उपभोक्ता मामलेखाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के दो विभाग हैं: (i) खाद्य और सार्वजनिक वितरणऔर (ii) उपभोक्ता मामले। 2023-24 के लिए मंत्रालय को केंद्रीय बजट का 5% आबंटित किया गया है।[1]

उपभोक्ता मामलों का विभाग उपभोक्ताओं के अधिकारों के संबंध में जागरूकता फैलाने, उनके हितों की रक्षा करनेमानकों को लागू करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए जिम्मेदार है।[2] 2023-24 में विभाग को 251 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 14% अधिक है।[3]  हालांकि बजट अनुमान चरण की तुलना में संशोधित अनुमान चरण में 2022-23 में विभाग के आवंटन में 87% की गिरावट आई है।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्यान्न की खरीदस्टोरेज और वितरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और चीनी क्षेत्र को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है।[4]  2023-24 में विभाग को 2,05,514 करोड़ रुपए (मंत्रालय का लगभग पूरा आवंटन) आवंटित किए गए हैं।[5]   यह 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 31% की कमी है।

तालिका 1: मंत्रालय का आवंटन (करोड़ रुपए में)

विभाग 

2021-22 वास्तविक

2022-23 संशोधित

2023-24 बजटीय

2022-23 संअ की तुलना में 2023-24 बअ में परिवर्तन का  

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण

3,04,361

2,96,304

2,05,514

-31%

उपभोक्ता मामले

2,211

220

251

14%

कुल

3,06,571

2,96,523

2,05,765

-31%

स्रोत: व्यय बजटकेंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।

इस नोट में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के आवंटन की समीक्षा की गई है। यह क्षेत्र से संबंधित व्यापक मुद्दों और इससे जुड़े प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों पर भी चर्चा करता है।

वित्तीय स्थिति

खाद्य सबसिडी पर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग सबसे ज्यादा खर्च करता है। 2023-24 में विभाग के आवंटन का 96% खाद्य सबसिडी के लिए है (अधिक विवरण के लिए अनुलग्नक में तालिका देखें)। यह सबसिडी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआईऔर राज्यों को दी जाती है, ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट (एनएफएसए), 2013 के तहत सरकार द्वारा अधिसूचित कीमतों पर किसानों से खाद्यान्न खरीदें और उन्हें कम रियायती कीमतों (केंद्रीय निर्गम मूल्य) पर बेचें। एक्ट ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50% तक की आबादी के कवरेज को अनिवार्य करता है।[6],[7] एक्ट के तहत लाभार्थी परिवारों को अंत्योदय अन्न योजना (एएवाईयानी सबसे गरीब परिवार) और प्राथमिकता वाले परिवारों में विभाजित किया गया है। एएवाई परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं और प्राथमिकता वाले परिवार प्रति माह प्रति व्यक्ति किलोग्राम खाद्यान्न रियायती कीमतों पर प्राप्त करने के पात्र हैं।

सबसिडी में एफसीआई की स्टोरेज की लागत भी शामिल है जिसे वह देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु बफर स्टॉक बनाने के लिए इस्तेमाल करता है। रेखाचित्र 1 में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में 2013-14 से 2023-24 के दौरान खाद्य सबसिडी पर व्यय को दर्शाया गया है। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में खाद्य सबसिडी पर खर्च 2013-14 (0.8%) और 2019-20 (0.5%) के बीच घट गया। हालांकि एफसीआई ने जितना दावा किया था, उससे कम सबसिडी जारी करने के कारण यह गिरावट हुई है।[8]    

रेखाचित्र 1: खाद्य सबसिडी पर व्यय (जीडीपी के % के रूप में)
  image
नोट: RE संशोधित अनुमान हैBE बजट अनुमान है।

स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज; एमओएसपीआईपीआरएस।

रेखाचित्र 2: एफसीआई का दावा और सरकार की तरफ से जारी सबसिडी (करोड़ रुपए में) 
 image 

स्रोत: एफसीआईपीआरएस।

पिछले कुछ वर्षों में एफसीआई को भुगतान न की गई सबसिडी की राशि में लगातार वृद्धि हुई थी। जबकि केंद्र सरकार ने अपेक्षित से कम सबसिडी जारी की है, उसने राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफके माध्यम से एफसीआई को ऋण प्रदान किया। 2021-22 के बजट में केंद्र सरकार ने एनएसएसएफ से लिए गए कर्ज को चुकाने और एफसीआई के पिछले बकाया को चुकाने का प्रावधान किया। परिणामस्वरूप खाद्य सबसिडी पर व्यय 2020-21 में तेजी से बढ़कर जीडीपी का 2.7% हो गया। 2020-21 और 2022-23 के बीच खाद्य सबसिडी में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का व्यय भी शामिल है। योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को 3.9 लाख करोड़ रुपए की लागत से प्रति व्यक्ति प्रति माह किलो अतिरिक्त खाद्यान्न मुफ्त आवंटित किया गया।[9]  दिसंबर 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पात्र लाभार्थियों को एनएफएसए के तहत मुफ्त में खाद्यान्न प्रदान करने का निर्णय लिया। यह जनवरी, 2023 से एक वर्ष की अवधि के लिए लागू होगा।[10]  

तालिका 2: पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्यान्न आवंटन और व्यय

चरण

आवंटित खाद्यान्न (लाख मीट्रिक टन में) 

व्यय (करोड़ रुपए में) 

अप्रैल 20–जून 20

120

44,834

जुलाई 20-नवंबर 20

201

68,351

21 मई - 21 जून

80

26,602

21 जुलाई -21 नवंबर

199

67,266

21 दिसंबर - 22 मार्च

159

53,344

22 अप्रैल - 22 सितंबर

239

85,838

22 अक्टूबर - 22 दिसंबर

120

44,763

कुल 

1,118

3,90,998

स्रोत: अतारांकित प्रश्न संख्या 1994, राज्यसभापीआरएस।

खाद्य सबसिडी के घटक

खाद्य सबसिडी पर व्यय को निम्नलिखित तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है (तालिका में विवरण):

  • एफसीआई को सबसिडी: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआईको सरकार द्वारा अधिसूचित कीमतों पर किसानों से खाद्यान्न खरीदने और उन्हें कम रियायती कीमतों पर बेचने के लिए सबसिडी मिलती है। यह सबसिडी बफर स्टॉक बनाने हेतु स्टोरेज की लागत पर मिलती है।

  • राज्यों को सबसिडी: विकेंद्रीकृत खरीद योजना के तहत राज्य एफसीआई की ओर से खरीदस्टोरेड और वितरण का विकल्प चुन सकते हैं। ऐसे मामलों में राज्यों को सबसिडी दी जाती है।

  • चीनी सबसिडी: इसके तहत अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले परिवारों को प्रति परिवार प्रति माह एक किलोग्राम चीनी सबसिडी दरों पर प्रदान की जाती है। यह कुल सबसिडी बिल का 0.2% से भी कम है।

इसके अलावा खाद्यान्न को एक से दूसरे राज्य में लाने-ले जाने और उचित मूल्य की दुकान के डीलरों के मार्जिन के लिए राज्यों को सहायता के रूप में 7,425 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 2023-24 के बजट में एफसीआई और राज्यों को आवंटित सबसिडी क्रमशः 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 36% और 17% कम होने की उम्मीद है।

तालिका 3: खाद्य सबसिडी का ब्रेक-अप (करोड़ रुपए में)

