केंद्रीय बजट 2024-25 के साथ वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को रेलवे बजट पेश किया गया। भारतीय रेलवे केंद्र सरकार का एक वाणिज्यिक उपक्रम है। रेल मंत्रालय, भारतीय रेलवे का एडमिनिस्ट्रेशन संभालता है और रेलवे बोर्ड के जरिए नीतियों का निर्माण करता है।

रेलवे के व्यय को निम्नलिखित के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है: (i) इसके आंतरिक संसाधन (मुख्य रूप से माल और यात्री राजस्व), (ii) केंद्र सरकार से बजटीय सहायता, और (iii) अतिरिक्त-बजटीय संसाधन (मुख्य रूप से उधार लेकिन इसमें संस्थागत वित्तपोषण और सार्वजनिक- निजी भागीदारी शामिल हैं)। रेलवे के कामकाज के खर्चे (वेतन, पेंशन और संपत्ति के रखरखाव) को उसके आंतरिक संसाधनों से पूरा किया जाता है। रेलवे कुछ अधिशेष उत्पन्न करता है, जो उसकी पूंजीगत व्यय योजनाओं (जैसे लाइनों का निर्माण और वैगनों की खरीद) को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। पूंजीगत व्यय केंद्र सरकार के अनुदान और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से किया जाता है। इस नोट में 2024-25 में रेल मंत्रालय के प्रस्तावित व्यय, पिछले वर्षों में उसकी वित्तीय स्थिति और विभिन्न मुद्दों का विश्लेषण किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • राजस्व: 2024-25 के लिए रेलवे का आंतरिक राजस्व 2,78,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 8% अधिक है।

  • यातायात राजस्व: 2024-25 में यातायात राजस्व 2,78,100 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें 2023-24 के संशोधित अनुमान की तुलना में 8% की वृद्धि है। इस राजस्व का 65% माल ढुलाई सेवाओं (1,80,000 करोड़ रुपए) और 29% यात्री सेवाओं (80,000 करोड़ रुपए) से प्राप्त होने का अनुमान है।

  • राजस्व व्यय: 2024-25 में कुल राजस्व व्यय 2,75,700 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जोकि 2023-24 के संशोधित अनुमान की तुलना में 7% अधिक है।

  • पूंजीगत व्यय: 2024-25 में पूंजीगत व्यय 2,65,200 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 2% अधिक है। इस व्यय का 95% केंद्र सरकार के बजटीय सहयोग के माध्यम से वित्तपोषित होने का अनुमान है। 4% अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों के माध्यम से और 1% आंतरिक राजस्व के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।

  • परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशो): कार्यशील व्यय की तुलना में यातायात से होने वाली प्राप्तियों का अनुपात, परिचालन अनुपात कहलाता है। अगर यह अनुपात कम होता है तो इसका मतलब है, बेहतर लाभपरकता और पूंजीगत व्यय के लिए संसाधनों की उपलब्धता। 2024-25 में रेलवे का परिचालन अनुपात 98.2% होने का अनुमान है। यह संशोधित अनुमान (98.7%) के अनुसार 2023-24 के परिचालन अनुपात से थोड़ा कम है।

राजस्व की प्रवृत्तियां

भारतीय रेलवे को यात्री, माल ढुलाई और विविध प्राप्तियों (किराया, कैटरिंग रसीदें, बाहरी निकायों से ब्याज और रखरखाव शुल्क, भूमि और हवाई क्षेत्र का वाणिज्यिक उपयोग, रोलिंग स्टॉक और स्टेशन बिल्डिंग्स पर वाणिज्यिक प्रचार) के माध्यम से राजस्व प्राप्त होता है। रेलवे के आंतरिक राजस्व का उपयोग उसके कार्यशील व्यय के वित्तपोषण के लिए किया जाता है, जिसमें वेतन, पेंशन और ईंधन शामिल हैं। 2024-25 में माल ढुलाई से राजस्व 1,80,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 7% अधिक है। 2023-24 के संशोधित अनुमान से 10% की वृद्धि के साथ यात्री राजस्व 80,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। 2024-25 के लिए विविध आय 10,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जिसमें 2023-24 के संशोधित अनुमान से 13% की वृद्धि है। निम्नलिखित आंकड़े पिछले 10 वर्षों में यात्री और माल ढुलाई राजस्व की वृद्धि को दर्शाते हैं। 

रेखाचित्र 1: 2015-16 और 2024-25 के बीच माल ढुलाई और यात्री राजस्व (करोड़ रुपए में)

नोट: 2023-24 के आंकड़े संशोधित अनुमान हैं और 2024-25 बजट अनुमान हैं। 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण यात्री सेवाओं को आंशिक रूप से निलंबित कर दिया गया था।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

माल ढुलाई राजस्व मुख्यतया थोक वस्तुओं से प्राप्त

तालिका 1: रेलवे की प्राप्तियों और व्यय का विवरण (करोड़ रुपए में)

क्रम संख्या

मद

2022-23 वास्तविक

2023-24 बअ

2023-24 संअ

% परिवर्तन (2023-24 बअ से 2023-24 संअ)

2024-25 बअ

% परिवर्तन
(2023-24 संअ से 2024-25 बअ)

 

प्राप्ति

           

1

यात्री राजस्व

63,417

70,000

73,000

4%

80,000

10%

2

माल ढुलाई राजस्व

1,62,263

1,79,500

1,69,000

-6%

1,80,000

7%

3

अन्य यातायात स्रोत

14,303

15,100

15,900

5%

18,100

14%

4

सकल यातायात प्राप्तियां (1+2+3)

2,39,983

2,64,600

2,57,900

-3%

2,78,100

8%

5

विविध

194

400

700

75%

400

-43%

6

कुल आंतरिक राजस्व (4+5)

2,40,177

2,65,000

2,58,600

-2%

2,78,500

8%

7

सरकार से बजटीय सहयोग

1,59,256

2,40,200

2,40,200

0%

2,52,200

5%

8

अतिरिक्त बजटीय संसाधन

41,325

17,000

17,000

0%

10,000

-41%

4

कुल प्राप्तियां (6+7+8)

4,40,759

5,22,200

5,15,800

-1%

5,40,700

5%

 

व्यय

           

10

सामान्य कार्यशील व्यय

1,80,256

1,88,574

1,91,400

1%

2,05,000

7%

11

पेंशन फंड हेतु विनियोग

54,700

70,516

62,100

-12%

67,000

8%

12

मूल्यह्रास आरक्षित निधि हेतु विनियोग

700

1,000

800

-20%

1,000

25%

13

कुल कार्यशील व्यय (11+12+13)

2,35,656

2,60,090

2,54,300

-2%

2,73,000

7%

14

विविध

2,004

2,700

2,300

-15%

2,700

17%

15

कुल राजस्व व्यय (14+15)

2,37,660

2,62,790

2,56,600

-2%

2,75,700

7%

16

ईबीआर से व्यय और बजटीय सहयोग (7+8)

2,00,582

2,57,200

2,57,200

0%

2,62,200

2%

17

कुल व्यय (15+16)

