स्वतंत्रता के 65 साल पूरे होने पर संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पड़ावों पर नजर डालना समीचीन होगा। इस संबंध में सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि यह है कि भारतीय लोकतंत्र परिपक्व हो गया है और जहां तक संसदीय कार्यवाही का संबंध है तो यह अपेक्षाओं पर खरी उतरी है। इस बात पर खुशी मनाई जा सकती है कि सातवें दशक के एक ...