सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क परिवहन और परिवहन अनुसंधान के लिए नीतियां बनाता और प्रशासित करता है। यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के निर्माण और रखरखाव में भी शामिल है। यह मोटर वाहन एक्ट, 1988 के कार्यान्वयन के माध्यम से सड़क परिवहन, सुरक्षा और वाहन मानकों से संबंधित मामलों को देखता है। इस नोट में 2023-24 के लिए मंत्रालय के प्रस्तावित व्यय और इस क्षेत्र की कुछ समस्याओं को प्रस्तुत किया गया है।
वित्तीय स्थिति
2023-24 में मंत्रालय का कुल खर्च 2,70,435 करोड़ रुपए अनुमानित है। यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 25% अधिक है। सबसे अधिक व्यय (कुल व्यय का 60%) एनएचआईए के लिए किया गया है। 2023-24 में एनएचआईए को 1,62,207 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो पूरा बजटीय सहयोग है।
पिछले कुछ वर्षों में उधारियों के बढ़ने के कारण एनएचएआई पर कर्ज का भारी बोझ है। कई समितियों की सिफारिशों पर मंत्रालय ने एनएचएआई के लिए बजटीय आवंटन बढ़ा दिया है और बाजार से उधार लेने की जरूरत को कम कर दिया है। हालांकि प्राधिकरण को मौजूदा कर्ज को चुकाना होगा। 2023-24 के लिए मंत्रालय के आवंटन का लगभग 9% इस वर्ष ऋण चुकाने के लिए उपयोग किया जाएगा।
तालिका 1: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए बजट आवंटन (करोड़ रुपए में)
वास्तविक 21-22 |
संअ |
बअ |
% परिवर्तन |
|
एनएचएआई |
57,081 |
1,41,606 |
1,62,207 |
14.5% |
सड़कें और पुल |
66,237 |
74,984 |
1,07,713 |
43.6% |
कुल |
1,23,551 |
2,17,027 |
2,70,435 |
24.6% |
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
स्रोत: अनुदान मांग 2023-24; सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय; पीआरएस।
2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय 2,58,606 करोड़ रुपए अनुमानित है, जबकि राजस्व व्यय 11,829 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का अनुपात 2022-23 के संशोधित अनुमान से बढ़कर 95% से 96% हो गया है।
2023-24 में बजटीय भाषण में घोषणाएं हितधारकों की सहायता और सड़क, रेलवे एवं बिजली जैसे बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अवसंरचना वित्त सचिवालय की स्थापना की जाएगी। प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन के तहत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) को सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी, सुरक्षित आवास और स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। कोयला, इस्पात, उर्वरक एवं खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए लास्ट और फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण परिवहन अवसंरचना परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है। उन्हें 75,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्राथमिकता दी जाएगी जिसमें से 15,000 करोड़ रुपए निजी स्रोतों से आएंगे। |
धनराशि का उपयोग
पिछले कई वर्षों में मंत्रालय उस पूरी धनराशि का लगभग इस्तेमाल कर रहा है, जो उसे आवंटित की गई। 2018-19 के बाद से (2019-20 को छोड़कर), मंत्रालय बजट स्तर पर आवंटित राशि से अधिक खर्च कर रहा है। 2012-13 और 2022-23 के बीच, मंत्रालय को आवंटित राशि में 21% की वृद्धि हुई, जबकि वास्तविक व्यय में 25% की वृद्धि हुई।
रेखाचित्र 1: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा धन का उपयोग (करोड़ रुपए में)
*2022-23 के लिए वास्तविक व्यय संशोधित अनुमानों को संदर्भित करता है। स्रोत: विभिन्न वर्षों के लिए मंत्रालय की अनुदान मांग; पीआरएस।
विचारणीय मुद्दे
सड़क नेटवर्क में सुधार
2013 तक देश में 90% यात्री यातायात और 67% माल यातायात सड़क नेटवर्क से किया गया था।[1] भारतीय सड़कों के नेटवर्क में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच), राज्य राजमार्ग, जिला सड़कें, ग्रामीण सड़कें, शहरी सड़कें और परियोजना सड़कें शामिल हैं। मार्च 2019 तक सभी सड़कों में 71% ग्रामीण सड़कें थीं, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग 2% थे। इसके अलावा जिला सड़कें 10% और शहरी सड़कें 9% हैं।1 एनएच में ऐसी सड़कें शामिल हैं जो प्रमुख बंदरगाहों, पड़ोसी देशों, राज्यों की राजधानियों और कूटनीतिक आधार पर जरूरी सड़कों को जोड़ती हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एनएच के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। यह किसी भी सड़क को एनएच के रूप में नामित कर सकता है।
राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति (2013) ने कहा था कि सड़कों को अलग-अलग देखने के बजाय, उन्हें परिवहन की एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखा जाना चाहिए।[2] इसका तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक सड़क नेटवर्क (एनएच) प्रमुख बंदरगाहों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और राजधानी शहरों से जुड़ता है। मंत्रालय राज्य राजमार्गों को राष्ट्रीय राजमार्गों में अपग्रेड करके, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में सुधार करके और मल्टीमोडल परिवहन नेटवर्क बनाकर सड़क नेटवर्क और कनेक्टिविटी में सुधार करने का प्रयास करता है।
सड़कों की लंबाई: 2021-22 में कुल सड़कों की लंबाई 63 लाख किलोमीटर थी जो 2015 से 3.7% की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है।[3] इस अवधि के दौरान एनएच और ग्रामीण सड़कों की लंबाई में 7.8% की वार्षिक औसत दर से वृद्धि हुई है। 1970-71 और 2018-19 के बीच कुल सड़कों में राष्ट्रीय राजमार्गों की हिस्सेदारी 2.6% से घटकर 2% हो गई है। हालांकि 2011 के बाद से इस हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि हुई है (रेखाचित्र 2 देखें)। 1970-71 और 2018-19 के बीच राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई (किलोमीटर में) 4% की गति से बढ़ी है।[4]