4,38,241

5,19,990

5,13,800

-1%

5,37,900

5%

18

शुद्ध राजस्व (6-15)

2,517

2,210

2,000

-10%

2,800

40%

19

परिचालन अनुपात

98.10%

98.45%

98.65%

 

98.22%

 

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2024-25; पीआरएस।

पिछले दशक में यातायात की मात्रा या राजस्व की हिस्सेदारी के मामले में रेलवे माल ढुलाई में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। 2015-16 में कोयले के परिवहन से राजस्व का हिस्सा कुल माल ढुलाई राजस्व का 45% था। 2024-25 में कोयले की हिस्सेदारी बढ़कर 50% होने का अनुमान है। कोयले से रेलवे के राजस्व में मध्यम अवधि के जोखिम होते हैं, अगर कोयला परिवहन निम्नलिखित के कारण कम होता है: (क) जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के कारण बिजली उत्पादन के लिए कोयले की खपत में कमी, और (ख) कोयला खदानों के पास बिजली संयंत्रों में वृद्धि।

रेखाचित्र 2: माल ढुलाई राजस्व में प्रमुख माल श्रेणियों का योगदान 

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

पिछले दशक में सीमेंट, पिग आयरन और फिनिश्ड स्टील, खाद्यान्न, उर्वरक और पीओएल जैसी वस्तुओं से राजस्व का हिस्सा कम हो गया है, जबकि लौह अयस्क और कोयले से राजस्व का हिस्सा मामूली रूप से बढ़ गया है (2015-16 और 2024-25 के बीच क्रमशः 1.8% और 5%)। एक अन्य क्षेत्र जहां पिछले दशक में रेलवे का राजस्व बढ़ा है, वह कंटेनर माल ढुलाई है। कंटेनर सेवाओं से राजस्व 2015-16 में कुल माल ढुलाई आय का 4% से बढ़कर 2024-25 में 5.3% हो गया।  2015-16 में कुल माल ढुलाई में कंटेनर सेवाओं की हिस्सेदारी 7% थी। 2024-25 में यह मामूली बढ़कर 8% हो गया है।

घरेलू कंटेनरों का हिस्सा

रेलवे कंटेनर यातायात में निर्यात-आयात कंटेनर (एक्सिम कंटेनर) और घरेलू कंटेनर शामिल हैं। घरेलू कंटेनरों का उपयोग मुख्य रूप से गैर-थोक कार्गो जैसे फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), रसायन और फार्मास्यूटिकल्स के परिवहन के लिए किया जाता है।[1]  2015-16 और 2023-24 के बीच, कंटेनर यातायात में 7% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई। इस अवधि में, घरेलू कंटेनर यातायात 9% की वार्षिक दर से बढ़ा और एक्सिम कंटेनर यातायात 6% की वार्षिक दर से बढ़ा। कुल यातायात में घरेलू कंटेनरों की हिस्सेदारी 2015-16 में 2% से बढ़कर 2024-25 में 3% होने का अनुमान है। रेलवे ने 2006 में निजी ऑपरेटरों को कंटेनर ट्रेनें चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से संबंधित एक नीति प्रस्तुत की थी।[2]  20 अगस्त, 2018 तक कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित 18 ऑपरेटरों ने कंटेनर ट्रेनें चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त किए हैं।2

रेखाचित्र 3: घरेलू कंटेनर यातायात (एनटीकेएम में)

नोट: 1 NTKM: नेट टन किलोमीटर (एक NTKM तब होता है जब एक टन माल एक किलोमीटर तक ले जाया जाता है)।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

उपभोक्ता वस्तु बाजार में कम मौजूदगी

उपभोग्य वस्तुएं देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण खंड हैं।1  ऑनलाइन रीटेल पेनेट्रेशन 2019 में 4.7% से बढ़कर 2024 में 10.7% होने का अनुमान है।1  इससे एफएमसीजी, परिधान, उपकरण, स्वास्थ्य और पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स के परिवहन के लिए मांग पैदा होने की उम्मीद है। नीति आयोग ने कहा कि अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं का परिवहन सड़क मार्ग से किया जाता है।1  ऐसा इसलिए है क्योंकि सड़क परिवहन उपभोक्ता-आधारित उत्पादों के लिए रेलवे की तुलना में बेहतर लास्ट-माइल कनेक्टिविटी प्रदान करता है।1 

राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) ने 2030 तक रेल द्वारा माल ढुलाई की हिस्सेदारी को मौजूदा 27% से बढ़ाकर 45% करने का लक्ष्य रखा है।[3] अगर थोड़ा बदलाव करके, इन उपभोक्ता वस्तुओं का परिवहन रेलवे से किया जाने लगे तो एनआरपी द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।1  रेल द्वारा गैर-थोक वस्तुओं की आवाजाही के लिए निम्नलिखित कारक आवश्यक हैं: (i) अच्छी तरह से विकसित इंटरमॉडल कंटेनर टर्मिनल, (ii) उपयुक्त वैगन, (iii) अनुसूचित रेल सेवाएं, और (iv) फर्स्ट और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी विकल्प।1

रेलवे ने इंटरमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और माल ढुलाई खंड में अपनी मॉडल हिस्सेदारी में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) टैरिफ रैशनलाइजेशन और टैरिफ/माल ढुलाई प्रोत्साहन योजनाएं, (ii) कार्गो टर्मिनलों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक नई 'गति शक्ति मल्टी-मॉडल कार्गो टर्मिनल (जीसीटी)' नीति, (iii) जनरल और स्पेशल पर्पज वैगन और ऑटोमोबाइल करियर वैगन्स में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए योजनाएं।[4]

मालभाड़ा यात्री सेवाओं पर क्रॉस-सब्सिडी देता है

भारत में माल ढुलाई सेवाएं यात्री सेवाओं को क्रॉस-सब्सिडी देती हैं।[5]  2018-19 तक माल ढुलाई शुल्क यात्री शुल्क से लगभग तीन गुना था।1  यह चीन और जापान जैसे देशों के विपरीत है जहां माल ढुलाई शुल्क यात्री शुल्क से कम था।1  नीति आयोग ने कहा था कि 2009 और 2019 के बीच माल ढुलाई दरों में 91% की वृद्धि हुई है, जबकि यात्री किराए में केवल 28% की वृद्धि हुई।1  माल ढुलाई के लिए अधिक शुल्क इसे अन्य साधनों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बनाता है।

अत्यधिक भीड़भाड़ वाला रेल नेटवर्क माल ढुलाई को धीमा कर रहा है

रेलवे का नेटवर्क निम्नलिखित में वर्गीकृत: (i) उच्च-घनत्व नेटवर्क मार्ग (एचडीएन) और (ii) अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग (एचयूएन)।3  एचडीएन मार्ग में कुल नेटवर्क का 16% शामिल हैं और यह कुल यातायात का 41% वहन करते हैं। एचयूएन मार्गों में कुल नेटवर्क का 35% शामिल है और यह कुल यातायात का 40% वहन करता है।3  राष्ट्रीय रेल योजना के ड्राफ्ट के अनुसार, लगभग 80% एचडीएन मार्ग और 48% एचयूएन मार्ग का 100% से अधिक क्षमता उपयोग होता है जो नेटवर्क में भीड़ को दर्शाता है।