सबसिडी

2021-22 वास्तविक

2022-23 संशोधित

2023-24 बजटीय

2022-23 संअ की तुलना में 2023-24 बअ में परिवर्तन का  

एफसीआई को सबसिडी

2,08,929

2,14,696

1,37,207

-36%

राज्यों को सबसिडी (विकेंद्रीकृत खरीद) 

79,790

72,283

59,793

-17%

चीनी पर सबसिडी

250

216

350

62%

कुल

2,88,969

2,87,194

1,97,350

-31%

स्रोत: व्यय बजटकेंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।

क्षेत्र से संबंधित मुद्दे

एनएफएसए के तहत कवरेज

एनएफएसए में प्रावधान है कि अधिकतम 75% ग्रामीण आबादी और अधिकतम 50% शहरी आबादी (जनगणना के अनुसार) को सबसिडी वाले खाद्यान्न प्रदान किए जाएं।6  औसतनयह देश की कुल आबादी का 67% कवर करता है। 2011 की जनगणना के अनुसारएनएफएसए के अंतर्गत आने वाले पात्र लाभार्थियों की संख्या लगभग 80 करोड़ है। खाद्य सबसिडी किसे प्राप्त होनी चाहिए, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न रहा है। एक ओर कवरेज बढ़ाने के लिए जनगणना के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार लाभार्थियों की पहचान करने के सुझाव दिए गए हैं। दूसरी ओरविशेषज्ञों ने प्राथमिकता वाले परिवारों की पात्रता में वृद्धि करते हुए एनएफएसए के तहत कवरेज को कम करने का सुझाव दिया है।

अगली जनगणना 2021 में होनी थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण इसे अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।[11]  इस विलंब और इस अवधि के दौरान जनसंख्या में वृद्धि के मद्देनजर एनएफएसए के तहत खाद्य सबसिडी प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या कुल आबादी के 67% से कम हो सकती है। जनसंख्या पर राष्ट्रीय आयोग द्वारा तैयार जनसंख्या अनुमान के अनुसार, 1 मार्च, 2021 तक भारत की जनसंख्या 2011 में 121 करोड़ की तुलना में 136 करोड़ होने की उम्मीद है।[12]  इस अनुमान के अनुसारउन लोगों की संख्या जो कवरेज के लिए पात्र हैं, एनएफएसए के तहत लगभग 91 करोड़ होगी। यह संख्या सबसिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की वर्तमान संख्या से अधिक है।

जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को एक सूत्र या नीति बनानी चाहिए कि एनएफएसए के तहत लाभ 2011 की जनगणना के अनुसार प्रतिबंधित न हों।[13]   न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत 'भोजन का अधिकारएक मौलिक अधिकार है। उसने कहा कि केंद्र सरकार 2011-2021 के दौरान जनसंख्या वृद्धि के अनुमानों का उपयोग कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एनएफएसए के तहत अधिक जरूरतमंद लोगों को शामिल किया गया है।13  उल्लेखनीय है कि कुछ राज्य पीडीएस का व्यापक स्वरूप चलाते हैं। केंद्र सरकार के अनुसारछह करोड़ से अधिक राज्य राशन कार्ड मौजूद हैं जो एनएफएसए के मैन्डेट के अलावा 25 करोड़ लोगों को कवर करते हैं।[14] 

विभिन्न विशेषज्ञों ने कहा है कि एनएफएसए का कवरेज अधिक हैलेकिन प्राथमिकता वाले परिवारों को आवंटन कम है। 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज की प्रति व्यक्ति खपत 11.2 किलोग्राम और शहरी क्षेत्रों में 9.3 किलोग्राम थी।[15]  इसकी तुलना में एनएफएसए के तहतप्राथमिकता वाले परिवार प्रति व्यक्ति प्रति माह किलो खाद्यान्न (मुख्य रूप से चावल और गेहूं) प्राप्त करने के हकदार हैं। पिछले दो वर्षों में पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्यान्न के अतिरिक्त आवंटन के माध्यम से खपत की कमी को पूरा किया जा रहा थाजिसे दिसंबर 2022 में बंद कर दिया गया था।  

भारतीय खाद्य निगम के पुनर्गठन पर उच्च स्तरीय समिति (2015) ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार को एनएफएसए के तहत जनसंख्या के कवरेज पर पुनर्विचार करना चाहिए।[16]   यह कहा गया कि प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति किलोग्राम खाद्यान्न का आवंटन, पहले की व्यवस्था के मुकाबले बदतर है। पुरानी व्यवस्था के तहत प्रति व्यक्ति किलोग्राम खाद्यान्न मिलता था।16 समिति ने एनएफएसए के लिए समग्र कवरेज को घटाकर जनसंख्या का लगभग 40% करने का सुझाव दिया। इसमें गरीबी रेखा से नीचे के सभी परिवार और उससे ऊपर के कुछ परिवार शामिल होंगे। साथ ही उसने प्राथमिकता वाले परिवारों को खाद्यान्न का आवंटन बढ़ाकर किलोग्राम प्रति व्यक्ति करने का सुझाव दिया। 

एनएफएसए के तहत खाद्यान्न का मुफ्त प्रावधान सीआईपी में संशोधन के सुझाव के खिलाफ है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट, 2013 के तहत केंद्रीय निर्गम मूल्य (सीआईपी) पर लाभार्थियों को खाद्यान्न आवंटित किया जाता है। जुलाई, 2002 से ये कीमतें नहीं बदली हैं।[17]  खाद्यउपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण (2017) संबंधी स्टैंडिंग कमिटी कहा था कि सीआईपी के संबंध में गेहूं और चावल की एमएसपी में वृद्धि, लक्षित पीडीएस के तहत खाद्यान्न के उठाव और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएसए के कार्यान्वयन के कारण खाद्य सबसिडी बिल में वृद्धि हुई है।[18]  आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि केंद्र सरकार का खाद्य सबसिडी बिल असहनीय रूप से बड़ा होता जा रहा है।[19] 

तालिका 4: केंद्रीय निर्गम मूल्य (रुपए प्रति किग्रा में)

खाद्यान्न

एनएफएसए

बीपीएल

एपीएल

चावल

3.00

5.65

7.95

गेहूं

2.00

4.15

6.10

नोट: बीपीएल - गरीबी रेखा से नीचेएपीएल - गरीबी रेखा से ऊपर।
स्रोत: एफसीआई; पीआरएस।

खाद्य सबसिडी के तीन हिस्से हैं: (i) उपभोक्ता सबसिडी, (ii) बफर स्टॉक बरकरार रखने की लागतऔर (iii) मोटे अनाज पर सबसिडीएफसीआई के परिचालन घाटे का नियमितीकरण और राज्यों को अन्य गैर-योजना आवंटन।[20]   उपभोक्ता सबसिडी आर्थिक लागत और सीआईपी के बीच का अंतर है। आर्थिक लागत में खरीदअधिग्रहण और वितरण की लागत शामिल है। 2002-03 में जब से सीआईपी प्रभावी हुआ हैतब से चावल की आर्थिक लागत 11.7 रुपए प्रति किलोग्राम और गेहूं की 8.8 रुपए प्रति किलोग्राम थी।20 2023-24 में चावल की आर्थिक लागत प्रति किलोग्राम 39.2 रुपए अनुमानित है, जबकि गेहूं के लिए 27 रुपए प्रति किलोग्राम।20 एनएफएसए में यह प्रावधान है कि सीआईपी को समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा संशोधित किया जा सकता है ताकि यह चावलगेहूं और मोटे अनाज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक न हो।6  