रेखाचित्र 2: कुल सड़कों में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों का हिस्सा
स्रोत: बुनियादी सड़क सांख्यिकी 2018-19; पीआरएस।
कुल राजमार्गों में राज्य राजमार्गों की हिस्सेदारी 1970-71 में 6% से घटकर 2018-19 में 3% हो गई है।4 ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कई राज्य राजमार्गों को एनएच के रूप में अधिसूचित किया गया है।4 राज्य राजमार्ग आमतौर पर महत्वपूर्ण शहरों, कस्बों, पर्यटन स्थलों, छोटे बंदरगाह को लिंक करते और उन्हें एनएच से जोड़ते हैं। इनका निर्माण और प्रबंधन राज्य सरकारों द्वारा राज्य लोक निर्माण विभागों के माध्यम से किया जाता है।
एनएच का निर्माण: मंत्रालय ने 2022-23 में 12,200 किलोमीटर एनएच बनाने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से दिसंबर 2022 तक 5,774 किलोमीटर (47%) का निर्माण किया जा चुका है।[5] 2019-20 और 2023-24 के बीच 60,000 किलोमीटर एनएच बनाने के लक्ष्य के तहत मंत्रालय ने 2023-24 में 13,000 किमी के निर्माण की परिकल्पना की है। हालांकि 9 फरवरी, 2023 तक लक्ष्य को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।5 2014-15 और 2017-18 के बीच मंत्रालय अपने वार्षिक एनएच निर्माण लक्ष्यों को लगभग 45% से चूक गया (रेखाचित्र 3 देखें)। हालांकि 2018-19 के बाद से लक्ष्यों को कम कर दिया गया है जबकि मंत्रालय ने संशोधित लक्ष्यों को पार कर लिया है। 2021-22 में मंत्रालय अपने निर्माण लक्ष्य से 18% चूक गया। उल्लेखनीय है कि लक्ष्यों में गिरावट हो सकती है क्योंकि एनएचएआई नए एक्सप्रेसवे के निर्माण की तुलना में मौजूदा राजमार्गों को चौड़ा करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
रेखाचित्र 3: राजमार्गों के निर्माण की प्रगति
स्रोत: परिवहन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2021); पीआरएस।
सड़क चौड़ीकरण/अपग्रेडिंग: अप्रैल 2022 और नवंबर 2022 के बीच एनएचएआई ने 2,743 किमी (75%) के लक्ष्य के मुकाबले 2,060 किमी राजमार्गों को चौड़ा/अपग्रेड किया। अप्रैल-नवंबर 2022 के बीच सभी महीनों में सड़क चौड़ीकरण के मासिक लक्ष्य चूक गए (रेखाचित्र 4 देखें)।
रेखाचित्र 4: 2022 में सड़क चौड़ीकरण के प्राप्त लक्ष्यों का प्रतिशत
स्रोत: कार्यक्रम कार्यान्वयन रिपोर्ट्स 2022; पीआरएस।
सड़कों को एनएच में बदलना: एनएचएआई कई राज्य राजमार्गों को एनएच के रूप में अधिसूचित करता है, और खुद इन सड़कों का रखरखाव और चौड़ीकरण करता है। राज्य की सड़कों को एनएच घोषित करने के मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) देश की लंबाई और चौड़ाई के साथ चलने वाली सड़कें, (ii) निकटवर्ती देशों या राज्यों की राजधानियों या प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कें, (iii) पहाड़ी या अलग-थलग क्षेत्रों में कूटनीतिक सड़कें।[6]
फरवरी 2023 तक 1.45 लाख किमी राज्य सड़कों को एनएच के रूप में अधिसूचित किया गया है।[7] 2022-23 में अब तक लगभग 3,639 किलोमीटर राज्य सड़कों को एनएच के रूप में अधिसूचित किया गया है।[8]
सड़क घनत्व को प्रति 1,000 वर्ग किमी की औसत सड़क लंबाई के रूप में परिभाषित किया गया है। यह बताता है कि किसी दिए गए क्षेत्र का कितना हिस्सा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। 2011-12 और 2018-19 के बीच भारत में सड़क घनत्व में 4.4% की वृद्धि हुई है। सभी सड़कों में, ग्रामीण सड़कों का घनत्व सबसे अधिक है, उसके बाद जिला सड़कों का स्थान है (रेखाचित्र 5 देखें)। 2018-19 में, प्रत्येक 1,000 वर्ग किमी के लिए, 1,102 किमी लंबाई की ग्रामीण सड़कें थीं। इसकी तुलना में, प्रत्येक 1,000 वर्ग किमी के लिए 40 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग थे।
रेखाचित्र 5: सड़कों की विभिन्न श्रेणियों के लिए सड़क घनत्व (2018-19; किमी प्रति हजार वर्ग किमी में)
स्रोत: बुनियादी सड़क सांख्यिकी 2018-19; पीआरएस।
राज्यों में सड़क घनत्व में क्षेत्रीय भिन्नता है। दिल्ली (10,904 किमी प्रति 1,000 वर्ग किमी), केरल (6,690), असम (5,088), और गोवा (5,051) जैसे राज्यों में उच्च सड़क घनत्व है। जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और राजस्थान जैसे राज्यों में सड़क घनत्व कम है।
भारतमाला परियोजना भारतमाला एक अंब्रैला कार्यक्रम है, जिसके तहत सड़क मार्ग से माल और यात्रियों की आवाजाही में सुधार के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास किया जाता है। यह कार्यक्रम राजमार्ग अवसंरचना की कमियों को दूर करने का प्रयास करता है। कार्यक्रम 50 आर्थिक गलियारों को विकसित करने, 550 जिलों को कनेक्टिविटी प्रदान करने और सड़क यात्रा की औसत गति में सुधार करने का प्रयास करता है। 2021-22 तक, 1,266 किमी सड़क का निर्माण किया गया है।3 इसमें तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कें, एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय गलियारे और आर्थिक गलियारे शामिल हैं। कुल मिलाकर, भारतमाला चरण- I के तहत 4,752 किलोमीटर लंबी सड़क बन चुकी है।3 यह योजना एनएचएआई, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम और मंत्रालय के सड़क विंग द्वारा कार्यान्वित की जाती है। भारतमाला के लिए व्यय एनएचएआई के विभिन्न कोषों से पूरा किया जाता है। 2023-24 में इन कोषों से 42,772 करोड़ रुपए का खर्च किया जाएगा। |
पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सड़कें: भारत में पूर्वोत्तर राज्यों जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी एक चुनौती है। मंत्रालय विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम (एसएआरडीपी-एनई) के तहत पूर्वोत्तर राज्यों में सड़क नेटवर्क विकसित करता है।[9] यह कार्यक्रम पिछड़े और दूर-दराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करने का प्रयास करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में मुख्यालय कम से कम दो-लेन राजमार्ग मानकों से जुड़ा हुआ हो। पूर्वोत्तर राज्यों में औसत सड़क घनत्व 2,259 किमी प्रति हजार वर्ग किमी है।4 पूर्वोत्तर राज्यों में ग्रामीण नेटवर्क सड़क की अन्य श्रेणियों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है। पूर्वोत्तर राज्यों में सिक्किम में सतही सड़कों का उच्चतम अनुपात (76%) है, इसके बाद मिजोरम (67%) का स्थान है।4
सड़क मार्ग से माल ढुलाई: राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति (2013) ने कहा था कि कम दूरी, या दूरस्थ इलाकों या आसानी से सुलभ स्थलों तक कम भारी सामान ले जाने के लिए सड़कें परिवहन का एक पसंदीदा साधन हैं। उदाहरण के लिए, लगभग 200 किमी की दूरी पर सड़क मार्ग से खाद्यान्न का परिवहन करना बेहतर होता है। 200 किमी से अधिक की दूरी पर, रेल एक पसंदीदा साधन है। इंटरमोडल नोड्स पर भी अनाज ट्रकों से लाया-ले जाया जाता है, इसके बावजूद कि इसमें देरी होती है।2
भारत में 2011-12 और 2017-18 के बीच सड़क मार्ग से यात्रियों और माल ढुलाई में वृद्धि हुई है (रेखाचित्र 6 देखें)। सड़क मार्ग से माल ढुलाई में 9.7% की वृद्धि हुई है, जबकि यात्रियों की संख्या में 13% की वृद्धि हुई है।1 2020 में रेलवे ने 18% माल ढुलाई की, जबकि सड़कों के जरिए 71% माल ढुलाई की गई।[10]
रेखाचित्र 6: सड़क मार्ग से माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही
नोट: माल ढुलाई अरब टन किलोमीटर में है और यात्री अरब किलोमीटर में हैं।
स्रोत: सड़क परिवहन ईयरबुक 2018-19; पीआरएस।
पीएम गति शक्ति परिवहन के समन्वित विकास के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) को अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया था। यह इंटरकनेक्टेड और मल्टीमोडल ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क के लिए एक सिस्टम बनाने का प्रयास करता है। उम्मीद की जाती है कि इससे आर्थिक विकास, बेहतर व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता, निर्यात को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे, जलमार्ग या दूरसंचार जैसी विभिन्न अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को सिनर्जी के साथ विकसित करने की परिकल्पना की गई है। एनएमपी योजना और कार्यान्वयन के लिए भौगोलिक विशेषताओं और जमीन के रिकॉर्ड्स के डेटा पर निर्भर करेगा। नेटवर्कों के एकीकरण में शामिल जटिलताओं को कम करने और प्रयासों के दोहराव से बचने के लिए एनएमपी एक कार्यान्वयन रूपरेखा निर्धारित करता है। इस रूपरेखा में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लॉजिस्टिक्स में दक्षता सुनिश्चित करने के साथ-साथ योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी के लिए सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह (कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में), (ii) सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह की सहायता करने के लिए नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (जिसमें अवसंरचना मंत्रालयों के नेटवर्क प्लानिंग विंग के प्रमुख होंगे), और (iii) तकनीकी सहायता इकाई (अवसंरचना क्षेत्रों के डोमेन विशेषज्ञों वाली) जो नेटवर्क के समग्र एकीकरण और ऑप्टिमाइजेशन को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होगी। गति शक्ति के तहत अलग से धनराशि आवंटित नहीं की जाती है। आवश्यकताओं के अनुसार और स्वीकृत परियोजना लागतों के भीतर, परियोजना-वार धनराशि आवंटित की जाती है। |
सड़क अवसंरचना का वित्त पोषण
सड़क अवसंरचना में निवेश दीर्घकालिक होता है और वापसी आम तौर पर निर्माण के कई सालों बाद देखी जाती है। वर्तमान में सड़कों का वित्त पोषण सरकारी और निजी स्रोतों से किया जाता है। सरकारी स्रोतों से वित्त पोषण में बजटीय आवंटन शामिल हैं जिन्हें करों, सेस या डेडिकेटेड फंड्स से वित्तपोषित किया जाता है। निजी वित्तपोषण के तहत आमतौर पर निजी डेवलपर एक सड़क का निर्माण करता है, और बदले में उसे निर्दिष्ट अवधि के लिए टोल जमा करने का अधिकार होता है। इस अवधि के दौरान सड़कों के रखरखाव के लिए डेवलपर जिम्मेदार होता है। अधिकांश राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत कार्यान्वित की जाती हैं। इस मॉडल के तहत वेरिएंट्स में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (टोल), (ii) बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (एन्युइटी) और हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (देखें अनुलग्नक)। परियोजना के कार्यान्वयन में सुधार लाने और निजी क्षेत्र के हित को पुनर्जीवित करने के लिए हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल को पेश किया गया था। 2019 तक 44% सड़क परियोजनाओं को एचएएम मॉडल के तहत तैयार किया गया था।[11]
सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित परियोजनाएं आमतौर पर इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) या आइटम रेट कॉन्ट्रैक्ट जैसे विभिन्न कॉन्ट्रैक्ट मॉडल्स के तहत ठेकेदारों को दी जाती हैं। ईपीसी के तहत एक परियोजना (ठेकेदार द्वारा निर्मित) की रखरखाव अवधि लगभग चार वर्ष है। आइटम रेट कॉन्ट्रैक्ट के तहत, परियोजना को सरकार द्वारा डिज़ाइन और ठेकेदार द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। ठेकेदार 1-3 साल की अवधि के लिए त्रुटियों को ठीक करने के लिए जिम्मेदार होता है। रेखाचित्र 7 में पिछले छह वर्षों के दौरान सड़क निर्माण के निवेश स्रोतों को दर्शाया गया है। इस अवधि के दौरान, निजी निवेश कम रहा है, और सार्वजनिक निवेश और अतिरिक्त बजटीय उधारी अधिक रही है।
रेखाचित्र 7: सड़कों में निवेश (करोड़ रुपए में)
नोट: बुनियादी नोट: आईईबीआर: आंतरिक और अतिरिक्त-बजटीय संसाधन
स्रोत: 317वीं स्टैंडिंग कमिटी रिपोर्ट (2022); पीआरएस।
