बिजली संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आने वाला विषय है।[1] केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों के पास इस क्षेत्र को रेगुलेट करने की शक्ति है। बिजली मंत्रालय केंद्रीय स्तर पर बिजली क्षेत्र के नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है।[2] नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के प्रचार, विकास और रेगुलेशन की दिशा में काम करता है।[3] यह नोट दोनों मंत्रालयों के व्यय की प्रवृत्तियों और बिजली क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों की समीक्षा करता है।
बिजली एक्ट, 2003 के तहत रेगुलेशन के लिए क्षेत्र को उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण, तीन खंडों में विभाजित किया गया है।[4] उत्पादन एक लाइसेंस रहित गतिविधि है और इसका अर्थ बिजली उत्पादन है। ट्रांसमिशन से तात्पर्य बिजली संयंत्रों से उप-स्टेशनों तक उच्च-वोल्टेज बिजली को पहुंचा है, जबकि वितरण में उप-स्टेशनों से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाना शामिल है। ट्रांसमिशन और वितरण, दोनों लाइसेंस प्राप्त गतिविधियां हैं और निजी भागीदारी के लिए खुली हैं।
बिजली क्षेत्र में सरकार की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। जून 2024 तक उत्पादन क्षमता का 23% हिस्सा केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाओं के पास है और अन्य 24% राज्य सरकार के स्वामित्व वाली इकाइयों के पास है।[5] 2022-23 में मात्रा और मूल्य, दोनों के हिसाब से लगभग 92% वितरण राज्य सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा किया गया।[6]
वित्तीय स्थिति
बिजली मंत्रालय: 2024-25 में बिजली मंत्रालय को 20,502 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान (तालिका 1) से 16% अधिक है।
2024-25 के बजट भाषण में मुख्य घोषणाएं[9]
|
इस आवंटन का 5% पूंजीगत व्यय के लिए है। कुल व्यय का 61% पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के लिए आवंटित किया गया है। यह योजना वित्तीय और संचालनात्मक प्रदर्शन में सुधार के लिए वितरण कंपनियों को सहायता प्रदान करने के लिए 2021 में शुरू की गई थी।8 आरडीएसएस का एक प्रमुख घटक प्रीपेड स्मार्ट मीटर की स्थापना के लिए सहायता है।[10] आवंटन की अन्य प्रमुख मदें इस प्रकार हैं: (i) बिजली परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सहायता (आवंटन का 15%) और (ii) बिजली प्रणालियों को मजबूत करना (12%), जिसमें मुख्य रूप से ट्रांसमिशन सिस्टम पर खर्च शामिल है।
एमएनआरई: 2024-25 में एमएनआरई को 19,100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 143% अधिक है। यह वृद्धि पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के आवंटन के कारण है। इस योजना को फरवरी 2024 में मंजूरी दी गई थी।[11] यह घर की छत पर सोलर एनर्जी प्लांट लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।11
तालिका 1: बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के लिए आवंटन (करोड़ रुपए में)
मद |
2022-23 वास्तविक |
2023-24 बअ |
2023-24 संअ |
23-24 बअ से संअ में परिवर्तन का % |
2024-25 बअ |
23-24 संअ से 24-25 बअ में परिवर्तन का % |
24-25 में मंत्रालय बजट में हिस्सा |
बिजली मंत्रालय |
9,313 |
20,671 |
17,635 |
-15% |
20,502 |
16% |
|
इसमें |
|||||||
पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना |
2,738 |
12,072 |
10,400 |
-14% |
12,585 |
21% |
61% |
पीएसयू को सहायता |
2,907 |
3,931 |
3,019 |
-23% |
3,021 |
0% |
15% |
बिजली प्रणालियों की मजबूती |
2,543 |
2,903 |
2,562 |
-12% |
2,416 |
-6% |
12% |
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय |
7,563 |
10,222 |
7,848 |
-23% |
19,100 |
143% |
|
इसमें |
|||||||
सौर पावर-ग्रिड |
4,280 |
4,970 |
4,757 |
-4% |
8,500 |
79% |
45% |
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना |
0 |
0 |
0 |
- |
6,250 |
- |
33% |
पीएम-कुसुम |
1,325 |
1,996 |
1,100 |
-45% |
1,496 |
36% |
8% |
विंड पावर-ग्रिड |
1,413 |
1,214 |
916 |
-25% |
800 |
-13% |
4% |
हरित ऊर्जा कॉरिडोर |
250 |
500 |
434 |
-13% |
600 |
38% |
3% |
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन |
0 |
297 |
100 |
-66% |
600 |
500% |
3% |
नोट : बअ-बजट अनुमान, संअ- संशोधित अनुमान।
स्रोत: मांग संख्या 71 और 79, व्यय बजट, केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरस।
ग्रिड कनेक्टेड सौर ऊर्जा परियोजना के लिए आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में 79% बढ़ने का अनुमान है। 2024-25 में एमएनआरई के लिए कुल आवंटन का 0.1% पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में धनराशि उपयोग की प्रवृत्तियां
बिजली मंत्रालय: पिछले दशक में बिजली मंत्रालय के धनराशि उपयोग में व्यापक उतार-चढ़ाव देखा गया है (रेखाचित्र 1 देखें)। 2021-22 में वास्तविक व्यय बजट अनुमान से 41% अधिक था। यह एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीवाई) और बिजली प्रणालियों के सुदृढ़ीकरण जैसी कई योजनाओं पर बजटीय व्यय से अधिक खर्च होने के कारण था। 2021 में आरडीएसएस योजना की शुरुआत में आईपीडीएस और डीडीयूजीवाई के तहत चल रही परियोजनाओं को आरडीएसएस के तहत शामिल कर दिया गया है।10 2022-23 में मंत्रालय द्वारा वास्तविक व्यय बजट से 42% कम था। आरडीएसएस के तहत धनराशि का उपयोग बजट से 64% कम था। 2023-24 में संशोधित अनुमान के अनुसार, बिजली मंत्रालय का कुल व्यय बजट से 15% कम होने का अनुमान है। 2023-24 में आरडीएसएस के तहत व्यय 14% कम होने का अनुमान है।
रेखाचित्र 1: बिजली मंत्रालय द्वारा धनराशि उपयोग
नोट: 2023-24 के लिए, संशोधित अनुमान वास्तविक के रूप में लिया गया है।
स्रोत: बिजली मंत्रालय की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
रेखाचित्र 2: आरडीएसएस को आवंटित धनराशि का कम उपयोग किया गया (करोड़ रुपए में)
नोट: #चूंकि योजना को 2021-22 के लिए बजट प्रस्तुति के बाद अनुमोदित किया गया था, इसलिए संशोधित अनुमान को बजट अनुमान के रूप में लिया गया। ^2023-24 के लिए, संशोधित अनुमान को वास्तविक के रूप में लिया गया।
स्रोत: विभिन्न वर्षों के लिए बिजली मंत्रालय की अनुदान मांगें; पीआरएस।
स्मार्ट मीटरिंग वितरण इकाइयों द्वारा अधिक कुशल बिलिंग और कलेक्शन के लिए आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट मीटरिंग एक प्रमुख क्षेत्र है।[12] यह उपभोक्ता स्तर के साथ-साथ सिस्टम स्तर पर मीटर की स्थापना का प्रावधान करता है।12 यह योजना 2021-22 और 2025-26 के बीच लागू की जानी है।10 तालिका 2 में जुलाई 2024 तक मीटरिंग की स्थिति पर आंकड़े दिए गए हैं। योजना के पहले चरण में दिसंबर 2023 तक 10 करोड़ स्मार्ट उपभोक्ता मीटर स्थापित करने का लक्ष्य है।10 24 जुलाई 2024 तक आरडीएसएस और उसमें शामिल कुछ योजनाओं के तहत 22.2 करोड़ उपभोक्ता मीटर स्वीकृत किए गए हैं।[13] 11.8 करोड़ उपभोक्ता मीटरों के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिए जा चुके हैं और 1.28 करोड़ उपभोक्ता मीटर लगाए जा चुके हैं।13 जिन 19 राज्यों में उपभोक्ता मीटरों को मंजूरी दे दी गई है, वहां मीटर लगाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।13 कई अन्य राज्यों में यह काम 2023 से शुरू हो गया है।13 तालिका 2: 24 जुलाई 2024 तक स्मार्ट मीटरिंग की स्थिति