मौजूदा नेटवर्क पर इस भीड़भाड़ के कारण मालगाड़ियां कम औसत गति से चल रही हैं।1  आमतौर पर मालगाड़ियों के 75 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलने की उम्मीद की जाती है। 2020 और 2021 में मालगाड़ियों की औसत गति क्रमशः 40.6 और 36.5 किमी प्रति घंटे थी।[6]  एनआरपी ने 2030 तक मालगाड़ियों की औसत गति 50 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।3  इसे प्राप्त करने के लिए प्रस्तावित उपायों में से समर्पित माल गलियारों को चिन्हित करना है जिसकी मदद से परिवहन की गति अधिक हो सकती है।3

यातायात में मंद वृद्धि

पिछले दशक में रेल-आधारित यात्री और माल यातायात दोनों में मामूली दर से वृद्धि हुई है।  2015-16 और 2023-24 के बीच एनटीकेएम के संदर्भ में माल ढुलाई 4% की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है। 2023-24 में संशोधित अनुमान के अनुसार, यात्री यातायात 11 लाख यात्री किलोमीटर (पीकेएम) था, जो 2015-16 के स्तर (11.4 लाख पीकेएम) से कम है। एक यात्री की एक किलोमीटर यात्रा एक पीकेएम कहलाती है। 2024-25 में यात्री यातायात 12.4 लाख पीकेएम होने का अनुमान है।

हालांकि 2015-16 और 2023-24 के बीच यातायात रुझान अलग-अलग सेवा खंडों में भिन्न हैं। एसी सेगमेंट में यातायात बढ़ गया है, थर्ड एसी सेगमेंट 13% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है और एसी सेक्शन के भीतर एक्जीक्यूटिव क्लास 16% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। गैर-एसी खंड के भीतर, साधारण द्वितीय श्रेणी में 20% की वार्षिक दर से गिरावट आई है और द्वितीय श्रेणी एक्सप्रेस ट्रेन यातायात में 2% की वृद्धि हुई है। एक्सप्रेस स्लीपर क्लास में भी यातायात में 0.1% की मामूली गिरावट देखी गई।

समर्पित माल ढुलाई गलियारा

माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 1950-51 में 83% से घटकर 2011-12 में 35% हो गई। माल ढुलाई में मॉडल हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए, रेलवे ने 2005 में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के निर्माण की योजना शुरू की।[7]  रेल मंत्रालय ने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मालगाड़ियों के तेज पारगमन के कारण उच्च परिवहन उत्पादन और वहन क्षमता प्रदान करेगा।[8]  इन गलियारों में डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनें और हेवी हॉल ट्रेनें चलेंगी जिससे माल परिवहन की प्रति इकाई लागत में कमी आएगी।8  इससे गलियारे के कैचमेंट एरिया में स्थित उद्योगों/लॉजिस्टिक्स कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होने की भी उम्मीद है और एक्सिम कंटेनर यातायात में भी वृद्धि होगी।8

रेलवे द्वारा दो डीएफसी, यानी लुधियाना से सोननगर (1,337 किमी) तक पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1,506 किमी) तक पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) की योजना बनाई गई है। ईडीएफसी पूरी तरह से चालू है जबकि डब्ल्यूडीएफसी आंशिक रूप से चालू है (फरवरी 2024 तक 1,506 किमी में से 1,220 किमी)।[9]  2021 में रेल मंत्रालय ने डीएफसी के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को भी मंजूरी दे दी थी: (i) पूर्वी तट कॉरिडोर (1115 किलोमीटर), (ii) पूर्व-पश्चिमी सब-कॉरिडोर (1868 किलोमीटर) और, (iii) उत्तर दक्षिण सब-कॉरिडोर  (975 किलोमीटर)।[10]

यात्री यातायात में सुधार के लिए रेलवे ने नई यात्री ट्रेनें शुरू की हैं। फरवरी 2019 में रेलवे ने पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन शुरू की। यह एक स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है।[11]  19 जुलाई, 2024 तक 102 वंदे भारत एसी चेयर कार ट्रेनें चल रही हैं।[12]  रेलवे ने नॉन-एसी सेगमेंट में अमृत भारत स्लीपर ट्रेनें भी शुरू की हैं।[13] 

यात्री सेवाओं से नुकसान बढ़ा है

रेलवे ने 2020 में यात्रा किराए को रैशनलाइज किया।[14]  एसी किराए में प्रति पीकेएम चार पैसे की बढ़ोतरी की गई, जबकि गैर-एसी एक्सप्रेस और मेल श्रेणी के किराए में प्रति पीकेएम दो पैसे की बढ़ोतरी की गई।14 साधारण गैर-एसी किराए में प्रति पीकेएम एक पैसे की बढ़ोतरी की गई।14 दैनिक यात्रियों की सामर्थ्य संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, रेलवे ने उपनगरीय ट्रेन किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की।14 2020 में यात्री किराए को रैशनलाइज करने के बावजूद इस खंड में परिचालन घाटा दर्ज किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले यात्री किराए को आखिरी बार 2014 में रैशनलाइज किया गया था।14

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) (2021) ने कहा था कि यात्री खंड में परिचालन घाटा 2015-16 में 36,286 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 63,364 करोड़ रुपए हो गया।[15]  ये घाटा 2021-22 में और बढ़कर 68,269 करोड़ रुपए हो गया, जिसे माल ढुलाई से उत्पन्न अधिशेष का उपयोग करके पूरी तरह से क्रॉस सबसिडी दी जानी थी।5

2016-17 के बाद से यात्री खंड में घाटा माल ढुलाई खंड में मुनाफे की तुलना में अधिक दर से बढ़ा है। एसी सेक्शन की तुलना में गैर-एसी सेक्शन में नुकसान अधिक स्पष्ट हैं। एसी 3 टियर और एसी चेयर कार (कुछ मौकों पर) को छोड़कर, अन्य सभी श्रेणियों की यात्री सेवाओं में 2018-19 और 2021-22 के बीच हर साल घाटा देखा गया है।

तालिका 2: यात्री घाटा (करोड़ रुपए में)

श्रेणी

2018-19

2019-20

2020-21

2021-22

कुल घाटा

-52,700

-59,799

-68,305

-57,042

इसमें से

 

 

 

 

एसी- प्रथम श्रेणी

-249

-403

-719

-406

एसी 2 टियर

-908

-1,378

-2,995

1,564

एसी 3 टियर

318

65

-6,500

-698

एसी चेयर कार

243

-182

-1,079

-473

स्लीपर

-13,012

-16,056

-20,134

-17,038

द्वितीय श्रेणी

-13,214

-14,457

-17,641

-16,393

साधारण श्रेणी

-19,124

-20,450

-11,438

-15,282

उपनगरीय

-6,754

-6,938

-7,799

-8,316

नोट: द्वितीय श्रेणी का तात्पर्य गैर-एसी द्वितीय सिटिंग क्लास से है और साधारण श्रेणी का तात्पर्य साधारण (अनारक्षित) श्रेणी से है। स्रोत: 2023 की रिपोर्ट संख्या 13, रेलवे वित्त, कैग; पीआरएस।