मंत्रालय के तहत आने वाले कोष
मंत्रालय विभिन्न उद्देश्यों (सड़कों के प्रकार) के लिए विभिन्न कोषों के माध्यम से अपने वित्त का प्रबंधन करता है। इनमें केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना कोष (सीआरआईएफ), स्थायी पुल शुल्क कोष (पीबीएफएफ), राष्ट्रीय निवेश कोष और राष्ट्रीय राजमार्ग कोष का मुद्रीकरण शामिल हैं। 2022-23 तक मंत्रालय के अधिकांश व्यय को सीआरआईएफ से हस्तांतरण के माध्यम से प्रबंधित किया गया था। हालांकि 2023-24 में सीआरआईएफ के लिए आवंटन लगभग 100% कम हो गया है। (तालिका 2 देखें)।
तालिका 2: मंत्रालय द्वारा प्रबंधित कोष
वास्तविक 21-22 |
संअ 22-23 |
बअ |
% परिवर्तन |
|
सीआरआईएफ |
39,410 |
1,13,600 |
1,400 |
-99% |
पीबीएफएफ |
12,670 |
18,006 |
20,807 |
16% |
एनआईएफ |
8,430 |
10,700 |
10,565 |
-1% |
एनएचएफ |
5,000 |
10,000 |
10,000 |
0% |
नोट: सीआरआईएफ- केंद्रीय सड़क एवं अवसंरचना कोष; पीबीएफएफ- स्थानीय पुल शुल्क कोष; एनआईएफ - राष्ट्रीय निवेश कोष; एनएचएमएफ - एनएच कोष का मुद्रीकरण।
स्रोत: अनुदान मांग 2023-24, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय; पीआरएस।
सीआरआईएफ की स्थापना एनएच और राज्य राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए की गई थी। यह एक नॉन लैप्सेबल फंड है जिसे सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस के जरिए वित्तपोषित किया जाता है जो पेट्रोलियम उत्पादों के निर्माण और आयात पर लगाया जाता है। अवसंरचना विकास के लिए एनएचएआई और विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को यह राशि जारी की जाती है। 2022-23 में संशोधित चरण में सड़क और अवसंरचना सेस के संग्रह में 58% की कमी के कारण सीआरआईएफ के माध्यम से आवंटन में कमी हो सकती है।[12]
पीबीएफएफ को निम्नलिखित के माध्यम से एकत्रित राजस्व द्वारा वित्तपोषित किया जाता है: (i) एनएच पर कुछ पुलों के उपयोग के लिए शुल्क लगाया जाता है, (ii) राष्ट्रीय राजमार्ग टोल, और (iii) कुछ पीपीपी परियोजनाओं पर प्राप्त राजस्व में हिस्सेदारी। यह धनराशि एनएचएआई को जारी की जाती है। 2023-24 में शुल्क और टोल से राजस्व के रूप में 21,460 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है, जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 8% अधिक है।
राष्ट्रीय निवेश कोष में विनिवेश से आय जमा होती है। इसका उपयोग पूर्वोत्तर में विशेष सड़क विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।[13] 2023-24 में एनआईएफ से 10,565 करोड़ रुपए हस्तांतरित होने का अनुमान है जो 2022-23 के बजट अनुमान के बराबर है।
राष्ट्रीय राजमार्ग कोष को कुछ सार्वजनिक वित्तपोषित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के मुद्रीकरण द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। इसमें लंबी अवधि के आधार पर निजी ठेकेदारों को कुछ हिस्सों का रखरखाव हस्तांतरित करना शामिल है। 2023-24 में एनएचएफ से 10,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित होने का अनुमान है, जो 2022-23 में 20,000 रुपए के बजट अनुमान से कम है।
एनएचआईए का व्यय
एनएचएआई के खर्च मुख्य रूप से उपरिलिखित धनराशियों से पूरे किए जाते हैं। प्राधिकरण बाजार उधारी के माध्यम से और बहुपक्षीय एजेंसियों से ऋण के रूप में भी धन जुटा सकता है। इनका उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाता है: (i) भूमि अधिग्रहण, (ii) परियोजना व्यय, और (iii) ऋण चुकौती और ब्याज भुगतान।
एनएचएआई के बजटीय आवंटन में वृद्धि
एनएचएआई जैसी संस्थाएं आंतरिक और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (आईईबीआर) के माध्यम से अधिशेष टोल राजस्व को विनियोजित करके या क्रेडिट लाइनों के माध्यम से वित्त जुटाती हैं। 2022-23 में एनएचएआई के बढ़ते कर्ज के बोझ को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अपने बजटीय आवंटन में वृद्धि की और आईईबीआर पर अपनी निर्भरता कम की। 2023-24 में एनएचएआई को 1,62,207 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 15% अधिक है। मार्च 2022 तक एनएचएआई का कुल बकाया कर्ज 3,48,522 करोड़ रुपए था।
परिवहन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि हालांकि एनएचएआई के बजटीय आवंटन में वृद्धि हुई है, लेकिन एनएच विकसित करने के लिए जितने निवेश की जरूरत है, उसके हिसाब से यह पर्याप्त नहीं हो सकता है।[14] कमिटी ने मंत्रालय को निजी क्षेत्र की आशंकाओं को दूर करने और उन्हें अवसंरचना में निवेश करने को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।14
2017-18 और 2019-20 के बीच अतिरिक्त बजटीय स्रोतों से एनएचएआई ने जो धनराशि जुटाई, वह उसके वित्त पोषण का अधिकांश हिस्सा था (रेखाचित्र 7 देखें)। 2022-23 के बाद से एनएचएआई को लगभग पूरा धनराशि बजटीय आवंटन से प्राप्त होती है। 2017-18 और 2023-24 के बीच एनएनएआई के व्यय में 14% की वृद्धि का अनुमान है।
रेखाचित्र 8: एनएचएआई द्वारा बजटीय आवंटन और आंतरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के माध्यम से जुटाई गई राशि (करोड़ रुपए में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के व्यय बजट; पीआरएस।
परिवहन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2016) ने कहा था कि सड़क क्षेत्र के लिए संवितरित कई दीर्घकालिक ऋण नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स में बदल रहे हैं। परियोजना की बोलियां अक्सर उचित अध्ययन के बिना लगाई जाती हैं और जल्दबाजी में प्रदान की जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि परियोजनाएं रुक जाती हैं और कन्सेशनेयर्स बीच में ही बाहर हो जाते हैं। एनएच निर्माण के कार्यान्वयन को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) निर्माण-पूर्व गतिविधियां, (ii) ठेकेदारों की धनराशि जुटाने की क्षमता, और (iii) मानसून जैसी जलवायु स्थितियां। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (2016) ने भी एनएचएआई की कुछ प्रक्रियात्मक अक्षमताओं का उल्लेख किया था। उदाहरण के लिए वह मंजूरियों में देरी, संचालन और प्रक्रियात्मक खामियों के कारण परियोजनाओं पर टोल अर्जित करने में असमर्थ रहा।[15]
