केंद्रीय बजट 2023-24 के साथ वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमन ने 1 फरवरी, 2023 को रेलवे बजट पेश किया गया। भारतीय रेलवे केंद्र सरकार का एक वाणिज्यिक उपक्रम है। [1] रेल मंत्रालय, भारतीय रेलवे का एडमिनिस्ट्रेशन संभालता है और रेलवे बोर्ड के जरिए नीतियों का निर्माण करता है।
रेलवे के व्यय को निम्नलिखित के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है: (i) इसके आंतरिक संसाधन (मुख्य रूप से माल और यात्री राजस्व), (ii) केंद्र सरकार से बजटीय सहायता, और (iii) अतिरिक्त-बजटीय संसाधन (मुख्य रूप से उधार लेकिन इसमें संस्थागत वित्तपोषण और सार्वजनिक- निजी भागीदारी शामिल हैं)। रेलवे के कामकाज के खर्चे (वेतन, पेंशन और संपत्ति के रखरखाव) को उसके आंतरिक संसाधनों से पूरा किया जाता है। रेलवे कुछ अधिशेष उत्पन्न करता है, जो उसकी पूंजीगत व्यय योजनाओं (जैसे लाइनों का निर्माण और वैगनों की खरीद) को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। पूंजीगत व्यय केंद्र सरकार के अनुदान और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से किया जाता है। इस नोट में 2023-24 में रेल मंत्रालय के प्रस्तावित व्यय, पिछले वर्षों में उसकी वित्तीय स्थिति और विभिन्न मुद्दों का विश्लेषण किया गया है।
मुख्य बिंदु
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राजस्व: 2023-24 के लिए रेलवे का आंतरिक राजस्व 2,65,000 करोड़ रुपए अनुमानित है जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 9% अधिक है। 2022-23 में राजस्व, बजट अनुमान से 1% अधिक होने का अनुमान है (अगले पृष्ठ पर तालिका 1 देखें)।
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यातायात राजस्व: 2023-24 में यातायात राजस्व 2,64,600 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो कुल राजस्व का 99.8% है। यातायात राजस्व का 68% माल ढुलाई सेवाओं (1,79,500 करोड़ रुपए) और अन्य 26% यात्री सेवाओं (70,000 करोड़ रुपए) से मिलने का अनुमान है। पिछले वर्ष की तुलना में यात्री और माल, दोनों के राजस्व में 9% की वृद्धि का अनुमान है।
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राजस्व व्यय: 2023-24 में कुल राजस्व व्यय 2,62,790 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 9% अधिक है। वेतन और पेंशन पर व्यय कुल राजस्व व्यय का 64% होने का अनुमान है।
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2023-24 में पूंजीगत व्यय 2,60,200 करोड़ रुपए अनुमानित है जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है। पूंजीगत व्यय के वित्तपोषण के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। 2023-24 में पूंजीगत व्यय का 92% केंद्र सरकार से बजटीय सहायता के माध्यम से और 7% अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से वित्तपोषित होने का अनुमान है। इसकी तुलना में 2022-23 में इनका योगदान क्रमश: 65% और 33% रहने का अनुमान है।
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परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशो): कार्यशील व्यय की तुलना में यातायात से होने वाली प्राप्तियों का अनुपात, परिचालन अनुपात कहलाता है। अगर यह अनुपात कम होता है तो इसका मतलब है, बेहतर लाभपरकता और पूंजीगत व्यय के लिए संसाधनों की उपलब्धता। 2023-24 में रेलवे का परिचालन अनुपात 98.45% रहने का अनुमान है। यह संशोधित अनुमानों (98.22%) के अनुसार 2022-23 के परिचालन अनुपात से थोड़ा अधिक है। 2021-22 में परिचालन अनुपात 107.39% था।
घटता राजस्व अधिशेष
हाल के वर्षों में रेलवे की राजस्व आय बमुश्किल अपने राजस्व व्यय (रेखाचित्र 1) के बराबर रह पाई है। 2013-14 और 2023-24 के बीच रेलवे का राजस्व व्यय 7.2% की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है जो उसकी राजस्व प्राप्तियों (6.3% की वार्षिक वृद्धि) से अधिक है। राजस्व व्यय में वेतन, पेंशन, ईंधन और संपत्ति के रखरखाव जैसी मदों पर खर्च शामिल है। 2023-24 में बजट अनुमानों के अनुसार, रेलवे को 2,210 करोड़ रुपए का मामूली अधिशेष होने की उम्मीद है (जो इसके पूंजीगत व्यय के 1% से कम का वित्तपोषण करेगा)।
रेखाचित्र 1: रेलवे का राजस्व अधिशेष (करोड़ रुपए में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
2021-22 में रेलवे ने 15,025 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा दर्ज किया। 2019-20 और 2020-21 (कोविड वर्ष) में रेलवे ने पेंशन फंड के विनियोग को कम किया था जिससे उसे राजस्व अधिशेष हुआ था। इन वर्षों में पेंशन के लिए संसाधनों की कमी हुई तो उसे 2020-21 में केंद्र सरकार के 79,398 करोड़ रुपए के विशेष ऋण से पूरा किया गया। इन तीन वर्षों के दौरान कोविड से संबंधित प्रतिबंधों के कारण रेलवे की यात्री सेवाएं बाधित हुईं जिसके कारण सामान्य से कम राजस्व प्राप्त हुआ। रेलवे की लागत का एक बड़ा हिस्सा प्रकृति में प्रतिबद्ध है, जिसे अल्पावधि में रैशनलाइज नहीं किया जा सकता है। इसलिए पिछले तीन वर्षों में रेलवे को अपने आवर्ती खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार से बजटीय सहायता और उधार पर निर्भर रहना पड़ा।