स्रोत: अखिल भारतीय स्मार्ट मीटरिंग की स्थिति, बिजली मंत्रालय के राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन की वेबसाइट, 29 जुलाई, 2024 को एक्सेस; पीआरएस। |
एमएनआरई: पिछले दशक में 2021-22 और 2022-23 को छोड़कर, एमएनआरई द्वारा वास्तविक व्यय आम तौर पर बजट अनुमान से कम रहा है। 2023-24 में संशोधित अनुमान के अनुसार, एमएनआरई द्वारा कुल व्यय बजट से 23% कम होने का अनुमान है। जिस प्रमुख योजना में धनराशि का कम उपयोग किया गया, उसमें से एक है पीएम-कुसुम (2023-24 में 45% कम) है। यह योजना कृषि पंपों के सोलराइजेशन का प्रावधान करती है।7 2023-24 में ग्रिड कनेक्टेड पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर व्यय बजट से 25% कम होने का अनुमान है।
रेखाचित्र 3: एमएनआरई द्वारा कम धनराशि उपयोग
नोट: 2023-24 के लिए, संशोधित अनुमान वास्तविक के रूप में लिया गया है।
स्रोत: एमएनआरई की विभिन्न वर्षों की अनुदान मांगें; पीआरएस।
विचारणीय मुद्दे
स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण
2022-23 में भारत की 95% ऊर्जा आपूर्ति जीवाश्म ईंधन-कोयला, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से प्राप्त की गई थी (रेखाचित्र 4)।[14] जीवाश्म ईंधन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (वैश्विक स्तर पर लगभग 75%) का सबसे बड़ा कारण है और इसी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से ग्लोबल वॉर्मिंग होती है।[15],[16] इसलिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण जलवायु परिवर्तन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।[17] इस संक्रमण की परिकल्पना दो प्रमुख तरीकों से की गई है: (i) बिजली उत्पादन के लिए गैर-जीवाश्म स्रोतों का इस्तेमाल, और (ii) अंतिम खपत के लिए बिजली का इस्तेमाल।[18] 2022-23 में भारत में खपत होने वाली ऊर्जा का लगभग 22% बिजली के रूप में था; इस बिजली का 75% कोयले से उत्पन्न होता था।14 बाकी जल, सौर और पवन जैसे स्रोतों से आता था।
रेखाचित्र 4: 2022-23 में 75% बिजली उत्पादन कोयले से हुआ
स्रोत: भारत ऊर्जा सांख्यिकी 2024, एमओएसपीआई; पीआरएस।
जलवायु-संबंधी प्रतिबद्धताओं के तहत 2030 तक भारत के निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) 500 GW गैर-जीवाश्म उत्पादन क्षमता, (ii) अपनी बिजली की आवश्यकता का कम से कम 50% नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करना।[19] केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (2023) ने अनुमान लगाया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का अधिकांश हिस्सा सौर और पवन से प्राप्त होगा।[20] 2031-32 तक कुल स्थापित क्षमता में सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 42% और 14% होने का अनुमान है (तालिका 3)।20 कुल उत्पादन का 35% इन दो स्रोतों से पूरा होने की उम्मीद है।20 अनुमान है कि जून 2024 में 8 GW की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031-32 तक 20 GW हो जाएगी।20
समान मात्रा में बिजली उत्पादन के लिए अन्य स्रोतों की तुलना में सौर और पवन ऊर्जा के लिए अधिक स्थापित क्षमता की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए कोयले की क्षमता का उपयोग 90% समय तक किया जा सकता है, जबकि सौर ऊर्जा के मामले में उच्चतम संभावित क्षमता उपयोग 20% -22% और पवन ऊर्जा के मामले में 30% -40% होने का अनुमान है।[21]
क्षमता वृद्धि के लक्ष्य चूक गए
भारत ने 2022 तक 100 GW सौर और 60 GW पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।23 जून 2024 तक सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 85 GW और पवन की 47 GW थी।[22] इन लक्ष्यों पर कम उपलब्धि के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भूमि अधिग्रहण की समस्या, (ii) मंजूरी में देरी, (iii) अनुबंध संबंधी विवाद, (iv) कोविड-19 के कारण विश्वव्यापी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और (v) टैरिफ व्यवस्थाओं में बदलाव और बिजली खरीद समझौतों पर फिर से बातचीत के कारण नीतिगत अनिश्चितता।20,,[23],[24]
तालिका 3: अखिल भारतीय स्थापित क्षमता (GW में)
स्रोत |
जून 2024 |
मार्च 2032 अनुमानित |
||
क्षमता |
% में |
क्षमता |
% में |
|
सौर |
85 |
19% |
365 |
42% |
कोयला |
218 |
49% |
260 |
30% |
पवन |
47 |
10% |
122 |
14% |
बड़ी हाइड्रो |
47 |
11% |
62 |
7% |
गैस |
25 |
6% |
25 |
3% |
परमाणु |
8 |
2% |
20 |
2% |
बायोमास |
11 |
2% |
16 |
2% |
छोटी हाइड्रो |
5 |
1% |
5 |
1% |
डीजल |
1 |
0% |
- |
- |
कुल |
446 |
- |
874 |
- |
पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज |
- |
- |
27 |
- |
बैटरी स्टोरेज |
- |
- |
47 |
- |
स्रोत: जून 2024 के लिए स्थापित क्षमता रिपोर्ट, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण; राष्ट्रीय बिजली योजना उत्पादन खंड. I, मई 2023, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण; पीआरएस।
तालिका 4: 2017-2022 के दौरान जोड़ी गई क्षमता लक्ष्य से कम (GW में)
स्रोत |
लक्ष्य/निर्धारित |
वास्तविक |
अंतराल |
लक्ष्य के % के रूप में वास्तविक |
सौर |
88 |
42 |
46 |
48% |
कोयला |
48 |
31 |
17 |
65% |
पवन |
28 |
8 |
20 |
29% |
हाइड्रो |
7 |
3 |
4 |
43% |
परमाणु |
3 |
0 |
3 |
0% |
बायोमास और गैस |
2 |
2 |
0 |
100% |
कुल |
176 |
85 |
91 |
48% |
स्रोत: ड्राफ्ट राष्ट्रीय बिजली योजना, खंड I, मार्च 2023, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण; पीआरएस।
वित्त पोषण की चुनौतियां
ऊर्जा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि नवीकरणीय क्षमता वृद्धि के लिए आवश्यक और वास्तविक निवेश के बीच एक बड़ा अंतर है।[25] 1.5-2 लाख करोड़ रुपए के आवश्यक वार्षिक निवेश के मुकाबले, पिछले कुछ वर्षों में वास्तविक वार्षिक निवेश लगभग 75,000 करोड़ रुपए था।25 कमिटी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण के प्रति अनिच्छुक रहा है।25 कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिए: (i) ग्रीन बांड और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण तंत्र ढूंढे जाएं, और (ii) इस संभावना का पता लगाना कि क्या बैंकों और वित्तीय संस्थानों को नवीकरणीय ऊर्जा बाध्यता के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक न्यूनतम प्रतिशत तक उधार देने को कहा जा सकता है।25 उसने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को बिजली वित्त निगम (पीएफसी) और भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीए) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं द्वारा वित्तपोषण परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।25 उसने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को पीएफसी और आईआरईडीए जैसे ऋणदाताओं के लिए गारंटी शुल्क कम करना चाहिए या छूट देनी चाहिए।25 अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जुटाए गए धन पर 1.2% प्रति वर्ष की दर से शुल्क लिया जाता है।25
सोलर पैनल की उपलब्धता
हाल के वर्षों में भारत ने अपने स्थापित सोलर पैनल का 75% से अधिक आयात किया है।[26],[27] आयात को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कई उपाय किए हैं।27,[28] 2022 में सोलर पैनलों के साथ-साथ ऐसे पैनलों के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया था।27 इन नीतियों के कारण अल्पावधि में कीमत में वृद्धि हुई है।27 वहीं 2020 में केंद्र सरकार ने घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव की शुरुआत की थी।[29] इस योजना के तहत 2026 तक 48 GW की वार्षिक सोलर पैनल मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता जुड़ने की उम्मीद है।[30]
