- विकसित भारत-रोजगार की गारंटी और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) बिल, 2025 को 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी (मनरेगा) एक्ट, 2005 का स्थान लेने का प्रयास करता है।
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गारंटीकृत रोजगार दिवसों की संख्या में वृद्धि: मनरेगा के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम करना चाहते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है। बिल में यह गारंटी बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है। मनरेगा के तहत, अगर किसी काम की तलाश करने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलता है, तो राज्य सरकार को अनिवार्य रूप से उसे बेरोजगारी भत्ता देना होगा। बिल में इस प्रावधान को बरकरार रखा गया है।
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फंड शेयरिंग: मनरेगा के तहत, केंद्र सरकार अकुशल शारीरिक श्रम के लिए मजदूरी की पूरी लागत, सामग्री लागत के तीन-चौथाई तक और प्रशासनिक लागत का एक हिस्सा वहन करती है। राज्य सरकारें सामग्री लागत का एक-चौथाई, प्रशासनिक लागत, बेरोजगारी भत्ता, और मजदूरी भुगतान में देरी होने पर मुआवजा प्रदान करती हैं। बिल में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया है कि योजना को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा। राज्य सरकारें इसके लागू होने के छह महीने के भीतर बिल के अनुरूप एक योजना अधिसूचित करेंगी। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच धनराशि बंटवारे का अनुपात 60:40 होगा (पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 है)। राज्य और केंद्र सरकार मजदूरी, सामग्री लागत और प्रशासनिक लागत को उपरोक्त अनुपात में साझा करेंगी। राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता और मुआवजा देना जारी रखेगी।
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मानक आवंटन से अधिक खर्च होने की स्थिति में राज्य सरकार की जिम्मेदारी: बिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार हर वित्तीय वर्ष हेतु प्रत्येक राज्य के लिए एक मानक आवंटन पर फैसला करेगी। इन आवंटनों के मापदंड केंद्र सरकार द्वारा नियमों के अंतर्गत निर्धारित किए जाएंगे। इस आवंटन से अधिक होने वाला कोई भी व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।
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कृषि मौसम के दौरान कार्यों पर रोक: बिल के अनुसार, राज्य सरकारों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 60 दिनों तक की अवधि की अग्रिम घोषणा करनी होगी, जिसके दौरान योजना के तहत कोई कार्य नहीं किया जाएगा। इस अवधि में बुवाई और कटाई सहित कृषि के चरम मौसम शामिल होंगे।
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योजना का ढांचा: मनरेगा में ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र में योजना के तहत परियोजनाओं की पहचान करती हैं। बिल में इस प्रावधान को बरकरार रखा गया है लेकिन ग्राम पंचायतों को कार्यों के लिए एक योजना तैयार करनी होगी। ये कार्य चार विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित होंगे: (i) जल सुरक्षा, (ii) ग्रामीण अवसंरचना, (iii) आजीविका संबंधी अवसंरचना, और (iv) मौसम की चरम घटनाओं का शमन। इन योजनाओं को पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया जाएगा और राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे।
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कार्यान्वयन एवं निगरानी: मनरेगा के तहत कार्यान्वयन एवं निगरानी हेतु केंद्र एवं राज्य स्तर पर परिषदों की स्थापना की जाती है। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है और यह भी प्रावधान किया गया है कि नियमों के अंतर्गत उनकी संरचना निर्दिष्ट की जाएगी। इसमें राष्ट्रीय स्तर की संचालन समिति का गठन किया गया है जो उच्च स्तरीय निगरानी प्रदान करेगी और मानक आवंटन का सुझाव देगी। इसमें प्रत्येक राज्य के लिए एक संचालन समिति का भी गठन किया गया है। राज्य समिति के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अन्य कार्यक्रमों के साथ तालमेल की निगरानी, (ii) जिला योजनाओं का राज्य योजनाओं में एकीकरण, और (iii) राष्ट्रीय समिति के साथ समन्वय।
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तकनीक का इस्तेमाल: बिल में निम्नलिखित के उपयोग का प्रावधान है: (i) लेन-देन के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, (ii) योजना की निगरानी के लिए जियोस्पेशियल तकनीक, यानी सैटेलाइट और जीपीएस का इस्तेमाल, (iii) रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिए मोबाइल एप्लिकेशन-आधारित डैशबोर्ड, और (iv) हर हफ्ते सार्वजनिक रूप से जानकारी साझा करने की व्यवस्था।
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