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क्या पंडित नेहरू ने बनाई थी देश की पहली गठबंधन सरकार?

चक्षु रॉयजनसत्ता , जून 10, 2024
240 लोकसभा सीटों वाली बीजेपी, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बना रही है। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन 1977 में तब लो गों के ध्यान में आए, जब मोरारजी देसाई ने पहली गैर-कांग्रेसी गठबंधन सरकार बनाई। उनकी सरकार उभरते राजनीतिक परिदृश्य की प्रमाण थी। उसमें चरण सिंह, ला...
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खासदार निलंबन कारवाईमागचा दृष्टिकोन जुनाट आणि अकार्यक्षम!

चक्षु रॉयलोकसत्ता, दिसम्बर 27, 2023
संसदेच्या एकाच अधिवेशनात दोन्ही सभागृहांच्या मिळून तब्बल १४१ सदस्यांचे निलंबन झाले, हे इतक्या मोठ्या संख्येने कधीही झालेले नसले तरी संसदेतील गोंधळ नवीन नाही. आपल्या या राष्ट्रीय कायदेमंडळात राजकीय पक्ष/आघाडीची भूमिका काहीही असो, गेल्या अनेक वर्षांपासून हेच चित्र दिसते आहे : विरोधक एखाद्या महत्त्वाच्...
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मानसपटल से कैसे हट पाएगा असंसदीय व्यवहार

चक्षु राय, मृदुला राघवनपत्रिका, 28 जुलाई, 2022
मानसून सत्र शुरू होने से एक सप्ताह पहले असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई। संसदीय सचिवालय ने असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों की नई सूची जारी की, जिसे लेकर विवाद उठा कि कहीं इससे हमारे सांसदों व विधायकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित तो नहीं हो जाएगी। सूची में ऐसे शब्द और वाक्यांश शाम...
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पुडुचेरी में फिर कठघरे में दल-बदल कानून

चक्षु रॉय, हिंदुस्तान , 22 फरवरी, 2021
दल-बदल विरोधी कानून सोमवार को फिर नाकाम साबित हुआ। इस बार यह पुडुचेरी में हुआ है। कांग्रेस-द्रमुक सरकार के मुखिया वी नारायणसामी को अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था, पर उन्होंने सदन से ‘वाकआउट’ करना बेहतर समझा। वहां पर सियासी संकट रविवार को तब गहरा गया था, जब सत्तारूढ़ गठबंधन से दो ...
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प्रदेश विधानसभाओें को कम नहीं, बल्कि ज्यादा मीडिया कवरेज की जरूरत है

चक्षु रॉय, न्यूज़क्लिक , 24 अक्टूबर, 2019
ज्यादातर विधानसभाएं अपने काम और विधायी जानकारी को न के बराबर सार्वजनिक करती हैं। कर्नाटक विधानसभा का तीन दिन का सत्र पिछले हफ्ते खत्म हो गया। जब सत्र चालू होता है, तो विधानसभा की कार्यवाही केंद्र में होती है। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी का एक फैसला कार्यवाही के दौरान ख...
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डीएनए के प्रस्तावित कानून में निजता की बड़ी चिंताएं

मंदिरा काला, लाइव हिंदुस्तान , 25 जुलाई, 2019
देश की संसद डीएनए तकनीक के उपयोग का नियमन करने के लिए एक कानून पारित करने वाली है। हर व्यक्ति का डीएनए अनोखा होता है, तो इसका उपयोग व्यक्ति की सुनिश्चित पहचान के लिए किया जा सकता है। वैश्विक रूप से इस तकनीक का उपयोग सुरक्षा एजेंसियां भगोड़ों और अपराध पीड़ितों की पहचान के लिए करती हैं। डीएनए जांच का उप...
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सोलहवीं लोकसभा का कामकाज

अंकिता नंदा, प्रभात खबर, 15 फरवरी, 2019
साल 2019 के बजट सत्र के समापन के साथ 16वीं लोकसभा का अवसान हो गया. पिछले पांच वर्षों के दौरान 133 विधेयक पारित हुए- खास तौर से वित्त, स्वास्थ्य, कानून और न्याय, शिक्षा से जुड़े.  पिछली दो लोकसभाओं- 14वीं और 15वीं- की तुलना में 16वीं लोकसभा में निचले सदन में एक राजनीतिक दल का बहुमत था. इस लोक...
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जरूरी है चुनावी जागरूकता

चक्षु रॉय, प्रभात खबर , 27 सितंबर, 2018
आपराधिक मामलों में फंसे नेताओं के चुनाव लड़ने पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे संसद के विवेक पर छोड़ दिया है. अब समस्या यह है कि क्या संसद खुद कोई ऐसा कानून बनायेगी, जिससे कि संसद को दागदार छवि वाले नेताओं से मुक्त बनाया जा सके? क्योंकि, आज एक भी ऐसी पार्टी नहीं है, जिसमें ऐसे नेता न हों, जिनक...
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उत्पाद जिम्मेदारी के तहत विनिर्माता हो सकता है दोषी

रूपल सुहाग, बिज़नेस स्टैण्डर्ड, 14 जनवरी, 2018
संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पेश किया गया था। यह विधेयक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की जगह लेगा, जो 30 साल से अधिक पुराना कानून है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की विश्लेषक रूपल सुहाग ने विधेयक के कुछ अहम प्रावधानों का विश्लेषण किया नए कानून की जरूरत...
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हंगामे से बड़ी चिंता तो संसदीय सिस्टम में सभी दलों की घटती रुचि है

चक्षु रॉय, नवभारत टाइम्स , 20 दिसंबर, 2016
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व्यवधान का समाधान

जोइता घोष, दैनिक जागरण, 8 जून, 2014
यह समझना आवश्यक है कि आखिर सदन में गतिरोध क्यों उत्पन्न किया जाता है? इस संबंध में पूर्व उपराष्ट्रपति केआर नारायणन ने एक बार कहा था, 'अधिकांश मामलों में सदन में अव्यवस्था तब उत्पन्न होती है जब सदस्यों में निराशा की यह भावना भर जाती है कि उनको अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा।' इसलिए गतिरोध...
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काम की रफ़्तार में लगातार पिछड़ती संसद

मंदिरा काला, बीबीसी न्यूज़, 07 मई, 2013
संसद के मौजूदा बजट सत्र में जारी गतिरोध को देखते हुए इस धारणा को बल मिल रहा है कि एक संस्था के रूप में संसद की गरिमा घट रही है. पंद्रहवीं लोकसभा में महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को निपटाने में जिस तरह की बाधा आई, उससे इस धारणा को और बल मिला है. साल 1950 में गठित लोकसभा की हर साल औसतन 127 बैठकें हुईं...
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संसदीय लोकतंत्र में सुधार

एम आर माधवन, दैनिक जागरण, 18 अगस्त, 2012
स्वतंत्रता के 65 साल पूरे होने पर संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पड़ावों पर नजर डालना समीचीन होगा। इस संबंध में सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि यह है कि भारतीय लोकतंत्र परिपक्व हो गया है और जहां तक संसदीय कार्यवाही का संबंध है तो यह अपेक्षाओं पर खरी उतरी है। इस बात पर खुशी मनाई जा सकती है कि सातवें दशक के एक ...
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चाल, चेहरा, चरित्र में बदलाव

देविका मलिक और रोहित कुमार, जागरण, 14 मई 2012
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