मंत्रालय: 
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन

बिल की मुख्य विशेषताएँ

  • यह बिल व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट-2014 को संशोधित करता है।
     
  • यह एक्ट एक ऐसी व्यवस्था बनाता है, जिसके माध्यम से जनसेवकों द्वारा भ्रष्टाचार, पद या निर्णय लेने की शक्ति का दुरुपयोग, और अपराध आदि की जनहित में जांच या जानकारी हासिल की जा सकती है।
     
  • यह बिल सूचना के अधिकार के तहत आनेवाली 10 श्रेणियों के अंतर्गत भ्रष्टाचार के खुलासे का संरक्षण करती है।
     
  • इन श्रेणियों में निम्न से संबंधित सूचनाएं शामिल हैं  (i) आर्थिक, वैज्ञानिक क्षेत्र और भारत की सुरक्षा (ii) कैबिनेट प्रक्रिया (iii) बौद्धिक संपदा और (iv) विश्वसनीय पद पर प्राप्त सूचना
     
  • यह एक्ट, ऑफिशिअल सीक्रेट्स एक्ट (ओएसए) 1923 के तहत प्रतिबंधित सूचनाओं पर खुलासे करने की अनुमति देता है। यह बिल इस अनुमति को फिर से प्रतिबंधित करता है।
     
  • अगर जनहित में प्राप्त खुलासा दी गई 10 वर्जित श्रेणियों के अंतर्गत आता है तो सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को रेफर करेगा। यह अधिकारी इस पर यथोचित निर्णय लेगा जिसे मानना ज़रूरी होगा

मुख्य मुद्दे और विश्लेषण

  • बिल के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, 10 वर्जित श्रेणियां सूचना के अधिकार एक्ट 2005 में दी गई श्रेणियों पर आधारित है। हालांकि, हो सकता है कि यह तुलना उचित हो। सूचना के अधिकार के विपरीत, बिल के अंतर्गत खुलासे को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे विश्वास के साथ उच्च् स्तरीय संसदीय एवं वैधानिक अथॉरिटी के समक्ष रखा जा सकता है। 
     
  • सूचना के अधिकार के तहत दी गई 10 वर्जित श्रेणियों के संबंध में प्राधिकृत जनसेवक इन सूचनाओं का खुलासा जनहित में कर सकते हैं और सूचना न मिलने की स्थिति में द्विस्तरीय अपील प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस बिल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
     
  • सक्षम अधिकारी गोपनीय खुलासे को अंतिम निर्णय के लिए किसी सरकारी अधिकारी को रेफर करेगा। यह बिल सरकारी अधिकारी की नियुक्ति के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और नियुक्ति की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं करता है।
     
  • अनेक देशों में व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट के तहत कुछ प्रकार की सूचनाओं के खुलासे मना हैं। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा व गोपनीयता से संबंधित सूचना, विश्वसनीय पद पर प्राप्त सूचना तथा वह खुलासे जो किसी का कानून के तहत मना हैं।

भाग अ: बिल की मुख्य विशेषताएँ

संदर्भ

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट 2014 किसी भी व्यक्ति (जैसे सूचना प्रदाता) को भ्रष्टाचार, जानबूझकर पद या निर्णय लेने की शक्ति के दुरुपयोग तथा आपराधिक प्रक्रियाओं में लिप्त जनसेवक के खिलाफ रिपोर्ट करने का धिकार देता है। सभी जनसेवक, जिनमें तमाम मंत्री, संसद सदस्य, कनिष्ठ न्यायालय, प्राधिकृत अधिकारी, केंद्र अथवा राज्य सरकार के कर्मचारी आते हैं, इसमें शामिल हैं।[1] ऐसे खुलासे उपयुक्त सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी को बताने चाहिए जो सावधानी से मामले की जाँच करे और शिकायतकर्ता एवं जनसेवक की पहचान गुप्त रखे।

2014 एक्ट को लोकसभा में बिल के रूप में पारित करने के बाद सरकार ने राज्य सभा में इस बिल में संशोधन पेश किए। संशोधन के तहत सूचना की दो श्रेणियों का खुलासा मना है। इसमें निम्न से संबंधित सूचनाएं शामिल हैं: (i) भारत की संप्रुभता, सामरिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित एवं विदेशी संबंध या किसी अपराध के लिए बढ़ावा, और (ii)  मंत्री परिषद  की कार्यवाही। तब भी, जब राज्य सभा में इस बिल को पारित किया गया तो उपरोक्त संशोधन पर चर्चा नहीं हो पाई, क्यूंकि 15वीं लोकसभा के अंतिम दिन इस पर चर्चा हुई थी।[2]