2023 में केंद्र सरकार एनएफएसए के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करेगी।10  खाद्यान्न के इस वितरण का नाम बदलकर अब पीएमजीकेएवाई (अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक चलने वाली योजना का नाम) कर दिया गया है।[21]  एनएफएसए के तहत खाद्यान्न का मुफ्त वितरण पूर्व में सीआईपी के संशोधन के संबंध में दिए गए सुझावों के खिलाफ है।

रेखाचित्र 3: एक किलो चावल पर सबसिडी (रुपए/किग्रा में)

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नोट: 2022-23 के आंकड़े संशोधित अनुमान हैं और 2023-24 बजट अनुमान हैं।

स्रोत: एफसीआई; पीआरएस।

रेखचित्र 4: एक किलो गेहूं पर सबसिडी (रुपए/किग्रा में)
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नोट: 2022-23 के आंकड़े संशोधित अनुमान हैं और 2023-24 बजट अनुमान हैं।

स्रोत: एफसीआई; पीआरएस।

आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि जहां खाद्य प्रबंधन की आर्थिक लागत को कम करना मुश्किल हैवहीं खाद्य सबसिडी बिल को कम करने के लिए सीआईपी में संशोधन पर विचार करने की जरूरत है। 15वें वित्त आयोग ने कहा था कि सबसिडी वाले खाद्यान्नों की सीआईपी को बढ़ाकर खाद्यान्नों की आर्थिक लागत में वृद्धि की आंशिक रूप से क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।[22]  खाद्य सबसिडी पर व्यय में वृद्धि से कृषि और खाद्य क्षेत्र में निवेश में बाधा आ सकती है।16 एक सुझाव यह भी दिया गया कि सिर्फ एएवाई परिवारों को प्रचलित रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए।16  हालांकिप्राथमिकता वाले परिवारों के लिए कीमतों को एमएसपी से जोड़ा जाना चाहिए। आर्थिक लागत में वृद्धि एमएसपी में समय-समय पर होने वाली बढ़ोतरी के कारण होती है (रेखाचित्र 5) 

रेखाचित्र 5: धान और गेहूं के एमएसपी में वृद्धि (रुपए/किग्रा में)
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 स्रोत: कृषि लागत और मूल्य आयोगपीआरएस।

एनएफएसए के तहत वस्तुओं का वितरण लाभार्थियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता  

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार 15-49 वर्ष की आयु के बीच सर्वेक्षण में शामिल 50% महिलाओं और 48% पुरुषों ने प्रतिदिन दाल या बीन्स के सेवन की बात कही।[23] लगभग 49% लोगों ने कहा कि वे प्रतिदिन दूध या दही का सेवन करते हैं।23 एनएफएसए के तहत निर्धारित सुधारों में से एक यह था कि समय के साथ पीडीएस के तहत वितरित वस्तुओं में विविधता लाई जाए।6  हालांकिपीडीएस के तहत वितरित खाद्यान्नों में मुख्य रूप से केवल अनाज (चावलगेहूंऔर मोटा अनाज) शामिल हैं। लोगों के उपभोग पैटर्न में कुछ संरचनात्मक परिवर्तनों के बावजूद 2013 में एक्ट लागू होने के बाद से यह नहीं बदला है।

1993-94 और 2011-12 के बीच अनाज खाने से प्रोटीन इनटेक की मात्रा ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में कम हुई है।[24]   दालोंदूध और अंडेमछली और मांस जैसी वस्तुओं के माध्यम से उपभोग किए जाने वाले प्रोटीन की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई।24  

रेखाचित्र 6: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोटीन का सेवन
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स्रोत: भारत में पोषक तत्वों की मात्रा 2011-12, एनएसएसओ; 15वां वित्त आयोगपीआरएस।

रेखाचित्र 7शहरी क्षेत्रों में प्रोटीन का सेवन
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 स्रोत: भारत में पोषक तत्वों की मात्रा 2011-12, एनएसएसओ; 15वां वित्त आयोगपीआरएस।

इसके अलावाजबकि अनाज या खाद्यान्न में केवल 10% प्रोटीन होता है, 2011-12 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुल प्रोटीन सेवन के प्रतिशत के रूप में उनका हिस्सा 50% से अधिक था24 खपत के अन्य स्रोत जैसे दालदूधमछली और मांस में 20% से अधिक प्रोटीन होता है लेकिन भारत में कुल प्रोटीन सेवन का इनका केवल 15% हिस्सा है।24

पीएमजीकेएवाई के तहत दालें: अनाज की तुलना में दालें प्रोटीन का बेहतर स्रोत हो सकती हैं और एनएफएसए लाभार्थियों के पोषण में सुधार कर सकती हैं। अप्रैल से जून 2020 के बीच पीएमजीकेएवाई के पहले चरण के तहत, केंद्र सरकार ने एनएफएसए लाभार्थियों के लिए प्रति माह प्रति परिवार एक किलो दाल मुफ्त वितरित की।[25]  एनएफएसए के तहत आने वाले लाभार्थियों को जुलाई से नवंबर 2020 के बीच प्रति परिवार प्रति माह एक किलो चना मुफ्त दिया गया। हालांकि उसके बाद पीएमजीकेएवाई के तहत दालों का आवंटन जारी नहीं रखा गया।

2011-12 और 2021-22 के बीच खाद्यान्न के कुल उत्पादन में 2% की वृद्धि की तुलना में दालों का घरेलू उत्पादन 5% की वार्षिक दर से बढ़ा है।[26] हालांकि भारत दालों की खपत हेतु अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। 2020-21 में दालों के लिए भारत की आयात निर्भरता 9% थी जो 2030-31 तक घटकर 3.6% होने का अनुमान है।[27] यह गेहूं और चावल के विपरीत है जिनकी घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिए घरेलू उत्पादन पर्याप्त से अधिक है। जब तक भारत दालों की अपनी खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर बना रहेगातब तक उन्हें एनएफएसए के तहत प्रदत्त वस्तुओं में शामिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

खाद्य सबसिडी का वितरण

पीडीएस में लीकेजलीकेज का मतलब है, खाद्यान्न का लक्षित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचना। उल्लेखनीय है कि लीकेज पर हालिया आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। नए उपलब्ध आंकड़े 2011 के लिए है। 2011 के आंकड़ों के अनुसार, पीडीएस में 46.7% लीकेज का अनुमान लगाया गया था।16,[28]  लीकेज तीन प्रकार के हो सकते हैं: (i) खाद्यान्न के परिवहन के दौरान चोरी या क्षति, (ii) घोस्ट कार्ड जारी करके उचित मूल्य की दुकानों पर गैर-लाभार्थियों को लाभ देना, और (iii) खाद्यान्न के हकदार व्यक्तियों का बाहर होना (एक्सूजन)जो लाभार्थी सूची में नहीं हैं।[29],[30]

एक्सूजन एरर (जिसमें लोगों को लाभ नहीं मिलता और जिसे एक्सूजन एरर कहते हैं) तब होता है, जब हकदार लाभार्थियों को खाद्यान्न नहीं मिलता है। यह उन गरीब परिवारों के प्रतिशत को दर्शाता है जो हकदार हैं लेकिन उनके पास पीडीएस कार्ड नहीं हैं। ये त्रुटियां 2004-05 में 55% से घटकर 2011-12 में 41% हो गई थीं।[31] इंक्लूजन एरर तब होता है, जब जो अपात्र लोगों को देय लाभ मिलता है। इंक्लूजन एरर, 2004-05 में 29% से बढ़कर 2011-12 में 37% हो गया।31