तालिका 1: 2023-24 में रेलवे की प्राप्तियों और व्यय का विवरण (करोड़ रुपए में)
|
2021-22 वास्तविक |
2022-23 बअ |
2022-23 संअ |
परिवर्तन का % (2022-23 बअ से 2022-23 संअ) |
2023-24 बअ |
परिवर्तन का % (2022-23 संअ से 2023-24 बअ) |
|
प्राप्तियां |
|
||||||
1 |
यात्री राजस्व |
39,214 |
58,500 |
64,000 |
9% |
70,000 |
9% |
2 |
माल ढुलाई राजस्व |
1,41,096 |
1,65,000 |
1,65,000 |
0% |
1,79,500 |
9% |
3 |
अन्य यातायात स्रोत |
10,896 |
16,100 |
13,693 |
-15% |
15,100 |
10% |
4 |
सकल यातायात प्राप्तियां (1+2+3) |
1,91,206 |
2,39,600 |
2,42,693 |
1% |
2,64,600 |
9% |
5 |
विविध |
161 |
400 |
200 |
-50% |
400 |
100% |
6 |
कुल आंतरिक राजस्व (4+5) |
1,91,367 |
2,40,000 |
2,42,893 |
1% |
2,65,000 |
9% |
7 |
सरकार से बजटीय सहयोग |
1,17,276 |
1,37,300 |
1,59,300 |
16% |
2,40,200 |
51% |
8 |
अतिरिक्त बजटीय संसाधन |
71,066 |
1,01,500 |
81,700 |
-20% |
17,000 |
-79% |
9 |
कुल प्राप्तियां (6+7+8) |
3,79,709 |
4,78,800 |
4,83,893 |
1% |
5,22,200 |
8% |
व्यय |
|||||||
10 |
सामान्य कार्यशील व्यय |
1,56,506 |
1,70,000 |
1,81,000 |
6% |
1,88,574 |
4% |
11 |
पेंशन फंड हेतु विनियोग |
48,100 |
60,000 |
56,000 |
-7% |
70,516 |
26% |
12 |
मूल्यह्रास आरक्षित निधि हेतु विनियोग |
0 |
2,000 |
1,000 |
-50% |
1,000 |
0% |
13 |
कुल कार्यशील व्यय (11+12+13) |
2,04,606 |
2,32,000 |
2,38,000 |
3% |
2,60,090 |
9% |
14 |
विविध |
1,785 |
2,640 |
2,500 |
-5% |
2,700 |
8% |
15 |
कुल राजस्व व्यय (14+15) |
2,06,392 |
2,34,640 |
2,40,500 |
2% |
2,62,790 |
9% |
16 |
कुल पूंजीगत व्यय |
1,90,267 |
2,45,800 |
2,45,300 |
0% |
2,60,200 |
6% |
17 |
कुल व्यय (15+16) |
3,96,659 |
4,80,440 |
4,85,800 |
1% |
5,22,990 |
8% |
18 |
शुद्ध राजस्व (6-15) |
-15,025 |
5,360 |
2,393 |
-55% |
2,210 |
-8% |
19 |
परिचालन अनुपात |
107.39% |
96.98% |
98.22% |
98.45% |
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
परिचालन अनुपात में गिरावट: परिचालन अनुपात यातायात आय और कार्यशील व्यय (जैसे ईंधन और वेतन) के अनुपात को दर्शाता है। उच्च अनुपात अधिशेष उत्पन्न करने की अकुशलता को दर्शाता है। बजट दस्तावेज में प्रस्तुत वास्तविक आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में परिचालन अनुपात 107.4% था। इसका तात्पर्य यह है कि 2021-22 में रेलवे ने यातायात संचालन से 100 रुपए कमाने के लिए 107 रुपए खर्च किए। अगर एकाउंटिंग के समायोजन को नजरअंदाज किया जाए तो 2018-19 और 2020-21 के बीच रेलवे का परिचालन अनुपात 100% से अधिक रहा है। कैग ने पाया कि अगर अगले वित्तीय वर्ष के एडवांस को प्राप्तियों के रूप में नहीं गिना जाता, तो 2018-19 में परिचालन अनुपात 97.3% के बजाय 101.8% होता। इसी तरह 2019-20 और 2020-21 में परिचालन अनुपात क्रमशः 114.2% और 131.6% होता, अगर पेंशन फंड के लिए विभाजन आवश्यकता के अनुसार होता। प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए, रेलवे को ज़ोन में विभाजित किया गया है। कैग के अनुसार, इन 17 में से नौ ज़ोन्स ने 2016-17 और 2020-21 के बीच सभी पांच वर्षों में 100% से अधिक का परिचालन अनुपात दर्ज किया है (अनुलग्नक में तालिका 12 देखें)।
रेखाचित्र 2: परिचालन अनुपात
नोट: *2018-19 में, 2019-20 के लिए कुछ एडवांस को प्राप्तियों में शामिल किया गया था। 2019-20 और 2020-21 में पेंशन फंड के लिए जरूरत से कम राशि बांटी गई।
स्रोत: कैग, विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
एक बड़ा अधिशेष उत्पन्न न कर पाने के कारण रेलवे को क्षमता वृद्धि और निवेश के लिए केंद्र सरकार से बजटीय सहायता और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके परिणाम के तौर पर उसे कर्ज चुकाने के लिए कमाई को अलग रखना पड़ता है जिसके चलते देनदारी बढ़ रही है। अधिशेष पर्याप्त न होने की वजह से पुरानी परिसंपतियों के बदलने और सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए अपेक्षा से कम प्रावधान किए जाते हैं। निम्नलिखित खंडों में हम इन चुनौतियों और प्रभावों पर और विस्तार से चर्चा करेंगे।
यातायात की मात्रा में मामूली वृद्धि
रेलवे की कमाई का प्राथमिक स्रोत माल ढुलाई और यात्री सेवाओं का संचालन है। 2023-24 में इनसे 94% राजस्व प्राप्तियों की उम्मीद है जिसमें माल ढुलाई का हिस्सा 68% है। जहां 2022-23 के लिए संशोधित अनुमानों की तुलना में माल ढुलाई 5% बढ़ने का अनुमान है, वहीं यात्री यातायात 11% बढ़ने का अनुमान है।
पिछले एक दशक में रेल-आधारित यात्री और माल यातायात दोनों में मामूली दर से वृद्धि हुई है। 2013-14 और 2023-24 के बीच, माल यातायात 3.5% की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है। 2023-24 में यात्री यातायात 2013-14 और 2016-17 के बीच के स्तर से कम रहने की उम्मीद है। यह मुख्य रूप से द्वितीय श्रेणी (साधारण) में अनुमानित कम यातायात के कारण है। इस श्रेणी को छोड़कर, 2013-14 और 2023-24 के बीच यात्री यातायात 2% की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है।