यात्री श्रेणी में घाटा रेलवे द्वारा अपने सामाजिक सेवा दायित्वों के तहत लागत से कम कीमत पर इन सेवाओं को संचालित करने के कारण होता है।[16] रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने सुझाव दिया था कि माल ढुलाई और यात्री किराए दोनों को विवेकपूर्ण ढंग से रैशनलाइज किया जाना चाहिए।16 उसने कहा था कि किसी भी किराए में वृद्धि के लिए सड़क और हवाई जैसे अन्य परिवहन साधनों से प्रतिस्पर्धा पर विचार करना चाहिए।16 कमिटी ने सुझाव दिया था कि रेलवे के सामाजिक सेवा दायित्वों पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए।16

विविध आय क्षमता से कम

भारतीय रेलवे का विविध राजस्व भारतीय रेलवे के गैर-प्रमुख परिचालनों के माध्यम से अर्जित किया जाता है। इनमें खानपान सेवाएं, कोचों पर विज्ञापन और भूमि और भवनों के उपयोग पर लाइसेंस शुल्क शामिल हैं। 2024-25 के बजट अनुमान के अनुसार, इसके 10,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इस मद के तहत राजस्व में पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 13% की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है। यह 2024-25 के लिए भारतीय रेलवे की कुल अनुमानित राजस्व प्राप्तियों का लगभग 3.8% है।

रेखाचित्र 4: विविध आय (कुल राजस्व के % के रूप में)

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

2018-19 से आंतरिक प्राप्तियों में विविध राजस्व का योगदान 4% पर स्थिर बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने कई नई नीतियों की घोषणा की है जैसे: (i) कोचों और स्टेशनों में विज्ञापन, (ii) भारतीय रेलवे प्रणाली में कुल 1,275 स्टेशनों को आधुनिक बनाने के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना, (iii) एक स्टेशन एक उत्पाद जैसी पहल के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क स्थापित करना, (iv) यात्री सूचना प्रणाली को बढ़ाना, और (v) व्यावसायिक बैठकों के लिए कार्यकारी लाउंज और स्पेस बनाना।[17]

व्यय की प्रवृत्तियां

वेतन और पेंशन पर काफी अधिक व्यय

रेलवे के राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, पेंशन व्यय, ईंधन लागत और लीज़ शुल्क के ब्याज घटकों के लिए बजट किया जाता है। पिछले 10 वर्षों में रेलवे ने औसतन अपने राजस्व का 69% (लगभग 2/3 राजस्व) केवल वेतन और पेंशन पर खर्च किया है। 2024-25 में राजस्व का 42% कर्मचारियों के वेतन और 23% पेंशन पर खर्च किया जाएगा।

रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) ने गौर किया था कि कर्मचारियों पर रेलवे का व्यय बहुत ज्यादा है और उसे नियंत्रित करना मुश्किल है।[18]  1 जुलाई, 2023 तक रेलवे में कुल 14,82,134 स्वीकृत पद थे।19 इनमें से 2,63,913 पद (18%) खाली हैं।[19]  अगर ये सभी रिक्तियां भर दी गईं, तो रेलवे के लिए कर्मचारियों की लागत मौजूदा स्तर से अधिक होगी। 

रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने कहा है कि पेंशन बिल को कम करने के लिए 2004 में लागू की गई नई पेंशन योजना के परिणाम 2034-35 के आसपास ही दिखाई देंगे।16  स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार को 2034-35 तक सामान्य राजस्व से पेंशन व्यय के लिए सहायता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।[20]

लीज़ शुल्क के लिए दायित्व में वृद्धि

अतिरिक्त बजटीय संसाधनों में आईआरएफसी के माध्यम से जुटाई गई धनराशि शामिल है।5  आईआरएफसी बाजार से उधार लेता है और रोलिंग स्टॉक परिसंपत्तियों के वित्तपोषण के लिए एक लीजिंग मॉडल का पालन करता है।5  लीज़ शुल्क में ब्याज और मूलधन दोनों घटक होते हैं।5  पिछले कुछ वर्षों में लीज़ शुल्क के ब्याज घटक पर व्यय में वृद्धि हुई है। ब्याज व्यय 2016-17 में 8,598 करोड़ रुपए से बढ़कर 2022-23 में 16,584 करोड़ रुपए हो गया। 2024-25 में इसके बढ़कर 21,806 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।

कम अधिशेष प्राप्ति और परिचालन अनुपात

कुल मिलाकर पिछले दशक में रेलवे का औसत राजस्व व्यय उसकी औसत राजस्व आय का 99% रहा है। इसके परिणामस्वरूप रेलवे के लिए कम राजस्व अधिशेष उत्पन्न हुआ है।

रेखाचित्र 5: लीज़ शुल्क पर ब्याज भुगतान (राजस्व प्राप्तियों के % के रूप में)

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

रेखाचित्र 6: राजस्व अधिशेष (करोड़ रुपए में)

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2018-19 से 2024-25; पीआरएस।

परिचालन अनुपात रेलवे के कुल कार्यशील व्यय और आंतरिक राजस्व का अनुपात है। यह बताता है कि रेलवे 100 रुपए कमाने के लिए कितना खर्च करता है। एक उच्च परिचालन अनुपात खराब वित्तीय प्रदर्शन को इंगित करता है। 2016-17 से परिचालन अनुपात 96% से ऊपर बना हुआ है।16  खराब परिचालन अनुपात के कारण विभिन्न समर्पित निधियों के लिए अपर्याप्त प्रावधान और पूंजीगत कार्यों के लिए धन की कमी होती है।

रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020-21) ने परिचालन अनुपात में सुधार के लिए रेलवे को बेहतर वित्तीय अनुशासन का पालन करने का सुझाव दिया था। 2021-22 में रेलवे का परिचालन अनुपात 107.4% था। इसका मतलब है कि रेलवे ने 100 रुपए कमाने के लिए 107 रुपए खर्च किए।

कैग (2020) ने कहा कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) और पेंशन के लिए क्रमशः वित्तीय समायोजन के अभाव में, रेलवे का परिचालन अनुपात 2019-20 और 2020-21, दोनों में भी 100% से अधिक रहा होगा।[21]  2024-25 के लिए रेलवे का परिचालन अनुपात 98.2% होने का अनुमान है। 

रेखाचित्र 7: रेलवे परिचालन अनुपात

स्रोत: रेलवे सांख्यिकी प्रकाशन, ईयर बुक्स, 2010-11 से 2021-22, रेल मंत्रालय; व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2022-23 से 2024-25; पीआरएस।

पूंजीगत कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता एवं उधार पर निर्भरता

