कैग की रिपोर्ट का सारांश
-
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 9 अगस्त, 2023 को 'स्वदेश दर्शन योजना' पर अपनी प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की। पर्यटन मंत्रालय ने जनवरी 2015 में स्वदेश दर्शन योजना को शुरू किया था। इसका उद्देश्य देश में पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना था। मंत्रालय ने 15 पर्यटक सर्किटों में 5,456 करोड़ रुपए की 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हिमालय सर्किट, (ii) उत्तर पूर्व सर्किट और (iii) तटीय सर्किट।
-
रिपोर्ट में 2015 से 2022 तक योजना के प्रदर्शन की समीक्षा की गई है। समीक्षा के लिए 10 पर्यटक सर्किटों को कवर करने वाले 13 राज्यों की 14 परियोजनाओं को चुना गया था। प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
-
योजना निर्माण: रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना कोई व्यवहार्यता अध्ययन किए बिना तैयार की गई थी। इसके परिणामस्वरूप साइटों की पहचान सही तरीके से नहीं हुई और निष्पादन में कमियां आईं, जैसे विलंब और धन का उपयोग न होना। इसके अलावा मंत्रालय ने योजना शुरू करने से पहले कोई राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय योजना तैयार नहीं की। विस्तृत परिप्रेक्ष्य योजनाएं (डीपीपी) उन परियोजनाओं के चयन का आधार बनती हैं जिनके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाती हैं। लॉन्च के बाद, 15 में से 14 सर्किट के लिए डीपीपी तैयार नहीं किए गए। यह योजना अपने दायरे की दूसरी कई योजनाओं के साथ ओवरलैप हुई। स्थायी वित्त समिति ने सुझाव दिया था कि मंत्रालय एक जैसे लक्ष्यों वाली योजनाओं का विलय करके, एक अंब्रैला योजना तैयार करे। एसएफसी मंत्रालय की एक समिति है जिसकी अध्यक्षता प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग के सचिव करते हैं, जिसमें संबंधित मंत्रालय के संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार और नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि सदस्य होते हैं। यह सुझाव दिया गया था कि मंत्रालय: (i) यह सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान योजनाओं की समीक्षा करें कि लक्ष्य एक दूसरे से ओवरलैप न हों, (ii) डीपीपी के अनुरूप दीर्घकालिक विकास योजनाएं तैयार करें, और (iii) प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया के लिए एक समयसीमा निर्धारित करें ताकि समय पर अनुमोदन सुनिश्चित हों।
-
कैबिनेट की मंजूरी के बिना व्यय: वित्त मंत्रालय के अनुसार, 1,000 करोड़ रुपए से अधिक परिव्यय वाली योजनाओं का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति, प्रभारी मंत्री और कैबिनेट या कैबिनेट कमिटी द्वारा किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने 500 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ स्वदेश दर्शन योजना शुरू की। ऑडिट के अनुसार, मंत्रालय ने व्यय वित्त समिति या कैबिनेट की समीक्षा के बिना 2016-17 तक 4,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी। इस प्रकार, मंत्रालय ने अपने अधिदेश का उल्लंघन किया।
-
परियोजना में विलंब और उसका पूर्ण न होना: स्वीकृत 76 परियोजनाओं में से कोई भी परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई। मंत्रालय के पास राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की मंजूरी या नामंजूरी के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं थी। राज्यों को मंजूरियां एक वर्ष से लेकर छह वर्ष तक की देरी से लौटाई गईं। चयनित 14 परियोजनाओं में डीपीआर में कमियां थीं, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर गैप एनालिसिस, विस्तृत अनुमान और भूमि के बिना साइटों को शामिल करना आदि। इसके कारण देरी हुई, समय बढ़ गया और घटकों को कम करना पड़ा। ऑडिट में मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए गए: (i) समय पर मंजूरी के लिए राज्यों और अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए एक संस्थागत तंत्र तैयार करें, (ii) यह सुनिश्चित करें कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश काम न कर पाने की उचित वजह बताएं, और (iii) यह सुनिश्चित करें कि राज्य सरकारें संपत्तियों का संचालन और रखरखाव स्थायी तरीके से करें।
-
वित्तीय प्रबंधन: कैग ने पाया कि योजना के लिए बजट अनुमान और संशोधित अनुमान के बीच काफी अंतर था। यह अकुशल बजटिंग और अवास्तविक अनुमानों का संकेत है। इसके अलावा, 2014-15 और 2021-22 के बीच आठ में से पांच वर्षों के बजट अनुमान की तुलना में संशोधित अनुमान पर व्यय कम कर दिया गया था। ऑडिट में मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए गए: (i) आवश्यकताओं के उचित मूल्यांकन के बाद यथार्थवादी बजट अनुमान तैयार करें, (ii) जारी की गई धनराशि के संबंध में उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर जमा करना सुनिश्चित करें और (iii) अतिरिक्त व्यय की वसूली के लिए कार्रवाई करें।
-
निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन: योजना के दिशानिर्देश में निगरानी का प्रावधान है। हालांकि सात वर्षों में केवल छह बैठकें हुईं। कार्यक्रम प्रबंधन सलाहकारों की अनियमित नियुक्तियों के कारण कई रुकावटें आईं, जैसे डीपीआर तैयार करने में देरी, क्षमता और कौशल विकास और वित्तीय सहायता की कमी आदि। कैग ने कहा कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर योजना की उपलब्धि और प्रभाव को मापने के लिए वार्षिक सर्वेक्षण योजना के लिए महत्वपूर्ण थे। सर्वेक्षण मंत्रालय को कार्यान्वयन संबंधी कमियों पर फीडबैक देते हैं। हालांकि मंत्रालय ने सर्वेक्षण नहीं किया। योजना डैशबोर्ड पर गलत आंकड़े प्रस्तुत किए जाने के भी उदाहरण थे। कैग ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कमिटी की नियमित बैठकें, (ii) सलाह निरीक्षण समिति द्वारा प्रमाणीकरण के बाद ही भुगतान करना, और (iii) योजना के प्रभाव को मापने के लिए आंकड़े जमा करने के लिए नई व्यवस्था।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।