल खोलने का सुझाव दिया।
- महिला कैदी: कमिटी ने गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया जिसमें जेल के बाहर प्रसव का मौका और प्रसव पूर्व और उसके बाद उचित देखभाल शामिल है। बच्चों के लिए पालन-पोषण का माहौल सुनिश्चित करने के लिए, कमिटी ने सुझाव दिया कि जेल में पैदा हुए बच्चों को 12 साल की उम्र तक अपनी मां के साथ रहने की अनुमति दी जाए। वर्तमान में जेल में पैदा हुए बच्चे छह साल की उम्र तक अपनी मां के साथ रह सकते हैं।
- जेलों में कर्मचारियों की कमी: कमिटी ने गौर किया कि जेल कर्मचारियों की सभी श्रेणियों में उच्च स्तर पर रिक्तियां हैं। कर्मचारियों की कमी जेल प्रशासन का सबसे अपेक्षित हिस्सा है जिससे जेल प्रबंधन मुश्किल हो गया है। कमिटी ने यह भी कहा कि जेलों से संबंधित नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए और कोई भी पद तीन महीने से ज्यादा समय तक खाली न रहे।
- विचाराधीन कैदियों के लिए जमानत राशि: कमिटी ने कहा कि 70% से अधिक कैदी विचाराधीन हैं। उसने कहा कि विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए जितनी धनराशि की जरूरत है, उसके मुकाबले जेल प्रशासन उन्हें जेल के भीतर रखने पर अधिक धन खर्च करता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गरीब कैदियों के लिए जुर्माना राशि के भुगतान हेतु आंध्र प्रदेश की 'चेयुथा निधि' की ही तरह एक कोष बनाया जाए।
- जेल का बजट: कमिटी ने जेलों की फंडिंग के महत्व पर जोर दिया। जबकि केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है, राज्य सरकारों के पास जेलों के प्रबंधन के लिए अपने खुद के बजट और जिम्मेदारियां होती हैं। प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स इंडिया (2021) के अनुसार, 2021-22 में भारत की सभी जेलों का कुल बजट 7,619 करोड़ रुपए था। 2021-22 के लिए वास्तविक व्यय आवंटित बजट का लगभग 88% (6,727 रुपए) था। कमिटी ने कहा कि 12 राज्य सरकारों और दो यूटी को अपने संबंधित जेल विभागों के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं हुई। इसके अतिरिक्त आठ राज्यों को केंद्र सरकार से कोई धनराशि नहीं मिली। कमिटी ने सुझाव दिया कि गृह मामलों का मंत्रालय उन राज्य सरकारों को केंद्रीय धनराशि आवंटित करे जिन्हें पिछले पांच वर्षों में कोई धनराशि नहीं मिली है।
- ट्रांसजेंडर कैदी: कमिटी ने ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए अलग वॉर्ड जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं का सुझाव दिया। उसने सुझाव दिया कि ट्रांसजेंडर कैदियों को जांच के लिए डॉक्टर चुनने की अनुमति दी जाए जिससे जेलों में उचित प्लेसमेंट और मिसजेंडरिंग से बचना सुनिश्चित हो।
- खाने की क्वालिटी: कमिटी ने कहा कि कैदियों के फायदे (वेल बीइंग) के लिए अच्छी क्वालिटी की और पोषण युक्त डाइट जरूरी है। उसने कैदियों से फीडबैक लेने और मेडिकल डायटीशियंस और सरकारी अधिकारियों के औचक निरीक्षण का सुझाव दिया जिससे कैदियों को अच्छी क्वालिटी का भोजन मिलना सुनिश्चित होगा।
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