तालिका 3: एनएचएआई की ऋण चुकौती के लिए जरूरी धनराशि (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
ऋण पुनर्भुगतान |
कुल पुनर्भुगतान के % के रूप में ब्याज भुगतान |
2020-21 |
25,497 |
74% |
2021-22 |
40,191 |
59% |
2022-23 |
31,282 |
79% |
2023-24 |
24,189 |
132% |
2024-25 |
30,552 |
78% |
स्रोत: राज्यसभा प्रश्न संख्या 2017, अगस्त 2022; पीआरएस।
रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, कॉन्ट्रैक्टिंग एजेंसियों के लिए नकदी प्रवाह में सुधार, सड़क क्षेत्र के ऋणों का प्रतिभूतिकरण, अटकी हुई परियोजनाओं को समाप्त करने और विवाद समाधान में सुधार जैसी पहल की जा रही हैं।[16] ठेकेदार की वजह से रुकी हुई परियोजनाओं के लिए अनुबंध के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।
अवसंरचना विकास के पीपीपी मॉडल (2015) की समीक्षा और पुनर्जीवन पर समिति ने निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने और उनकी गतिविधियों को रेगुलेट करने के लिए सड़क क्षेत्र के लिए एक स्वतंत्र रेगुलेटर बनाने का सुझाव दिया था।[17] उसने यह भी कहा था कि सेवा वितरण, जैसे कि नागरिकों के लिए सड़कों का निर्माण सरकार की जिम्मेदारी है, और पीपीपी के माध्यम से इसे टाला नहीं जाना चाहिए।
इन्वेस्टमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट इन्वेस्टमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (इनविट) एक सामूहिक इनवेस्टमेंट वेहिकल है जो दीर्घावधि के निवेशकों से धनराशि को पूल करता है ताकि डेवलपर्स से आय अर्जित करने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर को हासिल किया जा सके। इनविट्स इक्विटी या डेट इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए स्पेशल पर्पज वेहिकल में निवेश करते हैं। 2019 में एनएचएआई को इनविट्स बनाने के लिए अधिकृत किय़ा गया जिससे पूरे हो चुके राष्ट्रीय राजमार्गो का मुद्रीकरण किया जा सके।[18] नवंबर 2021 तक एनएचएआई के इनविट को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया गया था और निवेशकों और बैंकों से 8,011 करोड़ रुपए जुटाए गए थे। कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड और ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान बोर्ड ने उनमें से प्रत्येक में निवेश किया और उनके पास 25% यूनिट्स हैं।3 वर्तमान कर कानूनों के तहत, इनविट्स द्वारा अर्जित और निवेशकों को वितरित की गई ब्याज और लाभांश आय पर निवेशकों से कर वसूला जाता है। हालांकि निवेशकों को ऋण चुकौती वितरण पर कर नहीं लगाया जाता है, भले ही वे उनकी आय के बराबर हों।[19] वित्त मंत्रालय ने कहा था कि वर्तमान विशेष कर के तहत दो स्तरों पर कर में छूट की मांग नहीं की जाती है। इसलिए 2023-24 से ऋण चुकौती के रूप में प्राप्त आय पर एक इनविट निवेशक से कर लिया जाएगा। |
राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के अनुसार, 2021-22 के दौरान 30,000 करोड़ रुपए की 5,000 किलोमीटर सड़क का मुद्रीकरण किया जाना था।3 एनएचएआई ने इनविट्स के माध्यम से 390 किलोमीटर सड़क का मुद्रीकरण किया है। टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) के जरिए करीब 450 किलोमीटर सड़क की बोली लगाई गई है।
भूमि अधिग्रहण की लागत
पिछले पांच वर्षों में एनएचएआई की भूमि अधिग्रहण लागत कम हुई है, जबकि परियोजना व्यय की लागत बढ़ रही है। हालांकि ऋण पुनर्भुगतान का हिस्सा अन्य लागतों की तुलना में कम है, लेकिन 2016-17 और 2020-21 के बीच इसमें 38% की वृद्धि हुई। भूमि अधिग्रहण की लागत कम हो सकती है क्योंकि कई राज्यों ने एनएचएआई के माध्यम से निष्पादित परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण लागत का कम से कम 25% वहन करने पर सहमति व्यक्त की है। उदाहरण के लिए, केरल ऐसी व्यवस्था के लिए सहमत हो गया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने भी समान भूमि बंटवारे की व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है।[20]
हालांकि भूमि अधिग्रहण लागत का हिस्सा कम हो गया है, भूमि अधिग्रहण के कारण परियोजनाओं में देरी बनी हुई है। 1 जनवरी, 2023 तक सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सड़क परिवहन से संबंधित 724 परियोजनाओं की निगरानी कर रहा था। इनमें से 428 में देरी हुई है और 105 की लागत अधिक हुई है।[21]
रेखाचित्र 9: एनएचएआई निधियों के व्यय का श्रेणी-वार हिस्सा (कुल प्राप्तियों का %)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के लिए एनएचएआई की वार्षिक रिपोर्ट; पीआरएस।
राजमार्गों का रखरखाव और मरम्मत
सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित परियोजनाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी मुख्य रूप से मंत्रालय या एनएचएआई या राज्य लोक निर्माण विभागों की होती है। परिवहन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने कहा था कि देश भर में राजमार्गों की विशाल लंबाई को देखते हुए, राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए आवंटित धनराशि बहुत कम है।[22] नीति आयोग सहित कई समितियों ने सुझाव दिया है कि नए एनएच के निर्माण की तुलना में मौजूदा सड़कों के रखरखाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।[23] समितियों यह सुझाव भी दिया है कि मंत्रालय के बजट का 10% सड़कों के रखरखाव पर खर्च किया जाए। इसके अलावा यह सुझाव दिया कि मंत्रालय रखरखाव और मरम्मत के लिए जितनी धनराशि की मांग करता है, उसे शत प्रतिशत पूरा किया जाना चाहिए। रेखाचित्र 10 में मंत्रालय की मांग और रखरखाव के लिए किए गए आवंटन को दर्शाया गया है।