इन प्रोत्साहनों से प्रेरित होकर सोलर पैनलों के लिए घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता अगले पांच वर्षों में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है और उसके बाद घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी।27 हालांकि भारत को पॉलीसिलिकॉन और वेफर का आयात जारी रखने की आवश्यकता हो सकती है। सौर पैनल को बनाने के लिए इनकी जरूरत होती है।27,[31]
रूफटॉप सोलर क्षमता लक्ष्य से कम
रूफटॉप सोलर कार्यक्रम के माध्यम से भारत ने 2022 के अंत तक 40 GW सौर क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा था।[32] दिसंबर 2023 तक केवल 10.4 GW रूफटॉप सोलर क्षमता जोड़ी गई थी।[33] ऊर्जा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा था कि रूफटॉप सिस्टम निम्नलिखित कारणों से उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक नहीं हैं: (i) जमीनी स्तर पर जानकारी की अनुपलब्धता, (ii) समय लेने वाली और स्थापना के लिए जटिल प्रक्रियाएं, और (iii) सबसिडी में देरी।[34]
रूफटॉप सोलर क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से फरवरी 2024 में पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को मंजूरी दी गई।11 इस योजना के तहत एक करोड़ घरों को रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।11 इससे उन्हें हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलने की उम्मीद है।11
कृषि पंपों का सोलराइजेशन लक्ष्य से कम
पीएम-कुसुम योजना का लक्ष्य बंजर कृषि भूमि पर कृषि पंपों के सोलराइजेशन और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से 35 GW की सौर क्षमता हासिल करना है।[35],[36] इसका लक्ष्य 10 GW छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र जोड़ने का है।35,[37] मूल रूप से यह क्षमता 2022 तक जोड़ी जानी थी।37,[38] बाद में लक्ष्य को संशोधित करके 2025-26 कर दिया गया।[39]
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (2023) ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020-21 और 2021-22.35 के दौरान योजना के तहत क्षमता वृद्धि पर असर हुआ।35 यह भी देखा गया कि किफायती वित्त तक पहुंच और राज्य सरकारों से सबसिडी की कमी योजना के खराब कार्यान्वयन के प्रमुख कारणों में से एक है।35,[40]
तालिका 5: पीएम-कुसुम योजना के तहत लक्ष्य बनाम उपलब्धि (नवंबर 2023 तक)
मानदंड |
लक्ष्य |
उपलब्धि |
% में |
ग्रिड-कनेक्टेड विकेद्रीकृत सौर संयंत्र |
10,000 MW |
141 MW |
1.4% |
स्टैंड-एलोन सौर पंप |
14 लाख |
2.8 लाख |
20% |
ग्रिड-कनेक्टेड सौर पंप |
35 लाख |
4,594 |
0.1% |
स्रोत: 'पीएम कुसुम योजना की प्रगति और कार्यान्वयन', प्रेस सूचना ब्यूरो, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, 23 दिसंबर, 2023; पीआरएस।
स्टोरेज क्षमता की जरूरत
सौर और पवन से बिजली उत्पादन प्रकृति में इंटरमिटेंट है, यानी अनिरंतर है।[41] यह परिवर्तनशीलता बाहरी कारकों के कारण है जो मानव नियंत्रण से परे हैं।41 मांग और आपूर्ति के बीच भी असंतुलन हो सकता है। उदाहरण के लिए, शाम के समय बिजली की अधिक मांग हो सकती है लेकिन उस समय सौर ऊर्जा उत्पन्न नहीं की जा सकती। बड़े पैमाने पर उनके प्रभावी एकीकरण के लिए किफायती स्टोरेज व्यवस्था की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।[42] भारत में स्टोरेज के लिए बैटरी और पंप स्टोरेज दो प्राथमिक विकल्प होने की उम्मीद है।20 पंप स्टोरेज में पानी को पंप किया जाता है और अधिशेष ऊर्जा के साथ अपस्ट्रीम में स्टोर किया जाता है, जिसे बाद में टर्बाइन चलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सीईए ने अनुमान लगाया है कि भारत इस उद्देश्य के लिए 27 GW पंप स्टोरेज क्षमता और 47 GW बैटरी ऊर्जा स्टोरेज प्रणाली जोड़ने का लक्ष्य रखेगा।20
भारत में सौर ऊर्जा के मामले में आईईए (2021) ने पाया कि 2020 तक बैटरी स्टोरेज प्रणालियों के साथ नई सौर ऊर्जा नई कोयला बिजली की तुलना में अधिक महंगी थी।43 हालांकि 2030 तक इसमें बदलाव की उम्मीद है (प्रति यूनिट 30% कम)।[43] 2030 तक बैटरी स्टोरेज के साथ सौर ऊर्जा भी मौजूदा कोयला क्षमता के साथ प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद है।43 बैटरी के साथ-साथ सोलर पैनलों की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण ऐसा होने की उम्मीद है।21,43,[44] [45]
2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन्नत बैटरियों की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव योजना को मंजूरी दी।[46] इस योजना के तहत 40 GWh की वार्षिक बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता जोड़ी जाएगी।46 भारी उद्योग मंत्रालय इस योजना को चलाता है।46 सितंबर 2023 में कैबिनेट ने बैटरी ऊर्जा स्टोरेज प्रणालियों के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वायबिलिटी गैप फंडिंग) योजना को भी मंजूरी दे दी।[47] इसके तहत 2030-31 तक 4,000 GWh स्टोरेज परियोजनाओं के विकास की परिकल्पना की गई है।48
कोयला संयंत्रों के क्षमता उपयोग में गिरावट
2009-10 में कोयला और लिग्नाइट संयंत्रों के लिए प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) 84% था, जो 2022-23 में घटकर 57% हो गया है।[48] पीएलएफ किसी बिजली संयंत्र द्वारा उत्पादित अधिकतम उत्पादन की तुलना में उसके उत्पादन का माप है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: (i) कुछ क्षेत्रों में अधिशेष क्षमता की उपलब्धता, (ii) बिजली की कम मांग, (iii) नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य स्रोतों से मांग पूरी होना, और (iv) ईंधन की अनुपलब्धता। कम क्षमता उपयोग के कारण इन संयंत्रों से बिजली उत्पादन की इकाई लागत बढ़ सकती है और उनमें से कुछ को वित्तीय व्यवहार्यता की चुनौती का भी सामना करना पड़ सकता है। सीईए ने अनुमान लगाया है कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का पीएलएफ 2031-32 तक 58-59% के आसपास बना रहेगा।20
ट्रांसमिशन लाइनों को जोड़ना
नई उत्पादन क्षमता और वहन क्षमता की मांग में वृद्धि को देखते हुए ट्रांसमिशन सिस्टम को बढ़ाने की जरूरत है।[49] 2017-18 और 2021-22 के बीच, भारत ने 1,10,281 सर्किट किलोमीटर (ckm) ट्रांसमिशन लाइनें जोड़ने का लक्ष्य रखा था।49 हालांकि उपलब्धि 81% (88,865 ckm) थी।49 सीईए ने पाया कि देरी के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राइट ऑफ वे की समस्या, (ii) वन मंजूरी मिलने में देरी, (iii) अनुबंध संबंधी मुद्दे, (iv) भूमि अधिग्रहण में देरी, और (v) कोविड-19 महामारी की शुरुआत।49 सीईए का अनुमान है कि भारत को 2022-23 और 2026-27 के बीच 1,23,577 ckm ट्रांसमिशन लाइनें जोड़ने की आवश्यकता होगी।49 ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तहत, केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली निकासी के लिए ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने हेतु वित्त पोषण कर रही है।[50] परियोजना के दूसरे चरण में 33 GW नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी का अनुमान है।50
बिजली उपलब्धता