रेलवे अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए राजस्व अधिशेष उत्पन्न करने में असमर्थ रहा है।  इसके बावजूद पिछले दशक में रेलवे का पूंजीगत व्यय काफी बढ़ गया है। रेलवे का पूंजीगत व्यय 2015-16 में 93,520 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में 2,65,200 करोड़ रुपए हो गया। यह 12% की वार्षिक वृद्धि है। इसे केंद्र सरकार से अनुदान और अतिरिक्त बजटीय उधार के माध्यम से वित्तपोषित किया गया है। पूंजीगत व्यय का उपयोग डबलिंग और बिजलीकरण परियोजनाओं को बढ़ाने, नई लाइनें बिछाने, गेज परिवर्तन करने और रोलिंग स्टॉक खरीद के लिए किया जाता है। 

पिछले दशक में, पूंजीगत व्यय में आंतरिक राजस्व का औसत योगदान 4% रहा है। 2024-25 में पूंजीगत व्यय का केवल 1% आंतरिक राजस्व से वित्तपोषित किया जाएगा।

रेखाचित्र 8: पूंजीगत व्यय (करोड़ रुपए में)

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2017-18 से 2024-25; पीआरएस।

रेखाचित्र 9: रेलवे पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2014-15 से 2024-25; पीआरएस।

पूंजीगत कार्यों में भौतिक लक्ष्य हासिल न होना

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में रेलवे के पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई है, लेकिन पूंजीगत कार्यों पर बजट लक्ष्य की प्राप्ति असमान रही है। उदाहरण के लिए, जबकि ट्रैक नवीनीकरण बजट से अधिक रहा, लेकिन गेज परिवर्तन के लक्ष्य पूरे नहीं हुए हैं (तालिका 3)। 2022-23 में नई लाइन का निर्माण बजट लक्ष्य (300 मार्ग किमी के लक्ष्य के मुकाबले 1,815 मार्ग किमी) से काफी अधिक था। हालांकि 2021-22 में यह 4% कम हो गया।

तालिका 3: भौतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बैकलॉग का %

 

2017-18

2018-19

2019-20

2020-21

2021-22

2022-23

नई लाइनें

-49%

-52%

-28%

-43%

-4%

505%

गेज परिवर्तन

-50%

-40%

-32%

-22%

27%

-52%

डबलिंग

-45%

20%

-45%

-39%

24%

87%

डीजल लोको

2%

6%

-

-

-

3%

इलेक्ट्रिक लोको

13%

9%

10%

4%

23%

-16%

कोच

-4%

18%

-2%

-25%

7%

-22%

वैगन

-48%

-20%

-24%

-16%

-30%

38%

ट्रैक नवीनीकरण

12%

7%

15%

9%

7%

41%

बिजलीकरण

2%

-12%

-37%

0%

6%

1%

स्रोत: भौतिक लक्ष्य, व्यय प्रोफ़ाइल, रेलवे विवरण, रेल मंत्रालय, केंद्रीय बजट दस्तावेज़, 2019-20 से 2024-25; पीआरएस।

रेलवे सुरक्षा

रेल दुर्घटनाएं

दुर्घटना से तात्पर्य ऐसी घटना से है जो रेलवे, उसके इंजन या यात्रियों की सुरक्षा को प्रभावित करती है या प्रभावित कर सकती है।[22]  ऐसी (कॉन्सिक्वेंशनल) दुर्घटनाओं के गंभीर परिणाम होते हैं, और इसमें मानव चोट, मानव जीवन की हानि, रेलवे संपत्ति की हानि या रेल यातायात में रुकावट शामिल हो सकती है।22  दुर्घटनाओं में आमतौर पर ट्रेन की टक्कर, उसमें आगजनी या रेल का पटरी से उतरना शामिल होता है।22 2000-01 और 2022-23 के बीच, 3,913 रेल दुर्घटनाएं हुईं।[23]  पिछले कुछ वर्षों में ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट आई है। रेल मंत्रालय दुर्घटनाओं के प्रभाव को प्रति दस लाख किलोमीटर पर दुर्घटनाओं की संख्या के आधार पर भी मापता है। 2000-01 में प्रत्येक दस लाख किलोमीटर पर 0.65 दुर्घटनाएं हुईं। 2021-22 में यह आंकड़ा घटकर 0.03 रह गया है।6

रेखाचित्र 10: 2000-01 और 2021-22 के बीच रेल दुर्घटनाएं

स्रोत: भारतीय रेलवे- सुरक्षा प्रदर्शन फैक्ट शीट, लोकसभा सचिवालय, जुलाई 2018; 2017-18 से 2021-22 तक रेलवे ईयर बुक्स, रेल मंत्रालय; पिछले कुछ वर्षों में ट्रेन दुर्घटनाओं में गिरावट आई है, पीआईबी, रेल मंत्रालय, 2 फरवरी, 2024।

दुर्घटनाओं के कारण

वर्षों से रेलवे दुर्घटनाओं की जांच से इन घटनाओं के पीछे कुछ कारणों का पता चला है। 2010-11 और 2021-22 के बीच हुई सभी दुर्घटनाओं में से 50% का कारण रेलवे कर्मचारियों की विफलता है।[24]  रेलवे कर्मचारियों की विफलता के कारण होने वाली दुर्घटनाएं ऐसे हादसों का प्रमुख कारण हैं (अनुलग्नक देखें)।24 2017-18 और 2021-22 के बीच रेलवे कर्मचारियों की विफलता के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की कुल हिस्सेदारी 69% थी। रेल दुर्घटनाओं के अन्य कारकों में शामिल हैं: (i) रेलवे कर्मचारियों के अलावा अन्य व्यक्तियों के कारण विफलता, (ii) उपकरणों की विफलता जैसे लोकोमोटिव, रोलिंग स्टॉक, ओवरहेड तार, सिग्नलिंग और दूरसंचार उपकरण की विफलता, (iii) आकस्मिक कारक और अन्य कारक जैसे तोड़फोड़ और (iv) इनमें से एक से अधिक कारणों का एक साथ होना।22

कवच प्रणाली

ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए रेलवे ने कवच प्रणाली लागू की है। कवच टकराव बचाव प्रणाली है जो ट्रेन ऑपरेटर को निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर ट्रेन की गति बनाए रखने में सहायता करती है।25  अगर ट्रेन ऑपरेटर ऐसा करने में विफल रहता है तो इस सिस्टम में स्वचालित रूप से ब्रेक लग जाता है।[25]  मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि कवच की लागत प्रति मार्ग किलोमीटर 50 लाख रुपए और प्रति लोकोमोटिव (ट्रेन का इंजन) 70 लाख रुपए होगी।[26]  2021-22 तक, भारतीय रेलवे की कुल मार्ग लंबाई 68,043 किलोमीटर है और इसमें 13,215 परिचालन इंजन हैं।