रेखाचित्र 3: माल ढुलाई की मात्रा (बिलियन एनटीकेएम में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
2017-18 में माल परिवहन में रेलवे की औसत हिस्सेदारी 28% अनुमानित है जो 2011-12 में 30% थी। [2] , [3] कम हिस्सेदारी के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अपर्याप्त क्षमता वृद्धि जिसके कारण मांग पूरी नहीं हुई और गति कम रही, (ii) उच्च टैरिफ, (iii) माल ढुलाई में विविधीकरण पर ध्यान न देना, और (iv) सड़क से प्रतिस्पर्धा जो बेहतर एंड-टू-एंड कनेक्टिविटी प्रदान करती है। [4]
कारों की ढुलाई में रेलवे का हिस्सा बढ़ रहा है रेलवे की ढुलाई सेवा को कारों के परिवहन में इस्तेमाल किया जाता है। कारों को कारखानों से वितरण केंद्रों तक रेल से ले जाया जाता है। हाल के वर्षों में कारों की कुल घरेलू ढुलाई में रेलवे का हिस्सा बढ़ा है। [5] यह 2013-14 में 1.5% से बढ़कर 2021-22 में 16% हो गया। 5 रेखाचित्र 4: कारों की ढुलाई में रेलवे का हिस्सा
स्रोत: "भारतीय रेलवे ने ऑटोमोबाइल ट्रैफिक में वृद्धि दर्ज की", प्रेस सूचना ब्यूरो, रेल मंत्रालय, 12 सितंबर, 2022; पीआरएस। |
रेखाचित्र 5: यात्री यातायात की मात्रा (बिलियन पीकेएम में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना में 2050 तक मॉडल शेयर को 45% तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। 2 इस लक्ष्य के लिए उसने 2021-22 और 2050-51 के बीच की अवधि के लिए 38 लाख करोड़ रुपए की निवेश योजना का प्रस्ताव दिया है। 2
रेलवे का नेटवर्क निम्नलिखित में वर्गीकृत: (i) उच्च-घनत्व नेटवर्क मार्ग (एचडीएन) और (ii) अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग (एचयूएन)। 2 एचडीएन मार्ग में कुल नेटवर्क का 16% शामिल हैं और यह कुल यातायात का 41% वहन करते हैं। 2 एचयूएन मार्गों में कुल नेटवर्क का 35% शामिल है और यह कुल यातायात का 40% वहन करता है। 2 राष्ट्रीय रेल योजना के ड्राफ्ट के अनुसार, लगभग 80% एचडीएन मार्ग और 48% एचयूएन मार्ग का 100% से अधिक क्षमता उपयोग होता है जो नेटवर्क में भीड़ को दर्शाता है। 2 योजना के अनुसार, रेलवे माल की वर्तमान औसत गति लगभग 25 किमी प्रति घंटा है। 2 इसे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के विकास और मौजूदा नेटवर्क में लेन की बढ़ती संख्या के साथ लगभग 50 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने का लक्ष्य है। 2
तालिका 2: 100% से अधिक क्षमता (2017-18) पर एचडीएन के 80% और एचयूएन के 48% रूट
नेटवर्क का प्रकार |
क्षमता उपयोग |
|||
<70% |
70%-100% |
100%-150% |
>150% |
|
उच्च-घनत्व नेटवर्क (एचडीएन) |
2% |
18% |
58% |
22% |
अत्यधिक उपयोग किया जाने वाला नेटवर्क (एचयूएन) |
24% |
36% |
35% |
13% |
अन्य |
69% |
22% |
9% |
0% |
स्रोत: राष्ट्रीय रेल योजना का ड्राफ्ट, रेल मंत्रालय; पीआरएस।
माल ढुलाई कुछ थोक सामान पर केंद्रित
रेलवे का अधिकांश माल यातायात कोयला, लोहा और सीमेंट जैसे कुछ थोक सामानों से आता है। पिछले 15 वर्षों में फ्रेट बास्केट काफी हद तक बदली नहीं है (तालिका 3)। यातायात की मात्रा और राजस्व का 40% सिर्फ कोयले की ढुलाई से प्राप्त होता है। यह निर्भरता लंबे समय में रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती रही है क्योंकि भारत का लक्ष्य यह है कि सिर्फ कोयला बिजली उत्पादन का अकेला स्रोत न रहे। बल्कि दूसरे स्रोतों से भी बिजली उत्पादित की जाए।
तालिका 3: माल ढुलाई की मात्रा का संयोजन (शुद्ध एनटीकेएम में)
वस्तु |
2010-15 औसत |
2015-20 औसत |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
कोयला |
43% |
41% |
43% |
43% |
लोहा और स्टील |
13% |
15% |
14% |
15% |
सीमेंट |
9% |
9% |
9% |
9% |
कंटेनर सेवा |
7% |
7% |
7% |
8% |
खाद्यान्न |
10% |
8% |
9% |
7% |
उर्वरक |
6% |
6% |
5% |
5% |
पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट |
4% |
4% |
3% |
3% |
अन्य वस्तुएं |
8% |
8% |
10% |
10% |
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
यात्री सेवाओं में लगातार नुकसान
रेलवे को 2023-24 में अपने राजस्व का लगभग 26% यात्री सेवाओं से अर्जित करने का अनुमान है। यात्री यातायात को उपनगरीय और गैर-उपनगरीय यातायात में वर्गीकृत किया गया है। उपनगरीय ट्रेनें यात्री ट्रेनें हैं जो यात्रियों को शहरों और उपनगरों के भीतर ले जाने में मदद करती हैं। अधिकांश यात्री राजस्व (2023-24 में 96%) गैर-उपनगरीय यातायात (या लंबी दूरी की ट्रेनों) से आता है।
जैसा कि रेखाचित्र 6 में देखा जा सकता है, हाल के वर्षों में यात्री सेवाओं के संचालन में घाटा बढ़ रहा है। 2016-17 के बाद माल ढुलाई से होने वाला लाभ यात्री सेवाओं से होने वाले व्यापक घाटे की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं रहा है। 2019-20 में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से एक रुपए की कमाई पर रेलवे ने करीब दो रुपए 10 पैसे खर्च किए। एसी 3 टियर और एसी चेयर कार को छोड़कर, 2017-18 और 2020-21 के बीच हर साल यात्री सेवाओं की अन्य सभी श्रेणियों में घाटा हुआ है (तालिका 4)।
रेखाचित्र 6: माल ढुलाई सेवाओं की तुलना में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से लाभ (+)/हानि (-) (करोड़ रु.)
