india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • पीआरएस टीम के लेख
  • व्यवधान-का-समाधान

अभिलेखागार

2024
  • June, 2024
2023
  • December, 2023
2022
  • July, 2022
2021
  • February, 2021
2019
  • October, 2019
  • July, 2019
  • February, 2019
2018
  • September, 2018
  • January, 2018
2016
  • December, 2016
2014
  • June, 2014
2013
  • May, 2013
2012
  • August, 2012
  • May, 2012

व्यवधान का समाधान


जोइता घोष, दैनिक जागरण, 8 जून, 2014

यह समझना आवश्यक है कि आखिर सदन में गतिरोध क्यों उत्पन्न किया जाता है? इस संबंध में पूर्व उपराष्ट्रपति केआर नारायणन ने एक बार कहा था, 'अधिकांश मामलों में सदन में अव्यवस्था तब उत्पन्न होती है जब सदस्यों में निराशा की यह भावना भर जाती है कि उनको अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा।' इसलिए गतिरोध को रोकने के लिए संसद में विपक्षी सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर उपलब्ध कराने के लिए रास्ता तलाशना चाहिए।

तीन तरीकों से इसको किया जा सकता है। पहला, सदन का एजेंडा तय करने की प्रक्रिया को अधिक सहभागी बनाने की जरूरत है। सभी प्रमुख दलों से बनी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी सदन में प्रत्येक दिन का एजेंडा तय करती है। सत्तारूढ़ दल का अधिक प्रतिनिधित्व होने के कारण एजेंडा निर्धारित करने में उसकी प्रमुख भूमिका होती है। इस स्तर पर विपक्षी दलों की एजेंडा निर्धारण में भूमिका को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

दूसरा, विशेष रूप से विपक्षी दलों को अलग से सदन का एजेंडा निर्धारित करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। ब्रिटेन की संसद में प्रत्येक सत्र के 20 दिन का एजेंडा निर्धारित करने की अनुमति विपक्षी दलों को दी गई है। तीसरा, विधायी प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए इसके महत्वपूर्ण चरणों में सभी दलों की राय लेना शामिल है। बिलों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए इस संबंध में दो प्रमुख रास्ते हैं: पहला, पूर्व-विधायी चरण में सभी दलों से विमर्श करना और दूसरा, स्टैंडिंग कमेटी प्रणाली को मजबूत करना। पूर्व-विधायी चरण में विमर्श की संरचनात्मक प्रक्रिया को विकसित करने से बिल को ड्राफ्ट करने से पहले ही सभी दलों की राय मिल जाएगी। स्टैंडिंग कमेटी प्रणाली बिलों को पेश करने के बाद सभी दलों के साथ सर्वसम्मति बनाने में मददगार साबित हो सकती है।

 

-जोयिता घोष [विश्लेषक, पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च]

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.