पिछले कुछ वर्षों में बिजली की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है।[51] 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा घाटा 0.3% था।[52] ऊर्जा घाटा से तात्पर्य मांग की गई बिजली के उस प्रतिशत से है जिसकी आपूर्ति नहीं की गई। 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर पीक घाटा 1.4% था।52 पीक घाटा एक दिन में उच्चतम खपत अवधि के दौरान आपूर्ति में कमी को कहा जाता है। हालांकि कुछ राज्यों में 2023-24 में अपेक्षाकृत अधिक पीक घाटा देखा गया (अनुलग्नक में तालिका 6 देखें)। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) महाराष्ट्र (10.2%), (ii) झारखंड (7.9%), और (ii) बिहार (7.8%)।52 इसके अलावा 24X7 बिजली आपूर्ति की उपलब्धता अभी तक हासिल नहीं की जा सकी है। जुलाई 2024 में बिजली मंत्रालय ने पाया कि 2024 में ग्रामीण क्षेत्रों में औसत बिजली आपूर्ति 21.9 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.4 घंटे है।51 इन मापदंडों पर राज्यों में काफी अंतर मौजूद है (अनुलग्नक में तालिका 7)।[53] उदाहरण के लिए 2021-22 में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की औसत संख्या हिमाचल प्रदेश में 13.3 घंटे और हरियाणा में 16.3 घंटे थी।53
वितरण कंपनियों का वित्तीय स्वास्थ्य
देश के लगभग सभी हिस्सों में, बिजली वितरण एक स्थानीय एकाधिकार व्यवसाय है, यानी, एक एकल कंपनी, आमतौर पर राज्य सरकार के स्वामित्व वाली इकाई, किसी भी क्षेत्र में सभी उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करती है। इन कंपनियों के पास उत्पादकों के साथ दीर्घकालिक द्विपक्षीय अनुबंध होते हैं, जो सरकारी और निजी कंपनियों के साथ-साथ अपनी अधिकांश अपेक्षित मांग को पूरा करने के लिए किए जाते हैं। उत्पादक से खरीदी गई बिजली के लिए टैरिफ रेगुलेटरी आयोगों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, सिवाय इसके कि जहां टाई-अप प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से होता है। हालांकि निजी भागीदारी की अनुमति है, लेकिन डिस्कॉम के बीच उनकी उपस्थिति सीमित है। 2022-23 में अर्जित राजस्व और बेची गई बिजली की मात्रा के लिहाज से बिजली वितरण क्षेत्र में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले उद्यमों और बिजली विभागों की हिस्सेदारी 93% थी।[54]
वितरण खंड उपभोक्ताओं और बिजली क्षेत्र की पूरी वैल्यू चेन के बीच का इंटरफ़ेस है, और इस प्रकार, पूरे क्षेत्र के लिए राजस्व प्राप्ति की बुनियाद है। डिस्कॉम्स को वित्तीय घाटा हो रहा है, और इन स्थितियों से बाहर निकलने के लिए समय-समय पर सरकारी सहायता की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए 2015 में उदय योजना के तहत राज्य सरकारों को अपने डिस्कॉम का 75% कर्ज वहन करना था, जिसका मूल्य 2.3 लाख करोड़ रुपए था।[55] भविष्य के किसी नुकसान की स्थिति में सरकार को अनुदान भी देना था। लगातार वित्तीय समस्याओं के कारण भुगतान में देरी होती है और उत्पादकों को बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पाता है, जिसका असर उनके ईंधन आपूर्तिकर्ताओं यानी कोयला कंपनियों पर भी पड़ता है। 2017-18 और 2022-23 के बीच छह वर्षों में संचयी घाटा 3.6 लाख करोड़ रुपए था।[56] 2022-23 में वितरण इकाइयों ने औसतन 6.7 रुपए कमाने के लिए प्रति यूनिट 7.1 रुपए खर्च किए, जिसके परिणामस्वरूप प्रति यूनिट 39 पैसे का राजस्व अंतर हुआ।56 लगातार घाटे के कारण इन कंपनियों पर ऋणग्रस्तता भी बढ़ गई है।54 वितरण इकाइयों के निरंतर घाटे के प्रमुख कारणों पर आगे चर्चा की गई है।
रेखाचित्र 5: डिस्कॉम को लगातार घाटा हो रहा है (करोड़ रुपए)
नोट: उपरोक्त हानियां उदय के तहत राजस्व अनुदान और नियामक आय (भविष्य में प्राप्तियां) को छोड़कर प्राप्त वास्तविक सब्सिडी पर आधारित हैं।
स्रोत: बिजली इकाइयां के प्रदर्शन पर रिपोर्ट, बिजली वित्त निगम के प्रदर्शन पर रिपोर्ट; पीआरएस।
रेखाचित्र 6: डिस्कॉम का बकाया कर्ज बढ़ रहा है (लाख करोड़ रुपए में)
स्रोत: बिजली इकाइयां के प्रदर्शन पर रिपोर्ट, बिजली वित्त निगम के प्रदर्शन पर रिपोर्ट; पीआरएस।
तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा
2022-23 में कुल मिलाकर वितरण इकाइयां ग्रिड में डाली गई बिजली का केवल 87% बिल दे पाईं। इनमें से उन्होंने बिल की गई राशि का 97% एकत्र किया।54 यह 15.4% की कुल तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे के बराबर था।54 यह एटीएंडसी घाटा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग था, जैसे केरल में 7% से कम और बिहार में 25% से अधिक, झारखंड में 30% और अरुणाचल प्रदेश में 52%।54 इस नुकसान के निम्नलिखित कारण हैं: (i) तकनीकी नुकसान जिसमें ऊर्जा हस्तांतरण में कुछ अपरिहार्य नुकसान शामिल हैं, (ii) नेटवर्क की उप-इष्टतम स्थिति के कारण ऊर्जा हस्तांतरण में अक्षमताएं, और (iii) वाणिज्यिक नुकसान जैसे मीटर की टैपिंग और उसकी बायपासिंग के जरिए चोरी, अपर्याप्त मीटरिंग और उपभोक्ता द्वारा भुगतान में चूक। 2021 में प्रारंभ संशोधित वितरण क्षेत्र योजना का लक्ष्य 2024-25 तक एटीएंडसी घाटे को 12% -15% तक कम करना है।[57]
टैरिफ की अंडरप्राइजिंग
उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले शुल्क राज्य बिजली रेगुलेटरी आयोगों द्वारा रेगुलेटेड होते हैं। अक्सर टैरिफ बहु-वर्षीय आधार पर डिज़ाइन किए जाते हैं। कभी-कभी उन्हें ऐसे डिज़ाइन किया जाता है कि शुरुआती वर्षों में टैरिफ लागत से कम होता है और लागत वसूली आगामी वर्षों में कम हो जाती है। भविष्य में वसूली योग्य इन लागतों को रेगुलेटरी आय कहा जाता है। उदाहरण के लिए 2022-23 में महाराष्ट्र डिस्कॉम ने 16,614 करोड़ रुपए की रेगुलेटरी आय दर्ज की।54 हालांकि लागत की वसूली न होने से डिस्कॉम के लिए वार्षिक घाटा बढ़ जाएगा। इससे डिस्कॉम को कार्यशील पूंजी ऋण पर लागत वहन करने की भी आवश्यकता होगी।
तमिलनाडु के डिस्कॉम टीएएनजीईडीसीओ, जिसका एटीएंडसी घाटा राष्ट्रीय औसत से कम (10%) है, लगातार कुछ वर्षों से देश में सबसे अधिक घाटे वाली डिस्कॉम में से एक थी। यह स्थिति टैरिफ के कम मूल्य निर्धारण के कारण बनी है। तमिलनाडु सरकार (2021) द्वारा जारी एक श्वेत पत्र में कहा गया था कि तमिलनाडु में सात वर्षों से बिजली दरों में संशोधन नहीं किया गया था।[58] बिजली (संशोधन) बिल, 2022, जो 17वीं लोकसभा के भंग होने के साथ लैप्स हो गया, में यह प्रावधान करने की मांग की गई कि टैरिफ को सभी विवेकपूर्ण लागतों की वसूली करनी चाहिए।[59]
बिजली खरीद की लागत
बिजली खरीद की लागत डिस्कॉम की कुल लागत का लगभग 70% -80% है।56 बिजली खरीद लागत राज्यों में काफी भिन्न है, केरल और हिमाचल प्रदेश में लगभग 2.9-3.1 रुपए प्रति kWh से लेकर 5.5- रुपए तक। दिल्ली और कर्नाटक जैसे राज्यों में 6 प्रति kWh।56 राष्ट्रीय स्तर पर स्रोत-वार बिजली खरीद लागत के लिए, अनुलग्नक में तालिका 8 देखें। नीति आयोग (2021) की एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि डिस्कॉम ने बिजली की मांग के गलत अनुमानों के आधार पर महंगे और दीर्घकालिक थर्मल पीपीए में प्रवेश किया है।[60] अतिरिक्त क्षमता की निश्चित लागत का भुगतान किया जाना चाहिए, भले ही उत्पादन कंपनी द्वारा बिजली का उत्पादन न किया गया हो। कई राज्यों में, बिजली की मांग का एक बड़ा प्रतिशत दीर्घकालिक अनुबंधों में टाइड (यानी निश्चित) है।60 गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान में उनकी अधिकतम मांग का लगभग 100% टाइड है।60 हालांकि ये व्यवस्थाएं योजना आपूर्ति में सुरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन वे अल्पकालिक बाजारों में कम बिजली लागत का लाभ उठाने के लिए डिस्कॉम की क्षमता को सीमित करती हैं। अगर डिस्कॉम बिजली खरीदने के लिए वैकल्पिक सस्ते स्रोतों की तलाश करता है, तो निश्चित लागत, जो लागत का लगभग 47% है, को अभी भी इन दीर्घकालिक अनुबंधों के तहत भुगतान करना होगा।60