पीडीएस के तहत लीकेज के मद्देनजर उच्च-स्तरीय समिति (2015) ने इसमें आधार को शामिल करने और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का सुझाव दिया था।16  फरवरी 2017 में मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट, 2013 के लाभार्थियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया कि खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु उन्हें पहचान के प्रमाण के लिए आधार का इस्तेमाल करना होगा।[32]  हालांकिआधार को राशन कार्ड से लिंक न करना राशन कार्ड रद्द करने का आधार नहीं है।[33]   सबसिडी वाले अनाज या खाद्य सबसिडी के नकद अंतरण का लाभ उठाने हेतु आधार नामांकन के लिए आवेदन की समय सीमा कई बार बढ़ाई गई है और वर्तमान में यह 31 मार्च, 2023 है।[34]  केंद्र सरकार के अनुसारराशन कार्डों के डिजिटलीकरणडुप्लीकेशनऔर नकली/अपात्र राशन कार्डों की पहचान जैसे उपायों के कारण राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 2014 से 2021 के बीच लगभग 4.28 करोड़ फर्जी कार्ड रद्द किए हैं।33 फरवरी, 2022 तक 93.5% राशन कार्डों को आधार से जोड़ा गया है (परिवार का कम से कम एक सदस्य)।[35]   

उल्लेखनीय है कि पीडीएस लाभ प्राप्त करते समय लाभार्थियों को आधार प्रमाणीकरण के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यूआईडीएआई द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में पेश आंकड़ों के मुताबिकआधार प्रमाणीकरण विफलता दर (सभी उद्देश्यों में) आईरिस स्कैन के लिए 8.5% और उंगलियों के निशान के लिए 6% थी।[36]   अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि आधार प्रमाणीकरण विफलता के कारण लाभार्थियों को सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है। 36

तालिका 5: राज्य जहां पूरा एफपीएस ऑटोमेशन लंबित है 

राज्य/यूटी

कुल एफपीएस

ऑपरेशनल ईपीओएस

एफपीएस ऑटोमेशन का 

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह

464

445

96%

असम

33,987

19,078

56%

छत्तीसगढ

12,304

12,004

98%

स्रोत: 18वीं रिपोर्टउपभोक्ता मामलेखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी, 2022; पीआरएस।

इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल डिवाइस (ईपीओएस) स्थापित करके उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) का स्वचालन एक और सुधार है जिसे पीडीएस में लीकेज को दूर करने के लिए सुझाया गया है। इससे लाभार्थियों की यूनीक पहचान के बाद खाद्यान्न के पारदर्शी वितरण में मदद मिलती है।[37]  इसके अलावा ईपीओएस डिवाइस राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्रीकृत सर्वरों पर बिक्री लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी अपलोड करते हैं।37 फरवरी, 2022 तक 97% एफपीएस ने ईपीओएस को चालू कर दिया है।35

मई 2022 में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने अन्य खर्चों के साथ-साथ एफपीएस डीलरों को भुगतान किए गए मार्जिन की भरपाई के लिए राज्योंकेंद्र शासित प्रदेशों को प्रदत्त केंद्रीय सहायता में संशोधन किया।[38]   संशोधित मानदंडों के तहत सामान्य श्रेणी के राज्यों में एफपीएस डीलरों का मार्जिन 70 पैसे प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 90 पैसे प्रति किलोग्राम और उत्तर-पूर्वीहिमालयी और द्वीपीय राज्यों में 1.43 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 1.8 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया गया है।38  

हालांकि कुछ जमीनी सर्वेक्षणों ने संकेत दिया है कि आधार आधारित प्रमाणीकरण और एफपीएस के स्वचालन ने एक्सूजन की समस्याएं पैदा की हैं। उदाहरण के लिएग्रामीण झारखंड (2017) में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि कुछ परिवार बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जांच पास नहीं कर पाए, और इसलिए वे अपने भोजन के अधिकार को समय पर प्राप्त करने में असमर्थ रहे।[39]   बुजुर्ग जोड़ों वाले कुछ परिवारों ने फिंगरप्रिंट पहचान के साथ समस्याओं की सूचना दी। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि पीओएस उपकरण के लागू होने के बावजूद मात्रा संबंधी धोखाधड़ी होती रही (यानी लाभार्थियों को उतना मात्रा में खाद्यान्न नहीं मिला, जितने के वे हकदार हैं)।39  

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)एनएफएसए में प्रावधान है कि लक्षित पीडीएस में नकद अंतरण और फूड कूपन्स जैसी योजनाएं शुरू की जाएंगी। यह पीडीएस के कई सुधारों में से एक है।6  एफसीआई (2015) पर उच्च स्तरीय समिति ने कहा था कि एनएफएसए के तहत आने वाली अधिसंख्य ग्रामीण आबादी किसान हैं या खेतों पर काम करने वाले लोग।16 इसका तात्पर्य यह है कि सरकार अक्सर अनाज की खरीदभंडारण और वितरण उन्हीं लोगों को करती है जिनसे वे एमएसपी पर अनाज खरीद रहे हैं।16 समिति ने सुझाव दिया था कि ऐसे किसानों और खेतिहर मजदूरों को नकद सबसिडी देना बेहतर होगा। माना गया है कि इससे केंद्र सरकार का सबसिडी खर्च कम होगा, और उसी के साथ लाभार्थियों द्वारा प्राप्त प्रभावी सबसिडी समर्थन में सुधार होगा।16 समिति ने अनुमान लगाया कि इससे केंद्र सरकार को लगभग 30,000-35,000 करोड़ रुपए की बचत होगी। समिति ने मुद्रास्फीति के लिए अनुक्रमित नकद हस्तांतरण देने का सुझाव दिया।16

सितंबर 2015 में केंद्र सरकार ने नकद हस्तांतरण के माध्यम से खाद्य सबसिडी प्रदान करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। इसे चंडीगढ़पुद्दूचेरी और दादरा और नगर हवेली के शहरी क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है।[40]   केंद्र सरकार के अनुसार इन पायलट परियोजनाओं के निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) खाद्यान्नों की भौतिक आवाजाही की आवश्यकता को कम करना, (ii) लाभार्थियों को अपनी उपभोग टोकरी चुनने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करनाऔर (iii) लीकेज को कम करना और लक्ष्यीकरण में सुधार करना।40 हालांकि पायलट परियोजनाओं को शुरू करने के सात साल बाद भी राज्यों में डीबीटी का उपयोग सीमित रहा है। पुद्दूचेरी सरकार ने एनएफएसए के तहत डीबीटी योजना से छूट मांगी थी।[41]   हालांकिइसके अनुरोध को केंद्र ने ठुकरा दिया था।41  झारखंड के नगरी ब्लॉक में शुरू की गई एक डीबीटी पायलट परियोजना को लॉन्च होने के 10 महीने बाद 2018 में बंद कर दिया गया था।[42]   न्यूज रिपोर्टों के अनुसारयोजना के एक सोशल ऑडिट से पता चला था कि कुछ लाभार्थियों को पैसा मिलने के बाद राशन प्राप्त करने में चार दिन से अधिक समय लग गया।42 इसके अलावा कुछ लाभार्थियों को राशन खरीदने के लिए पैसे भी उधार लेने पड़े।42

