मंत्रालय: 
संचार एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी
  • इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया की आचार संहिता) नियम, 2021 को 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया गया। ये नियम इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं। एक्ट इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन और साइबरक्राइम के रेगुलेशन का प्रावधान करता है। 2021 के नियम इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरीज़ के लिए दिशानिर्देश) नियम, 2011 का स्थान लेते हैं।
     
  • इंटरमीडियरीज़ का ड्यू डिलिजेंस यानी सम्यक तत्परता: इंटरमीडियरीज़ वे एंटिटीज़ होती हैं जोकि दूसरे लोगों की तरफ से, डेटा को स्टोर या ट्रांसमिट करती हैं। इनमें इंटरनेट या टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स, ऑनलाइन मार्केटप्लेस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इंटरमीडियरीज़ को सम्यक तत्परता दिखानी होगी या तुरंत उचित कार्रवाई करनी होगी, और उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यूजर्स को सेवाओं के यूसेज़ से जुड़े नियम, रेगुलेशन, प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तें तथा स्थितियों के बारे में बताना, (ii) अदालत या सरकार के आदेश के 36 घंटों के भीतर गैरकानूनी इनफॉरमेशन का एक्सेस ब्लॉक करना, और (ii) रजिस्ट्रेशन के रद्द होने या उसके विदड्रॉअल के बाद 180 दिनों के लिए यूज़र के रजिस्ट्रेशन के लिए एकत्र की गई इनफॉरमेशन को बहाल करना। इंटरमीडियरीज़ को भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को साइबरसिक्योरिटी की घटना की जानकारी देनी होगी और संबंधित इनफॉरमेशन शेयर करनी होगी।
     
  • महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़: भारत में एक खास संख्या से अधिक यूज़र (जिसे अधिसूचित किया जाएग) वाले सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़ के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा। इन इंटरमीडियरीज़ को अतिरिक्त सम्यक तत्परता दिखानी होगी, जैसे (i) आईटी एक्ट और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति, (ii) एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जो भारत में रहता हो, और (iii) मासिक अनुपालन रिपोर्ट का प्रकाशन।
     
  • इसके अतिरिक्त प्राइमरी सर्विस के तौर पर मैसेजिंग की सुविधा प्रदान करने वाले इंटरमीडियरीज़ को अपने प्लेटफॉर्म पर इनफॉरमेशन के पहले ओरिजिनेटर को चिन्हित करना चाहिए। अदालत या सरकार के आदेश पर इस ओरिजिनेटर का खुलासा किया जाना चाहिए। विशिष्ट उद्देश्य से यह आदेश दिया जाएगा जिसमें राज्य की संप्रभुता और सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या यौन हिंसा जैसे अपराधों की जांच शामिल है। अगर इनफॉरमेशन के ओरिजिनेटर की पहचान के लिए ऐसा कोई जरिया मौजूद है जिससे दखलंदाजी कम से कम हो तो ऐसे आदेश नहीं दिए जाएंगे। इंटरमीडियरी को किसी कम्यूनिकेशन के कंटेंट का खुलासा करने की जरूरत नही है। अगर पहला ओरिजिनेटर भारत से बाहर स्थित है तो भारत में उस इनफॉरमेशन के पहले ओरिजिनेटर को पहला ओरिजिनेटर माना जाएगा।
     
  • डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स के लिए आचार संहिता: नियमों में डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स के लिए आचार संहिता निर्दिष्ट की गई है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) न्यूज और करंट अफेयर्स कंटेंट प्रोवाइडर्स, और (ii) ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स (जिन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी कहा जाता है)। न्यूज और करंट अफेर्यर्स के लिए निम्नलिखित मौजूदा संहिता लागू होगी: (i) प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारीय आचरण के नियम, (ii) केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट, 1995 के अंतर्गत प्रोग्राम कोड। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कंटेंट को आयु उपयुक्त श्रेणियों में बांटना, जैसा निर्दिष्ट हो, (ii) एडल्ट कंटेंट के एक्सेस के लिए आयु सत्यापन प्रणाली को लागू करना और एक्सेस कंट्रोल उपाय जैसे पेरेंटल कंट्रोल, और (iii) विकलांग लोगों के लिए कंटेंट की एक्सेसेबिलिटी में सुधार करना।
     
  • शिकायत निवारण: नियमों में कहा गया है कि इंटरमीडियरीज़ और डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स शिकायत निवारण प्रणाली प्रदान करेंगे। इंटरमीडियरी एक शिकायत अधिकारी को निर्दिष्ट करेगा ताकि नियमों के उल्लंघनों की शिकायतों को दूर किया जा सके। शिकायतों को 24 घंटे के भीतर दर्ज होना चाहिए और 15 दिनों में निपटाया जाना चाहिए।
     
  • डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स (न्यूज और ओटीटी) के मामले में कंटेंट से संबंधित शिकायतों से निपटने के लिए तीन स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली बनाई जाएगी जो कंटेंट से संबंधित शिकायतों से निम्नलिखित प्रकार से निपटेगी: (i) पब्लिशर्स का सेल्फ रेगुलेशन, (ii) पब्लिशर की सेल्फ रेगुलेटरी संस्थाओं की तरफ से सेल्फ रेगुलेशन, और (iii) केंद्र सरकार का निगरानी तंत्र। पब्लिशर एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करेगा और 15 दिनों में शिकायतों को दूर करेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय उन शिकायतों की सुनवाई के लिए अंतर विभागीय कमिटी की स्थापना करेगा जिन्हें सेल्फ रेगुलेटरी संस्थाएं दूर नहीं कर पाई हों और वह आचार संहिता के अनुपालन पर भी नजर रखेगी।
     
  • इमरजेंसी की स्थिति में कंटेंट को ब्लॉक करना: इमरजेंसी की स्थिति में अधिकृत अधिकारी डिजिटल मीडिया कंटेंट की जांच कर सकते हैं और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का सचिव उस कंटेंट को ब्लॉक करने का अंतरिम निर्देश दे सकता है। अंतर विभागीय कमिटी की मंजूरी के बाद ही कंटेंट को ब्लॉक करने का अंतिम आदेश दिया जाएगा। कमिटी की मंजूरी न मिलने की स्थिति में कंटेंट को अनब्लॉक कर दिया जाना चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।