जैसा कि पहले चर्चा की गई है, लगभग 75% बिजली कोयले से उत्पन्न होती है। कोयले की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता है। 2022-23 में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की आवश्यकता का लगभग 5% आयात से पूरा किया गया।[61],[62] अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कोयले की कीमतों में वृद्धि से बिजली की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। 2021-22 में भारत ने औसतन 8,300 रुपए प्रति टन की कीमत पर कोयला आयात किया। यह 2022-23 में 51% की वृद्धि के साथ 12,500 रुपए प्रति टन हो गया।61 कोयला मुख्य रूप से इंडोनेशिया से आयात किया जाता था, और रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत और चीन जैसे देशों द्वारा मांग में वृद्धि के कारण कीमतें बढ़ गईं।61 अक्टूबर 2023 में बिजली मंत्रालय ने सभी उत्पादन कंपनियों को मार्च 2024 तक कम से कम 6% आयातित कोयले का उपयोग जारी रखने का निर्देश दिया था।[63] मंत्रालय ने कहा था कि वर्षा में परिवर्तनशीलता के कारण, हाइड्रो बिजली उत्पादन कम था, इससे मांग को पूरा करने के लिए कोयले पर निर्भरता बढ़ गई।63 कोयले के आयात को कम करने के लिए, कोयला संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2023) ने सुझाव दिया कि: (i) कोयले की न्यूनतम सुनिश्चित आपूर्ति को 75% से बढ़ाकर 80% किया जाए, (ii) नए खनन स्थलों की खोज की जाए और खदानों के कामकाज में तेजी लाई जाए, और (iii) कोयला की वॉशिंग क्षमता को बढ़ाया जाए।[64]
बिजली मूल्य निर्धारण में क्रॉस-सबसिडी
क्रॉस-सबसिडी एक टैरिफ व्यवस्था है जहां कुछ उपभोक्ता श्रेणियां अन्य उपभोक्ता श्रेणियों की खपत को सबसिडी देने के लिए अधिक कीमत का भुगतान करती हैं। आमतौर पर औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता आवासीय और कृषि उपभोक्ताओं की खपत को क्रॉस-सबसिडी देते हैं। नीति आयोग (2019) ने कहा कि कई राज्यों में, क्रॉस-सब्सिडी आपूर्ति की औसत लागत के ± 20% के भीतर सीमित करने के दीर्घकालिक नीतिगत लक्ष्य से अधिक रही है।[65] बिजली की ऊंची कीमतें उद्योगों को अप्रतिस्पर्धी बना सकती हैं। इससे उन्हें उत्पादकों से सीधे खरीद करने या अपने स्वयं के बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। बदले में इससे डिस्कॉम को उच्च उपभोग स्तर और उच्च भुगतान क्षमता वाले उपभोक्ताओं से हाथ धोना पड़ सकता है। इसका उनकी राजस्व संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
देश के कई हिस्सों में बिना मीटर वाली मुफ्त बिजली के प्रावधान के लिए स्पष्ट सरकारी सबसिडी के साथ-साथ क्रॉस-सबसिडी भी दी जाती है। खपत की मीटरिंग न करने से बिजली के अविवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा मिल सकता है, और डिस्कॉम के लिए एकाउंटिंग संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। नीति आयोग (2019) ने कहा कि ट्यूबवेलों के अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण खेतों को बिना मीटर वाली मुफ्त बिजली देने से भूजल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।[66]
आरपीओ का अनुपालन
नवीकरणीय ऊर्जा की मांग को बढ़ाने के लिए, वितरण इकाइयां (डिस्कॉम) नवीकरणीय स्रोतों से अपनी बिजली आपूर्ति का न्यूनतम प्रतिशत खरीदने के लिए बाध्य हैं, जिसे नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) कहा जाता है। 2022-23 में 15 राज्यों ने अपने आरपीओ दायित्व को पूरा किया (अनुलग्नक में तालिका 10)।[67] केंद्रीय बिजली मंत्रालय (2022) ने कहा था कि डिस्कॉम नवीकरणीय ऊर्जा को महंगा मानते हैं और एकीकरण के लिए अतिरिक्त लागत रखते हैं।23 अक्टूबर 2023 की अधिसूचना के अनुसार, आरपीओ 2024-25 के लिए 29.9% पर निर्धारित है और 2029-30 में उत्तरोत्तर बढ़कर 43.3% हो जाएगा।[68]
ओपन एक्सेस
बिजली एक्ट के अनुसार, 1 MW और उससे अधिक की मांग वाले उपभोक्ताओं को स्थानीय डिस्कॉम के अलावा अन्य स्रोतों से बिजली खरीदने की अनुमति है।[69] डिस्कॉम और ट्रांसमिशन कंपनियों को ऐसे उपभोक्ताओं को ऐसी पहुंच के लिए नॉन-सबसिडी सरचार्ज प्रदान करना अनिवार्य है। इस व्यवस्था को आमतौर पर उनके नेटवर्क एक्सेस के ओपन डिस्क्रिमिनेटरी एक्सेस के तौर पर जाना जाता है। ओपन एक्सेस के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) बिजली बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से बिजली वितरण कंपनियों की दक्षता में सुधार लाना, (ii) उपभोक्ताओं को अपने पसंदीदा आपूर्तिकर्ता से बिजली खरीदने का विकल्प प्रदान करना।[70] उपभोक्ता अन्यत्र कम कीमतों से लाभ पाने के लिए ओपन एक्सेस का विकल्प चुनेंगे। जून 2022 में बिजली मंत्रालय ने बिजली (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया।[71] नियम नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, पनबिजली और अपशिष्ट-से-ऊर्जा सहित स्रोतों से) तक ओपन एक्सेस के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करते हैं। यह संरचना 100 kWh और उससे अधिक की मांग या स्वीकृत भार वाले उपभोक्ताओं को ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की सुविधा प्राप्त करने की अनुमति देता है।
ऊर्जा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने कहा कि ओपन एक्सेस को क्षमता से कम इस्तेमाल किया गया है।[72] प्रमुख कारणों में से एक प्रचलित क्रॉस-सबसिडी के स्तर की रक्षा के लिए रेगुलेटरी आयोगों द्वारा लगाया गया उच्च सरचार्ज है।72 अगर बड़े उपभोक्ता स्थानीय डिस्कॉम से हट जाते हैं, तो उस डिस्कॉम के अन्य उपभोक्ताओं के लिए क्रॉस-सबसिडी के स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए सबसिडी के स्तर की सुरक्षा के लिए बिजली एक्ट के तहत एक क्रॉस-सबसिडी सरचार्ज की परिकल्पना की गई थी। हालांकि इन उच्च शुल्कों के कारण ओपन एक्सेस वित्तीय रूप से अनाकर्षक हो जाता है।70 नीति आयोग के 2019 के एक अध्ययन में कहा गया था कि ओपन एक्सेस के साथ कुछ बाधाएं हैं जैसे: (i) वितरण और ट्रांसमिशन लाइसेंसधारियों ने क्षमता की कमी का हवाला देते हुए एक्सेस से इनकार किया, (ii) निकासी के न्यूनतम स्तर और बिजली डिस्पैच की एडवांस शेड्यूलिंग के संबंध में शर्तें कठिन हैं(ग्रिड डिस्पलिन का हवाला देते हुए) और (iii) मेनटेनेंस के अनुरोधों को पूरा करने में देरी होती है।65
अनुलग्नक
तालिका 6: 2023-24 में बिजली और पीक घाटा (% में)
राज्य |
बिजली का घाटा |
पीक घाटा |
आंध्र प्रदेश |
0.1% |
0.0% |
अरुणाचल प्रदेश |
0.0% |
0.2% |
असम |
0.8% |
0.0% |
बिहार |
1.4% |
7.8% |
छत्तीसगढ़ |
0.1% |
0.0% |
दिल्ली |
0.0% |
0.0% |
गोवा |
0.0% |
0.0% |
गुजरात |
0.0% |
1.1% |
हरियाणा |
0.5% |
1.9% |
हिमाचल प्रदेश |
0.3% |
0.0% |
जम्मू एवं कश्मीर |
1.4% |
1.5% |
झारखंड |
3.8% |
7.9% |
कर्नाटक |
0.2% |
0.0% |
केरल |
0.0% |
0.0% |
मध्य प्रदेश |
0.2% |
2.4% |
महाराष्ट्र |
0.1% |
10.2% |
मणिपुर |
1.5% |
3.8% |
मेघालय |
7.6% |
0.0% |
मिजोरम |
0.0% |
0.0% |
नगालैंड |
0.0% |
0.1% |
ओड़िशा |
0.1% |
0.0% |
पुद्दूचेरी |