एक देश, एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी): एनएफएसए पात्रताओं की देशव्यापी पोर्टेबिलिटी को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ओएनओआरसी लागू किया है। योजना के तहतएनएफएसए लाभार्थियों के पास अपने मौजूदा राशन कार्ड के साथ देश भर में किसी भी एफपीएस से अपना खाद्यान्न उठाने का विकल्प है।[43] इसे सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है। अगस्त 2019 से नवंबर 2022 के बीच ओएनओआरसी के तहत 93 करोड़ से ज्यादा पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए। हालांकि इनमें से केवल 0.6% अंतर-राज्यीय लेनदेन थे, जबकि शेष राज्यों के भीतर होने वाले लेनदेन।43 कुल पोर्टेबिलिटी लेनदेन में बिहार का हिस्सा 31% हैइसके बाद आंध्र प्रदेश में 12% और राजस्थान में 11% है।43  

खाद्यान्न की खरीद

खरीद की दो व्यापक प्रणालियां हैं: (i) केंद्रीकृत और (ii) विकेंद्रीकृत।[44]  केंद्रीकृत खरीद प्रणाली के तहत खाद्यान्न एफसीआई या राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा सीधे खरीदे जाते हैं (एमएसपी पर)। राज्य एजेंसियों द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों को एफसीआई को स्टोरेज, वितरण या परिवहन के लिए दे दिया जाता है। विकेंद्रीकृत खरीद में राज्य सरकारें/एजेंसियां राज्य के भीतर चावल/गेहूंमोटे अनाज को खरीदती, स्टोर और वितरित करती हैं। चावल और गेहूं का अतिरिक्त स्टॉक एफसीआई को केंद्रीय पूल में दे दिया जाता है। राज्यों और उनकी एजेंसियों द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार करती है। वर्तमान में15 राज्य चावल के लिए विकेंद्रीकृत खरीद करते हैं जबकि आठ राज्य गेहूं की विकेंद्रीकृत खरीद करते हैं।35  

तालिका 6: केंद्रीय पूल के लिए चावल और गेहूं की खरीद (लाख मीट्रिक टन में)

वर्ष

चावल

गेहूं

2015-16

342.18

280.88

2016-17

381.06

229.61

2017-18

381.74

308.24

2018-19

443.99

357.95

2019-20

518.26

341.32

2020-21

602.45

389.92

2021-22

575.88

433.44

2022-23

434.83*

187.92

नोट: *चावल खरीद के आंकड़े 31 जनवरी, 2023 तक।
स्रोत: एफसीआई; पीआरएस।

2022-23 में केंद्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद 2021-22 की तुलना में 57% कम हुई।[45] इसके कई कारण थे, जैसे गेहूं के घरेलू उत्पादन में कमी और भूराजनीतिक तनाव के कारण उच्च कीमतों का लाभ उठाने के लिए किसानों द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री।[46]  2022-23 में गेहूं की कम खरीद के परिणामस्वरूप जनवरी 2023 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 171.7 लाख मीट्रिक टन था।[47] हालांकि नियमतः प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को गेहूं का स्टॉक 138 लाख मीट्रिक टन होना चाहिए, और उससे अधिक था, लेकिन केंद्रीय पूल में वास्तविक स्टॉक 2017 बाद से सबसे कम था।47,[48] 

विकेंद्रीकृत खरीदखाद्यउपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा है कि विकेंद्रीकृत खरीद शुरू करने के 24 साल बाद भी यह योजना सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू नहीं की गई है।35 विभाग ने कमिटी को सूचित किया था कि चूंकि विकेंद्रीकृत खरीद में शामिल राज्य सरकारों को धनराशि, स्टोरेज और कर्मचारियों की व्यवस्था करनी पड़ती है, इसलिए वे प्रणाली को अपनाने से हिचकिचाती हैं।35  खाद्यान्नों की विकेंद्रीकृत खरीद को अधिक प्रभावी माना जाता है क्योंकि इसमें एफसीआई को खाद्यान्नों के स्टॉक को लेने और फिर इसे राज्यों को जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है।35 स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया है कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को खाद्यान्नों की विकेंद्रीकृत खरीद को अपनाना चाहिए। यह एनएफएसए के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और पीडीएस के तहत वितरण के लिए स्थानीय स्वाद के अनुकूल खाद्यान्न उपलब्ध कराएगा।35 कमिटी ने केंद्र सरकार से विकेंद्रीकृत खरीद को अपनाने में राज्यों की मदद करने का सुझाव दिया था। 

स्टोरेज क्षमता

2023-24 में केंद्र सरकार ने एफसीआई और राज्य सरकारों के माध्यम से स्टोरेज क्षमता बनाने के लिए 104 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।5 एफसीआई के पास स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का अपना नेटवर्क है। इसके अतिरिक्त वह केंद्रीय वेयरहाउस निगम और राज्य वेयरहाउसिंग निगमों से अतिरिक्त स्टोरेज सुविधाएं किराए पर भी लेता है।[49]

रेखाचित्र 8: केंद्रीय पूल स्टॉक के लिए स्टोरेज क्षमता (लाख मीट्रिक टन में)
 image
नोट: आंकड़े प्रत्येक वर्ष की 1 अप्रैल के हैं।

स्रोत: एफसीआई; पीआरएस।

मौजूदा स्टोरेज सुविधाएं मुख्य रूप से पारंपरिक गोदाम हैं जहां खाद्यान्नों को बोरियों में रखा जाता है।49 जब खरीद सबसे ज्यादा होती है (पीक अवधि), उस दौरान एफसीआई खाद्यान्नों के कम समय के स्टोरेज के लिए कवर और प्लिंथ (सीएपी) सुविधाओं का भी उपयोग करता है।49 अप्रैल, 2022 तक केंद्रीय पूल स्टॉक के लिए एफसीआई के पास स्टोरेज क्षमता 427 लाख मीट्रिक टन थी।[50] उच्च स्तरीय समिति (2015) ने सुझाव दिया था कि सीएपी स्टोरेज को धीरे-धीरे खत्म किया जाना चाहिए जिसके तहत सीएपी में अनाज का स्टॉक तीन महीने में खत्म हो जाए।16 कमिटी ने यह सुझाव भी दिया था कि कैप स्टोरेज को सिलो बैग तकनीक और परंपरागत स्टोरेज से बदला जाए, जहां तक संभव हो।  

रेखाचित्र 9: एफसीआई की किराए पर ली गई और अपने स्वामित्व वाली भंडारण क्षमता का उपयोग
 image
नोट: आंकड़े हर वर्ष 1 जून के हैं। कवर्ड और सीएपी स्टोरेज के आंकड़े।

स्रोत: 13वीं रिपोर्टखाद्यउपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी, 2021; पीआरएस।

