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पीडीएफ

खराब गुणवत्ता वाले या घटिया फूड-ग्रेड प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री आजाद कीर्ति झा) ने 20 अगस्त, 2025 को 'खराब गुणवत्ता वाले या घटिया फूड-ग्रेड प्लास्टिक के उपयोग और उनके भारत की चरम जलवायु स्थितियों के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक के माइग्रेशन को रोकना: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) खाद्य पदार्थों में पैकेजिंग मैटीरियल के माइग्रेशन को रोकने के लिए नियम जारी करता है। प्राधिकरण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग केंद्रों और रेस्त्रां जैसे खाद्य विक्रेताओं का निरीक्षण करता है। कमिटी ने पाया कि पैकेजिंग और परिवहन के दौरान उच्च तापमान के संपर्क में आने पर खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक का माइग्रेशन हो सकता है। हालांकि इन चरणों के दौरान खाद्य संदूषण की जांच नहीं की जाती है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) ऐसी अथॉरिटी को निर्दिष्ट किया जाए जो यह सुनिश्चित करे कि सभी चरणों के दौरान संदूषण अनुमत सीमा के भीतर है, (ii) खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग की प्रक्रिया में प्लास्टिक संदूषण के प्रति जीरो टॉलरेंस के लिए फ्रेमवर्क विकसित किया जाए, और (iii) संबंधित निकाय यह जानकारी दें कि प्लास्टिक और नैनो प्लास्टिक संदूषण को रोकने के लिए वे क्या उपाय कर रहे हैं।

  • प्लास्टिक के विकल्पों के लिए आरएंडडी: कमिटी ने पाया कि लगभग छह साल पहले दो उत्कृष्टता केंद्रों को प्लास्टिक के विकल्प खोजने का काम सौंपा गया था। हालांकि इसमें सीमित प्रगति हुई। कमिटी ने सुझाव दिया कि दोनों केंद्रों की समीक्षा की जाए।

  • प्लास्टिक संदूषण के प्रभाव पर अध्ययन करना: कमिटी ने टिप्पणी की कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने प्लास्टिक निर्माण में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले रसायनों के प्रभाव पर चूहों पर परीक्षण किया है। यह एक प्रारंभिक अध्ययन है। अध्ययन में पाया गया कि रसायनों का सामान्य शारीरिक क्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) इन निष्कर्षों की पुष्टि के लिए व्यापक अध्ययन किए जाएं और (ii) रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग, एफएसएसएआई और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को इन अध्ययनों के दौरान चिन्हित रसायनों के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए समाधान विकसित करने हेतु मिलकर काम करना चाहिए।

  • निरीक्षण ढांचे को मजबूत करना: एफएसएसएआई अपने मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फूड बिजनेस ऑपरेटर्स का निरीक्षण करता है। पिछले दो वर्षों में किए गए कुल निरीक्षणों में से लगभग दो प्रतिशत गैर-अनुपालन वाले पाए गए। कमिटी ने कहा कि ये आंकड़े पूरे देश के लिहाज से सही नहीं लगते। उसने कहा कि गैर-अनुपालन के प्रमाण वाले क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में निरीक्षण नहीं किए गए। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) एफएसएसएआई एक मज़बूत निरीक्षण तंत्र विकसित करे और (ii) सभी क्षेत्रों में समय-समय पर निरीक्षण किए जाएं।

  • अथॉरिटीज़ के बीच समन्वय बनाना: कमिटी ने कहा कि एफएसएसएआई और प्लास्टिक पैकेजिंग क्षेत्र की देखरेख करने वाले रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के बीच समन्वय का अभाव है। उसने सुझाव दिया कि पैकेजिंग नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभाग और एफएसएसएआई को मिलकर काम करना चाहिए।

  • फूड ग्रेड कटोरों के लिए मानक विकसित करना: भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) खाद्य पदार्थों की तैयारी में प्रयुक्त उत्पादों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा दिशानिर्देश विकसित करता है। कमिटी ने गौर किया कि फूड ग्रेड कटोरों और चम्मचों के लिए बीआईएस मानकों का अभाव है। फूड ग्रेड उन सामग्रियों को कहा जाता है जो भोजन की संरचना को न बदलने वाले पदार्थों से बनी होती हैं, और अपने इच्छित उपयोग के लिए सुरक्षित होती हैं। कमिटी ने यह भी कहा कि प्लास्टिक पैकेजिंग से संबंधित मानकों की समीक्षा के लिए बीआईएस का एक कार्यकारी पैनल गठित किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पैनल अध्ययन में तेजी लाए और कमिटी को परिणामों की जानकारी दे।

  • जूट के थैलों को बढ़ावा देना: कमिटी ने पाया कि जूट के थैले प्लास्टिक का एक विकल्प हो सकते हैं। हालांकि जूट के थैलों के निर्माण और प्रचार के लिए प्रोत्साहनों का अभाव है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग इस संबंध में उचित कार्रवाई करे।      

                 

 

 

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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