0.0% |
0.0% |
पंजाब |
0.0% |
0.0% |
राजस्थान |
0.6% |
0.0% |
सिक्किम |
0.0% |
0.3% |
तमिलनाडु |
0.0% |
0.0% |
तेलंगाना |
0.0% |
0.0% |
त्रिपुरा |
0.0% |
0.0% |
उत्तर प्रदेश |
0.3% |
1.5% |
उत्तराखंड |
0.7% |
8.7% |
पश्चिम बंगाल |
0.1% |
0.0% |
अखिल भारतीय |
0.3% |
1.4% |
स्रोत: अप्रैल 2024 के लिए कार्यकारी सारांश रिपोर्ट, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण; पीआरएस।
तालिका 7: 2021-22 में बिजली आपूर्ति के औसत घंटे
राज्य का नाम |
शहरी |
ग्रामीण |
आंध्र प्रदेश |
23.9 |
23.6 |
अरुणाचल प्रदेश |
22.7 |
- |
असम |
23.7 |
- |
बिहार |
23.6 |
20.4 |
छत्तीसगढ़ |
23.8 |
21.3 |
दिल्ली |
24.0 |
- |
गोवा |
23.7 |
- |
गुजरात |
24.0 |
23.5 |
हरियाणा |
23.6 |
16.3 |
हिमाचल प्रदेश |
23.9 |
13.3 |
जम्मू एवं कश्मीर |
22.3 |
- |
झारखंड |
23.3 |
- |
कर्नाटक |
23.6 |
17.6 |
केरल |
23.9 |
19.6 |
लद्दाख |
23.8 |
- |
मध्य प्रदेश |
23.9 |
19.4 |
महाराष्ट्र |
24.0 |
23.2 |
मणिपुर |
23.7 |
- |
मेघालय |
23.9 |
- |
मिजोरम |
23.9 |
- |
नगालैंड |
23.5 |
- |
ओड़िशा |
23.7 |
23.0 |
पंजाब |
23.7 |
22.1 |
राजस्थान |
23.9 |
21.3 |
तमिलनाडु |
24.0 |
22.2 |
तेलंगाना |
23.9 |
21.9 |
त्रिपुरा |
23.9 |
19.9 |
उत्तर प्रदेश |
23.5 |
15.9 |
उत्तराखंड |
23.6 |
21.6 |
पश्चिम बंगाल |
23.8 |
23.5 |
अखिल भारतीय |
23.8 |
20.6 |
नोट: डैश (-) से दर्शाए गए राज्यों के लिए डेटा उपलब्ध नहीं है।
स्रोत: अतारांकित प्रश्न संख्या 1964, लोकसभा, बिजली मंत्रालय, 28 जुलाई 2022 को दिया गया उत्तर; पीआरएस।
तालिका 8: भारित औसत बिजली खरीद लागत (प्रति यूनिट रुपए)
स्रोत |
2015-16 |
2016-17 |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
2020-21 |
2021-22 |
2022-23 |
बायो पावर |
4.45 |
4.71 |
5.4 |
5.53 |
5.11 |
4.96 |
4.96 |
5.65 |
कोयला |
3.50 |
3.67 |
3.7 |
3.82 |
4.14 |
4.16 |
4.29 |
4.34 |
डीज़ल |
11.44 |
12.73 |
15.9 |
20.52 |
16.54 |
18.32 |
19.91 |
30.21 |
हाइड्रो |
2.07 |
2.28 |
2.22 |
2.25 |
2.28 |
2.33 |
2.3 |
2.45 |
परमाणु |
2.82 |
2.85 |
3.27 |
3.31 |
3.53 |
3.49 |
3.49 |
3.6 |
तेल और गैस |
4.72 |
4.46 |
4.29 |
4.79 |
5.04 |
4.92 |
5.15 |
5.35 |
छोटी हाइड्रो |
3.11 |
3.19 |
2.76 |
2.8 |
2.85 |
2.28 |
2.75 |
2.84 |
सौर |
6.94 |
7.13 |
5.87 |
5.26 |
4.7 |
4.48 |
4.15 |
3.97 |
पवन |
4.05 |
4.27 |
4.43 |
4.39 |
4.2 |
4.13 |
3.66 |
4.04 |
स्रोत: भारत जलवायु और ऊर्जा डैशबोर्ड, नीति आयोग; पीआरएस।
तालिका 9: 2022-23 में वितरण इकाइयों का प्रदर्शन
राज्य/यूटी |
एटीएंडसी घाटा |
एसीएस (रुपए प्रति इकाई) |
एआरआर (रुपए प्रति इकाई) |
एसीएस-एआरआर (रुपए प्रति इकाई) |
सरकारी क्षेत्र |
15.8% |
7.2 |
6.7 |
0.47 |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
19.8% |
34.2 |
32.0 |
2.20 |
आंध्र प्रदेश |
8.0% |
7.4 |
7.6 |
-0.22 |
अरुणाचल प्रदेश |
51.7% |
6.7 |
6.7 |
0.00 |
असम |
16.2% |
8.1 |
7.4 |
0.62 |
बिहार |
25.0% |
6.7 |
6.8 |
-0.03 |
छत्तीसगढ़ |
16.1% |
5.5 |
5.2 |
0.29 |
दिल्ली |
10.7% |
11.2 |
10.2 |
0.94 |
गोवा |
11.9% |
5.9 |
6.0 |
-0.14 |
गुजरात |
10.7% |
6.2 |
6.2 |
-0.02 |
हरियाणा |
12.0% |
6.8 |
6.9 |
-0.15 |
हिमाचल प्रदेश |
10.6% |
6.6 |
5.6 |
0.93 |
झारखंड |
30.3% |
7.4 |
4.9 |
2.50 |
कर्नाटक |
13.9% |
8.1 |
7.7 |
0.43 |
केरल |
7.1% |
6.6 |
6.2 |
0.33 |
लद्दाख |
30.3% |
7.5 |
5.3 |
2.18 |
मध्य प्रदेश |
20.6% |
6.0 |
5.7 |
0.30 |
महाराष्ट्र |
18.6% |
7.7 |
7.3 |
0.40 |
मणिपुर |
13.8% |
8.3 |
7.1 |
1.15 |
मेघालय |
24.0% |
5.6 |
4.9 |
0.67 |
मिजोरम |
26.3% |
9.7 |
8.0 |
1.70 |
नगालैंड |
45.8% |
8.2 |
8.5 |
-0.32 |
पुद्दूचेरी |
17.5% |
6.2 |
5.8 |
0.39 |
पंजाब |
11.3% |
6.4 |
5.7 |
0.69 |
राजस्थान |
15.9% |
6.6 |
6.4 |
0.24 |
सिक्किम |
36.7% |
4.3 |
4.9 |
-0.69 |
तमिलनाडु |
10.3% |
8.9 |
8.0 |
0.89 |
तेलंगाना |
18.7% |
7.8 |
6.4 |
1.40 |
त्रिपुरा |
28.2% |
6.3 |
5.4 |
0.89 |
उत्तर प्रदेश |
22.3% |
8.1 |
6.9 |
1.19 |
उत्तराखंड |
15.3% |
6.1 |
5.3 |
0.72 |
पश्चिम बंगाल |
17.3% |
6.1 |
6.1 |
-0.01 |
निजी क्षेत्र |
10.9% |
6.7 |
7.2 |
-0.49 |
दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव |
3.6% |
6.0 |
6.2 |
-0.15 |
दिल्ली |
7.1% |
7.6 |
8.2 |
-0.62 |
गुजरात |
3.9% |
7.7 |
8.2 |
-0.50 |
महाराष्ट्र |
6.5% |
8.0 |
9.1 |
-1.09 |
ओड़िशा |
21.9% |
4.9 |
5.0 |
-0.10 |
उत्तर प्रदेश |
8.4% |
6.3 |
6.9 |
-0.64 |
पश्चिम बंगाल |
8.2% |
7.1 |
8.0 |
-0.89 |
अखिल भारतीय |
15.4% |
7.1 |
6.7 |
0.39 |
नोट: एटीएंडसी घाटा: समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटा बिजली का वह अनुपात होता है जिसके लिए डिस्कॉम को इकाई द्वारा खरीदी गई कुल बिजली के लिए कोई भुगतान नहीं मिलता। *एसीएस: आपूर्ति की औसत लागत; एआरआर: प्राप्त औसत राजस्व। उपरिलिखित एआरआर सबसिडी बिल के आधार पर है।
स्रोत: बिजली इकाइयों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट 2022-23, बिजली वित्त निगम; पीआरएस।
तालिका 10: 2022-23 में नवीकरणीय ऊर्जा खरीद बाध्यता का अनुपालन
राज्य |
लक्ष्य |
उपलब्धि |
||||||
पवन |
हाइड्रो |
अन्य |
कुल |
पवन |
हाइड्रो |
अन्य |
कुल |
|
आंध्र प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
3.30% |
0.00% |
25.10% |
28.50% |
अरुणाचल प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
3.50% |
15.30% |
18.80% |
असम |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
2.70% |
20.40% |
23.20% |
बिहार |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.10% |
0.10% |
15.90% |
16.00% |
छत्तीसगढ़ |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.10% |
1.20% |
11.90% |
13.30% |
दिल्ली |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.60% |
23.80% |
24.40% |
गोवा |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.80% |
0.40% |
16.10% |
17.30% |
गुजरात |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
3.50% |
0.20% |
16.50% |
20.30% |
हरियाणा |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.90% |
20.80% |
21.70% |
हिमाचल प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
2.70% |
76.00% |
78.70% |
जम्मू एवं कश्मीर एवं लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
56.90% |
56.90% |
झारखंड |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
30.00% |
30.00% |
कर्नाटक |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
6.40% |
0.00% |
40.30% |
46.70% |
केरल |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
36.30% |
36.30% |
मध्य प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.10% |
0.00% |
22.30% |
22.40% |
महाराष्ट्र |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
17.10% |
17.10% |
मणिपुर |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.20% |
33.80% |
34.00% |
मेघालय |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
3.20% |
56.70% |
59.90% |
मिजोरम |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.30% |
0.40% |
42.10% |
42.70% |
नगालैंड |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