स्रोत: कैग; पीआरएस।
नीति आयोग (2016) ने कहा था कि माल ढुलाई सेवाओं द्वारा यात्री सेवाओं की क्रॉस-सब्सिडी के परिणामस्वरूप माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि हुई है। [6] 2018 में नीति आयोग ने कहा था कि माल ढुलाई में रेलवे के अपेक्षा से कम हिस्से के तमाम कारणों में से एक माल ढुलाई का उच्च शुल्क है। [7] यात्री सेवाओं में घाटा मुख्य रूप से निम्नलिखित के कारण होता है: (i) लागत से कम यात्री किराया, और (ii) यात्रियों की विभिन्न श्रेणियों (वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आदि) को रियायतें। 6 रेलवे इन प्रावधानों को सामाजिक सेवा बाध्यता के रूप में वर्गीकृत करता है। 6 रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने सुझाव दिया था कि माल ढुलाई और यात्री शुल्क में तर्कसंगत बढ़ोतरी की जानी चाहिए। [8] उसने कहा था कि किराए में बढ़ोतरी करते समय अन्य परिवहन साधनों जैसे सड़क और हवाई क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा को भी ध्यान में रखने की जरूरत है। 8 कमिटी ने सुझाव था कि रेलवे की सामाजिक सेवा बाध्यताओं पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। 8 बजट समर्थन केवल रणनीतिक आधार पर होने वाले नुकसान के लिए प्रदान किया जाता है। 2023-24 में यह योगदान 2,216 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
तालिका 4: यात्री सेवाओं की विभिन्न श्रेणियों से लाभ (+)/हानि (-) (करोड़ रुपए में)
श्रेणी |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
2020-21 |
एसी-प्रथम श्रेणी |
-165 |
-249 |
-403 |
-719 |
एसी 2 टियर |
-604 |
-908 |
-1,378 |
-2,995 |
एसी 3 टियर |
739 |
318 |
65 |
-6,500 |
एसी चेयर कार |
98 |
243 |
-182 |
-1,079 |
स्लीपर क्लास |
-11,003 |
-13,012 |
-16,056 |
-20,134 |
द्रितीय श्रेणी |
-11,524 |
-13,214 |
-14,457 |
-17,641 |
साधारण वर्ग |
-16,568 |
-19,124 |
-20,450 |
-11,438 |
ईएमयू उपनगरीय सेवाएं |
-6,184 |
-6,754 |
-6,938 |
-7,799 |
स्रोत: कैग; पीआरएस।
गैर किराया राजस्व में गिरावट
यात्री और माल ढुलाई सेवाओं के संचालन से होने वाले राजस्व के अलावा, रेलवे के राजस्व में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इमारतों को किराए पर देने, पट्टे पर देने, केटरिंग सेवाओं और विज्ञापनों से होने वाली आय सहित विविध आय, और (ii) विविध प्राप्तियां जिसमें टेंडर दस्तावेजों की बिक्री, लिक्विडेशन हर्जाना और रेलवे भर्ती बोर्ड की रसीदें शामिल हैं। 2016-17 तक रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से मिलने वाला लाभांश रेलवे की विविध कमाई का हिस्सा हुआ करता था। 2017-18 से इसे केंद्र सरकार के सामान्य राजस्व में जमा किया जाता है।
2023-24 में रेलवे को 8,000 करोड़ रुपए की विविध आय होने का अनुमान है जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 13% अधिक है। 2023-24 में विविध आय में राजस्व प्राप्तियों का हिस्सा 3% होने का अनुमान है, जो 2017-18 और 2018-19 (क्रमशः 4.9% और 3.7%) से काफी कम है। कैग (2022) ने पाया कि रेलवे भूमि के विज्ञापनों और व्यावसायिक उपयोग से राजस्व सृजन में वृद्धि की काफी गुंजाइश है। [9] सितंबर 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लॉजिस्टिक्स संबंधी गतिविधियों के लिए लंबी अवधि की लीज़ को बढ़ावा देने के लिए रेलवे की भूमि नीति में संशोधन को मंजूरी दी। [10]
रेखाचित्र 7: विभिन्न वर्षों में विविध आय
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
वेतन और पेंशन का उच्च दबाव
रेलवे के राजस्व व्यय में ईंधन, परिसंपत्ति के रखरखाव, वेतन और पेंशन पर खर्च शामिल है। रेलवे के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन के भुगतान पर खर्च किया जाता है, जिसे अल्पावधि में युक्तिसंगत बनाना मुश्किल है। 2023-24 में रेलवे द्वारा वेतन पर 1,05,235 करोड़ रुपए और पेंशन पर 62,000 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है। इन खर्चों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 5% और 11% की वृद्धि का अनुमान है। 7वें वेतन आयोग के संशोधनों के कारण 2016-17 में वेतन और पेंशन पर खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई (रेखाचित्र 8)। तब से, राजस्व प्राप्तियों के प्रतिशत के रूप में इन मदों पर खर्च 2020-21 (कोविड वर्ष) को छोड़कर 63%-75% के बीच रहा है।
रेखाचित्र 8: राजस्व प्राप्तियों के % के रूप में वेतन और पेंशन पर व्यय
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) ने गौर किया था कि कर्मचारियों पर रेलवे का व्यय बहुत ज्यादा है और उसे नियंत्रित करना मुश्किल है। [11] मार्च 2021 तक रेलवे में कुल 15.14 लाख स्वीकृत पद हैं जिनमें से लगभग 2,94 लाख पद रिक्त हैं, यानी लगभग 19% रिक्तियां हैं। [12] अगर सभी पद भरे जाते हैं तो कर्मचारियों पर रेलवे की लागत मौजूदा स्तर से अधिक हो जाएगी।
मार्च 2021 तक रेलवे के 15.54 लाख पेंशनभोगी हैं। [13] पेंशनभोगियों की संख्या वर्तमान कर्मचारियों की संख्या से अधिक है। रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2017) ने कहा था कि अगले कुछ वर्षों में पेंशन में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि 2016-17 में लगभग 40% रेलवे कर्मचारी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे। [14] रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने कहा है कि पेंशन बिल को कम करने के लिए 2004 में लागू की गई नई पेंशन योजना के परिणाम 2034-35 के आसपास ही दिखाई देंगे। 8 स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार को 2034-35 तक सामान्य राजस्व से पेंशन व्यय के लिए सहायता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए। [15]