24 जुलाई, 2024 तक कवच को दक्षिण-मध्य रेलवे पर 1,465 किमी और 144 लोकोमोटिव पर लगाया गया है।[27]  24 जुलाई, 2024 तक, मंत्रालय ने कवच को लागू करने पर 1,217 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।27  इस प्रणाली पर 2024-25 में 1,113 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।27 कवच के लिए पहला परीक्षण 2016 में किया गया था और जुलाई 2020 में इसे राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के रूप में इस्तेमाल किया गया था।25  वर्तमान में तीन भारतीय मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) हैं जिन्हें कवच के विकास के लिए मंजूरी दी गई है। [28]

दुर्घटना के प्रकार

डीरेलमेंट, यानी जब ट्रेन का पहिया पटरी से उतर जाता है, तो 75% रेल दुर्घटनाएं होती हैं। इसके बाद आग (9%) और लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाओं (8%) का स्थान है। लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएं मानवयुक्त और मानवरहित दोनों लेवल क्रॉसिंग पर हो सकती हैं। 31 मार्च, 2019 तक देश में सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है।[29] 1998 में प्रकाशित इंडियन रेलवे टेक्निकल गाइड ऑन डिरेलमेंट्स के अनुसार, निम्नलिखित के कारण रेल पटरी से उतर सकती है: (i) रेलवे कर्मचारियों द्वारा उपकरणों की ठीक से जांच न करना, (ii) लोकोमोटिव, यात्री कोच और माल वैगन, रेलवे ट्रैक, सिग्निल का अपर्याप्त रखरखाव, और (iii) अन्य परिचालन संबंधी अनियमितताएं।[30]  2017 और 2021 के बीच 1,129 डीरेलमेंट में से 26% ट्रैक रीन्यूअल का काम न होने से संबंधित थीं।[31] 

रेलवे सुरक्षा के लिए वित्त पोषण

रेलवे के सुरक्षा कार्यों को तीन फंड्स के जरिए वित्त पोषित किया जाता है, अर्थात् मूल्यह्रास आरक्षित फंड (डीआरएफ), रेलवे सुरक्षा फंड(आरएसएफ), और राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके फंड)।[32]  आरआरएसके फंड 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपए के कोष के साथ पांच वर्षों के लिए बनाया गया था।32,[33] फंड के लिए सुनिश्चित वार्षिक परिव्यय हर साल 20,000 करोड़ रुपए था, जिसमें केंद्र सरकार का योगदान 15,000 करोड़ रुपए था और रेलवे के आंतरिक संसाधनों से 5,000 करोड़ रुपए जुटाए जाने थे।33 इसे 2022-23 से अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।[34] 

कैग (2022) ने कहा कि अपर्याप्त राजस्व अधिशेष के कारण रेलवे को अपने आंतरिक राजस्व के माध्यम से आरआरएसके को वित्त पोषित करने में कमी हो रही है।5  2019-20 में रेलवे के आंतरिक राजस्व के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपए का वित्तपोषण किया जाना था, लेकिन सिर्फ 201 रुपए करोड़ रुपए फंड में ट्रांसफर किए गए।[35]  2020-21 में, आंतरिक राजस्व का योगदान बढ़कर 1000 करोड़ रुपए हो गया था, लेकिन बजटीय राशि 5,000 करोड़ रुपए से काफी कम थी।35 2023-24 के संशोधित अनुमान और 2024-25 के बजट अनुमान के अनुसार आंतरिक राजस्व से फंड के लिए कोई राशि बजट में नहीं रखी गई थी।35 

अधिक पुरानी या मूल्यह्रास संपत्तियों के लिए मूल्यह्रास आरक्षित फंड के माध्यम से प्रावधान किया जाता है।[36]  डीआरएफ को रेलवे के आंतरिक राजस्व के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।36 अपर्याप्त अधिशेष के कारण डीआरएफ को पिछले कुछ वर्षों में बजट से पर्याप्त धनराशि नहीं मिल रही है। 2021-22 में अधिक पुरानी संपत्तियों के नवीनीकरण के लिए डीआरएफ के लिए 800 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था। लेकिन इस मद के लिए कोई व्यय नहीं किया गया।35 2017-18 से 2022-23 तक डीआरएफ के लिए बजट की कुल राशि 9,600 करोड़ रुपए थी। इसमें से रेलवे केवल 3,140 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाया। डीआरएफ के लिए आवंटित धन के कम उपयोग के कारण, अधिक पुरानी संपत्तियों के नवीनीकरण में देरी हुई है। परिसंपत्ति मूल्यह्रास के लिए कम प्रावधान के परिणामस्वरूप 2021-22 तक परिसंपत्तियों को बदलने का काम लटक गया जिसका अनुमानित मूल्य 34,319 करोड़ रुपए है।5

अनुलग्नक

तालिका 4: यात्री यातायात का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन पीकेएम में, आय करोड़ रुपए में)

 

2022-23

2023-24

संशोधित

2024-25

बजटीय

% परिवर्तन
(2023-24 संअ से 2024-25 बअ)


2024-25 बअ में % हिस्सा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

कुल उपशहरी (क)

2,639

1,14,350

2,632

1,18,435

2,860

1,26,136

9%

7%

4%

10%

कुल गैर उपशहरी (ख)

60,778

8,44,569

70,368

9,83,972

77,140

11,12,768

10%

13%

96%

90%

एसी प्रथम श्रेणी

929

2,935

1,231

3,882

1,357

4,277

10%

10%

2%

0.3%

एसी 2 टियर

5,858

31,472

6,802

36,254

7,327

39,051

8%

8%

9%

3%

एसी 3 टियर

21,345

1,55,765

26,167

1,87,050

26,584

1,90,032

2%

2%

33%

15%

एग्जीक्यूटिव श्रेणी

285

723

572

1,383

644

1,556

12%

13%

1%

0.1%

एसी चेयर कार

2,296

12,286

3,158

16,179

3,845

19,700

22%

22%

5%

2%

प्रथम श्रेणी (एमई)

28

20

30

18

37

22

25%

22%

0.05%

0.002%

प्रथम श्रेणी (साधारण)

5

97

4

115

4

115

0%

0%

0.01%

0.01%

स्लीपर श्रेणी (एमई)

15,929

2,80,260

16,142

2,82,792

17,530

3,07,108

9%

9%

22%

25%

स्लीपर श्रेणी (साधारण)

6

94

6

93

6

93

0%

0%

0.01%

0.01%

द्वितीय श्रेणी (एमई)

13,533

3,23,628

15,667

4,14,433

19,181

5,06,548

22%

22%

24%

41%

द्वितीय श्रेणी (साधारण)

566

37,289

589

41,773

624

44,266

6%

6%

1%

4%

कुल (ए+बी)

63,417

9,58,919

73,000

11,02,407

80,000

12,38,904

10%

12%

100%

100%

नोट: पीकेएम- पैसेंजर किलोमीटर (एक पीकेएम, यानी एक किलोमीटर पर जाने वाला यात्री), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।

तालिका 5: माल ढुलाई का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन एटीकेएम में; आय करोड़ रुपए में)

 

2022-23 वास्तविक

2023-24 संअ

2024-25 बअ

% परिवर्तन
(2023-24 संअ से 2024-25 बअ)