2023-24 में मंत्रालय को राजमार्गों के रखरखाव के लिए 2,600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं (मंत्रालय के बजट का 1%)। 2017-18 और 2022-23 के बीच, रखरखाव के लिए आवंटन काफी हद तक स्थिर रहा है, जबकि मांग के संबंध में आवंटन के अनुपात में वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि मंत्रालय की ओर से ही रखरखाव की मांग कम हो गई है।
रेखाचित्र 10: रखरखाव और मरम्मत के लिए मांग और बजटीय आवंटन
स्रोत: विभिन्न वर्षों की स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट्स; पीआरएस।
सड़क सुरक्षा
2023-24 में मंत्रालय को सड़क सुरक्षा के लिए 330 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 20% अधिक है। 2017-18 और 2022-23 के बीच मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के लिए प्राप्त धनराशि का लगभग 41% कम उपयोग किया है।
रेखाचित्र 11: सड़क सुरक्षा के लिए धनराशि का कम उपयोग
नोट: 2022-23 के वास्तविक व्यय संशोधित अनुमानों को संदर्भित करते हैं।
स्रोत: विभिन्न वर्षों के बजट दस्तावेज; पीआरएस।
सड़क सुरक्षा के लिए आवंटन सुरक्षा कार्यक्रमों, दुर्घटना पीड़ितों के लिए राहत सहायता, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने, अनुसंधान और विकास, और एनएच पर सुविधाओं की स्थापना के लिए है। सड़क सुरक्षा के लिए 2023-24 का आवंटन मंत्रालय के बजट का 0.1% है। हालांकि 2022-23 में संशोधित अनुमान पिछले पांच वर्षों में वास्तविक व्यय से अधिक हैं।
परिवहन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने सुझाव दिया था कि मंत्रालय को सड़क सुरक्षा और चालक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए अधिक धन आवंटन की मांग करनी चाहिए।22 2021 में 4.1 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 1.5 लाख घातक थीं।[24] 2020 से 2021 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 13% की वृद्धि हुई। यह वृद्धि निम्न आधार के कारण हो सकती है, यानी कोविड के दौरान दुर्घटनाओं में कमी, जब गतिशीलता प्रतिबंधित थी। 2019 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में 8% की कमी आई।28 हालांकि मृत्यु दर में 2% की वृद्धि हुई। इसके अलावा सभी दुर्घटनाओं में से 31% एनएच पर हुईं। 2021 में एनएच पर सभी सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण ओवर-स्पीडिंग (74%) था, इसके बाद गलत साइड पर गाड़ी चलाना (4%) था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली सभी दुर्घटनाओं में 41% दोपहिया वाहनों से होती हैं।28
विश्व सड़क सांख्यिकी, 2018 के अनुसार, भारत सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों (199 देशों के बीच) में पहले स्थान पर है, इसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान है। संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत (66 लाख किमी) की तुलना में लंबा सड़क नेटवर्क है। सड़क सुरक्षा 2018 पर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में से लगभग 11% भारत में होती हैं।[25] मोटर वाहन (संशोधन) एक्ट, 2019 के तहत सड़क दुर्घटनाओं को रोकने का प्रयास किया गया है। यह सड़क यातायात उल्लंघनों के लिए सजा, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और नाबालिग ड्राइविंग के लिए अधिक दंड का प्रावधान करता है।[26] 2021 में मंत्रालय ने कहा था कि एक्ट के कार्यान्वयन से सड़क सुरक्षा में सुधार हुआ है।3
स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने कहा था कि मंत्रालय के पास उपलब्ध एंबुलेंस (111), गश्ती वाहन (509), टो अवे क्रेन (443) की संख्या भारत में एनएच नेटवर्क के आकार के अनुरूप नहीं है।22 सितंबर 2021 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन किया जो सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देगा।[27] मंत्रालय ने एक्ट के प्रावधानों को लागू करने के लिए कई नियम अधिसूचित किए हैं, जैसे: (i) गुड सेमेरिटन की सुरक्षा, (ii) एक्ट की तुलना में राज्यों द्वारा अधिक जुर्माना लगाने की शर्तें, और (iii) ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के मानदंडों में संशोधन, इत्यादि।[28]
सड़क दुर्घटनाओं और उनके जोखिमों को कम करने के लिए विभिन्न देशों में कई उत्तम पद्धतियों का पालन किया जाता है। उदाहरण के लिए स्वीडन की सड़क सुरक्षा नीति निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है: (i) मानव जीवन सर्वोपरि है, (ii) सेवा प्रदाता प्रणाली की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, और (iii) सड़क परिवहन प्रणालियों को मानव त्रुटि के मौकों को कम से कम करना चाहिए।2 नीति के अनुसार, सड़क सुरक्षा के लिए स्वीडिश रोड एडमिनिस्ट्रेशन जिम्मेदार है। इस नीति के कारण सेंट्रल केबल बैरियर्स के साथ सिंगल लेन सड़कों को 2+1 लेन में अपग्रेड करने में मदद मिली। ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा प्रणाली के केंद्र में प्रवर्तन और यूजर्स को नियम तोड़ने से रोकने के लिए सजा का प्रावधान है।2 यह वाहनों में उच्च गुणवत्ता वाली सक्रिय और निष्क्रिय सुरक्षा प्रणालियों को भी प्रोत्साहित करती है ताकि वाहनों में बैठे और दुर्घटना में फंसे लोगों पर ज्यादा ताकत का प्रयोग न करना पड़े।
अनुलग्नक
सार्वजनिक निजी भागीदारी के मॉडल्स के प्रकार इस प्रकार हैं:
-
बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (टोल): डेवलपर निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार है: (i) परियोजना को डिजाइन और विकसित करना, (ii) कन्सेशन की पूरी अवधि के दौरान संचालन और रखरखाव करना।[29] डेवलपर को निर्दिष्ट अवधि के दौरान टोल जमा करने का भी अधिकार है।
-
बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (एन्युइटी): यह मॉडल बीओटी (टोल) के समान है, सिवाय इसके कि डेवलपर को सड़क के विकास और रखरखाव के बदले वार्षिक आधार पर भुगतान प्राप्त होता है (सरकार द्वारा)। वाणिज्यिक संचालन के लिए एक खंड खुलने के बाद सरकार को टोल जमा करने का अधिकार होता है।
-
हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (एचएएम): इस मॉडल के तहत सरकार या उसकी कार्यकारी एजेंसी निजी डेवलपर को अनुदान के रूप में परियोजना लागत का 40% भुगतान करती है। निजी डेवलपर 60% के लिए बोलियां आमंत्रित करता है, जिसका भुगतान 15 वर्षों में वार्षिक आधार पर किया जाता है। चुकौती में ब्याज, संचालन और प्रबंधन और इक्विटी पर वापसी शामिल है। रखरखाव की अवधि के दौरान टोल वसूलने का अधिकार सरकार के पास है। भारत में एनएच के वित्तपोषण के लिए इस मॉडल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
तालिका 4: एनएचएआई की धनराशि का उपयोग (करोड़ रुपए में; 2016-17 से 2020-21)
वर्ष |
भूमि अधिग्रहण |
परियोजना का व्यय |
ऋण पुनर्भुगतान और ब्याज भुगतान |
अन्य |
कुल |
2016-17 |
17,823 |
20,843 |
5,130 |
7,010 |
50,806 |
2017-18 |
32,143 |
30,648 |
14,612 |
8,946 |
86,349 |
2018-19 |
36,048 |
40,380 |
14,612 |
6,685 |
97,726 |
2019-20 |
28,542 |
49,785 |
19,420 |
6,319 |
1,04,065 |
2020-21 |
35,858 |
61,484 |
25,633 |
2,375 |
1,25,350 |
स्रोतः एनएचएआई की वार्षिक रिपोर्ट; पीआरएस।
तालिका 5: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का धनराशि उपयोग (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
बजटीय |
वास्तविक |
उपयोग का प्रतिशत |
2012-13 |
30,798 |
22,537 |
73% |
2013-14 |
31,302 |
28,400 |
91% |
2014-15 |
34,345 |
33,048 |
96% |
2015-16 |
45,752 |
46,913 |
103% |
2016-17 |
57,976 |
52,232 |
90% |
2017-18 |
64,900 |
61,015 |
94% |
2018-19 |
71,000 |
77,301 |
109% |
2019-20 |
83,016 |
78,249 |
94% |
2020-21 |
91,823 |
99,159 |
108% |
2021-22 |
1,18,101 |
1,23,551 |
105% |
2022-23* |
1,99,108 |
2,17,027 |
109% |
नोट: 2022-23 के वास्तविक व्यय संशोधित अनुमानों को संदर्भित करते हैं। स्रोत: विभिन्न वर्षों के व्यय बजट; पीआरएस।
तालिका 6: राष्ट्रीय राजमार्गों का राज्यवार घनत्व (31 मार्च, 2019 तक)
राज्य/यूटी |
मौजूदा एनएच की लंबाई (किमी) |
एनएच का % |
मौजूदा एनएच की किमी/1000 वर्ग किमी में लंबाई |
मौजूदा एनएच की किमी में लंबाई/लाख जनसंख्या |
महाराष्ट्र |
17,757 |
13.4% |
57.7 |
15.8 |
उत्तर प्रदेश |
11,737 |
8.9% |
49.2 |
5.9 |
राजस्थान |
10,342 |
7.8% |
30.2 |
15.1 |
मध्य प्रदेश |
8,772 |
6.6% |
28.5 |
12.1 |
कर्नाटक |
7,335 |
5.5% |
38.2 |
12.0 |
आंध्र प्रदेश |
6,913 |
5.2% |
41.8 |
13.8 |
तमिलनाडु |
6,742 |
5.1% |
51.8 |
9.3 |
गुजरात |
6,635 |
5.0% |
33.8 |
11.0 |
ओडिशा |
5,762 |
4.4% |
37.0 |
13.7 |
बिहार |
5,358 |
4.0% |
56.9 |
5.2 |
असम |
3,909 |
3.0% |
49.8 |
12.5 |
तेलंगाना |
3,795 |
2.9% |
33.1 |
10.8 |
पश्चिम बंगाल |
3,664 |
2.8% |
41.3 |
4.0 |
छत्तीसगढ़ |
3,606 |
2.7% |
26.7 |
14.1 |
झारखंड |
3,367 |
2.5% |
42.2 |
10.8 |
पंजाब |
3,274 |
2.5% |
65.0 |
11.8 |
हरियाणा |
3,166 |
2.4% |
71.6 |
12.5 |
उत्तराखंड |
2,949 |
2.2% |
52.8 |
29.2 |
हिमाचल प्रदेश |
2,607 |
2.0% |
46.8 |
38.0 |
अरुणाचल प्रदेश |
2,537 |
1.9% |
30.3 |
183.5 |
जम्मू एवं कश्मीर |
2,423 |
1.8% |
10.9 |
19.3 |
केरल |
1,782 |
1.3% |
45.8 |
5.3 |
मणिपुर |
1,750 |
1.3% |
78.4 |
64.3 |
नगालैंड |
1,548 |
1.2% |
93.4 |
78.1 |
मिजोरम |
1,423 |
1.1% |
67.5 |
130.4 |
मेघालय |
1,156 |
0.9% |
51.5 |
39.0 |
त्रिपुरा |
854 |
0.6% |
81.4 |
23.3 |
सिक्किम |
463 |
0.4% |
65.2 |
76.2 |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
331 |
0.3% |
40.1 |
87.0 |
गोवा |
293 |
0.2% |
76.8 |
20.1 |
दिल्ली |
157 |
0.1% |
105.9 |
0.9 |
दादरा एवं नगर हवेली |
31 |
0.02% |
63.7 |
9.0 |
दमन एवं दीव |
22 |
0.02% |
196.4 |
9.1 |
पुद्दूचेरी |
27 |
0.02% |
54.3 |
2.2 |
चंडीगढ़ |
15 |
0.01% |
134.0 |
1.4 |
कुल |
1,32,502 |
100% |
40.2 |
11.0 |
स्रोत: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय; पीआरएस।
तालिका 7: ऑटोमोबाइल्स की घरेलू बिक्री (लाख में)
यात्री वाहन |
कमर्शियल वाहन |
तिपहिया |
दोपहिया |
क्वाड्रिसाइकिल |
कुल |
|
2016-17 |
30,47,582 |
7,14,082 |
5,11,879 |
1,75,89,738 |
- |
2,18,63,281 |
2017-18 |
32,88,581 |
8,56,916 |
6,35,698 |
2,02,00,117 |
- |
2,49,81,312 |
2018-19 |
33,77,389 |
10,07,311 |
7,01,005 |
2,11,79,847 |
627 |
2,62,66,179 |
2019-20 |
27,73,519 |
7,17,593 |
6,37,065 |
1,74,16,432 |
942 |
2,15,45,551 |
2020-21 |
27,11,457 |
5,68,559 |
2,19,446 |
1,51,20,783 |
-12 |
1,86,20,233 |
2021-22 |
30,69,499 |
7,16,566 |
2,60,995 |
1,34,66,412 |
124 |
1,75,13,596 |
कुल |
1,82,68,027 |
45,81,027 |
29,66,088 |
10,49,73,329 |
1,681 |
स्रोत: सियाम; पीआरएस।
तालिका 8: 2015 और 2019 के बीच सड़कों की लंबाई (किमी में)
2015 |
2016 |
2017 |
2018 |
2019 |
|
एनएच |
97,991 |
1,01,011 |
1,14,158 |
1,26,350 |
1,32,499 |
राज्य राजमार्ग |
1,67,109 |
1,76,166 |
1,75,036 |
1,86,908 |
1,79,535 |
जिला सड़क |
11,01,178 |
5,61,940 |
5,86,181 |
6,11,268 |
6,12,778 |
ग्रामीण सड़क |
33,37,255 |
39,35,337 |
41,66,916 |
44,09,582 |
45,22,228 |
कुल सड़कें |
54,72,144 |
56,03,293 |
58,97,671 |
62,15,797 |
63,31,757 |
स्रोत: बुनियादी सड़क सांख्यिकी 2018-19; पीआरएस।
[1] Road Transport Year Book (2017-18 & 2018-19), Ministry of Road Transport and Highways, June 28, 2021, https://morth.nic.in/sites/default/files/RTYB-2017-18-2018-19.pdf.