इंफ्रास्ट्रक्टर प्रॉजेक्ट्स में काफी देरी और लागत का बढ़ना
रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्टर प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने में अक्सर देरी होती है और लागत में वृद्धि होती है। यह परियोजना को लागू करने की अक्षमता को दर्शाता है जिसका बजटीय आवश्यकताओं के साथ-साथ संचालन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दिसंबर 2022 तक 150 करोड़ रुपए या उससे अधिक की चालू 173 परियोजनाओं में से 76% की लागत में वृद्धि देखी गई है। [16] इन 131 परियोजनाओं की कुल स्वीकृत लागत 1.94 लाख करोड़ रुपए थी, जो बढ़कर 4.52 लाख करोड़ रुपए (लगभग 2.3 गुना) हो गई। 16 इसमें दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजनाएं (पूर्वी और पश्चिमी) भी शामिल हैं, जिनकी संशोधित लागत एक साथ 1.02 लाख करोड़ रुपए है और इनमें स्वीकृत लागत (28,181 करोड़ रुपए) से 263% की वृद्धि हुई है। 16
रेखाचित्र 9: 150 करोड़ रुपए या उससे अधिक की चालू परियोजनाओं में लागत वृद्धि (दिसंबर 2022 तक)
नोट: डेटा 173 चालू परियोजनाओं से संबंधित हैं।
स्रोत: केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं, अवसंरचना और परियोजना निगरानी प्रभाग पर 445वीं फ्लैश रिपोर्ट; एमओएसपीआई; पीआरएस।
लागत वृद्धि का एक कारण प्रॉजेक्ट के पूरा होने में देरी है। 122 चालू परियोजनाओं, जिनकी समय अवधि से जुड़े आंकड़े उपलब्ध हैं, में से 96% में देरी हुई है। 16 74% परियोजनाओं में 24 महीने से ज्यादा की देरी हुई है। 16 इन परियोजनाओं में औसत 64 महीने के करीब की देरी हुई है। 16
रेखाचित्र 10: 150 करोड़ रुपए या उससे अधिक की चालू परियोजनाओं में समय की वृद्धि (दिसंबर 2022 तक)
नोट: डेटा 122 चालू परियोजनाओं से संबंधित हैं।
स्रोत: केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं, अवसंरचना और परियोजना निगरानी प्रभाग पर 445वीं फ्लैश रिपोर्ट; एमओएसपीआई; पीआरएस।
बजटीय सहयोग और बजटीय संसाधनों से निवेश को जारी रखने में मदद
रेलवे के पूंजीगत व्यय में नई लाइनों के निर्माण, वैगनों की खरीद, लाइनों की डबलिंग और पटरियों के नवीनीकरण के लिए निवेश शामिल है। 2023-24 में रेलवे का पूंजीगत व्यय 2.6 लाख करोड़ रुपए लक्षित है जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है (तालिका 5)। कम राजस्व अधिशेष के बावजूद हाल के वर्षों में रेलवे के कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का हिस्सा लगातार बढ़ा है (रेखाचित्र 11)। यह वृद्धि केंद्र सरकार के बजटीय समर्थन और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के माध्यम से वित्त पोषित की गई है।
तालिका 5: 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय (करोड़ रुपए)
|
2021-22 वास्तविक |
2022-23 संशोधित |
2023-24 बजटीय |
परिवर्तन का % (22-23 संअ से 23-24 बअ) |
सकल बजटीय सहायता |
1,17,276 |
1,59,300 |
2,40,200 |
51% |
अतिरिक्त बजटीय संसाधन |
71,066 |
81,700 |
17,000 |
-79% |
आंतरिक संसाधन |
1,925 |
4,300 |
3,000 |
-30% |
कुल |
1,90,267 |
2,45,300 |
2,60,200 |
6% |
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
रेखाचित्र 11: विभिन्न वर्षों में पूंजीगत व्यय
स्रोत: कैग, विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
अतिरिक्त बजटीय संसाधनों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के माध्यम से उधार, और (ii) बैंकों से उधार, संस्थागत वित्त और बाहरी निवेश। निवेश सार्वजनिक-निजी भागीदारी, संयुक्त उद्यम और निजी क्षेत्र द्वारा इक्विटी और बांड की खरीद के रूप में हैं। अतिरिक्त बजटीय संसाधनों ने 2017-18 और 2020-21 के बीच 50% से अधिक पूंजीगत व्यय को वित्त पोषित किया। इस निर्भरता ने रेलवे के ऋण चुकौती के दायित्व को बढ़ा दिया है (अगले खंड में विस्तार से चर्चा की गई है)।
रेखाचित्र 12: पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण
स्रोत: कैग, विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
2021-22 से बजटीय समर्थन में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। केंद्र सरकार द्वारा सामान्य (जीडीपी के 6% से अधिक) की तुलना में बहुत अधिक राजकोषीय घाटे के कारण ऐसा संभव हुआ है। [17] 2023-24 में पूंजीगत व्यय का 92% बजटीय समर्थन (2,40,200 करोड़ रुपए) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा जो 2022-23 में 65% (1,59,300 करोड़ रुपए) था। परिणामस्वरूप अतिरिक्त बजटीय संसाधनों को कम कर दिया गया है। अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से 2023-24 में 17,000 करोड़ रुपए की धनराशि अनुमानित है जो पिछले वर्ष की तुलना में 79% कम है।
लीज़ के शुल्क के लिए लायबिलिटी का बढ़ना
अतिरिक्त बजटीय संसाधनों में आईआरएफसी के माध्यम से जुटाई गई धनराशि शामिल है। आईआरएफसी बाजार से उधार लेता है और रोलिंग स्टॉक संपत्तियों को वित्तपोषित करने के लिए एक लीजिंग मॉडल का इस्तेमाल करता है।2015-16 से आईआरएफसी का उपयोग परियोजना वित्तपोषण के लिए भी किया गया है। 9 लीज़ शुल्क में ब्याज और मूलधन दोनों घटक होते हैं। लीज़ शुल्क भुगतान दायित्व में वृद्धि से उत्पादक व्यय के लिए गुंजाइश कम हो रही है।