स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने कहा था कि एफसीआई किराए वाली स्टोरेज क्षमता का इस्तेमाल, अपने स्वामित्व वाली स्टोरेज क्षमता से ज्यादा करता है।49  कमिटी ने सुझाव दिया था कि गोदामों को तभी किराए पर लिया जाना चाहिए जब ऐसा करना बहुत जरूरी हो।49 उसने यह सुझाव भी दिया था कि एफसीआई को अपने स्वामित्व वाली स्टोरेज क्षमता का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए जिससे किराए पर गोदाम लेने पर होने वाले खर्च से बचा जा सके।49  स्टैंडिंग कमिटी (2021) को बताया गया था कि स्टोरेज क्षमता को तभी किराए पर लिया जाता है, जब ऐसा करना बहुत जरूरी होता है।49  यही कारण है कि किराए पर लिए जाने वाले गोदामों का पूरी तरह से इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा किराए पर गोदाम लेने से खरीद के पैटर्न या खाद्यान्नों के उठान में बदलाव होने पर लचीलेपन की पूरी गुंजाइश होती है।49   

स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि गोदामों के निर्माण के भौतिक और वित्तीय लक्ष्यों को 2019-20 और 2021-22 के दौरान पूरा नहीं किया जा सका।35  2021-22 में पूर्वोत्तर राज्यों में 30,020 मीट्रिक टन के स्टोरेज का लक्ष्य था, लेकिन 8 फरवरी, 2022 तक 20,000 मीट्रिक टन स्टोरेज का ही निर्माण किया जा सका।35 दूसरे राज्यों में 2021-22 में 26,220 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदामों के निर्माण का लक्ष्य था लेकिन उनका निर्माण पूरा नहीं हो पाया। गोदामों के निर्माण के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाने के कई कारण बताए गए जैसे: (i) कोविड-19 के कारण लॉकडाउन, (ii) पूर्वोत्तर में सरकार की तरफ से भूमि पार्सल समय पर सौंपा नहीं जाना, (iii) स्थानीय हस्तक्षेप और कानून व्यवस्था की स्थितिऔर (iv) कठिन भौगोलिक भूभाग।35 कमिटी ने कहा कि स्टोरेज के लिए पर्याप्त जगह न होने की वजह से पीडीएस की कार्यकुशलता पर असर होता है। उसने सुझाव दिया कि पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों में गोदामों के चालू निर्माण की गति में सुधार किया जाए।35 

गन्ना

विभाग चीनी क्षेत्र की नीतियों और रेगुलेशंस को बनाने के लिए भी जिम्मेदार है। इसमें चीनी मिलों द्वारा किसानों को देय गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करना, चीनी की टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षण और मुफ्त बिक्री वाली चीनी की आपूर्ति का रेगुलेशन शामिल है। 2021-22 (16 दिसंबर, 2022) तक चीनी सीजन के लिए गन्ना किसानों का 5,143 करोड़ रुपए बकाया था।[51]  विभाग के अनुसार मांग से अधिक घरेलू उत्पादन होने से चीनी का स्टॉक जमा हो जाता है।35सामान्य चीनी सीजन में चीनी का उत्पादन लगभग 260 लाख मीट्रिक टन की घरेलू खपत के मुकाबले लगभग 310-320 लाख मीट्रिक टन होता है।35 इससे धनराशि ब्लॉक होती है, और चीनी मिलों की तरलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिससे गन्ना किसानों का बकाया जमा हो जाता है।

इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रमचीनी उद्योग में मूल्य संवर्धन करने और गन्ना किसानों के बकाये को चुकाने के लिए केंद्र सरकार इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू करती है।[52]  राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 में 2022 तक मोटर ईंधन में इथेनॉल के 10% और 2030 तक 20% मिश्रण को अनिवार्य किया गया है।35 औसत 10% सम्मिश्रण करने का लक्ष्य जून 2022 में प्राप्त किया गया था।[53]   इस लक्ष्य में संशोधन किया गया है, और अब 2025-26 तक 20% सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।35 गन्ने के अतिरिक्त स्टॉक का उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के रस, शीरा (चीनी के उत्पादन में उप-उत्पाद)चीनी और चीनी के सिरप से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी है।35 तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की आपूर्ति बढ़ा दी गई है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-नवंबर) 2013-14 में यह 38 करोड़ लीटर थी, जबकि 2021-22 में यह 452 करोड़ लीटर से अधिक है।53

गन्ने का मूल्यकुछ राज्य सरकारें अपने स्वयं के राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपीको केंद्र सरकार द्वारा घोषित एफआरपी से अधिक स्तर पर निर्धारित करती हैं। इससे चीनी मिलों के वित्तीय स्वास्थ्य पर और दबाव पड़ता है।[54]   गन्ना और चीनी उद्योग पर एक टास्क फोर्स (2020) ने सुझाव दिया था कि गन्ने की कीमतों को चीनी की कीमतों से जोड़ा जाना चाहिए।54 एफआरपी में वृद्धि को नरम रखा जाना चाहिए और एसएपी की घोषणा करने वाले राज्य को इससे जुड़ी अतिरिक्त लागत भी वहन करनी चाहिए।54 टास्क फोर्स ने गन्ना के लिए स्टैगर्ड पेमेंट व्यवस्था का सुझाव दिया। हालांकि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों का पूरा बकाया दो महीने के भीतर चुका दिया जाए।54  केंद्र सरकार सफेद/रिफाइंड चीनी के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य भी तय करती है। 14 फरवरी, 2019 से इसे 29 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 31 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया गया था।[55] टास्क फोर्स ने अधिसूचना के छह महीने बाद इसकी समीक्षा के साथ चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाकर 33 रुपए प्रति किलोग्राम करने का सुझाव दिया।54 यह देखा गया बिक्री मूल्य बढ़ाने से चीनी मिलों को अपनी उत्पादन और रखरखाव लागत को कवर करने में मदद मिलेगी।

अनुलग्नक

तालिका 7: 2023-24 में विभाग के अंतर्गत व्यय की प्रमुख मदों के लिए आवंटन (करोड़ रुपए में)

 

2021-22 वास्तविक

2022-23 बजटीय

2022-23 संशोधित

2023-24 बजटीय

2022-23 संअ की तुलना में 2023-24 बअ में परिवर्तन का %

खाद्य सबसिडी

2,88,969

2,06,831

2,87,194

1,97,350

-31%

        भारतीय खाद्य निगम (एफसीआईको सबसिडी

2,08,929

1,45,920

2,14,696

1,37,207

-36%

        राज्यों को सबसिडी (विकेंद्रीकृत खरीद)

79,790

60,561

72,283

59,793

-17%

        पीडीएस के तहत देय चीनी सबसिडी

250

350

216

350

62%

खाद्यान्नों के अंतर-राज्य संचालन और उचित मूल्य की दुकानों के डीलरों के मार्जिन के लिए राज्य एजेंसियों को सहायता

6,000

6,572

6,572

7,425

13%

एफसीआई की इक्विटी पूंजी में निवेश

2,500

1,900

1,900

-

-100%

चीनी के निर्यात पर मार्केंटिग लागत और परिवहन लागत पर खर्च के लिए चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने की योजना

3,478

-

21

-

-100%

2019-20 सीजन के लिए चीनी मिलों को सहायता योजना

2,121

-

15

-

-100%

इथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने की योजना

160

300

260

400

54%

विभाग

3,04,361

2,15,960

2,96,304

2,05,514

-31%

स्रोत: मांग संख्या 15, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभागव्यय बजटकेंद्रीय बजट 2023-24; पीआरएस।

तालिका 8: खाद्यान्न की खरीदउठाव और स्टॉक (मिलियन टन में)