2024-25 बअ में % हिस्सा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

आय

मात्रा

कोयला

80,747

4,04,138

82,905

3,95,368

93,112

4,18,527

12%

6%

51%

45%

अन्य वस्तुएं

11,666

88,514

12,316

90,079

12,264

84,420

-0.4%

-6%

7%

9%

सीमेंट

12,197

86,009

13,239

83,580

14,308

83,778

8%

0.2%

8%

9%

कंटेनर सेवा

7,082

72,451

8,403

73,104

9,524

72,833

13%

-0.4%

5%

8%

अनाज

10,038

83,756

8,241

60,493

8,174

56,988

-1%

-6%

4%

6%

लौह अयस्क

12,314

57,979

13,925

63,777

13,982

59,737

0%

-6%

8%

6%

पिग आयरन और फिनिश्ड स्टील

10,529

66,495

11,135

58,407

11,772

57,907

6%

-1%

6%

6%

उर्वरक

6,629

49,832

7,183

47,960

7,505

47,022

4%

-2%

4%

5%

पेट्रोलियम, तेल और ल्यूब्रिकेंट्स

6,305

33,690

6,859

34,526

7,013

33,150

2%

-4%

4%

4%

इस्पात संयंत्रों के लिए कच्चा माल

2,651

16,702

2,648

15,260

2,885

15,821

9%

4%

2%

2%

विविध राजस्व

2,104

-

2,200

-

2,347

-

7%

-

1%

0%

कुल

1,62,263

9,59,566

1,69,054

9,22,554

1,82,885

9,30,183

8%

1%

100%

100%

नोट: एनटीकेएम- नेट टन किलोमीटर (एक एनटीकेएम एक किलोमीटर के लिए माल ढुलाई का शुद्ध वजन होता है), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान। स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।

तालिका 9 : पूंजी व्यय के विवरण (करोड़ रुपए में)

मद

2022-23
वास्तविक

2023-24
बअ

2023-24
संअ

2024-25
बअ

23-24 संअ से 24-25 बअ में परिवर्तन का %

नई लाइनें (निर्माण)

24,663

31,850

34,410

34,603

1%

गेज परिवर्तन

2,877

4,600

4,279

4,720

10%

डबलिंग

30,043

30,749

35,046

29,312

-16%

यातायात सुविधाएं-यार्ड रीमॉडलिंग और अन्य

4,460

6,715

7,809

8,983

15%

रोलिंग स्टॉक

44,293

47,510

50,325

52,314

4%

लीज्ड एसेट्स- कैपिटल कंपोनेंट का भुगतान

17,456

22,229

21,300

24,270

14%

सड़क सुरक्षा कार्य-सड़क के ऊपर/नीचे पुल

4,827

7,400

6,297

9,275

47%

ट्रैक नवीनीकरण

16,326

17,297

16,826

17,652

5%

बिजलीकरण परियोजनाएं

6,658

8,070

8,361

6,472

-23%

अन्य इलेक्ट्रिकल वर्क्स सहित टीआरडी

735

1,650

1,545

1,682

9%

उत्पादन इकाइयों सहित वर्कशॉप्स

2,481

4,601

3,458

4,904

42%

कर्मचारी कल्याण

421

629

733

815

11%

ग्राहक सुविधाएं

2,159

13,355

9,618

15,511

61%

सरकारी वाणिज्यिक उपक्रम- सार्वजनिक उपक्रम/जेवी/एसपीवी में निवेश

27,533

34,354

32,800

32,761

-0.1%

मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट्स

4,500

5,000

4,601

4,090

-11%

अन्य

3,465

7,192

5,793

7,838

35%

ईबीआर- साझेदारी

11,086

17,000

17,000

10,000

-41%

कुल

2,03,983

2,60,200

2,60,200

2,65,200

2%

नोट: संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।

तालिका 7: भौतिक लक्ष्य और पूंजी व्यय की उपलब्धियां

मद

2022-23

2023-24

2024-25

23-24 संअ से 24-25 बअ में परिवर्तन का %

बजट लक्ष्य

उपलब्धि

% में

बजट लक्ष्य

उपलब्धि

% में

बजट लक्ष्य

नई लाइनों का निर्माण (किलोमीटर मार्ग)

300

1,815

605%

600

600

0%

700

17%

गेज परिवर्तन (किलोमीटर मार्ग)

500

242

48%

150

150

0%

200

33%

लाइनों की डबलिंग (किलोमीटर मार्ग)

1,700

3,186

187%

2,800

2,800

0%

2,900

4%

रोलिंग स्टॉक

               

(i) डीजल लोकोमोटिव्स

100

103

103%

100

100

0%

100

0%

(ii) इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स

1,290

1,086

84%

1,290

1,280

-1%

1,600

25%

कोच

7,551

5,877

78%

6,978

7,000

0%

8,405

20%

वैगन (वाहन संख्या)

13,000

17,935

138%

26,000

23,000

-12%

38,000

65%

ट्रैक नवीनीकरण (ट्रैक किलोमीटर)

3,700

5,227

141%

4,800

4,800

0%

5,000

4%

बिजलीकरण परियोजनाएं (किलोमीटर मार्ग)

6,500

6,565

101%

6,500

6,500

0%

-

 

स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2023-24 और 2024-25; पीआरएस।

तालिका 8: विभिन्न निधियों का विभाजन (करोड़ रुपए में)

वर्ष

पूंजी कोष

ऋण चुकौती कोष

मूल्य ह्रास कोष

विकास कोष

राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष

2013-14

500

165

7,900

3,075

-

2014-15

6,233

57

7,775

1,375

-

2015-16

5,798

3,488

5,600

1,220

-

2016-17

2,398

0

5,200

2,515

-

2017-18

0

0

1,540

1,506

0

2018-19

0

0

300

750

3,024

2019-20

0

0

400

1,389

201

2020-21

0

0

200

1,547

1,000

2021-22

0

0

0

0

0

2022-23

0

0

700

1,000

1,517

2023-24 RE

0

0

800

1,000

1,000

2024-25 BE

0

0

1,000

1,000

1,800

नोट: संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: व्यय प्रोफ़ाइल; केंद्रीय बजट 2024-25; पीआरएस।