2015-16 और 2023-24 के बीच ब्याज भुगतान दायित्व 15% की वार्षिक दर और मूल पुनर्भुगतान दायित्व 17% बढ़ने की उम्मीद है। इसी अवधि के दौरान, राजस्व प्राप्तियों के दर के कम होने की उम्मीद है, यानी सिर्फ 6% की वृद्धि। 2023-24 में रेलवे द्वारा ब्याज घटक पर 23,782 करोड़ रुपए और मूल घटक पर 22,229 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है। कुल मिलाकर, राजस्व प्राप्तियों में इन भुगतानों का हिस्सा 17% अनुमानित है जिसमें 2015-16 की तुलना में तेज वृद्धि है (तब यह 9% था)।
रेखाचित्र 13: राजस्व प्राप्तियों के % के रूप में लीज़ शुल्क का भुगतान
स्रोत: विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट दस्तावेज; पीआरएस।
तालिका 6: लीज़ शुल्क का भुगतान (करोड़ रुपए में)
|
2021-22 वास्तविक |
2022-23 संशोधित |
2023-24 बजटीय |
परिवर्तन का % (22-23 संअ से 23-24 बअ) |
पूंजी घटक |
14,581 |
18,898 |
22,229 |
18% |
ब्याज घटक |
13,896 |
19,855 |
23,782 |
20% |
कुल |
28,477 |
38,753 |
46,011 |
19% |
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
अनिवार्य प्रावधानों के लिए धनराशि की कमी
रेलवे के पास कई फंड्स हैं जिनके अधिशेष संसाधनों का इस्तेमाल वह कुछ खास उद्देश्यों के लिए करता है। उदाहरण के लिए मूल्यह्रास आरक्षित निधि परिसंपत्तियों को बदलने और उनके नवीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है और पूंजीगत निधि से पूंजीगत कार्यों को वित्त पोषित और लीज़ शुल्क के प्रमुख घटक का पुनर्भुगतान किया जाता है। अगर राजस्व अधिशेष कम होगा तो इन फंड्स के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं होंगे (अनुलग्नक में तालिका 11)। इन उद्देश्यों को या तो केंद्र सरकार के सामान्य राजस्व या अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से पूरा किया जाता है। इससे महत्वपूर्ण कार्यों को भी स्थगित करना पड़ा है।
पुरानी परिसंपत्तियों को बदलने में विलंब
2020-21 के अंत में उन पुरानी परिसंपत्तियों का मूल्य 94,873 करोड़ रुपए है जिन्हें मूल्यह्रास आरक्षित निधि का इस्तेमाल करके बदलना है। 9 इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ट्रैक नवीनीकरण पर 58,459 करोड़ रुपए और (ii) रोलिंग स्टॉक पर 26,493 करोड़ रुपए। 9 कैग (2022) ने कहा है कि इस बैकलॉग और घटते अधिशेष को देखते हुए, परिसंपत्ति को बदलने और उनके नवीकरण का काम केंद्र सरकार के लिए बोझ बन सकता है। 9
सामान्य राजस्व से लीज़ शुल्क को चुकाना
पूंजीगत निधि में पर्याप्त धनराशि न होने की वजह से लीज़ शुल्क के मुख्य घटक का भुगतान बजटीय सहायता से किया जा रहा है। कैग (2022) ने कहा है कि आदर्श रूप से, इस खर्च को रेलवे के आंतरिक संसाधनों से पूरा किया जाना चाहिए। 9 कैग (2019) ने गौर किया था कि अगर आईआरएफसी के प्रति दायित्वों को बजटीय समर्थन से पूरा किया जाना है, तो सरकार सीधे बाजार से उधार ले सकती है, क्योंकि उधारी की लागत कम होगी। [18] 2023-24 में आईआरएफसी के माध्यम से कोई अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाए जाने का अनुमान नहीं लगाया गया है।
प्रतिबद्ध फंड्स से सुरक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने में असमर्थता
सुरक्षा संबंधी कार्यों के वित्तपोषण के लिए 2017-18 से पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष की स्थापना की गई थी। 8 इस कोष में एक लाख करोड़ रुपए की धनराशि जमा होनी थी। 8 रेलवे को इन पांच वर्षों में से प्रत्येक वर्ष में 5,000 करोड़ रुपए का आबंटन करना था, हालांकि उसने किसी भी वर्ष इस दायित्व को पूरा नही किया।
अनुलग्नकतालिका 7: माल ढुलाई का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन एटीकेएम में; आय करोड़ रुपए में)
मद |
2021-22 |
2022-23 संशोधित |
2023-24 बजटीय |
(2022-23 संअ से |
2023-24 बअ में परिवर्तन का % |
|||||
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
|
कोयला |
65,856 |
3,27,754 |
82,752 |
3,88,536 |
89,875 |
4,08,474 |
9% |
5% |
50% |
43% |
अन्य वस्तुएं |
10,018 |
78,877 |
11,996 |
88,565 |
13,227 |
94,530 |
10% |
7% |
7% |
10% |
सीमेंट |
10,605 |
81,476 |
12,397 |
80,080 |
14,073 |
88,000 |
14% |
10% |
8% |
9% |
कंटेनर सेवा |
6,275 |
66,622 |
7,263 |
63,520 |
8,514 |
71,918 |
17% |
13% |
5% |
8% |
खाद्यान्न |
10,661 |
97,076 |
10,592 |
79,850 |
8,479 |
61,880 |
-20% |
-23% |
5% |
7% |
लौह अयस्क |
13,093 |
66,123 |
11,923 |
53,851 |
14,101 |
61,717 |
18% |
15% |
8% |
7% |
पिग आयरन और फिनिश्ड स्टील |
9,125 |
60,238 |
9,911 |
52,756 |
11,865 |
61,140 |
20% |
16% |
7% |
6% |
उर्वरक |
5,428 |
44,530 |
6,447 |
44,787 |
6,755 |
45,430 |
5% |
1% |
4% |
5% |
पेट्रोलियम, तेल और ल्यूब्रिकेंट्स |
5,822 |
31,359 |
6,337 |
31,131 |
6,739 |
32,050 |
6% |
3% |
4% |
3% |
स्टील प्लांट के लिए कच्चा माल |
2,406 |
17,761 |
2,632 |
15,431 |
2,902 |
16,470 |
10% |
7% |
2% |
2% |
विविध आय |
1,809 |
- |
2,750 |
- |
2,967 |
- |
8% |
- |
2% |
- |
कुल |
1,41,096 |
8,71,816 |
1,65,000 |
8,98,507 |
1,79,500 |
9,41,609 |
9% |
5% |
100% |
100% |
नोट: एनटीकेएम- नेट टन किलोमीटर (एक एनटीकेएम एक किलोमीटर के लिए माल ढुलाई का शुद्ध वजन होता है), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 8: यात्री यातायात का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन पीकेएम में, आय करोड़ रुपए में)
