मंत्रालय: 
युवा मामले एवं खेल

बिल की मुख्‍य विशेषताएं

  • बिल एथलीट्स, एथलीट्स के सपोर्ट कर्मचारियों और अन्य लोगों को खेलों में डोपिंग में शामिल होने से प्रतिबंधित करता है। एंटी-डोपिंग नियमों के उल्लंघन पर नतीजों को डिस्क्वालिफाई किया जा सकता है, जिसमें मेडल, प्वाइंट्स और पुरस्कार को जब्त करना शामिल है। इसके अलावा एक निर्धारित अवधि के लिए प्रतिस्पर्धा या किसी आयोजन में भाग नहीं ले सकते और वित्तीय प्रतिबंध लग सकते हैं।
     
  • वर्तमान में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) द्वारा एंटी-डोपिंग नियमों को लागू किया जाता है। इस एजेंसी को एक सोसायटी के तौर पर स्थापित किया गया था। बिल वैधानिक निकाय के रूप में नाडा की स्थापना का प्रावधान करता है जिसकी अध्यक्षता महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) द्वारा की जाएगी और उसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। एजेंसी के कार्यों में एंटी-डोपिंग संबंधी गतिविधियों की योजना बनाना, उन्हें लागू तथा उनकी निगरानी करना, और एंटी-डोपिंग के नियमों के उल्लंघनों की जांच करना शामिल है।
     
  • एंटी-डोपिंग रेगुलेशंस पर सरकार को सुझाव देने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करने के लिए खेलों में राष्ट्रीय एंटी डोपिंग बोर्ड की स्थापना की जाएगी। बोर्ड नाडा की गतिविधियों का निरीक्षण करेगा और उन्हें निर्देश जारी करेगा।
     
  • एंटी-डोपिंग नियमों के उल्लंघन के नतीजों को निर्धारित करने के लिए बोर्ड एक राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग डिसिप्लिनरी पैनल बनाएगा। इसके अतिरिक्त बोर्ड डिसिप्लिनरी पैनल के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए एक राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग अपील पैनल भी बनाएगा।   

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • नाडा के महानिदेशक से संबंधित दो मुद्दे हैं। पहला, बिल में महानिदेशक की क्वालिफिकेशन स्पष्ट नहीं की गई है और उसे नियमों के जरिए अधिसूचित करने के लिए छोड़ दिया गया है। दूसरा, केंद्र सरकार महानिदेशक को दुर्व्यवहार या अक्षमता या “ऐसे ही किसी अन्य आधार” पर कार्यालय से हटा सकती है। ऐसे प्रावधानों को केंद्र सरकार के विवेकाधीन छोड़ने से महानिदेशक की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। यह विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी के इस मैन्डेट के खिलाफ भी हो सकता है कि ऐसी संस्थाओं को अपने संचालन में स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
     
  • बिल के अंतर्गत बोर्ड को यह अधिकार है कि वह डिसिप्लिनरी पैनल और अपील पैनल के सदस्यों को हटा सकता है। उन्हें जिस आधार पर हटाया जा सकता है, उन्हें रेगुलेशंस के जरिए निर्दिष्ट किया जाएगा। बिल में इन्हें निर्दिष्ट नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त हटाए गए सदस्यों को सुनवाई का मौका देने की कोई जरूरत नहीं है। इससे इन पैनलों का स्वतंत्र कामकाज प्रभावित हो सकता है। 

भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

एथलीट्स खेल प्रदर्शन में सुधार करने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थों का उपभोग करते हैं। इसे डोपिंग कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी के अंतर्गत नवंबर 1999 में विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (वाडा) की स्थापना की गई थी। उल्लेखनीय है कि वाडा को खेलों में डोपिंग के खिलाफ यूनेस्को के इंटरनेशनल कन्वेंशन द्वारा मान्यता प्राप्त है।[1]  वाडा का मुख्य काम, सभी प्रकार के खेलों और देशों में एंटी-डोपिंग रेगुलेशंस को विकसित करना, उनके बीच सामंजस्य पैदा करना और उनका समन्वय करना है। इसके लिए एजेंसी विश्व एंटी-डोपिंग कोड (वाडा कोड) तथा उसके मानकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है, डोपिंग के मामलों की जांच करती है, डोपिंग पर शोध करती है, तथा खिलाड़ियों और संबंधित कर्मचारियों को एंटी-डोपिंग रेगुलेशंस के बारे में शिक्षित करती है।[2] वाडा वर्ष में कम से कम एक बार प्रतिबंधित पदार्थों की सूची छापती है और अपने सभी हस्ताक्षरकर्तांओं में बांटती है।[3] प्रतिबंधित पदार्थों के इस्तेमाल की छूट है, अगर वे थेराप्यूटिक यूज, जैसा निर्दिष्ट हो, के लिए जरूरी हों। वाडा के अनुसार, 2019 में डोपिंग के नियमों के सबसे ज्यादा उल्लंघन बॉडी-बिल्डिंग (22%)एथलेटिक्स (18%), साइकिलिंग (14%) और वेटलिफ्टिंग (13%) में किए गए।[4]  वाडा के अंतर्गत काम करने वाले राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संगठनों में से अधिकतम पॉजिटिव सैंपल भारत (4,004 में से 225 सैंपल), यूएसए (11,213 में से 194 सैंपल) और रूस (9,516 में से 85) में दर्ज किए गए। 

वाडा यह अपेक्षा करती है कि सभी देशों में एंटी-डोपिंग नियमों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संगठन बनाए जाएं। भारत में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) एंटी-डोपिंग प्रक्रिया का संचालन करती है। नवंबर 2009 में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के अंतर्गत नाडा को एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।[5],[6] नाडा के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विश्व एंटी-डोपिंग कोड के अनुसार एंटी-डोपिंग नियमों को लागू करना, (ii) डोपिंग नियंत्रण कार्यक्रमों को रेगुलेट करना, (iii) डोप टेस्ट करना, और (iv) उल्लंघनों के मामले में सजा को अधिकृत करना। भारत में एंटी-डोपिंग कानून नहीं है। 2021 में खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कहा था कि एंटी-डोपिंग नियम किसी कानून द्वारा समर्थित नहीं हैं और उन्हें अदालत में कोई भी चुनौती दे सकता है।[7] उसने खेल विभाग को सुझाव दिया था कि 2021-22 में एंटी-डोपिंग कानून लाया जाए।

मुख्य विशेषताएं          

  • डोपिंग पर प्रतिबंधबिल एथलीट्स, एथलीट्स के सपोर्ट कर्मचारियों और अन्य लोगों को खेलों में डोपिंग से प्रतिबंधित करता है। सपोर्ट कर्मचारियों में कोच, ट्रेनर, मैनेजर, टीम स्टाफ, मेडिकल कर्मचारी और एथलीट्स के साथ काम करने, उनका उपचार और सहयोग करने वाले अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एंटी-डोपिंग नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा, जिनमें निम्नलिखित शामिल है: (i) एथलीट के शरीर में प्रतिबंधित पदार्थों या उनके मार्कर्स की मौजूदगी, (ii) किसी प्रतिबंधित पदार्थ या पद्धतियों का इस्तेमाल, इस्तेमाल की कोशिश या उनका कब्जे में होना, (iii) सैंपल देने से इनकार करना, (iv) प्रतिबंधित पदार्थ या पद्धतियों की तस्करी या तस्करी की कोशिशऔर (v) ऐसे उल्लंघन करने में मदद करना या उसे छिपाना। अगर किसी एथलीट को अपनी मेडिकल जरूरत के लिए प्रतिबंधित पदार्थ या पद्धति का उपयोग करना हो तो वह नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी में थेराप्यूटिक यूज के लिए छूट का आवेदन कर सकता है।
     