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल 2015 लोकसभा में 11 मई 2015 को प्रस्तुत किया गया और 13 मई 2015 को सदन ने इसे पारित किया। यह बिल व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट 2014 को संशोधित है।

मुख्य विशेषताएँ

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट-2014 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी जनसेवक के खिलाफ जनहित में खुलासे कर सकता हैं। ऐसे खुलासे किसी सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी के समक्ष ही किए जाते हैं। एक्ट में जनसेवकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए संबंधित सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी को स्पष्ट किया गया है। उदाहरण के लिए, केंद्रीय मंत्रियों के लिए भारत के प्रधानमंत्री, सासंदों के लिए सभापति अथवा अध्यक्ष, जिला न्यायालय के न्यायधीशों के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा सरकारी सेवक के लिए केंद्रीय अथवा राज्य सतर्कता आयोग हो सकते हैं।

यह बिल किसी सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी के समक्ष सूचना की 10 श्रेणियों के खुलासे को मना करने के लिए एक्ट में संशोधन करता है। निम्न तालिका बिल और एक्ट की तुलना करती है।

तालिका 1 : व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट-2014 और संशोधन बिल 2015 की तुलना :

 

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट-2014

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल-2015

सूचना का खुलासा

भ्रष्टाचार, पद या निर्णय लेने की शक्ति के दुरुपयोग या फिर किसी जनसेवक द्वारा अपराध के मामलों का खुलासा किया जा सकता है।

·    खुलासा करना मना है अगर इसमें निम्न से संबंधित सूचनाएं शामिल हैं:

i)    भारत की संप्रुभता, सामरिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित या किसी अपराध के लिए बढ़ावा

ii)   मंत्रिपरिषद की चर्चा का रिकार्ड;

iii)   जिसके प्रकाशन की न्यायालय द्वारा मनाही की गयी हो या जिसके कारण न्यायालय की अवमानना हो सकती है

iv) विधायिका के विशेषाधिकार का उल्लंघन

v) वाणिजि्यक गोपनीयता, व्यापार गोपनीयता, बौद्धिक संपदा (अगर यह तीसरे पक्ष को प्रभावित करता हो)

vi)    विश्वसनीय पद पर प्राप्त सूचना

vii)    विदेशी सरकार से प्राप्त

viii)    किसी के लिए घातक होने की आशंका

ix)     जांच में बाधा बनने की आशंका

x)      निजी मामले अथवा निजता में हस्तक्षेप

·    बहरहाल, अगर ऊपर वर्णित बिंदु (ii), (v), (vi), और (x) से संबंधित सूचनाएं सूचना का अधिकार 2005 के तहत उपलब्ध है तो उनका खुलासा इस बिल के तहत किया जा सकता है।

ऑफिशिअल सीक्रेट्स एक्ट (ओएसए) 1923 की उपयुक्तता

ओएसए के अंदर मना  होने के बावजूद इस एक्ट के अंतर्गत खुलासा किया जा सकता है।

(ओएसए किसी भी सूचना को दस्तावेज और प्रसारित करने से रोकता है, अगर वह राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन करती हो)

ओएसए के अंदर मना खुलासों का इस बिल के तहत खुलासा नही किया जा सकता है।

मना खुलासे को तय करने की प्रक्रिया

लागू नहीं, क्योंकि यह एक्ट किसी भी प्रकार की सूचना के खुलासे को मना नहीं करता।

·   एक बार अगर खुलासा हो गया तो सक्षम अधिकारी इसे सरकार की ओर से प्राधिकृत अधिकारी को रेफर करेगा।

·   वह सरकारी अथॉरिटी अंतिम निर्णय लेगा  की वह खुलासा  मना है या नहीं।

जांच के लिए लंबित प्रकरणों का खुलासा व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण(संशोधन) एक्ट के अंतर्गत नहीं किया जा सकता

·   अगर एक बार शिकायत दर्ज हो गई और जांच प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो किसी भी व्यक्ति को सूचना की जानकारी देने की आवश्यकता नही अगर वह 5 श्रेणियों के अंतर्गत आती है

·    यह श्रेणियां हैं: (i) भारत की सुरक्षा, (ii) विदेशी संबंध, (iii) लोक आदेश और नैतिकता, (iv) अदालत की अवमानना, मानहानि, किसी अपराध के लिए बढ़ावा और (v) कैबिनेट प्रक्रिया।

सूचना के तहत 5 श्रेणियों के स्थान पर उपरोक्त 10 श्रेणियां कर दी गईं हैं।

Sources: The Whistleblowers Protection Act, 2014; The Whistleblowers Protection (Amendment) Bill, 2015; PRS.