वर्ष

खरीद

उठाव

उठाव

स्टॉक

चावल

गेहूं

कुल

चावल

गेहूं

कुल

चावल

गेहूं

कुल

2004-05

24.7

16.8

41.5

23.2

18.3

41.5

100%

13.3

4.1

18.0

2005-06

27.6

14.8

42.4

25.1

17.2

42.3

100%

13.7

2.0

16.6

2006-07

25.1

9.2

34.3

25.1

11.7

36.8

107%

13.2

4.7

17.9

2007-08

28.7

11.1

39.9

25.2

12.2

37.4

94%

13.8

5.8

19.8

2008-09

34.1

22.7

56.8

24.6

14.9

39.5

70%

21.6

13.4

35.6

2009-10

32.0

25.4

57.4

27.4

22.4

49.7

87%

26.7

16.1

43.3

2010-11

34.2

22.5

56.7

29.9

23.1

53.0

93%

28.8

15.4

44.3

2011-12

35.1

28.3

63.4

32.1

24.3

56.4

89%

33.4

20.0

53.4

2012-13

34.0

38.2

72.3

32.6

33.2

65.9

91%

35.5

24.2

59.8

2013-14

31.9

25.1

56.9

29.2

30.6

59.8

105%

30.5

17.8

49.5

2014-15

32.0

28.1

60.2

30.7

25.2

55.9

93%

23.8

17.2

41.3

2015-16

34.2

28.1

62.3

31.8

31.8

63.7

102%

28.8

14.5

43.6

2016-17

38.1

22.9

61.0

32.8

29.1

61.9

101%

29.8

8.1

38.0

2017-18

38.2

30.8

69.0

35.0

25.3

60.3

87%

30.0

13.2

43.4

2018-19

44.4

35.8

80.2

34.4

31.5

65.9

82%

39.8

17.0

56.8

2019-20

51.8

34.1

86.0

34.4

26.4

60.8

71%

49.1

24.7

73.9

2020-21

60.1

39.0

99.1

56.3

36.8

93.1

94%

49.8

27.3

77.9

2021-22

58.1

43.3

101.4

53.3

49.1

102.3

101%

54.9

19.0

74.4

नोट: कुल स्टॉक में मोटे अनाज शामिल हैं।
स्रोत: हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन इंडियन इकोनॉमी, भारतीय रिजर्व बैंक; पीआरएस।

तालिका 9: पीडीएस कार्यों के एंड-टू-एंड कंप्यूटरीकरण की स्थिति 

राज्य/यूटी

राशन कार्ड का डिजिटलीकरण

राशन कार्ड के साथ आधार की सीडिंग

खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन

सप्लाई चेन का कंप्यूटरीकरण

आंध्र प्रदेश

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

अरुणाचल प्रदेश

100%

60%

कार्यान्वित

-

असम

100%

47%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

बिहार

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

छत्तीसगढ

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

गोवा

100%

98%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

गुजरात

100%

99%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

हरियाणा

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

हिमाचल प्रदेश

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

झारखंड

100%

98%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

कर्नाटक

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

केरल

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

मध्य प्रदेश

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

महाराष्ट्र

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

मणिपुर

100%

99%

कार्यान्वित

-

मेघालय

100%

28%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

मिजोरम

100%

97%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

नागालैंड

100%

90%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

ओडिशा

100%

99%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

पंजाब

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

राजस्थान 

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

सिक्किम

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

तमिलनाडु

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

तेलंगाना

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

त्रिपुरा

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

उत्तर प्रदेश

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

उत्तराखंड

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

पश्चिम बंगाल

100%

80%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

चंडीगढ़

100%

100%

उपलब्ध नहीं

उपलब्ध नहीं

दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

दिल्ली

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

जम्मू और कश्मीर

100%

100%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

लद्दाख

100%

99%

कार्यान्वित

कार्यान्वित

लक्षद्वीप

100%

100%

कार्यान्वित

उपलब्ध नहीं

पुद्दूचेरी

100%

98%

उपलब्ध नहीं

उपलब्ध नहीं

कुल

100%

93.5%

34

31

स्रोत: 18वीं रिपोर्ट, खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022); पीआरएस।

तालिका 10: गन्ना किसानों का बकाया (करोड़ रुपए में)

राज्य

2017-18 और उससे पूर्व

2018-19

2019-20

2020-21

2021-22

कुल बकाया

आंध्र प्रदेश

1

22

36

0

4

63

बिहार

18

50

39

4

0

111

छत्तीसगढ

0

0

0

0

0

0

गुजरात

54

0

0

0

6

60

हरियाणा

0

0

0

0

48

48

कर्नाटक

3

4

0

0

0

7

मध्य प्रदेश

8

0

0

0

5

13

महाराष्ट्र

205

45

0

68

71

390

ओडिशा

3

0

0

0

0

3

पंजाब

0

0

31

6

7

44

तमिलनाडु

1,380

73

0

0

221

1,674

तेलंगाना

0

0

0

0

0

0

उत्तर प्रदेश

137

0

0

9

2,406

2,552

उत्तराखंड

36

108

0

0

34

178

कुल

1,845

303

106

88

2,802

5,143

स्रोत: अतारांकित प्रश्न संख्या 1215, राज्यसभा, 16 दिसंबर, 2022; पीआरएस।

 

[1] Ministry-wise Summary of Budget Provisions, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sumsbe.pdf

[2] About DCA, Department of Consumer Affairs, https://consumeraffairs.nic.in/about-us/about-dca.

[3] Department of Consumer Affairs, Expenditure Budget, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe14.pdf

[4] Introduction, Department of Food and Public Distribution, https://dfpd.gov.in/index.htm.

[5] Department of Food and Public Distribution, Expenditure Budget, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe15.pdf.

[6] The National Food Security Act, 2013, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2113/1/201320.pdf.  

[7] Lok Sabha Unstarred Question No. 1192, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, February 9, 2021, http://164.100.24.220/loksabhaquestions/annex/175/AU1192.pdf.

[8] Subsidy, Budget and Cost, Food Corporation of India, as accessed on February 8, 2023, https://fci.gov.in/finances.php?view=109

[9] Unstarred Question No. 1994, Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, Rajya Sabha, December 23, 2022, https://pqars.nic.in/annex/258/AU1994.pdf

[10] “Free foodgrains to 81.35 crore beneficiaries under National Food Security Act: Cabinet Decision”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, December 23, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1886215

[11] Unstarred Question No, 2287, Lok Sabha, Ministry of Home Affairs, December 20, 2022, https://pqals.nic.in/annex/1710/AU2287.pdf

[12] Population Projections for India and States 2011-2036, National Commission on Population, Ministry of Health and Family Welfare, July 2020, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/Population%20Projection%20Report%202011-2036%20-%20upload_compressed_0.pdf

[13] Miscellaneous Application No. 94 of 2022, Supreme Court of India, July 21, 2022, https://main.sci.gov.in/supremecourt/2022/2157/2157_2022_11_16_36554_Judgement_21-Jul-2022.pdf

[14] “Department of Food & Public Distribution refutes a news report published in ‘The Wire’ regarding distribution of food grains & pulses”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, June 4, 2020, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1629465

[15] Household Consumption of Various Goods and Services in India, 2011-12, Ministry of Statistics and Programme Implementation, June 2014, http://164.100.161.63/sites/default/files/publication_reports/Report_no558_rou68_30june14.pdf.  