  • उल्लंघन करने का परिणाम: अगर कोई एथलीट या एथलीट का सपोर्ट कर्मचारी एंटी-डोपिंग नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं: (i) परिणाम डिस्क्वालिफाई हो सकते हैं जिसमें मेडल, प्वाइंट्स और पुरस्कार को जब्त करना शामिल है, (ii) एक निर्दिष्ट अवधि तक किसी प्रतिस्पर्धा या आयोजन में भाग नहीं ले पाना, (iii) वित्तीय प्रतिबंध, और (iv) अन्य परिणाम, जिन्हें निर्दिष्ट किया जा सकता है। टीम स्पोर्ट्स के परिणामों को रेगुलेशंस के जरिए निर्दिष्ट किया जाएगा। राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग डिसिप्लिनरी पैनल सुनवाई के बाद उल्लंघन के परिणाम निर्धारित करेगी।
     
  • राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसीवर्तमान में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी, एंटी डोपिंग नियमों को लागू करती है। यह एजेंसी सोसायटी के तौर पर स्थापित है। बिल में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी को वैधानिक निकाय के तौर पर स्थापित किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त महानिदेशक एजेंसी के प्रमुख होंगे। एजेंसी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है: (i) एंटी-डोपिंग गतिविधियों की योजना बनाना, उन्हें लागू करना और उनकी निगरानी करना, (ii) एंटी-डोपिंग के नियमों के उल्लंघन की जांच करना, और (iii) एंटी-डोपिंग संबंधी शोध को बढ़ावा देना।
     
  • एथलीट्स और डोपिंग से संबंधित डेटा: एजेंसी के पास एथलीट्स के कुछ व्यक्तिगत डेटा जमा करने की शक्ति भी होगी, जैसे (i) सेक्स और जेंडर, (ii) मेडिकल हिस्ट्री, (iii) एथलीट्स के पते-ठिकाने की जानकारी (आउट ऑफ कंपीटीशन टेस्टिंग और सैंपल कलेक्शन के लिए)। एजेंसी पर्सनल डेटा के कलेक्शन, उपयोग, प्रोसेसिंग और खुलासे की प्रक्रिया को निर्दिष्ट करेगी। वह कुछ सूचनाओं का सार्वजनिक खुलासा करेगी जिसमें एथलीट का नाम, उसने किस नियम का उल्लंघन किया है, और उसके नतीजे का खुलासा शामिल है।
     
  • खेलों में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बोर्डएंटी-डोपिंग रेगुलेशंस पर सरकार को सुझाव देने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करने के लिए बिल खेलों में राष्ट्रीय एंटी डोपिंग बोर्ड की स्थापना करता है। बोर्ड एजेंसी की गतिविधियों का निरीक्षण करेगा और उन्हें निर्देश जारी करेगा। बोर्ड में एक चेयरपर्सन और दो सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी।
     
  • डिसिप्लिनरी और अपील पैनलएंटी-डोपिंग नियमों के उल्लंघन के नतीजों को निर्धारित करने के लिए बोर्ड एक राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग डिसिप्लिनरी पैनल बनाएगा। पैनल में एक चेयरपर्सन और चार वाइस चेयरपर्सन्स (सभी कानूनी विशेषज्ञ) और 10 सदस्य (मेडिकल प्रैक्टीशनर और रिटायर हो चुके प्रसिद्ध एथलीट्स) होंगे।
     