 

भाग ब: प्रमुख मुद्दे व विश्लेषण

जनहित के खुलासे में से 10 श्रेणियों के खुलासे वर्जित

अगर कोई जनसेवक भ्रष्टाचार, पद या निर्णय लेने की शक्ति का दुरुपयोग या अपराध करता है तो इसका खुलासा व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट 2014 लागू होने पर कोई भी व्यक्ति सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी के समक्ष कर सकता है मंत्रियों के लिए प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री, सासंदों अथवा विधायकों के लिए अध्यक्ष या सभापति, जिला न्यायालय के न्यायधीशों के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा सरकारी सेवक के लिए केंद्रीय अथवा राज्य सतर्कता आयोग सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी होंगे।

बिल इस प्रावधान में संशोधन करके 10 श्रेणियों के अंतर्गत आनेवाली भ्रष्टाचार से संबंधित जानकारी का खुलासा करने से जनसेवकों को मना करता है इन श्रेणियों में भारत की संप्रुभता, सामरिक, वैज्ञानिक, आर्थिक हित एवं सुरक्षा, मंत्री परिषद की कार्यवाही, विधायिकाओं के विशेषाधिकार का उल्लंघन, बौद्धिक संपदा, जांच प्रक्रिया से संबंधित जानकारी शामिल है।

सूचना का अधिकार (आरटीआ) कानून का उद्देश्य व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट से भिन्न है

बिल 2015 के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, वर्जित श्रेणियां सूचना की उन 10 श्रेणियों पर आधारित हैं जिनका खुलासा सूचना के अधिकार (आरटी) एक्ट 2005[3] के तहत नहीं किया जा सकता। पर हो सकता है, दोनों के बीच यह तुलना उपयुक्त हो।  सूचना के अधिकार का उद्देश्य सरकारी काम से संबंधित सूचनाओं को सब नागरिकों को उपलब्ध कराने से है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बरकरार रहे।[4] कुछ अपवाद हो सकते हैं, जहां सरकारी संस्थाएं नागरिकों को सभी गुप्त सूचनाएं देना चाहें

इसके विपरीत, व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना की जानकारी सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी को दे सकता है। सभी मामलों में सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी एक उच्च स्तरीय संवैधानिक अथवा वैधानिक अधिकारी होता है। जानकारियों का खुलासा नहीं किया जाता व लंबित मामलों से संबंधित आरोपों की जांच सावधानी से होनी चाहिए। शिकायतकर्ता, जनसेवक की पहचान व संबंधित दस्तावेजों को गोपनीय रखी जाती है।

सूचना का अधिकार (आरटीआ) के अंतर्गत आने वाले मामलों को इस एक्ट में शामिल नहीं किया गया है

ध्यान देने वाली बात है कि सूचना का अधिकार संबंधित प्राधिकृत अधिकारियों को ऐसी सूचनाओं के खुलासे का अधिकार देता है (i) जो 10 वर्जित श्रेणियों के अंदर आती हैं, और (ii) ऑफिशिअल सीक्रेट 1923 के तहत मना की गयी सूचनाएं, अगर जनहित मे खुलासा करना हितों की रक्षा से होने वाले नुकसान से बेहतर है। आगे, जबकि इस कानून में 22 सुरक्षा और गुप्तचर संस्थाएं शामिल नहीं हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित सूचना अवश्य दी जानी चाहिए। यह कानून जानकारी न देने के किसी भी निर्णय के खिलाफ दो स्तरीय अपीलीय प्रक्रिया की अनुमति देता है। व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट 2015 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

एक्ट की वर्जित श्रेणियां 2013 में प्रस्तावित संशोधनों से अधिक बढ़ाई गईं हैं

इस एक्ट के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) एक्ट 2014 के पारित होने के दौरान, सरकार ने कुछ संशोधनों का वितरण किया था।[5]  हालांकि, जब बिल पर 15वीं लोकसभा के अंतिम दिन चर्चा हुई तब बिल  में संशोधन नहीं किए जा सके। व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल 2015 अब इन संशोधनों को लेना चाहता है।

2013 के संशोधन में एक्ट के तहत केवल दो सूचनाओं का खुलासा मना किया गया था, वह हैं: (i) भारत की संप्रुभता, सामरिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित एवं विदेशी संबंध या किसी अपराध के लिए बढ़ावा, और (ii) मंत्री परिषद की कार्यवाही। लेकिन, व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल 2015, 10 श्रेणियों में आनेवाली सूचनाओं का खुलासा मना करता है।