[16] Report of the High Level Committee on Reorienting the Role and Restructuring of Food Corporation of India, January 2015, https://fci.gov.in/app2/webroot/upload/News/Report%20of%20the%20High%20Level%20Committee%20on%20Reorienting%20the%20Role%20and%20Restructuring%20of%20FCI_English.pdf.  

[17] Pricing, Overview of TPDS, Sales, Food Corporation of India, as accessed on January 25, 2023, https://fci.gov.in/sales.php?view=41

[18] Report no. 15, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution: ‘Demands for Grants (2017-18), Department of Food and Public Distribution’, Lok Sabha, March 2017, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/16_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_15.pdf.  

[19] Chapter 7, Agriculture & Food Management, Volume-2, Economic Survey 2020-21, January 2021, https://www.indiabudget.gov.in/budget2021-22/economicsurvey/doc/echapter_vol2.pdf

[20] Budget and Cost, Finance and Accounts, Food Corporation of India, as accessed on January 25, 2023, https://fci.gov.in/finances.php?view=109

[21] “Centre names new integrated food security scheme launched from 1 January 2023 as “Pradhan Mantri Garib Kalyan Ann Yojana (PMGKAY)”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, January 11, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1890272.  

[22] Chapter 4, Volume-I Main Report, 15th Finance Commission, October 2020, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC%20VOL%20I%20Main%20Report.pdf

[23] National Family Health Survey (NFHS-5), 2019-20, India Report, Ministry of Health and Family Welfare, March 2022, https://dhsprogram.com/pubs/pdf/FR375/FR375.pdf

[24] Chapter 8: Department of Food and Public Distribution, Volume-III The Union, 15th Finance Commission, October 2020, https://fincomindia.nic.in/writereaddata/html_en_files/fincom15/Reports/XVFC-Vol%20III-Union.pdf

[25] “75987138.23 MT tentative total allocation under PMGKAY (Phase –I to Phase-V)”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, February 2, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1794809

[26] First Advance Estimates of Production of Foodgrains for 2022-23, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, September 21, 2022, https://eands.dacnet.nic.in/Advance_Estimate/Time%20Series%201%20AE%202022-23%20(English).pdf.  

[27] India Inching Towards ‘Atmanirbharta’ in Pulses”, Press Information Bureau, Ministry of Information and Broadcasting, June 15, 2022, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc202261565201.pdf

[28] Third Report: ‘Demands for Grants (2015-16)’, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, April 2015, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/16_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_3.pdf

[29] The Case for Direct Cash Transfers to the Poor, Economic and Political Weekly, April 2008, http://www.epw.in/system/files/pdf/2008_43/15/The_Case_for_Direct_Cash_Transfers_to_the_Poor.pdf.  

[30] Performance Evaluation of Targeted Public Distribution System, Planning Commission of India, March 2005, http://planningcommission.nic.in/reports/peoreport/peo/peo_tpds.pdf.  

[31] Role of the Public Distribution System in Shaping Household Food and Nutritional Security in India, National Council of Applied Economic Research, December 2016.

[32] S.O. 371(E), Notification, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, February 8, 2017, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2017/174131.pdf

[33] Unstarred Question No. 1522, Rajya Sabha, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, December 10, 2021, https://pqars.nic.in/annex/255/AU1522.pdf

[34] S.O. 6010(E), Notification, Ministry of Consumer Affairs, Food, and Public Distribution, December 22, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/241315.pdf

[35] 18th Report: ‘Demands for Grants (2022-23)’, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, March 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/17_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_18.pdf

[36] Justice K. S. Puttaswamy (Retd.) and Another vs Union of India and Others, W. P. (C.) No. 494 of 2012, https://main.sci.gov.in/supremecourt/2012/35071/35071_2012_Judgement_26-Sep-2018.pdf

[37] 12th Report, Strengthening of Public Distribution System – Augmenting Use of Technological Means and Implementation of  ‘One Nation, One Ration Card’ Scheme, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, Lok Sabha, March 2021, http://164.100.47.193/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/17_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_12.pdf.  

[38] “Centre revises norms of Central Assistance paid to States/UTs for meeting the expenditure towards intra-State movement, handling of foodgrains and margins paid to fair price shop dealers under National Food Security Act, 2013”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food, and Public Distribution, May 25, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1828270

[39] “Aadhaar and Food Security in Jharkhand: Pain Without Gain?”, Economic and Political Weekly, December 16, 2017.

[40] “Cash transfer of food subsidy directly into the bank account of PDS being implemented on a pilot basis in three UTs-Chandigarh and Puducherry since September, 2015 and urban areas of Dadra and Nagar Haveli since March, 2016”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, March 30, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1811483#:~:text=The%20Direct%20Benefit%20Transfer%20(DBT,(vi)%20promote%20financial%20inclusion.. 

[41] Unstarred Question No. 1533, Rajya Sabha, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, December 10, 2021, https://pqars.nic.in/annex/255/AU1533.pdf

[42] “Pilot Project for Direct Benefit Transfer withdrawn 10 months after launch”, The Indian Express, as accessed on January 28, 2023, https://indianexpress.com/article/india/jharkhand-pilot-project-for-direct-benefit-transfer-withdrawn-10-months-after-launch-5299959/.  

[43] Unstarred Question No, 212, Lok Sabha, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, December 7, 2022, https://pqals.nic.in/annex/1710/AU212.pdf

[44] Policy and System, Procurement, Food Corporation of India, as accessed on January 28, 2023, https://fci.gov.in/procurements.php?view=86

[45] Procurement of Wheat for central Pool, Food Corporation of India, as accessed on February 13, 2023, https://fci.gov.in/app/webroot/upload/Procurement/3.%20wheat%20state%20last%2010%20years%20wise%20.pdf

[46] “Sufficient food grain stocks under Central Pool: Centre”, Press Information Bureau, December 15, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1883624

[47] Food grains stock in central pool for the years 2016-2023 (Opening Balance), Stocks, Food Corporation of India, as accessed on January 29, 2023, https://fci.gov.in/stocks.php?view=217

[48] Current Foodgrains Stocking Norms, Stocks, Food Corporation of India, as accessed on January 29, 2023, https://fci.gov.in/stocks.php?view=18

[49] 13th Report, Procurement, Storage and Distribution of Foodgrains by Food Corporation Of India, Standing Committee on Food, Consumer Affairs and Public Distribution, August 2021, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/17_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_13.pdf.  

[50] Overview, Storage and Contract, Food Corporation of India, as accessed on January 28, 2023, https://fci.gov.in/storages.php?view=35

[51] Unstarred Question No. 1215, Rajya Sabha, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, December 16, 2022, https://pqars.nic.in/annex/258/AU1215.pdf

[52] Ethanol Blended Petrol Programme (EBP Programme), Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, as accessed on February 2, 2023, https://dfpd.gov.in/ebpProgramme_C.htm

[53] “Cabinet approves Mechanism for procurement of ethanol by Public Sector Oil Marketing Companies (OMCs) under Ethanol Blended Petrol (EBP) Programme - Revision of ethanol price for supply to Public Sector OMCs for Ethanol Supply Year (ESY) 2022-23”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, November 2, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1873021

[54] Report of the Task Force on Sugarcane and Sugar Industry, NITI Aayog, March 2020, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-08/10_Report_of_the_Task_Force_on_Sugarcan_%20and_Sugar_Industry_0.pdf

[55] Sugar Pricing Policy, Department of Food & Public Distribution, as accessed on February 3, 2023, https://dfpd.gov.in/gen_policy.htm.  

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