[2] Volume 3 Part 1 Chapter 2, Roads and Road Transport, National Transport Development Policy Committee, 2013. http://www.aitd.net.in/NTDPC/volume3_p1/roads_v3_p1.pdf.
[3] Annual Report 2021-22, Ministry of Road Transport and Highways, https://morth.nic.in/sites/default/files/Annual%20Report_21-22-1.pdf.
[4] Basic Road Statistics in India (2018-19), Ministry of Road Transport and Highways, May 25, 2022, https://morth.nic.in/sites/default/files/Basic%20Road%20Statistics%20in%20India-2018-19.pdf.
[5] Unstarred Question No. 1231, Lok Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, February 9, 2023, https://pqals.nic.in/annex/1711/AU1231.pdf.
[6] Unstarred Question No. 1189, Lok Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, February 9, 2023, https://pqals.nic.in/annex/1711/AU1189.pdf.
[7] Starred Question No. 111, Lok Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, February 9. 2023, https://pqals.nic.in/annex/1711/AS111.pdf.
[8] Unstarred Question No. 202, Lok Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, February 2, 2023, https://pqals.nic.in/annex/1711/AU202.pdf.
[9] “Special Accelerated Road Development Programme for Development of Road Network in the North Eastern States”, Press Information Bureau, Ministry of Road Transport and Highways, February 5, 2013, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=92040.
[10] Fast Tracking Freight in India, NITI Aayog and RMI India, June 2021, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-06/FreightReportNationalLevel.pdf.
[11] ‘Report No. 285, ‘Action Taken by the Government on the Recommendations/Observations of the Committee contained in its Two Hundred and Seventy Eighth Report on Demands for Grants (2020-21) of Ministry of Road Transport and Highways’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, February 3, 2021, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/148/285_2021_7_12.pdf.
[12] Receipts Budget, Union Budget of India 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/rec/tr.pdf.
[13] Special Accelerated Road Development Programme in North East (SARDPNE), Ministry of Development of North Eastern Region, https://mdoner.gov.in/print/infrastructure/sardp-ne#:~:text=Apart%20from%20SARDP%2DNE%20National,in%20Meghalaya%20under%20NHDP%2DIII.. .
[14] Report No. 317, ‘Demands for Grants (2022-23) of Ministry of Road Transport and Highways’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, March 14, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/166/317_2022_9_11.pdf.
[15] Chapter 12: Ministry of Road Transport and Highways, Report No. 9 of 2017, 2016, Compliance Audit Union Government Commercial, Comptroller and Auditor General of India, April 5, 2017.
[16] Starred Question No. 76, Rajya Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, December 14, 2022, https://pqars.nic.in/annex/258/AS76.pdf.
[17] “Report of the Committee on Revisiting and Revitalising Public Private Partnership Model of Infrastructure”, Department of Economic Affairs, Ministry of Finance, November 2015, https://www.pppinindia.gov.in/infrastructureindia/documents/10184/0/kelkar+Pdf/0d6ffb64- 4501-42ba-a083 ca3ce99cf999.
[18] NH-37012/01/2019-H, Ministry of Road Transport and Highways, January 1, 2020, https://morth.gov.in/sites/default/files/circulars_document/Circular%20Invit.pdf.
[19] Memorandum Explaining the Provisions in the Finance Bill, 2023, https://www.indiabudget.gov.in/doc/memo.pdf.
[20] Unstarred Question No. 788, Rajya Sabha, Ministry of Road Transport and Highways, July 26, 2021, https://pqars.nic.in/annex/254/AU788.pdf.
[21] Project Implementation Overview – December 2022, Ministry of Statistics and Programme Implementation, http://www.cspm.gov.in/english/pio_report/PIO_Dec_2022.pdf.
[22] Report No. 278, ‘Demands for Grants (2020-21) of Ministry of Road Transport and Highways’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, March 12, 2020, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/127/278_2020_9_15.pdf.
[23] Strategy for New India @ 75, NITI Aayog, November 2018, https://niti.gov.in/sites/default/files/2019-01/Strategy_for_New_India_0.pdf.
[24] Road Accidents in India, Ministry of Road Transport and Highways, December 12, 2022, https://morth.nic.in/sites/default/files/RA_2021_Compressed.pdf.
[25] Road Accidents in India 2019, Transport Research Wing, Ministry of Road Transport and Highways, http://morth.nic.in/sites/default/files/RA_Uploading.pdf
[26] Motor Vehicles (Amendment) Act, 2019, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/210413.pdf.
[27] ‘Notification for constitution of National Road Safety Board’, Press Information Bureau, Ministry of Road Transport and Highways, October 5, 2021, https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1761051.
[28] Road Safety, Ministry of Road Transport and Highways, as accessed on February 14, 2023, https://morth.nic.in/national-road-safety-policy-1.
[29] Report No. 296, ‘Role of Highways in Nation Building’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, Rajya Sabha, July 28, 2021, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/148/296_2021_10_17.pdf.
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