  • बोर्ड निम्नलिखित के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग अपील पैनल बनाएगा: (i) थेराप्यूटिक यूज के लिए छूट देने से इनकार करने पर, (ii) एंटी-डोपिंग के नियमों के उल्लंघन के परिणामों के लागू होने पर, या (iii) किसी अन्य परिणाम पर, जिसे निर्दिष्ट किया जाएगा। अपील पैनल में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) चेयरपर्सन (हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज), (ii) वाइस-चेयरपर्सन (कानूनी विशेषज्ञ), और (iii) चार सदस्य (मेडिकल प्रैक्टीशनर और रिटायर हो चुके प्रसिद्ध एथलीट्स)। अपील पैनल के फैसलों के खिलाफ कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (खेल संबंधी विवादों का निपटान करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था, जिसका मुख्यालय लुसान, स्विट्जलैंड में है) में अपील की जाएगी।
     
  • डोप टेस्टिंग लेबोरेट्रीज़मौजूदा राष्ट्रीय डोप टेस्टिंग लेबोरेट्री को मुख्य डोप टेस्टिंग लेबोरेट्री माना जाएगा। केंद्र सरकार डोप टेस्टिंग के लिए अन्य राष्ट्रीय लेबोरेट्रीज़ भी बना सकती है। 

भाग ख : प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

नाडा की स्वतंत्रता और सुनवाई तथा अपीलीय पैनल 

नाडा के महानिदेशक की स्वतंत्रता

वाडा के अनुसार, राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संगठन जनहित में काम करते हैं और कठोर राष्ट्रीय रेगुलेशंस का विषय हो सकते हैं।[8]  उन पर उनकी सरकारों और राष्ट्रीय खेल निकायों का बाहरी दबाव भी हो सकता है, जोकि संबंधित एथलीट्स की टेस्टिंग कराने, डोपिंग के नियमों के उल्लंघनों की समीक्षा करने, और वाडा कोड का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर जुर्माना लगाने के उनके फैसलों को प्रभावित कर सकते हैं।8  प्रभावी और विश्वसनीय एंटी-डोपिंग प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए ऐसे संगठनों को ऑपरेशनल फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।बिल के प्रावधान यह पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं कर सकते कि नाडा केंद्र सरकार से स्वतंत्र है। 

बिल के अंतर्गत नाडा की अध्यक्षता महानिदेशक द्वारा की जाएगी जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। महानिदेशक की क्वालिफिकेशन बिल में निर्दिष्ट नहीं है, और इसे नियमों के जरिए अधिसूचित करने के लिए छोड़ दिया गया है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार महानिदेशक को दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर या ऐसे अन्य आधार पर कार्यालय से हटा सकती है। आखिरी श्रेणी को न तो बिल में निर्दिष्ट किया गया है, न ही उन्हें नियमों के जरिए निर्दिष्ट किया जाना है, इसलिए केंद्र सरकार को महानिदेशक को हटाने का व्यापक अधिकार मिल जाता है। इन दोनों प्रावधानों से महानिदेशक के स्वतंत्र कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। 

उल्लेखनीय है कि कुछ रेगुलेटर्स जैसे सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) और भारतीय राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन से संबंधित एक्ट्स में सदस्यों की न्यूनतम क्वालिफिकेशन और उन्हें हटाने के आधार को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया गया है।[9],[10],[11] सरकार को नियमों के जरिए महानिदेशक की क्वालिफिकेशंस को तय करने और उन्हें हटाने के आधार पर निर्णय लेने की शक्ति देने से महानिदेशक के स्वतंत्र कामकाज पर असर हो सकता है और यह वाडा के मैन्डेट के खिलाफ जा सकता है। 

डिसिप्लिनरी और अपील पैनल के सदस्यों को हटाने के आधार को रेगुलेशंस के जरिए निर्दिष्ट किया जाएगा

वाडा के दिशानिर्देशों में एंटी-डोपिंग के नियमों के उल्लंघन के परिणाम तय करने के लिए स्वतंत्र प्रक्रिया जरूरी है। इसमें यह शर्त भी शामिल है कि अपील पैनल के किसी सदस्य को उसके कार्यकाल के दौरान पद से नहीं हटाया जाएगा, जब तक कि कोई निष्पक्ष और/ओवरराइडिंग लीगल कारण न हो।[12]  इन लीगल कारणों में कानूनी अक्षमता, डोपिंग और/या आपराधिक कार्यों में शामिल होना, और सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों का उल्लंघन शामिल हैं।