सरकार द्वारा घोषित प्राधिकृत अधिकारियों की विशेषताओं का उल्लेख नहीं

बिल कहता है कि अगर जनहित में प्राप्त खुलासा दी गई 10 वर्जित श्रेणियों के अंतर्गत आता है तो सक्षम (कांम्पिटंट) अधिकारी इसे सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को रेफर करेगावह अधिकारी ही तय करेगा कि खुलासे में ऐसी कोई   जानकारी तो नहीं है जिसका खुलासा इस बिल के तहत मना है। यह निर्णय सक्षम अधिकारी को मानना होगा।

हालांकि, बिल सरकार द्वारा घोषित प्राधिकृत अधिकारी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और पद को स्पष्ट नहीं करता है। अगर यह अधिकारी उस जनसेवक से पद अनुसार कनिष्ठ या छोटा है जिसके खिलाफ शिकायत की गयी है तो इस अधिकारी की स्वतंत्रता को खतरा है

व्हिसल ब्लोअर्स कानून अंतरराष्ट्रीय तुलना

अलग-अलग देशों में व्हिसल ब्लोअर्स की सुरक्षा के लिए कानून बनाये गए है और कुछ छूटें घोषित की गई हैं । तालिका 2 में विभिन्न देशों में लागू व्हिसल ब्लोअर्स कानूनों के तहत छूटों की तुलना की गई है।

तालिका 2 : विभिन्न न्यायिक क्षेत्रों में व्हिसल ब्लोअर्स कानूनों के तहत छूटों की तुलना

यूनाइटेड किंग्डम

अमेरिका

आस्ट्रेलिया

कनाडा

दक्षिण अफ्रीका

·       राष्ट्रीय सुरक्षा

(तीन खुफिया एजेंसियां शामिल)

·       अगर खुलासा करने वाला  व्यक्ति ऐसा करके कोई अपराध करता  है

·       अगर यह  कानूनी पेशेवर विशेषाधिकार का हनन करता है (वकील और मुवक्किल के बीच)

 

·       सूचना की गोपनीयता बनाए रखने के विशेष कार्यकारी आदेश जारी होने पर ही राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी मामलों को  छूट प्राप्त है

·       अगर खुलासा विशेष रुप से कानून के तहत मना है

·       खुफिया सूचनाएं

·       सूचनाएं जो राष्ट्रीय रक्षा या सुरक्षा को संकट में डाल सकती  हैं

·       कैबिनेट के कागज लोगों के बीच प्रकट नहीं किए जा सकते

·       विदेशी सरकार  से  गोपनीय ढंग से प्राप्त सूचनाएं

·       अदालत एवं ट्रिब्युनल

·       विशेष क्रियात्मक सूचनाएं जिनमें गुप्त स्रोतों, सतर्कता, मिलिट्री ऑपरेशन, विदेशी संस्था और आतंकी दल से प्राप्त सूचनाएं

·       कनाडा के लिए क्वींस प्रीवी कौंसिल की गोपनीयता*

कोई छूट नहीं

 

स्रोत : यूके: पब्लिक इंटरेस्ट डिस्क्लोजर एक्ट 1998; इम्प्लायमेंट राइट्स एक्ट 1986; अमेरिका: व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 1989; आस्ट्रेलिया: पब्लिक इंटरेस्ट डिस्क्लोजर एक्ट 2013; कनाडा: पब्लिक डिस्क्लोजर प्रोटेक्शन एक्ट 2005; दक्षिण अफ्रीका: प्रोटेक्टेड डिस्क्लोजर एक्ट 2000; पीआरएस

नोट: *निरीक्षक के समक्ष सूचनाओं का खुलासा किया जा सकता है, लेकिन पब्लिक सेक्टर इंटरग्रिटी कमिश्नर के सामने नहीं।

 

Notes

[1].  Section 3 (i), Whistleblowers Protection Act, 2014.

[2].  Rajya Sabha Official Debates, February 21, 2014.  Any amendments made by Rajya Sabha would have necessitated sending the Bill back to Lok Sabha.  Given that Lok Sabha was holding its last sitting that day, the Bill would have lapsed.

[3].  Section 8 (1), Right to Information Act, 2005.

[4].  Long Title, Right to Information Act, 2005.

[5].  The Whistleblowers Protection Bill, 2011, Notice of Amendments, Rajya Sabha, August 5, 2013, http://www.prsindia.org/uploads/media/Public%20Disclosure/Notice%20of%20Amendments%20-Whistle%20blower.pdf.

 

यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार की गयी थी।  हिंदी में इसका अनुवाद किया गया है।  हिंदी रूपांतर में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।