मंत्रालय:
ऊर्जा
बिल की मुख्य विशेषताएँ
- बिल विद्युत अधिनियम (एक्ट), 2003 में संशोधन करता है। यह बिजली वितरण और बिजली आपूर्ति के व्यवसाय को अलग कर, बाज़ार में अनेक आपूर्ति लाइसेंसधारियों को लाने का प्रयास करता है।
- बिल में आपूर्ति लाइसेंसधारी का प्रावधान है जो उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति देगा। वितरण लाइसेंसधारी वितरण नेटवर्क का रखरखाव करेगा और आपूर्ति लाइसेंसधारी को बिजली की आपूर्ति के लिए सक्षम बनाएगा।
- राज्य विद्युत विनियामक आयोग आपूर्ति लाइसेंस देंगे। उपभोक्ता अपने आपूर्ति वाले इलाके में किसी भी आपूर्ति लाइसेंसधारी से बिजली खरीद सकते हैं।
- यदि कोई आपूर्ति लाइसेंसधारी, लाइसेंसधारी नहीं रहता है या उसे निलंबित किया जाता है, तो बिजली की आपूर्ति अंतिम उपाय प्रदाता (पीओएलआर) द्वारा की जाएगी। पीओएलआर एक आपूर्ति लाइसेंसधारी होगा जिसे राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा नियुक्त किया जाएगा
- बिल में नवीकरणीय ऊर्जा को परिभाषित किया गया है और राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा नीति का प्रावधान रखा गया है। बिल अनुसार कोयले और लिग्नाइट आधारित थर्मल उत्पादकों को स्थापित थर्मल पॉवर क्षमता का 10% नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में उत्पादित करना पड़ेगा।
प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
- बिल अनुसार आपूर्ति के इलाके में एक सरकारी आपूर्ति कंपनी भी मौजूद होनी चाहिए । इससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है। वर्तमान में, सरकारी वितरण कंपनियाँ अक्सर टैरिफ को बिजली की कीमत से कम रखती हैं। यदि सरकारी लाइसेंसधारी ऐसे ही काम करते रहे, तो अन्य लाइसेंसधारी प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकते हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का उद्देश्य शायद पूरा नहीं हो पाए।
- बिल में कहा गया है कि बिल लागू करने से पहले के बिजली क्षेत्र के सारे राजस्व घाटे की भरपाई की जाएगी। घाटे के अनेक कारण हैं जैसे कि: (i) राज्य की वितरण कंपनियों द्वारा समय-समय पर टैरिफ में संशोधन नहीं करना, (ii) टैरिफ का अप्रभावी ढांचा और ज़्यादा भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं द्वारा क्रॉस सब्सिडी, और (iii) कम निवेश, चोरी, गबन, मीटरिंग की कमी और खराब बिलिंग सिस्टम के कारण उच्च सकल तकनीकी (ट्रांसमिशन) घाटे और गैर-तकनीकी (कमर्शियल) घाटे। इनमें से कुछ समस्याओं का समाधान "उदय" नाम की नई योजना द्वारा किया जा सकता है।
- अंतिम उपाय प्रदाता (पीओएलआर) बनने से आपूर्ति लाइसेंसधारी पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है। बिल में इन लाइसेंसधारियों के लिए कोई वित्तीय सहायता का प्रावधान नहीं है। कुछ अन्य देश पीओएलआर के लिए वित्तीय सहायता देते हैं।
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