मंत्रालय: 
श्रम
  • श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने 22 अप्रैल, 2013 को राज्यसभा में रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन बिल, 2013 पेश किया।
     
  • यह बिल रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) एक्ट, 1959 (ईई एक्ट) में संशोधन करता है। ईई एक्ट में रोजगार कार्यालयों में रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना का प्रावधान है।
     
  • बिल में एक्ट के शीर्षक को बदलकर नियोजन मार्गदर्शन और संवर्धन केंद्र (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) एक्ट, 1959 (इंप्लॉयमेंट गाइडेंस एंड प्रमोशन सेंटर्स (कंपल्सरी नोटिफिकेशंस ऑफ वेकेंसीज) एक्ट, 1959) करने का प्रावधान किया गया है। बिल रोजगार कार्यालयों की परिभाषा में परिवर्तन करके उन्हें नियोजन मार्गदर्शन और संवर्धन केंद्र करने का प्रस्ताव रखता है।
     
  • परिभाषाएं: बिल कर्मचारी की परिभाषा में परिवर्तन करते हुए कहता है कि कर्मचारी वह व्यक्ति होता है जो किसी इस्टैबलिशमेंट में 240 या उससे अधिक दिनों से नियुक्त हो या कॉट्रैक्ट पर कार्य कर रहा हो। इसी तरह बिल नियोक्ता की परिभाषा में भी परिवर्तन करता है और कहता है कि नियोक्ता वह व्यक्ति होता है जो एक या एक से अधिक व्यक्तियों को किसी इस्टैबलिशमेंट में 240 या उससे अधिक दिनों के लिए कोई भी कार्य करने के लिए नियुक्त करता हो।
     
  • बिल स्वरोजगार करने के लिए व्यावसायिक मार्गदर्शन और करियर संबंधी परामर्श तलाशने वाले व्यक्तियों को एक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखता है। साथ ही, एक्ट के दायरे में आने वाले इस्टैबलिशमेंट्स की सूची में बागानों को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखता है। बिल कहता है कि एक्ट के दायरे में उस रोजगार को भी शामिल किया जाना चाहिए जो कार्यालयों में अकुशल कार्य से संबंधित है।
     
  • ईई एक्ट के तहत संसद में किसी रोजगार को एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है। मौजूदा बिल राज्य विधान मंडलों को भी इससे बाहर करता है। इसके अतिरिक्त बिल हर महीने 60 रुपये से कम पारिश्रमिक वाली रिक्तियों को भी इस एक्ट से बाहर रखने का प्रयास करता है।
     
  • रिक्तियों की अधिसूचनाः बिल सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों में 25 या उससे अधिक व्यक्तियों को नियुक्त करने वाले नियोक्ताओं से अपेक्षा करता है कि वे निर्धारित नियोजन मार्गदर्शन और संवर्धन केंद्रों (ईजीपीसी) में रिक्तियों को अधिसूचित करेंगे।
  • सूचना प्रदान करनाः नियोक्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अधिसूचित रिक्तियों के भरने के 30 दिनों के भीतर, ईजीपीसी को इसके संबंध में सूचित करेंगे। रोजगार आंकड़ों को इकट्ठा करने के उद्देश्य से संशोधन में निजी क्षेत्र के उन नियोक्ताओं से भी ऐसी सूचनाएं ईजीपीसी को प्रदान करने की अपेक्षा की गई है जिन्होंने 25 से कम व्यक्तियों को नियुक्त किया है।
     
  • यह सूचना किसी भी अधिकृत सरकारी अधिकारी या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति को लिखित में उपलब्ध होगी।
     
  • दंडः संशोधन में कहा गया है कि अगर कोई नियोक्ता रिक्तियों को अधिसूचित नहीं करता या उनकी सूचना प्रदान नहीं करता, तो उसके पहले अपराध का दंड 500 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए तक किया जा सकता है। दूसरी बार अपराध करने पर दंड 10,000 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद हर बार अपराध करने पर दंड 10,000 रुपए या एक महीने की जेल या दोनों दिया जा सकता है। अगर निजी क्षेत्र के नियोक्ता, जिनके इस्टैबलिशमेंट में 25 से कम व्यक्ति नियुक्त हैं, ईजीपीसी को सूचना प्रदान नहीं करते तो उन्हें दो बार गलती करने पर दंडस्वरूप 5,000 रुपए तक का भुगतान कर पड़ सकता है।
     
  • बिल कहता है कि अगर किसी कंपनी में कोई अपराध किया जाता है तो संबंधित कंपनी के कारोबार को संचालित करने वाला व्यक्ति दंड का भागी होगा। इसके अतिरिक्त अपराध के लिए जिम्मेदार पाए जाने वाले किसी अन्य व्यक्ति को भी दंडित किया जाएगा।

 

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