2021-22 |
2022-23 संशोधित |
2023-24 बजटीय |
(2022-23 संअ से |
2023-24 बअ में परिवर्तन का % |
||||||
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
|
कुल उपशहरी |
1,370 |
69,798 |
2,265 |
1,13,425 |
2,619 |
1,31,893 |
16% |
16% |
4% |
12% |
कुल गैर उपशहरी |
37,844 |
5,20,418 |
61,735 |
8,89,083 |
67,381 |
9,80,440 |
9% |
10% |
96% |
88% |
द्वितीय श्रेणी (एम ई) |
7,170 |
1,58,819 |
17,174 |
3,80,434 |
19,027 |
4,24,847 |
11% |
12% |
27% |
38% |
स्लीपर क्लास (एम ई) |
12,849 |
2,25,637 |
15,753 |
2,76,630 |
17,028 |
3,01,415 |
8% |
9% |
24% |
27% |
एसी 3 टियर |
12,225 |
90,488 |
19,310 |
1,42,725 |
21,156 |
1,57,619 |
10% |
10% |
30% |
14% |
द्वितीय श्रेणी (साधारण) |
400 |
18,355 |
983 |
45,129 |
1,058 |
48,970 |
8% |
9% |
2% |
4% |
एसी 2 टियर |
3,385 |
18,536 |
5,446 |
29,779 |
5,855 |
32,272 |
8% |
8% |
8% |
3% |
एसी चेयर कार |
1,163 |
6,602 |
1,912 |
10,834 |
1,999 |
11,421 |
5% |
5% |
3% |
1% |
एसी प्रथम श्रेणी |
496 |
1,537 |
880 |
2,726 |
962 |
3,006 |
9% |
10% |
1% |
0% |
कार्यकारी वर्ग |
140 |
368 |
241 |
634 |
257 |
680 |
6% |
7% |
0% |
0% |
स्लीपर क्लास (साधारण) |
3 |
39 |
6 |
90 |
6 |
97 |
7% |
8% |
0% |
0% |
प्रथम श्रेणी (साधारण) |
4 |
27 |
11 |
84 |
12 |
95 |
12% |
13% |
0% |
0% |
प्रथम श्रेणी (एम ई) |
11 |
10 |
20 |
18 |
19 |
18 |
-1% |
0% |
0% |
0% |
कुल |
39,214 |
5,90,216 |
64,000 |
10,02,508 |
70,000 |
11,12,333 |
9% |
11% |
100% |
100% |
नोट: पीकेएम- पैसेंजर किलोमीटर (एक पीकेएम, यानी एक किलोमीटर पर जाने वाला यात्री), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 9 : पूंजी व्यय के विवरण (करोड़ रुपए में)
मद |
2021-22 |
2022-23 |
2022-23 |
2023-24 |
22-23 संअ से 23-24 बअ में परिवर्तन का % |
नई लाइनें (निर्माण) |
21,245 |
26,324 |
26,000 |
31,850 |
22% |
गेज परिवर्तन |
2,837 |
3,475 |
3,829 |
4,600 |
20% |
डबलिंग |
32,219 |
37,150 |
42,492 |
30,749 |
-28% |
यातायात सुविधाएं-यार्ड रीमॉडलिंग और अन्य |
2,675 |
3,045 |
4,739 |
6,715 |
42% |
पटरी पर चलने वाली छोटी गाड़ी |
41,406 |
38,887 |
59,994 |
47,510 |
-21% |
लीज्ड एसेट्स- कैपिटल कंपोनेंट का भुगतान |
14,581 |
22,188 |
18,898 |
22,229 |
18% |
सड़क सुरक्षा कार्य-सड़क के ऊपर/नीचे पुल |
4,222 |
6,500 |
5,999 |
7,400 |
23% |
ट्रैक नवीनीकरण |
14,082 |
12,077 |
13,620 |
17,297 |
27% |
बिजलीकरण परियोजनाएं |
6,961 |
7,695 |
8,022 |
8,070 |
1% |
अन्य इलेक्ट्रिकल वर्क्स सहित टीआरडी |
627 |
650 |
676 |
1,650 |
144% |
उत्पादन इकाइयों सहित वर्कशॉप्स |
2,668 |
2,045 |
2,671 |
4,601 |
72% |
कर्मचारी कल्याण |
473 |
495 |
463 |
629 |
36% |
ग्राहक सुविधाएं |
1,995 |
2,700 |
3,824 |
13,355 |
249% |
सरकारी वाणिज्यिक उपक्रम- सार्वजनिक उपक्रम/जेवी/एसपीवी में निवेश |
25,751 |
38,687 |
28,981 |
34,354 |
19% |
मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट्स |
2,515 |
1,998 |
3,533 |
5,000 |
42% |
अन्य |
5,621 |
6,884 |
6,858 |
7,192 |
5% |
ईबीआर- साझेदारी |
10,388 |
35,000 |
14,700 |
17,000 |
16% |
कुल |
1,90,267 |
2,45,800 |
2,45,300 |
2,60,200 |
6% |
नोट: संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 10: भौतिक लक्ष्य और पूंजी व्यय की उपलब्धियां
मद |
2021-22 |
2022-23 |
2023-24 |
22-23 संअ से 23-24 बअ में परिवर्तन का % |
||||
संशोधित लक्ष्य |
उपलब्धि |
% में |
बजटीय लक्ष्य |
संशोधित लक्ष्य |
परिवर्तन का % |
बजटीय लक्ष्य |
||
नई लाइनों का निर्माण (किलोमीटर मार्ग) |
300 |
289 |
96% |
300 |
200 |
-33% |
600 |
200% |
गेज परिवर्तन (किलोमीटर मार्ग) |
500 |
636 |
127% |
500 |
100 |
-80% |
150 |
50% |
लाइनों की डबलिंग (किलोमीटर मार्ग) |
1,600 |
1,984 |
124% |
1,700 |
2,200 |
29% |
2,800 |
27% |
रोलिंग स्टॉक |
||||||||
(i) डीजल लोकोमोटिव्स |
0 |
100 |
- |
100 |
100 |
0% |
100 |
0% |
(ii) इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स |
1,091 |
1,110 |
102% |
1,290 |
1,290 |
0% |
1,290 |
0% |
कोच |
8,115 |
7,151 |
88% |
7,551 |
7,520 |
0% |
6,978 |
-7% |
वैगन (वाहन संख्या) |
9,600 |
8,386 |
87% |
13,000 |
21,000 |
62% |
26,000 |
24% |
ट्रैक रीन्यूअल (किलोमीटर मार्ग) |
3,600 |
4,275 |
119% |
3,700 |
4,200 |
14% |
4,800 |
14% |
बिजलीकरण परियोजनाएं (किलोमीटर मार्ग)) |
6,000 |
6,366 |
106% |
6,500 |
6,500 |
0% |
6,500 |
0% |
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 11: विभिन्न निधियों का विभाजन (करोड़ रुपये में)
वर्ष |
पूंजी कोष |
ऋण चुकौती कोष |
मूल्य ह्रास कोष |
विकास कोष |
राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष |
2013-14 |
500 |
165 |
7,900 |
3,075 |
- |
2014-15 |
6,233 |
57 |
7,775 |
1,375 |
- |
2015-16 |
5,798 |
3,488 |
5,600 |
1,220 |
- |
2016-17 |
2,398 |
0 |
5,200 |
2,515 |
- |
2017-18 |
0 |
0 |
1,540 |
1,506 |
0 |
2018-19 |
0 |
0 |
300 |
750 |
3,024 |
2019-20 |
0 |
0 |
400 |
1,389 |
201 |
2020-21 |
0 |
0 |
200 |
1,547 |
1,000 |
2021-22 |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
2022-23 संअ |
1,300 |
0 |