बिल के अंतर्गत खेलों में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बोर्ड नियमों के उल्लंघन के परिणामों को तय करने के लिए एक डिसिप्लिनरी पैनल बनाएगा। बोर्ड एक अपील पैनल भी बनाएगा जोकि डिसिप्लिनरी पैनल के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगा। बोर्ड डिसिप्लिनरी पैनल और अपील पैनल के सदस्यों को जिन आधारों पर हटा सकता है, उन्हें बोर्ड ही रेगुलेशंस जारी करके निर्दिष्ट करेगा। बिल में सदस्यों को हटाने के आधार निर्दिष्ट नहीं किए हैं जिससे बोर्ड को रेगुलेशंस के जरिए सदस्यों को हटाने के आधार निर्धारित करने का अधिकार मिल जाता है। इससे इन संस्थानों का स्वतंत्र कामकाज प्रभावित हो सकता है।   

उल्लेखनीय है कि बिल राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बोर्ड के सदस्यों को हटाने के आधार निर्दिष्ट करता है (जैसे किसी अपराध का दोषी पाया जाना और पद का दुरुपयोग), और ऐसे मामलों में सदस्यों को सुनवाई का अवसर भी दिया गया है। लेकिन बिल में डिसिप्लिनरी और अपील बोर्ड के सदस्यों को हटाए जाने से पहले सुनवाई का अवसर देने से संबंधित कोई प्रावधान नहीं है।

डिसिप्लिनरी और अपील पैनल के सदस्यों की क्वालिफिकेशन वाडा के मानदंडों पर खरी नहीं उतरती  

वाडा के दिशानिर्देशों में अपेक्षित है कि अपील पैनल के सदस्यों को कानूनी (अगर चेयरपर्सन की कोई कानूनी पृष्ठभूमि न हो), वैज्ञानिक, मेडिसिन, या खेल जैसे संबंधित क्षेत्रों में सामूहिक विशेषज्ञता प्रदान करनी चाहिए और उनके पास एंटी-डोपिंग का अनुभव होना चाहिए।12  हालांकि बिल के अंतर्गत अपील पैनल के किसी भी सदस्य के पास एंटी-डोपिंग का अनुभव होना जरूरी नहीं है।  

बिल में स्पष्ट नहीं है कि कौन सा वाइस चेयरपर्सन अपील पैनल बनाएगा

एंटी-डोपिंग संबंधी नियमों के उल्लंघन के परिणामों को निर्धारित करने के लिए खेलों में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बोर्ड डिसिप्लिनरी पैनल बनाएगा। पैनल में एक चेयरपर्सन, चार वाइस चेयरपर्सन और दस सदस्य होंगे। चेयरपर्सन और उसकी अनुपस्थिति में वाइस चेयरपर्सन अपील पैनल बनाएगा। यह स्पष्ट नहीं है कि चेयरपर्सन के मौजूद न होने की स्थिति में चार में से कौन सा वाइस चेयरपर्सन अपील पैनल बनाने के लिए जिम्मेदार होगा। 

[1] International Convention Against Doping in Sport, United Nations Educational, Scientific, and Cultural Organization, October 19, 2005.

[2]. World Anti-Doping Code, 2021, World Anti-Doping Agency.

[3]The Prohibited List”, World Anti-Doping Agency, last accessed on February 4, 2022.

[6]. “About us”, National Anti Doping Agency, Ministry of Youth Affairs and Sports, last accessed on February 4, 2022.

[7]. Report No.325: Demands for Grants 2021-22 of the Ministry of Youth Affairs and Sports, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth, and Sports, March, 2021.

[12]. 2021 Code Implementation Support Program Guidelines for the International Standard for Results Management, World Anti-Doping Agency.

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्रअलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।