5.20% |
31.30% |
36.50% |
ओड़िशा |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.10% |
0.10% |
25.30% |
25.40% |
पुद्दूचेरी |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
6.60% |
6.60% |
पंजाब |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.20% |
0.00% |
27.30% |
27.60% |
राजस्थान |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
18.30% |
18.30% |
सिक्किम |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
3.70% |
84.70% |
88.40% |
तमिलनाडु |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
5.80% |
0.00% |
19.70% |
25.50% |
तेलंगाना |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.00% |
20.20% |
20.20% |
त्रिपुरा |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.10% |
13.50% |
13.60% |
उत्तर प्रदेश |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
0.40% |
14.80% |
15.20% |
उत्तराखंड |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.00% |
3.00% |
57.40% |
60.40% |
पश्चिम बंगाल |
0.81% |
0.35% |
23.44% |
24.61% |
0.10% |
0.00% |
15.90% |
15.90% |
स्रोत: तारांकित प्रश्न संख्या 122, राज्यसभा, बिजली मंत्रालय, 1 अगस्त, 2023; पीआरएस।
[1] Entry No. 38, List III- Concurrent List, Seventh Schedule, Constitution of India, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s380537a945c7aaa788ccfcdf1b99b5d8f/uploads/2024/07/20240716890312078.pdf.
[2] “About Ministry”, Website of Ministry of Power as accessed on July 29, 2024, https://powermin.gov.in/en/content/about-ministry.
[3] Annual Report 2022-23, Ministry of New and Renewable Energy, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2023/08/2023080211.pdf.
[4] Electricity Act, 2003, https://cercind.gov.in/Act-with-amendment.pdf.
[5] Installed Capacity Report – June 2024, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/installed/2024/06/IC_June_2024_allocation_wise.pdf.
[6] Report on Performance of Power Utilities 2022-23, Power Finance Corporation, https://pfcindia.com/ensite/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20Database%202022-23%20-%20updated%20up%20to%20April%202024EntityApr.pdf.
[7] Demand No. 71, Expenditure Budget, Ministry of New and Renewable Energy, Union Budget 2024-25, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe71.pdf.
[8] Demand No. 79, Expenditure Budget, Ministry of Power, Union Budget 2024-25, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe79.pdf.
[9] Budget Speech, Union Budget 2024-25, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf.
[10] “Cabinet approves Revamped Distribution Sector Scheme: A Reforms based and Results linked Scheme”, Press Information Bureau, Union Cabinet, June 30, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1731473.
[11] “Cabinet approves PM-Surya Ghar: Muft Bijli Yojana for installing rooftop solar in One Crore households”, Press Information Bureau, Union Cabinet, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2010130.
[12] Guidelines for Revamped Distribution Sector Scheme, Ministry of Power, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/Final_Revamped_Scheme_Guidelines.pdf.
[13] All India Smart Metering Status, Ministry of Power, as accessed on July 30, 2024, https://www.nsgm.gov.in/en/sm-stats-all.
[14] Energy Statistics India – 2023, Ministry of Statistics and Programme Implementation, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Energy_Statistics_2023/EnergyStatisticsIndia2023.pdf.
[15] “Climate Action”, Website of United Nations Organisation, as accessed on July 15, 2023, https://www.un.org/en/climatechange/science/causes-effects-climate-change.
[16] Synthesis Report of the Sixth Assessment Report, Intergovernmental Panel on Climate Change, March 2023, https://www.ipcc.ch/assessment-report/ar6/.
[17] “Cabinet approves India’s Updated Nationally Determined Contribution to be communicated to the United Nations Framework Convention on Climate Change”, Press Information Bureau, Union Cabinet, August 3, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1847812.
[18] Tracking Clean Energy Progress, International Energy Agency, July 2023, https://www.iea.org/reports/tracking-clean-energy-progress-2023.
[19] “India’s Stand at COP-26”, Press Information Bureau, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, February 3, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1795071.
[20] National Electricity Plan, Generation Vol-I, Central Electricity Authority, May 2023, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/irp/2023/05/NEP_2022_32_FINAL_GAZETTE-1.pdf.
[21] Global Energy and Climate Model, International Energy Agency, October 2022, https://www.iea.org/reports/global-energy-and-climate-model.
[22] All India Installed Capacity (in MW) of Power Stations as on December 31, 2022, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/installed/2022/12/IC_Dec_2022.pdf.
[23] 17th Report: Action Plan for Achievement of 175 GW Renewable Energy Target, Standing Committee on Energy, 17th Lok Sabha, March 2021, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Energy/17_Energy_17.pdf?source=loksabhadocs.
[24] Hemi H. Gandhi, Bram Hoex, Brett Jason Hallam, Strategic investment risks threatening India's renewable energy ambition, Energy Strategy Reviews, Volume 43, 2022, 100921, ISSN 2211-467X, https://doi.org/10.1016/j.esr.2022.100921.
[25] “21st Report: Financial Constraints in Renewable Energy Sector”; Standing Committee on Energy, January 2022, https://eparlib.nic.in/bitstream/123456789/835464/1/17_Energy_21.pdf.
[26] Solar PV Global Supply Chains, International Energy Agency, August 2022, https://iea.blob.core.windows.net/assets/d2ee601d-6b1a-4cd2-a0e8-db02dc64332c/SpecialReportonSolarPVGlobalSupplyChains.pdf.
[27] “India’s PV Manufacturing Capacity set to surge”, JMK Research, Institute for Energy Economics and Financial Analysis, April 2023, https://jmkresearch.com/wp-content/uploads/2023/04/Indias-Photovoltaic-Manufacturing-Capacity-Set-to-Surge-April-2023.pdf.
[28] Photovoltaic Manufacturing Outlook in India, Institute for Energy Economics and Financial Analysis, February 2022, https://ieefa.org/resources/photovoltaic-manufacturing-outlook-india.
[29] “Government allocates 39600 MW of domestic solar PV module manufacturing capacity under PLI (Tranche-II)”, Press Information Bureau, Ministry of Power, March 28, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1911380.
