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लोकसभा में 22 दिसंबर, 2022 को जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 को पेश किया गया। यह बिल व्यक्तियों और व्यवसायों पर अनुपालन के दबाव को कम करने के लिए 42 कानूनों में संशोधन करता है और कारोबारी सुगमता को सुनिश्चित करता है। बिल जिन कानूनों में संशोधन करता है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: भारतीय डाक घर एक्ट, 1898, पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986, सार्वजनिक देयता बीमा एक्ट, 1991 और सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
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कुछ अपराधों को अपराध मुक्त (डीक्रिमिनलाइज) करना: बिल कुछ कानूनों में कुछ अपराधों को कैद की सजा से मुक्त करता है और उनके लिए सिर्फ मौद्रिक दंड का प्रावधान करता है। उदाहरण के लिए कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग और मार्किंग) एक्ट, 1937 में जाली ग्रेड डेज़िग्नेशन मार्क बनाने पर तीन वर्ष तक की कैद की सजा और पांच हजार रुपए तक का जुर्माना (फाइन) है। बिल इसे आठ लाख रुपए तक के अर्थदंड (पैनेल्टी) से बदलता है। ग्रेड डेज़िग्नेशन मार्क 1937 के एक्ट के तहत किसी वस्तु की क्वालिटी का संकेत देता है। सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000 के तहत कानूनी अनुबंध का उल्लंघन करते हुए व्यक्तिगत सूचना का खुलासा करने पर तीन वर्ष तक की कैद, या पांच लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। बिल इसे 25 लाख रुपए तक के अर्थदंड से बदलता है।
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कुछ कानूनों में अपराधों में जुर्माने की बजाय अर्थदंड लगाकर, उन्हें अपराधमुक्त किया गया है। उदाहरण के लिए पेटेंट्स एक्ट, 1970 के तहत अगर कोई व्यक्ति झूठे तरीके से यह प्रस्तुत करता है कि उसके द्वारा बेची जाने वाली वस्तु भारत में पेटेंट है तो उसे एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। बिल जुर्माने को अर्थदंड में बदलता है, जोकि 10 लाख रुपए तक हो सकता है। अगर वह ऐसा दावा करना जारी रखता है तो प्रति दिन एक हजार रुपए का अतिरिक्त अर्थदंड लगेगा।
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जुर्माने और अर्थदंड में संशोधन: बिल निर्दिष्ट कानूनों में विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माने और अर्थदंड को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त इन जुर्मानों और अर्थदंड को हर तीन वर्षों में न्यूनतम राशि से 10% तक बढ़ाया जाएगा।
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एडजुडिकेटिंग अधिकारियों की नियुक्ति: बिल के अनुसार, केंद्र सरकार अर्थदंड निर्धारित करने के उद्देश्य से एक या एक से अधिक एडजुडिकेटिंग अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है। एडजुडिकेटिंग अधिकारी निम्नलिखित कर सकते हैं: (i) सबूत के लिए व्यक्तियों को समन कर सकते हैं, और (ii) संबंधित कानूनों के उल्लंघन की जांच कर सकते हैं। इन कानूनों में शामिल हैं: कृषि उपज (ग्रेडिंग और मार्किंग) एक्ट, 1937, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट, 1981, पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986, और सार्वजनिक देयता बीमा एक्ट, 1991।
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एडजुडिकेटिंग अधिकारी के आदेश से पीड़ित व्यक्ति के लिए बिल एक अपीलीय तंत्र की भी व्यवस्था करता है। उदाहरण के लिए, पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 में आदेश के 60 दिनों के भीतर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील दायर की जा सकती है।
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