मंत्रालय: 
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने 17 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 पेश किया। बिल वन्य जीव (संरक्षण) एक्ट, 1972 में संशोधन करता है। एक्ट वन्य प्राणियों, पक्षियों और पौधों के संरक्षण को रेगुलेट करता है। बिल कानून के अंतर्गत संरक्षित प्रजातियों को बढ़ाने, और वन्य जीवों तथा वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियो के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर केंद्रित कन्वेंशन (साइट्स) को लागू करने का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • साइट्स: साइट्स (या सीआईटीईएस) सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो यह सुनिश्चित करती है कि वन्य प्राणियों और पौधों के नमूनों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से उन प्रजातियों के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं होगा। कन्वेंशन के तहत सभी देशों से यह अपेक्षित है कि वे परमिट के जरिए सभी सूचीबद्ध नमूनों के व्यापार को रेगुलेट करेंगे। इसके अलावा कन्वेंशन जीवित पशुओं के नमूनों के कब्जे को भी रेगुलेट करने का प्रयास करता है। बिल साइट्स के इन प्रावधानों को लागू करने का प्रयास करता है। 
     
  • अनुसूचियों का पुनर्गठन: वर्तमान में एक्ट में विशेष रूप से संरक्षित पौधों (एक), विशेष रूप से संरक्षित पशुओं (चार) और वर्मिन्स (एक) की छह अनुसूचियां हैं। वर्मिन ऐसे छोटे जानवर होते हैं जो बीमारियां लाते हैं और भोजन को बर्बाद करते हैं। बिल निम्नलिखित के जरिए इन अनुसूचियों की संख्या को घटाकर चार करता है: (i) विशेष रूप से संरक्षित पशुओं की अनुसूचियो की संख्या दो करके (अधिक संरक्षित स्तर के पशुओं की एक अनुसूची), (ii) वर्मिन प्रजातियों की अनुसूची को हटाकर, और (iii) कन्वेंशन के परिशिष्टों में दर्ज नमूनों की एक अनुसूची को संलग्न करके (अनुसूचित नमूने)।
     
  • साइट्स के अंतर्गत बाध्यताएंबिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित निर्दिष्ट करेगी: (i) मैनेजमेंट अथॉरिटी- यह नमूनों के व्यापार के लिए निर्यात या आयात परमिट देगी, (ii) साइंटिफिक अथॉरिटी– यह उन नमूनों के अस्तित्व पर होने वाले प्रभावों के संबंध में सलाह देगी जिनका व्यापार किया जा रहा है। अनुसूचित नमूनों के व्यापार में संलग्न प्रत्येक व्यक्ति को लेनदेन का विवरण मैनेजमेंट अथॉरिटी को देना होगा। साइट्स के अनुसार, मैनेजमेंट अथॉरिटी नमूने के लिए एक पहचान चिन्ह इस्तेमाल कर सकती है। बिल नमूने पर लगे पहचान चिन्ह में बदलाव करने या उसे हटाने पर प्रतिबंध लगाता है। इसके अतिरिक्त जिन लोगों के कब्जे में अनुसूचित पशुओं के जीवित नमूने हैं, उन्हें मैनेजमेंट अथॉरिटी से पंजीकरण का सर्टिफिकेट हासिल करना होगा। 
     
  • इनवेज़िव एलियन प्रजातियांबिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह इनवेज़िव एलियन प्रजातियों के आयात, व्यापार, उन्हें कब्जे में लेने या उनकी वृद्धि को रेगुलेट कर सकती है। इनवेज़िव एलियन प्रजातियां ऐसे पौधे या पशुओं की प्रजातियां होती हैं जो भारत की मूल निवासी नहीं हैं और जिनके आने से वन्य जीव या उनके निवास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। केंद्र सरकार किसी अधिकारी को यह अधिकार दे सकती है कि वह इन इनवेज़िव प्रजातियों को जब्त करे और उनका निस्तारण करे।
     
  • अभयारण्यों (सेंचुरी) का नियंत्रणएक्ट एक चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को राज्य में सभी अभयारण्यों का नियंत्रण, प्रबंधन और रखरखाव करने का कार्य सौंपता है। राज्य सरकार चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन की नियुक्ति करता है। बिल निर्दिष्ट करता है कि चीफ वॉर्डन के कार्य अभयारण्य की मैनेजमेंट योजना के अनुसार होने चाहिए। इन योजनाओं को केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया जाएगा और ये योजनाएं चीफ वॉर्डन द्वारा मंजूर होंगी। विशेष क्षेत्रों में आने वाले अभयारण्यों के लिए मैनेजमेंट योजना संबंधित ग्राम सभा से सलाह करके तैयार की जानी चाहिए। विशेष क्षेत्रों में ऐसे अनुसूचित क्षेत्र आते हैं जहां अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों को मान्यता) एक्ट, 2006 लागू है। अनुसूचित क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े इलाके आते हैं जहां मुख्यतया जनजाति आबादी रहती है। इन क्षेत्रों को संविधान की पांचवीं अनुसूची में अधिसूचित किया गया है।
     
  • संरक्षण (कंजरवेशन) रिजर्वएक्ट के अंतर्गत राज्य सरकार राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्यों से सटे इलाके को संरक्षण रिजर्व घोषित कर सकती है ताकि वहां की वनस्पतियों और प्राणियों, तथा उनके निवास का संरक्षण किया जा सके। बिल केंद्र सरकार को यह अधिकार भी देता है कि वह किसी संरक्षण रिजर्व को अधिसूचित कर सकती है। 
     
  • कैप्टिव पशुओं को सरेंडर करना: बिल यह प्रावधान करता है कि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी कैप्टिव पशु या पशु उत्पाद को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को सरेंडर कर सकता है। इन वस्तुओं को सरेंडर करने वाले व्यक्ति को कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी जाएगी। सरेंडर की जाने वाली वस्तुएं राज्य सरकार की संपत्ति बन जाएंगी।  
     
  • सजाएक्ट कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कारावास की अवधि और जुर्माने को निर्दिष्ट करता है। बिल जुर्माने को बढ़ाता है।

उल्लंघन के प्रकार

1972 का एक्ट

2021 का बिल

सामान्य उल्लंघन

25,000 रुपए तक

1,00,000 रुपए तक

विशेष रूप से संरक्षित पशु

कम से कम 10,000 रुपए

कम से कम 25,000 रुपए

 

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