[30] “48 GW of domestic Solar Module manufacturing capacity to be added in next 3 years”, Press Information Bureau, Ministry of Power, March 28, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1911380.
[31] “Solar Photovoltaic Manufacturing Basics”, US Department of Energy, as accessed on July 18, 2023, https://www.energy.gov/eere/solar/solar-photovoltaic-manufacturing-basics#:~:text=The%20manufacturing%20typically%20starts%20with,interconnect%20pathway%20between%20adjacent%20cells.
[32] Annual Report 2022-23, Ministry of New and Renewable Energy, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2023/08/2023080211.pdf.
[33] ‘Roof Top Solar Capacity installations growing at Compound annual growth rate of around 46%’, Ministry of New and Renewable Energy, Press Information Bureau, December 23, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1989806.
[34] “24th Report: Demands for Grants 2022-23 of Ministry of New and Renewable Energy”; Standing Committee on Energy, February 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Energy/17_Energy_24.pdf.
[35] Unstarred Question No. 159, Ministry of New and Renewable Energy, Lok Sabha, July 20, 2023, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1712/AU159.pdf?source=pqals.
[36] ‘Progress and Implementation of PM Kusum Scheme’, Ministry of New and Renewable Energy, Press Information Bureau, December 23, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1989815.
[37] Annual Report 2022-23, Ministry of New and Renewable Energy, https://mnre.gov.in/img/documents/uploads/file_s-1683099362708.pdf.
[38] No. 32/645/2017-SPV Division, Ministry of New and Renewable Energy, November 4, 2020, https://mnre.gov.in/img/documents/uploads/file_s-1604916676296.pdf.
[39] “PM-KUSUM - Grid-connected solar power plants of 89.45 MW capacity installed; 2.09 lakh agriculture pumps have been solarized; Reduction in carbon dioxide (CO2) emissions by 0.67 million tonnes and diesel consumption by 143 million litres of diesel per annum- Union Power & NRE Minister – Shri R. K. Singh”, Press Information Bureau, Ministry of New and Renewable Energy, March 16, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1907703.
[40] “24th Report: Demands for Grants 2022-23 of Ministry of New and Renewable Energy”; Standing Committee on Energy, March 2022, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Energy/17_Energy_24.pdf.
[41] Integrating Variable Renewable Energy: Challenges and Solutions, National Renewable Energy Laboratory, September 2013, nrel.gov/docs/fy13osti/60451.pdf.
[42] Report on Optimal Generation Mix 2030 Version 2.0, Central Electricity Authority, April 2023, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/irp/2023/05/Optimal_mix_report__2029_30_Version_2.0__For_Uploading.pdf.
[43] India Energy Outlook 2021, International Energy Agency, https://iea.blob.core.windows.net/assets/1de6d91e-e23f-4e02-b1fb-51fdd6283b22/India_Energy_Outlook_2021.pdf.
[44] Electricity Storage and Renewables: Costs and markets to 2030, International Renewable Energy Agency, October 2017, https://www.irena.org/publications/2017/oct/electricity-storage-and-renewables-costs-and-markets.
[45] Global Energy and Climate Model, International Energy Agency, October 2022, https://www.iea.org/reports/global-energy-and-climate-model.
[46] “PLI ACC Scheme promotes manufacturing of technology agnostic Advanced Chemistry Cells in India”, Press Information Bureau, Ministry of Heavy Industries, April 23, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2018576.
[47] “Cabinet approves the scheme titled Viability Gap Funding for Development of Battery Energy Storage Systems”, Press Information Bureau, Union Cabinet, September 6, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1955112..
[48] “Power Sector at a glance All India”, Ministry of Power, (as accessed on June 5, 2023), https://powermin.gov.in/en/content/power-sector-glance-all-india.
[49] Draft National Electricity Plan Vol. II – Transmission, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/psp___a_i/2024/01/Draft_NEP_Vol_II.pdf.
[50] “Cabinet approves Green Energy Corridor (GEC) Phase-II – Inter-State Transmission System (ISTS) for 13 GW Renewable Energy Project in Ladakh”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, October 18, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1968732.
[51] “Power Supply in Rural Areas”, Press Information Bureau, Ministry of Power, July 25, 2024, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2037000.
[52] Executive Summary Report, April 2023, Central Electricity Authority, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/executive/2023/04/Executive_Summary_Apr_2023-1.pdf.
[53] Unstarred Question No. 1964, Lok Sabha, Ministry of Power, answered on July 28, 2022, https://eparlib.nic.in/bitstream/123456789/1057162/1/AU1964.pdf.
[54] Report on Performance of Power Utilities 2021-22, Power Finance Corporation, May 2023, https://www.pfcindia.com/DocumentRepository/ckfinder/files/Operations/Performance_Reports_of_State_Power_Utilities/Report%20on%20Performance%20of%20Power%20Utilities%20-%202021-22%20%20updated%20up%20to%20May%202023.pdf.
[55] State Finances: A Study of Budgets of 2019-20, Reserve Bank of India, September 30, 2019, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/STATEFINANCE201920E15C4A9A916D4F4B8BF01608933FF0BB.PDF.
[56] Reports on the Performance of Power Utilities, Power Finance Corporation, https://pfcindia.com/ensite/Home/VS/29.
[57] Revamped Distribution Sector Scheme, Website of REC as accessed on November 20, 2022, https://recindia.nic.in/revamped-distribution-sector-scheme.
[58] White Paper on Tamil Nadu Government’s Finances, Finance Department, Government of Tamil Nadu, https://tnbudget.tn.gov.in/tnweb_files/white_paper_2021_english.pdf.
[59] Clause 14, Electricity (Amendment) Bill, 2022, as introduced in Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Electricity%20(A)%20Bill,%202022.pdf.
[60] Turning Around the Power Distribution Sector, NITI Aayog, August 2021, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-08/Electricity-Distribution-Report_030821.pdf.
[61] Resource Adequacy Plan and Load Generation Balance Report, Central Electricity Authority, 2022-23, https://cea.nic.in/wp-content/uploads/l_g_b_r_reports/2021/LGBR_2022_23.pdf.
[62] 12th Annual Integrated Rating and Ranking of Power Distribution Utilities, Power Finance Corporation, March 2024, https://pfcindia.com/ensite/DocumentRepository/ckfinder/files/GoI_Initiatives/Annual_Integrated_Ratings_of_State_DISCOMs/12%20Annual%20Integrated%20Report_Print%20version_EA-I-compressed.pdf.
[63] “Coal Import for blending at 6% till March 2024, to ensure uninterrupted power supply across the country: Power and New & Renewable Energy Minister R. K. Singh”, Press Information Bureau, Ministry of Power, December 6, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1983084.
[64] Report No. 42, Standing Committee on coal, mines and steel (2022-2023), Ministry of Coal, 2023, https://eparlib.nic.in/bitstream/123456789/2504794/1/17_Coal_Mines_and_Steel_42.pdf.
[65] Diagnostic Study of the Power Distribution Sector , NITI Aayog, April 2019, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2019-08/Final%20Report%20of%20the%20Research%20Study%20on%20Diagnostic%20Study%20for%20power%20Distribution_CRISIL_Mumbai.pdf.
[66] “Energy-Water-Agriculture Nexus: Grow Solar, Save Water, Double the Farm Income“, Report on Workshop Organised by NITI Aayog and World Bank, December 2019, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2020-01/NITI-Aayog-%26-World-Bank-Energy-Water-Agriculture-Nexus.pdf.
[67] Starred Question No. 122, Rajya Sabha, Ministry of Power, August 1, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/RS0108.2023_Eng.pdf.
[68] S.O. 4617 (E), The Gazette of India, Ministry of Power, October 20, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Notification_Regarding_Renewable_Purchase_Obligation_RPO.pdf.
[69] Section 42, The Electricity Act, 2003, https://cercind.gov.in/Act-with-amendment.pdf.
[70] Review of Status of Open Access in Distribution, Forum of Regulators, September 2019, http://www.forumofregulators.gov.in/Data/Reports/FOR%20Status%20of%20Open%20Access-13-01-2020.pdf.
[71] G.S.R. 418 (E), The Gazette of India, Ministry of New and Renewable Energy, June 3, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236345.pdf.
[72] 26th Report: Review of Power Tariff Policy, Standing Committee on Energy, August 2022, http://164.100.47.193/lsscommittee/Energy/17_Energy_26.pdf.
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