तालिका 9: 2010-11 से 2021-22 के बीच रेल दुर्घटनाओं के प्रकार

वर्ष

टक्कर

डीरेलमेंट

लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएं

ट्रेनों में आगजनी

विविध

कुल

2010-11

5

78

53

2

1

139

2011-12

9

55

61

4

2

131

2012-13

6

48

58

8

-

120

2013-14

4

52

51

7

3

117

2014-15

5

60

56

6

4

131

2015-16

3

64

35

-

4

106

2016-17

5

77

20

1

-

103

2017-18

3

53

13

3

-

72

2018-19

-

46

6

6

1

59

2019-20

5

40

1

7

1

54

2020-21

1

16

1

3

-

21

2021-22

2

26

1

4

1

34

स्रोत: 2015-16 से 2021-22 तक रेलवे ईयर बुक्स, रेल मंत्रालय; पीआरएस।

तालिका 10: 2010-11 और 2021-22 के बीच रेल दुर्घटनाओं के कारण

वर्ष

कर्मचारियों की विफलता

कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य लोगों की विफलता

उपकरणों की विफलता

आकस्मिक

तोड़-फोड़

कई कारण एक साथ

कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं

कारण पता नहीं चला

जांच के तहत

कुल

2010-11

58

58

2

3

16

2

0

0

0

139

2011-12

57

62

3

2

6

1

0

0

0

131

2012-13

41

58

7

6

3

0

0

2

3

120

2013-14

49

57

3

4

3

0

0

0

1

117

2014-15

58

57

3

8

2

0

0

2

1

131

2015-16

54

38

2

9

1

1

0

1

0

106

2016-17

64

22

2

6

2

3

0

0

4

103

2017-18

43

17

3

5

2

2

0

0

0

72

2018-19

42

9

2

6

0

0

0

0

0

59

2019-20

44

5

4

1

0

0

0

0

1

55

2020-21

16

4

0

0

0

0

1

0

0

21

2021-22

20

4

4

3

1

0

2

0

0

34

स्रोत: 2015-16 से 2021-22 तक रेलवे ईयर बुक्स, रेल मंत्रालय; पीआरएस।


[1] ‘Improving Rail Efficiency and Share in India’s Freight Transport’, NITI Aayog, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2023-03/Efficiency%20and%20competitiveness%20of%20Indian%20Railways.pdf.

[2] Unstarred Question No. 440, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on August 20, 2018, https://sansad.in/getFile/annex/246/Au440.docx?source=pqars.

[4] ‘National Rail Plan aims to increase share of freight traffic from current percentage of 27 to 45 by 2030’, Press Information Bureau, Ministry of Railways, December 14, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1883514.

[5] Report No. 13, Railway Finances for the year ended 2022, Comptroller and Auditor General of India, August 8, 2023, https://cag.gov.in/rly/new-delhi-ii/en/audit-report/download/119077.

[8] Unstarred Question No. 2043, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on December 23, 2022, https://sansad.in/getFile/annex/258/AU2043.pdf?source=pqars.

[9] Unstarred Question No. 913, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on February 9, 2024, https://sansad.in/getFile/annex/263/AU913.pdf?source=pqars.

[10] Dedicated Freight Corridor of Indian Railways, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 10, 2021, https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1703805.

[11] ‘400 Vande Bharat Trains to be introduced in next 3 years: Union Budget 2022’, Press Information Bureau, Ministry of Railways, October 10, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1966347.

[12] Unstarred Question no. 367, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on July 24,2024, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/182/AU367_bF0TFC.pdf?source=pqals.

[13] ‘New Amrit Bharat Trains for the convenience of passengers’, Press Information Bureau, Ministry of Railways, December 29, 2023, https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1991568.

[14] ‘Indian Railways rationalises Passenger Fares’, Press Information Bureau, Ministry of Railways, January 1, 2020, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1598122.

[15] Report No. 13, Railway Finances for the year ended 2021, Comptroller and Auditor General of India, December 21, 2021, https://cag.gov.in/en/audit-report/details/115186.

[16] Report No. 3, Standing Committee on Railways, Lok Sabha, March 2, 2020, https://eparlib.nic.in/handle/123456789/790821?view_type=browse.

[17] ‘Amrit Bharat Station Scheme’, Ministry of Railways, https://www.india.gov.in/spotlight/amrit-bharat-station-scheme.

[18] Report of the Committee for Mobilization of Resources for Major Railway  Projects and Restructuring of Railway Ministry and Railway Board, Ministry of Railways, June 2015, https://indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/HLSRC/FINAL_FILE_Final.pdf.

[19] Unstarred Question No. 2672, answered on August 11, 2023, Rajya Sabha, Ministry of Railways, https://sansad.in/getFile/annex/260/AU2672.pdf?source=pqars.

[20] Report No. 11, Standing Committee on Railways, Lok Sabha, March 14, 2022, https://eparlib.nic.in/bitstream/123456789/845617/1/17_Railways_11.pdf

[21] Report No. 8, Railway Finances for the year ended 2019, Comptroller and Auditor General of India, September 23, 2020, https://cag.gov.in/en/audit-report/details/110788.

[22] Definition & Classification of Accidents, Central Railway, Indian Railways, https://cr.indianrailways.gov.in/cris/uploads/files/1457412655429-Accident%20Manual.pdf.

[23] ‘Steep Decline in Consequential Train Accidents From 473 In 2000-01 to 48 in 2022-23’, Press Information Bureau, Ministry of Railways, July 21, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1941440.

[24] Indian Railways – Safety Performance Fact Sheet, Lok Sabha Secretariat, July 2018, https://loksabhadocs.nic.in/Refinput/New_Reference_Notes/English/Indian%20Railways-Safety%20Performance.pdf.

[25] Union Minister Shri Ashwini Vaishnaw inspects the trial of Kavach System, Press Information Bureau, Ministry of Railways, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1802968.

[26] Unstarred Question no. 289, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on July 21, 2023, https://sansad.in/ca77162f-de8d-45d6-b4df-ec53043c6e95.

[27] Unstarred Question no. 429, Ministry of Railways, Lok Sabha, answered on July 24, 2024, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/182/AU429_gaSgGH.pdf?source=pqals.

[28] Unstarred Question no. 933, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on February 9, 2024, https://sansad.in/getFile/annex/263/AU933.pdf?source=pqars.

[29] Unstarred Question no. 1589, Ministry of Railways, Rajya Sabha, answered on December 15, 2023, https://sansad.in/64b1fb1d-73de-41aeaa71-e277bd3d1318.

[31] Report no. 22, Performance Audit on Derailment in Indian Railways,

Comptroller and Auditor General of India, December 21, 2022, https://cag.gov.in/en/audit-report/details/117808.

[32] Report No. 13, Railway Finances for the year ended 2020, Comptroller and Auditor General of India, August 8, 2023, https://cag.gov.in/rly/new-delhi-ii/en/audit-report/download/119077.

[33] From 2017-18 to 2021-22, an expenditure of 1.08 lakh crore was incurred on Rashtriya Rail Sanraksha Kosh works, Press Information Bureau, Ministry of Railways, July 21, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1941437.

[34] Steps Taken By Government To Enhance The Level Of Passenger Safety In Railways, Press Information Bureau, Ministry of Railways, February 7, 2024, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2003511#:~:text=In%202022%2D23%2C%20the%20Govt,GBS)%20of%20%E2%82%B9%2045%2C000%20crores.

[35] Railway Statements, Union Budgets of year 2022-23 to 2024-25, https://www.indiabudget.gov.in/previous_union_budget.php.

[36] Appendix 1, Finance Audit on Railways, Comptroller and Auditor General of India, 2018, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2018/Appendix_of_Report_No.1_of_2018_-_Finance_Audit_on_Railways_Finances_in_Indian_Railways_Union_Government.pdf.

 

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