1,000 |
1,093 |
0 |
2023-24 बअ |
0 |
0 |
1,000 |
1,210 |
1,000 |
नोट: संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।
तालिका 12: जोन के अनुसार परिचालन अनुपात (% में)
जोन |
2016-17 |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
2020-21 |
केंद्रीय |
105 |
111 |
105 |
105 |
126 |
पूर्व मध्य |
102 |
98 |
98 |
102 |
89 |
पूर्वी तट |
54 |
52 |
52 |
51 |
47 |
पूर्व |
165 |
181 |
186 |
170 |
175 |
मेट्रो रेल/कोलकाता |
260 |
278 |
248 |
216 |
678 |
उत्तर मध्य |
71 |
67 |
68 |
74 |
79 |
उत्तर पूर्वी |
197 |
202 |
205 |
188 |
203 |
उत्तर पश्चिमी |
95 |
108 |
106 |
113 |
107 |
पूर्वोत्तर सीमांत |
130 |
169 |
161 |
152 |
139 |
उत्तरी |
119 |
117 |
132 |
155 |
154 |
दक्षिण मध्य |
86 |
83 |
80 |
88 |
101 |
दक्षिण पूर्व मध्य |
56 |
56 |
56 |
54 |
46 |
दक्षिण पूर्वी |
73 |
76 |
73 |
65 |
57 |
दक्षिण पश्चिमी |
120 |
129 |
133 |
124 |
138 |
दक्षिण |
148 |
161 |
153 |
146 |
219 |
पश्चिम मध्य |
74 |
75 |
68 |
71 |
68 |
पश्चिम |
103 |
108 |
102 |
115 |
128 |
कुल |
96.5 |
98.4 |
97.3 |
98.4 |
97.5 |
नोट: आंकड़ों को राउंड ऑफ किया गया है।
स्रोत: सीएजी; पीआरएस
[1] “Evolution – About Indian Railways”, Website of Ministry of Railways, last accessed on February 10, 2023, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/view_section.jsp?lang=0&id=0,1,261.
[2] The Draft National Rail Plan, Ministry of Railways, December 2020, http://indianrailways.gov.in/NRP-%20Draft%20Final%20Report%20with%20annexures.pdf.
[3] “India Transport Report: Moving India to 2032: Volume II, National Transport Development Policy Committee, June 2014, http://logistics.gov.in/media/42bjzvcx/india-transport-report-moving-india-to-2032-national-transport-development-policy-committee.pdf.
[4] “Reform, Perform, and Transform”, Indian Railways, July 2017, https://indianrailways.gov.in/Reform-Perform-Transform%202022_v10%20(2).pdf.
[5] “Indian Railways registers growth in automobile traffic”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, September 12, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1858765.
[6] “Reviewing the Impact of “Social Service Obligations” by Indian Railways”, NITI Aayog, http://niti.gov.in/writereaddata/files/document_publication/Social-Costs.pdf.
[7] “Strategy for New India @75”, NITI Aayog, November 2018, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2019-01/Strategy_for_New_India_2.pdf.
[8] “3rd Report: Demand for Grants (2020-21) - Ministry of Railways”, Standing Committee on Railways, March 2020, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Railways/17_Railways_3.pdf.
[9] “Railways Finances”, Report No. 23 of 2022, CAG, December 21, 2022, https://cag.gov.in/webroot/uploads/download_audit_report/2022/Report-No.-23-of-2022_Railway_English_DSC-063a2e6ca00eb78.95210994.pdf.
[10] “Cabinet approves policy on long term leasing of Railways Land for implementing PM Gati Shakti framework (Cargo related activities, Public utilities & Railway’s exclusive use)”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, September 7, 2022, https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1857411.
[11] Report of the Committee for Mobilization of Resources for Major Railway Projects and Restructuring of Railway Ministry and Railway Board, Ministry of Railways, June 2015, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/HLSRC/FINAL_FILE_Final.pdf.
[12] Annual Report on Pay and Allowances of Central Government Civilian Employees 2020-21, Department of Expenditure, Ministry of Finance, https://doe.gov.in/sites/default/files/Annual%20Report%202020-21.pdf.
[13] Pensioner Portal, Ministry of Personnel, Public Grievances, & Pensions, as accessed on February 10, 2023, https://pensionersportal.gov.in/dashboard/CGP/RPT_CGP.aspx.
[14] “13th Report: Demands for Grants (2017-18) - Ministry of Railways”, Standing Committee on Railways, March 10, 2017, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Railways/16_Railways_13.pdf.
[15] “11th Report: Demand for Grants (2022-23) - Ministry of Railways”, Standing Committee on Railways, March 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Railways/17_Railways_11.pdf.
[16] 445th Flash Report on Central Sector Projects, Infrastructure and Project Monitoring Division, Ministry of Statistics and Programme Implementation, http://www.cspm.gov.in/english/flr/FR_Dec_2022.pdf.
[17] Budget at a Glance, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_at_Glance/budget_at_a_glance.pdf.
[18] “Railways Finances”, Report No 10 of 2019, CAG, December 2, 2019, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2019/Report_No_10_of_2019_Union_Government_(Railways)_Railways_Finances.pdf.
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